Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 448415 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
देव भूमि बद्री-केदार नाथ
September 15
आज के परिछेद में काव्य हास्य

आज की बात बताओं
किस्सा तुमको मै सुनाऊं
कहते है वो की मै लोगों को हँसाऊं

हंसी का पिटारा मै खोलों
अपने आप पर मै हंस लूँ
दर्द अपना अपने से कैसे छुपाऊं

कैद ऐ हजरत के पैगंब बंद
पैबन्द विभेद कंहा पाऊं
परिच्छेद का शोर कंहा छुपाऊं

कटाक्ष मारती मेरे व्यंग
अंत तक अन्तरंग वेदना भार
हास्य कैसे सम्भाल पायेगा

आज की बात बताओं
किस्सा तुमको मै सुनाऊं
कहते है वो की मै लोगों को हँसाऊं

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
बालकृष्ण डी ध्यानी
Wednesday
On your timeline · Hide

"पुरानी किताबों का ढेर"

क्या करे ....कोई ना सुने मन की
बता दिल क्या करे .......
धड़कती है ...धडकन शब्द सब मौन
बता दिल क्या करे .......

रचनाओं के बोल कबाड़ी की गठरी खोल
बता दिल क्या करे .......
कविता छापी अब चुपचाप सुस्ता रही
बता दिल क्या करे .......

मुँह बाहर की ओर अंदर क्यों शोर
बता दिल क्या करे .......
ज्ञान की जलती बाती के नीचे कोइ ओर
बता दिल क्या करे .......

रचनाकरों के रचनाओं का वो छोर
बता दिल क्या करे .......
ढेर ही ढेर है पडा अब तेरे चाहों ओर
बता दिल क्या करे .......

क्या करे ....कोई ना सुने मन की
बता दिल क्या करे .......
धड़कती है ...धडकन शब्द सब मौन
बता दिल क्या करे .......

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
बालकृष्ण डी ध्यानी
 

यूँ ही टूटकर

यूँ ही टूट- टूटकर के गिरा वो आस ही पास
अरमानो का अधूरा अधूरा सा वो साथ ...२
अश्क से भीगी थी वो रात वो बात
अल्फ़ाजा का कौन देगा यंहा साथ .....२
यूँ ही टूटकर.......

उक़ूबत का समा जल जलकर अब बुझने लगा
उजाड़ बंजर पर वो हल चलने लगा ..२
रह रहकर उफ़्क पर उम्मीद से बाकी रही
उरूज पर उरियां का उबाल आता राहा ..२
यूँ ही टूटकर......

एहतियाज ऐ ऐयाश ऐहतमाम मै
इज़्ज़त का इज़्हार उनसे हो ना सका..२
घुंगुर यूँ ही बजते रहे इक़रार मेरा नाचता रहा
इत्तिका इत्तिफ़ाक़ पर गर यकीन आता राह..२
यूँ ही टूटकर......

यूँ ही टूट- टूटकर के गिरा वो आस ही पास
अरमानो का अधूरा अधूरा सा वो साथ ...२
अश्क से भीगी थी वो रात वो बात
अल्फ़ाजा का कौन देगा यंहा साथ .....२
यूँ ही टूटकर.......

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
बालकृष्ण डी ध्यानी
 
बचपन

बचपन औ बचपन
भुलाये नही भुलता बचपन औ बचपन
भुलाये नही भुलता
मन मेरे तन किसे खोजता आज
बचपन औ बचपन भुलाये नही भुलता .....

छोटी से मन की
बड़ी सी उमंग पकड़ने दौडे तन
गिलास आधा भरा पानी सा
छल छल छलता रहता
बचपन औ बचपन
भुलाये नही भुलता बचपन औ बचपन

यादों का वो दर्पण
छुट वो पल हर पल पल
बैठ किसी दिल कोने मै आज
बना वो मेरा अब प्रतिबिम्ब
बचपन औ बचपन
भुलाये नही भुलता बचपन औ बचपन

रेत हाथों से फिसली
सर से तो भी तू निकली थी
बनके एक वो पहेली
वक्त की थी बस वो सहेली
बचपन औ बचपन
भुलाये नही भुलता बचपन औ बचपन

बचपन औ बचपन
भुलाये नही भुलता बचपन औ बचपन
भुलाये नही भुलता
मन मेरे तन किसे खोजता आज
बचपन औ बचपन भुलाये नही भुलता .....


बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
बालकृष्ण डी ध्यानीSeptember 15आज के परिछेद में काव्य हास्य
 
 आज की बात बताओं
 किस्सा तुमको मै सुनाऊं 
 कहते है वो की मै लोगों को हँसाऊं
 
 हंसी का पिटारा मै खोलों   
 अपने आप पर मै हंस लूँ 
 दर्द अपना अपने से कैसे छुपाऊं
 
 कैद ऐ हजरत के पैगंब बंद
 पैबन्द विभेद कंहा पाऊं 
 परिच्छेद का शोर कंहा छुपाऊं
 
 कटाक्ष मारती मेरे व्यंग
 अंत तक अन्तरंग वेदना भार
 हास्य कैसे सम्भाल पायेगा
 
 आज की बात बताओं
 किस्सा तुमको मै सुनाऊं 
 कहते है वो की मै लोगों को हँसाऊं
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
 मेरा ब्लोग्स
 http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
 मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत —

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
बालकृष्ण डी ध्यानी
September 16
सोच गढ़ देशा की

बैठी बैठी की क्या सोचणी छे.
बैठी बैठी की किले रोणी छे.
बैठी बैठी की क्या सोचणी ईजा यकुली बैठी किले रोणी छे.
बैठी बैठी की क्या सोचणी छे...२

बादल फटयाँ गढ़ देशा मा
अपर भै बन्द छोडीकी गै कै देशा मा
अन्ख्युं मा बस्ग्याल छोडीकी बोई
उत्तराखंड भी आज रोणू छा
बैठी बैठी की क्या सोचणी ईजा यकुली बैठी किले रोणी छे.
बैठी बैठी की क्या सोचणी छे...२

उत्तरकाशी,कपाल कोट
रूद्रप्रयाग कु उखीमठ दैवी विपदा घ्याल रोणू छा
आपरा समण कदगा अपरा हर्ची
अन्ख्युं मा बस बल बरखा झरकी रोणी छा
बैठी बैठी की क्या सोचणी ईजा यकुली बैठी किले रोणी छे.
बैठी बैठी की क्या सोचणी छे...२

बोगी जालो सरू गढ़ देशा ईणी
विचार कै बेटा ना गै अब बी बेल
अपर अपरा मा ना लगी रै छोछा
गढ़देशा की भी तू अब सोच
बैठी बैठी की क्या सोचणी ईजा यकुली बैठी किले रोणी छे.
बैठी बैठी की क्या सोचणी छे...२

बैठी बैठी की क्या सोचणी छे.
बैठी बैठी की किले रोणी छे.
बैठी बैठी की क्या सोचणी ईजा यकुली बैठी किले रोणी छे.
बैठी बैठी की क्या सोचणी छे...२

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
बालकृष्ण डी ध्यानी
12 hours ago
आम था मै

आम था इसलिये मै जलता ही रहा
कभी कोयले में कभी डीजल में ओर कभी पेट्रोल मे
बड़ते दाम की अग्नी लगती ही रही
आम था इसलिये मै जलता ही रहा

गरीबी रेखा से उठकर
अमीरी की रेखा से दबकर
महंगाई से मै लड़ता ही रहा
आम था इसलिये मै जलता ही रहा

कल के फ़िक्र मे आज को भूल चुका
जिंदगी दब दबकर मै जी चुका
कल क्या हुआ आज भूल चुका
आम था इसलिये मै जलता ही रहा

दाल छोड़ा कभी रोटी छोडी
गैस चुल्हा ने कभी दिया धोखा
सैर सपाटे से मैने मुंह मोड़ा
आम था इसलिये मै जलता ही रहा

