Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 447990 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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अधुरा सा लगा

देश छुटा प्रदेश छुटा गौं छुटा
घर बार छुटा पहाड़ छुटा
हर बार छुटा बार बार छुट
साथ छुट साथी छुटे बात टूटी ....................

एक एक कर सब छुटा
सपना मेरा सपने के लीये टूटा
अपना मेरा दुर कंही छुटा
अकेले बैठा वो मुझ से रूठ
हर बार छुटा बार बार छुट
साथ छुट साथी छुटे बात टूटी ....................

पहाड़ मेरा ऐसे हर बार फूटा
दिल दर्पण सा वो आईना टूटा
जैसे तडपता होआ वो जल
आश्रु के धार सा आँखों से फूटा
हर बार छुटा बार बार छुट
साथ छुट साथी छुटे बात टूटी ....................

अकेलापन सुनापंन फैला है
दुर दुर तक निगाहों से अब तो
जहँ गया खाली खाली सा लगा
गढ़देश तेरे बिना अधुरा सा लगा
हर बार छुटा बार बार छुट
साथ छुट साथी छुटे बात टूटी ....................

देश छुटा प्रदेश छुटा गौं छुटा
घर बार छुटा पहाड़ छुटा
हर बार छुटा बार बार छुट
साथ छुट साथी छुटे बात टूटी ....................

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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"अधूरा प्रेम "

मेरा वो अधूरा प्रेम
ना हो सका कभी मेरा

बिछडा प्रेम बिछडा मीत
रहता सदा साथ साथ

आता याद वो हर बार
किसी कोने से दै आवाज

उठती रहती वो लपट
बुझ गयी बरसों पहले

ना जाने क्या टीस है वो
चुबती रही दिल के घेरे

ना हो सके वो फेरे मेरे
बस चाह थी हो वो अंधेरे

चले गये उजालों के साथ
बेवफ है ऐ वकत आज

मेरा वो अधूरा प्रेम
ना हो सका कभी मेरा

बालकृष्ण डी ध्यानी
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याद सातों दी

तिल बी नी जाणी मील भी नी जाणी
झण क्या वहाई बल माया माया लगाणी
तिल बी नी जाणी.......२

अरु की दाणी वा नारंगी की सोली
कण कब बाणली वा मेरी ब्योली
तिल बी नी जाणी.......२

गेंहों चवलों को छुची कंण लगदी स्यारी
क्या वहई प्यारी आज तेरी याद बड़ी आई
तिल बी नी जाणी.......२

बुरंस प्योंली खिला देख वो उंचा डंडा
ऐ आकाश उडदा अपरी प्रीत का घुघूती हीलंसा
तिल बी नी जाणी.......२

तेरी मेरी मया मा ऊँचा निसा डंडा कण झुमैला
आपर दगड़ा दगडी ऐ भी अब गढ़ घुमैला
तिल बी नी जाणी.......२

कंण रंगमत बाण्युच मी ब्योला बणीकी
याद आणी च अब जब मील घोडी चड़ीच
तिल बी नी जाणी.......२

आज बैठ्युंच दूर मी यख गढ़ देश छुडी की
तेरी मया अब भी बिता दीण की मै दगडी छुंयीं लगादी
तिल बी नी जाणी.......२

आंखी भुर भुरीकी यकुली अंशुं बहंदी
ऐ परदेश मा ऐ गढ़ देश उत्तराखंड तेरी याद सातों दी
तिल बी नी जाणी.......२

तिल बी नी जाणी मील भी नी जाणी
झण क्या वहाई बल माया माया लगाणी
तिल बी नी जाणी.......२

बालकृष्ण डी ध्यानी
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जब

जब याद किसी की आती है
दो आंखें नम सी हो जाती हैं

पत्तों की आड़ मुस्कुराती है
फुलों संग वो गुद गुदाती

काँटों का दर्द वो छुपती है
हरियाली परिवर्तीत हो जाती है

मुझ से मै अकेले बतलाती है
कंही विरानो वो लै जाती है

इठलाती है इस तरंह से वो
दो बातें मुझ से कह जाती है

सपनो कंही कभी हकीकत मै
आपना स्नेह मुझ पर लुटाती है

हर पल मुझे वो समझती है
प्रकर्ती नई कहानी लगती है

होने का अहसास जगती है
दिल की धडकन धडकती है

जब याद किसी की आती है
दो आंखें नम सी हो जाती हैं

बालकृष्ण डी ध्यानी
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प्यास उत्तराखंड

प्यासा मै प्यास मेरा जन्म
प्यासी मेरी धरती प्यास मेरा देश
प्यास मेरा गावों प्यास मेरा उत्तराखंड
प्यासी नदी प्यासी खेता खलियान
प्यासा मै प्यास मेरा जन्म....................

