बालकृष्ण डी ध्यानी
13 hours ago
तू पास है
रूठ मन मेरा ,रूठा तन साथ है
रूठ जग मुझसे , रूठ रब पास है
बैठी अकेली तू , सजना ना सहेली तू
लगती पहेली तू , उलझी अकेली तू
आया ना सावन , आँखों में असवन
गिर गिर सखी आये , झिर झिर ये मौसम
सोचे है क्या तू , समझे है क्या तू
मन है पगला तू , खोजे है क्या आज तू
अंधीयारी रात है , दूर सितारे पास है
चाँद की तलाश है , वो ही गुम आज है
बात है खास तू , खुद को दे आवाज तू
कर यकीन आज तू , टूटा होआ साज तू
यकीन है हमें , अपना कोई पास है
साथ नहीं ना सही यादों में तो तू आज है
रूठ मन मेरा ,रूठा तन साथ है
रूठ जग मुझसे , रूठ रब पास है
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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