Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 448056 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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3 hours ago
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
10 hours ago
याद आणु पहडा

घाम गुम होग्ये सरीर
तिसलू होग्ये ये परण
अबकी बार दिल्ली मा
याद ऐगै ऐ मेरु गाम पहडा
गर्मी ऐ बरसा की गर्मी...........

चिखलाणु ऐ घाम
कंण निकली उम्ली उमला
सरीर बंणगै घमुली को गढ़
तिस बौडी लैगै मेरु पहडा
गर्मी ऐ बरसा की गर्मी .................

कंण जीकोड़ी सुखीगै
कंण टपराणु आकाश
कंण लगीगै झोला ऐ बरस
गरमा को याद आणु पहडा
गर्मी ऐ बरसा की गर्मी .................

थंडू मीठू पाणी ऐ पहडा को
कंण बुझदी प्यास पराणा को
लगी कुदाली गाला मा भुल्हा
खुदा ऐगै दुआड़ी की दिल्ली मा
गर्मी ऐ बरसा की गर्मी .................

घाम गुम होग्ये सरीर
तिसलू होग्ये ये परण
अबकी बार दिल्ली मा
याद ऐगै ऐ मेरु गाम पहडा
गर्मी ऐ बरसा की गर्मी...........

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गर्भ की बेटी

ममता उभर आती है
स्नेह मै वो खो जाती
ममता उभर आती है ...................

आँखों से बतलाती है
हाथों से जतलाती है
ममता उभर आती है ...................

गर्भ से उतपन होती है
लहु संग घुल जाती है
ममता उभर आती है ...................

एक रिश्ता जुड़ जाता
अपना सा बन जाता है
ममता उभर आती है ...................

९ माहा का वो रिश्ता
पल मै झुठ सा जाता है
ममता वो कंहा खो जाती है ......................

बेटे के बदले बेटी
वो जब गोद मै रोती है
ममता वो कंहा खो जाती है ......................

किस्सा बदल सा जाता है
मानव पतित बन जाता है
ममता वो कंहा खो जाती है ......................

उस कोमल सी पंखुड़ी
सीकोड सी वो जाती है
ममता वो कंहा खो जाती है ......................

देख दुनिया का चलन
अनंत मै वो विलीन हो जाती
ममता वो कंहा खो जाती है ......................

गर्भ की बेटी अब वो
गर्भ मै ही मारी जाती है
९ माह बाद कूड़े मै पाई जाती है
ममता वो कंहा खो जाती है ......................

बालकृष्ण डी ध्यानी
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प्रवाशी उत्तराखंडी

देख कंण लगाणा छण लोग आज या
पहाडा मा घूमणा छंण लोग आज या

छुंयीं अपरी लगाण छण लोग आज या
विपदा खैरी गणना छण लोग आज या

कंडली सगा वो खाणा लोग आज या
थैली दारू की पीणा टुंडा लोग आज या

कंडा खुठी मा चुबणा छण लोग आज या
कुल्ह्नाण लुकणा छण लोग आज या

फूटो आज खीचणा छण लोग आज या
हमरी पीड़ा बिसरण लोग आज या

सैर सपाट बाण आयां लोग आज या
कभी लगदा था पहडी लोग आज या

दैण नजरों णा देखद सैलानी लोग आज या
प्रवाशी उत्तराखंडी कहदा अपर थै लोग आज या

देख कंण लगाणा छण लोग आज या
पहाडा मा घूमणा छंण लोग आज या

बालकृष्ण डी ध्यानी
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"जीवन नदी"

एक नदी जो बहती
दिल मै वो रहती है
समंदर मै समाने
आँखों से निकलती है
एक नदी जो बहती ................

आसपास बहती है
सुख दुःख वो सहती है
बहते बहते वो कहती है
सीस्कीयाँ बस वो लेती है
एक नदी जो बहती ................

ऊपर निचले ढलानों से
जब वो यूँ गुजराती है
एक नयी आस को पाले
समंदर पर जा मिलती है
एक नदी जो बहती ................

जींदगी कल कल करती है
पल पल वो बढती जाती है
कई मोड़ आने के बाद भी क्या वो ?
उस समंदर मै वो मील जाती है
एक नदी जो बहती ................

एक नदी जो बहती
दिल मै वो रहती है
समंदर मै समाने
आँखों से निकलती है
एक नदी जो बहती ................

बालकृष्ण डी ध्यानी
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विडबना

विडबना ने घेरा ऐसा
अकेला मै यों छेड़ा ऐसा

व्यथीत छलीत वेदना
विडबना ही विडबना

किंचीत करावलीत ग्रसीत
अपेकक्षीत अन्वृत अवतरित

समय संचनी से ग्रसीत
रवि किरण ग्रहण से अन्वरित

विमोड़ केंद्र से दुखित
दुःख दर्द बस परिवर्तित

कर्दन ताल मन अव्घोरित
दिल स्थल सदैव स्थलांतरित

पल्लव पेड़ दूर अपड़ित स्वरुप
अघडित आक्रांत विक्राळ

विडबना ने घेरा ऐसा
अकेला मै यों छेड़ा ऐसा

बालकृष्ण डी ध्यानी
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"जीवन नदी"

एक नदी जो बहती
दिल मै वो रहती है
समंदर मै समाने
आँखों से निकलती है
एक नदी जो बहती ................