हर जगह प्यास छायी
माँ गंगा की भुमी पानी मांगें
अपनी जुबान फिर भी ना खुले जी
ना मिले पानी हमको जी
अपनों की दूर कंही प्यास बुझती जी
प्यासा मै प्यास मेरा जन्म....................

बंधों का देश अब मेरा उत्तराखंड
सुरगों ओर छेदों का उसे लगा ग्रहण
बिजली कै खेल मै छुट गयी अपनी रेल
झुख झुख कर लुट गयी गढ़ को तेल
प्यासा मै प्यास मेरा जन्म....................

प्रगती की दौड की छ्यों ऐ गढ़ नशा
ठेकदरों णी चोपट कयी ऐ वैव्यस्था
नेतओं की कर कुजरी मा हे देशा मेरा
रेग्यु मै दगडी तो भी उत्तराखंड तिशालो
प्यासा मै प्यास मेरा जन्म....................

प्यासा मै प्यास मेरा जन्म
प्यासी मेरी धरती प्यास मेरा देश
प्यास मेरा गावों प्यास मेरा उत्तराखंड
प्यासी नदी प्यासी खेता खलियान
प्यासा मै प्यास मेरा जन्म....................

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तेरा बाण

आज मुख खोलों
मिथ्या कैसे बोलो
अपने आप सै खुद
को कैसै मै जोड़ों
हे उत्तराखंड तेरा बाण

क्ख्क हार्ची गैण
बाटा मेरा परती का
छेलू बैठ्युं डाला
तिमाला का सारा
देख उत्तराखंड तै बिगर

दे दै हक मीथै भी
पुकारा दै मेरु भी नाम
कीले बिरडी गों मी
ऐ बद्री-केदार को धाम
जीकोडी बोल्दी हे उत्तराखंड

अब बिरडी गों तो बिरडी
मेर बाटा मेरा गोंव बोई
पर अब भी रुलंदी रैंदी तो
ऐ जीकोडी का ऐ खोल मा
कंण बिसरू हे उत्तराखंड मी तीथै

मन मंदिर मा बसी रैंदु सदनी
एक बेल णी जंद दूर तो कभी
रूं मी ऐ आल छाल वै पला छला
आंखी रूणी रैंदी मेरु गाला
हे उत्तराखंड सदनी मी तेरु बाण

आज मुख खोलों
मिथ्या कैसे बोलो
अपने आप सै खुद
को कैसै मै जोड़ों
हे उत्तराखंड तेरा बाण

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याद सातों दी

तिल बी नी जाणी मील भी नी जाणी
झण क्या वहाई बल माया माया लगाणी
तिल बी नी जाणी.......२

अरु की दाणी वा नारंगी की सोली
कण कब बाणली वा मेरी ब्योली
तिल बी नी जाणी.......२

गेंहों चवलों को छुची कंण लगदी स्यारी
क्या वहई प्यारी आज तेरी याद बड़ी आई
तिल बी नी जाणी.......२

बुरंस प्योंली खिला देख वो उंचा डंडा
ऐ आकाश उडदा अपरी प्रीत का घुघूती हीलंसा
तिल बी नी जाणी.......२

तेरी मेरी मया मा ऊँचा निसा डंडा कण झुमैला
आपर दगड़ा दगडी ऐ भी अब गढ़ घुमैला
तिल बी नी जाणी.......२

कंण रंगमत बाण्युच मी ब्योला बणीकी
याद आणी च अब जब मील घोडी चड़ीच
तिल बी नी जाणी.......२

आज बैठ्युंच दूर मी यख गढ़ देश छुडी की
तेरी मया अब भी बिता दीण की मै दगडी छुंयीं लगादी
तिल बी नी जाणी.......२

आंखी भुर भुरीकी यकुली अंशुं बहंदी
ऐ परदेश मा ऐ गढ़ देश उत्तराखंड तेरी याद सातों दी
तिल बी नी जाणी.......२

तिल बी नी जाणी मील भी नी जाणी
झण क्या वहाई बल माया माया लगाणी
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मील लग्णु गीत

मील लग्णु गीत भुलोह ..२
जीकोडी भीतर छुपीच प्रीत भुलोह मील लागाणु प्रीत
एक माय आंजडा सी
बिसरी गै वा बाट सी
बाट मील बातण भुलोह बाट मील बातण
मील लग्णु गीत भुलोह ..२

