एक ऐसी प्रेम कथा "
हम तुम दो अन्जाना राहा
मंजील किधर किसे पता
चलै किधर हम कौन सी डगर
साथ या फिर हो जुदा जुदा
हम तुम दो अन्जाना राहा ...........
बात निकली ना निकली चाह
फैसला भी ना कर सका जंहा
चलना था हमको हर हाल मै
हो कर बस इस दिल से जुदा
हम तुम दो अन्जाना राहा ...........
निकल पडै राहों मै हम जुदा जुदा
बदकिस्मती ,जिमैदारी से निब्हा
बस पुरा करना था फर्ज अपना
परिवार से ना हो सके हम जुदा
हम तुम दो अन्जाना राहा ...........
ऐ थी एक ऐसी प्रेम कहानी
जिस्म मै जुदाई ओर त्याग था
आपने प्रेम से बढकर दोस्तों
अपनों के लिये आदर सन्मान था
हम तुम दो अन्जाना राहा ...........
हम तुम दो अन्जाना राहा
मंजील किधर किसे पता
चलै किधर हम कौन सी डगर
साथ या फिर हो जुदा जुदा
हम तुम दो अन्जाना राहा ...........
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com