मोक्ष अवरुद !!
ना कोई गुरु यंह
ना कोई शिष्या यंह
बस बाजार लगा है माया का
खुद को खुद से तो बेच रहा यंहा
जंह जाऊं वंहा तो दिखे
इस अंतर मन मै अब तो ही हंसें
भगवे रंग मै तो खुब अब सजै
धर्म का रंग कपड़ों पर अब चडे
जंह जाऊं वंहा तो दिखे............
भीड़ ही भीड़ देखो खुब जमै
सदगुरु मगर ना कंही मीले
जादुगर ने खुब जादु दिखया
माया ने मुझे और भरमाया
जंह जाऊं वंहा तो दिखे.................
आज मुझे भी मया ने हंसाया
मोक्ष का मार्ग मुझे बिसराया
भौतिक सुख पाने को ल्लच्या
आलोकिक सुख मुझसे दुर भगाया
जंह जाऊं वंहा तो दिखे.................
मन रावण तन रावण आज
जंह देखों वँह रावण खडा आज
खुद के भीतर छुपा रावण के अंत को
प्रभु श्री राम को बुलाओं कंह
जंह जाऊं वंहा तो दिखे.................
ना कोई गुरु यंह
ना कोई शिष्या यंह
बस बाजार लगा है माया का
खुद को खुद से तो बेच रहा यंहा
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत — with
Priti Dabral Prritiy and
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