गढ़ देश की बात भुल्हो गढ़ देश की बात
सीधी सधी बांदा भुल्हो सीधी सधी बांदा
पैजाण वा बजंद भुल्हो पैजाण वा बजंद
दिल मेरा लुछी जंद भुल्हो दिल मेरा लुछी जंद

मील लग्णु गीत भुलोह ..२
जीकोडी भीतर छुपीच प्रीत भुलोह मील लागाणु प्रीत
एक माय आंजडा सी
बिसरी गै वा बाट सी
बाट मील बातण भुलोह बाट मील बातण
मील लग्णु गीत भुलोह ..२

नखरा देखा छबलाट भुल्हो देखा छबलाट
डोल्की की थाप मा भुल्हो फर्र फिर जंद
देख वीँका लासका धसका भुल्हो लासका धसका
बुड्या भी दाद मेरु वो भी जावाँण वही जंद

मील लग्णु गीत भुलोह ..२
जीकोडी भीतर छुपीच प्रीत भुलोह मील लागाणु प्रीत
एक माय आंजडा सी
बिसरी गै वा बाट सी
बाट मील बातण भुलोह बाट मील बातण
मील लग्णु गीत भुलोह ..२

कंण रासयाँण बांद वा नखराली नार
वींक दुई अन्ख्युमा मा सप्न्या मील सजंद
बेंदी माथ की भुल्हो बेंदी माथ की
मैर खातीर वा लागंद बुलह मैर खातीर वा लागंद

मील लग्णु गीत भुलोह ..२
जीकोडी भीतर छुपीच प्रीत भुलोह मील लागाणु प्रीत
एक माय आंजडा सी
बिसरी गै वा बाट सी
बाट मील बातण भुलोह बाट मील बातण
मील लग्णु गीत भुलोह ..२

बालकृष्ण डी ध्यानी
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
Saturday
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फैसबुक माय

गर कहा भी जाओं कहा ना जाये
बीन तेरे फैसबुक अब रहा ना जाये
रोज सवेरे शाम दस्तक हम लगये
एक दिन छुट जाये दिल को चैन आये
गर कहा भी जाओं ........
दिन प्रतिदिन घनिष्टता बडती जाये
पल पल वाल पर नजर गड़ती जाये
टैगा का यंहा पर तांता लगता जाये
हर कोई दिल मै बसता यूँ ही जाये
गर कहा भी जाओं.............
सुकन है तो ही चैना है अब मेरा
ना कह सका मै कभी पर अब कहता जाये
बस अब इस दिल को अब तो ही भाये
रत दिन इस पेज लाईक पर तेरे गुण गाये
गर कहा भी जाओं ..............
दोस्तों को ऐसे रोज वो मिलाये यंह
दोस्ती की एक नयी परिभाषा सीखाये
दुःख सुख को एक नयी दिशा दी जाये
प्रेम को एक नया आधार उभर आये
गर कहा भी जाओं
गर कहा भी जाओं कहा ना जाये
बीन तेरे फैसबुक अब रहा ना जाये
रोज सवेरे शाम दस्तक हम लगये
एक दिन छुट जाये दिल को चैन आये
गर कहा भी जाओं ........

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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एक ऐसी प्रेम कथा "

हम तुम दो अन्जाना राहा
मंजील किधर किसे पता
चलै किधर हम कौन सी डगर
साथ या फिर हो जुदा जुदा
हम तुम दो अन्जाना राहा ...........

बात निकली ना निकली चाह
फैसला भी ना कर सका जंहा
चलना था हमको हर हाल मै
हो कर बस इस दिल से जुदा
हम तुम दो अन्जाना राहा ...........

निकल पडै राहों मै हम जुदा जुदा
बदकिस्मती ,जिमैदारी से निब्हा
बस पुरा करना था फर्ज अपना
परिवार से ना हो सके हम जुदा
हम तुम दो अन्जाना राहा ...........

ऐ थी एक ऐसी प्रेम कहानी
जिस्म मै जुदाई ओर त्याग था
आपने प्रेम से बढकर दोस्तों
अपनों के लिये आदर सन्मान था
हम तुम दो अन्जाना राहा ...........

हम तुम दो अन्जाना राहा
मंजील किधर किसे पता
चलै किधर हम कौन सी डगर
साथ या फिर हो जुदा जुदा
हम तुम दो अन्जाना राहा ...........


बालकृष्ण डी ध्यानी
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