आसपास बहती है
सुख दुःख वो सहती है
बहते बहते वो कहती है
सीस्कीयाँ बस वो लेती है
एक नदी जो बहती ................

ऊपर निचले ढलानों से
जब वो यूँ गुजराती है
एक नयी आस को पाले
समंदर पर जा मिलती है
एक नदी जो बहती ................

जींदगी कल कल करती है
पल पल वो बढती जाती है
कई मोड़ आने के बाद भी क्या वो ?
उस समंदर मै वो मील जाती है
एक नदी जो बहती ................

एक नदी जो बहती
दिल मै वो रहती है
समंदर मै समाने
आँखों से निकलती है
एक नदी जो बहती ................

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गर्भ की बेटी

ममता उभर आती है
स्नेह मै वो खो जाती
ममता उभर आती है ...................

आँखों से बतलाती है
हाथों से जतलाती है
ममता उभर आती है ...................

गर्भ से उतपन होती है
लहु संग घुल जाती है
ममता उभर आती है ...................

एक रिश्ता जुड़ जाता
अपना सा बन जाता है
ममता उभर आती है ...................

९ माहा का वो रिश्ता
पल मै झुठ सा जाता है
ममता वो कंहा खो जाती है ......................

बेटे के बदले बेटी
वो जब गोद मै रोती है
ममता वो कंहा खो जाती है ......................

किस्सा बदल सा जाता है
मानव पतित बन जाता है
ममता वो कंहा खो जाती है ......................

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ढलती याद "

फिर आ गयी शाम
कदम चलें थक कर
याद आ रही तुम मुझे
अलग और हठ कर

थक गयी है शाम
आज सब तज कर
निखार आया तुम पर
साथ निशा के चलकर

चले थै दो कदम साथ
उम्र गयी यूँ बढकर
कल की तो बात थी
गुजर गयी झुक कर

बड बड्या मै कुछ
यूँ आपने आप पर
देखा यंह वंहा मैने
आंखे गडी तुम पर

ढलती याद मेरी
यादों से अब हठकर
पालों तुम्हे मै आज
यादों मै ही रहकर

फिर आ गयी शाम
कदम चलें थक कर
याद आ रही तुम मुझे
अलग और हठ कर

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फैसबुक माय

गर कहा भी जाओं कहा ना जाये
बीन तेरे फैसबुक अब रहा ना जाये
रोज सवेरे शाम दस्तक हम लगये
एक दिन छुट जाये दिल को चैन आये
गर कहा भी जाओं ........
दिन प्रतिदिन घनिष्टता बडती जाये
पल पल वाल पर नजर गड़ती जाये
टैगा का यंहा पर तांता लगता जाये
हर कोई दिल मै बसता यूँ ही जाये
गर कहा भी जाओं.............
सुकन है तो ही चैना है अब मेरा
ना कह सका मै कभी पर अब कहता जाये
बस अब इस दिल को अब तो ही भाये
रत दिन इस पेज लाईक पर तेरे गुण गाये
गर कहा भी जाओं ..............
दोस्तों को ऐसे रोज वो मिलाये यंह
दोस्ती की एक नयी परिभाषा सीखाये
दुःख सुख को एक नयी दिशा दी जाये
प्रेम को एक नया आधार उभर आये
गर कहा भी जाओं
गर कहा भी जाओं कहा ना जाये
बीन तेरे फैसबुक अब रहा ना जाये
रोज सवेरे शाम दस्तक हम लगये
एक दिन छुट जाये दिल को चैन आये
गर कहा भी जाओं ........

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माँ दिवस
 
 बस एक दिन है
 क्या नाम तेरे माँ ?
 तेरा प्यार हर दिन
 साथ बस मेरे माँ
 
 ना रहेगी ये सृष्टी
 जब तो ना होगी माँ
 तेरा हर बात हर दुलार
 सदा साथ मेरे माँ
 
 माँ हर पल
 हर श्नण साथ मेरे माँ
 हर धमनी लहु मै
 तेरी ममता बहाये माँ
 
 दिल की धडकन
 का साथ तुझ से है माँ
 तेरे दुध की धार का
 आधार मुझ से माँ
 
 आज का दिन नहीं
 हर दिन सदा साथ मेरे माँ
 माँ दिवस की बधाई हो
 मेरी प्यारी भोली माँ 
 
 बस एक दिन है
 क्या नाम तेरे माँ ?
 तेरा प्यार हर दिन
 साथ बस मेरे माँ
 
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