टैक्स ने मार कभी लोंन ने मार
कभी सब्जी के बड़ते दाम ने मार
धक्का खाकर ही ऐ जीवन गुजार
आम था इसलिये मै जलता ही रहा

आम था इसलिये मै जलता ही रहा
कभी कोयले में कभी डीजल में ओर कभी पेट्रोल मे
बड़ते दाम की अग्नी लगती ही रही
आम था इसलिये मै जलता ही रहा

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
देव भूमि बद्री-केदार नाथ एक दिन सबुल
 
 एक दिन सबुल
 माटू व्हैजाण यखी खापी जाण..२
 रै जाली  रै जाली बस यख..२ 
 तुम्हरो कियु कम
 बाबा दादों को दियू नाम
 एक दिन सबुल
 माटू व्हैजाण यखी खापी जाण..२
 
 डाली भी जमदी यख बल
 सब दे जंद  सब कुछ दे जंद 
 चोल्हो ढुंगा डाली पर
 ढुंगा बदल बल  डाला की माया ही अंद माया ही अंद
 दादा भुल्हो ई बात तू  किले भूल जंद किले भूल जंद
 एक दिन सबुल
 माटू व्हैजाण यखी खापी जाण..२
 
 छोड़ा छाडीकी माटू अपरू
 आपरू माटू किले छोड़ जंद , किले छोड़ जंद
 माया दगडी वै मा माया किले णी अंद माया किले णी अंद
 दोई  आँखयूँ  मा अंशुं बस   हे ...............माया .२
 कादगा अपरू थै तिल (गढ़ बिसराया )...३
 बादमा मा पछतै की तिल क्या पाया तिल क्या पाया तिल क्या पाया 
 एक दिन सबुल
 माटू व्हैजाण यखी खापी जाण..२
 
 एक दिन सबुल
 माटू व्हैजाण यखी खापी जाण..२
 रै जाली  रै जाली बस यख..२ 
 तुम्हरो कियु कम
 बाबा दादों को दियू नाम
 एक दिन सबुल
 माटू व्हैजाण यखी खापी जाण..२
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
 मेरा ब्लोग्स
 http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
 मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
देव भूमि बद्री-केदार नाथ
16 hours ago
आंखी क्या बोंदी

सुर्म्याली अन्खोंयुं का .....सुरमा क्ख्क हर्ची
नका की नथुली....२ क्ख्क ग्याई परसी..२
सुर्म्याली अन्खोंयुं का ...

गाला का गुलोबंद स्वामी गाला का गुलोबंद
बेच बेच की स्वामी रैगै बल कालो धागा को गंडा
परसी नथुली की बेलचा
अब स्वामी सुर्म्याली अन्खोंयुं मा आंसूं की रेघ चा

देख्याली देख्याली मील तेरा हाथ की चूड़ी पैरा का पैजण
छम छम खंण खंण हीटणु तेरु क्ख्क लुकी गयाई

बंजा पड़यूँ पुंगड रीटा रीटा डंडा स्वामी
कंण हिटण छम छम पैजाण मा पड्यां कंडा
सोना की चूड़ी बिकी स्वामी कंचा की चूड़ी टूटी
अब कंण बजालो कंण हिट्लो छम छम खंण खंण

सोच्याली सोच्याली मील मन धैरयाली
सब छोड़ छाडा की मी आणुच मेरु घार मेरु गढ़वाल

ना सोचा ना देर करा स्वामी पैली गाडी णी पैहल करा
दोई रोटी लुणा दगड़ स्वामी स्वाद णी आन्दु तुम्हरा बगैर
भैर भैर रैकी आप ना अब आबैर करा
लोगों की सीखैसैर छोडी की मुल्क थै ना अब भैर करा

सुर्म्याली अन्खोंयुं का .....सुरमा क्ख्क हर्ची
नका की नथुली....२ क्ख्क ग्याई परसी..२
सुर्म्याली अन्खोंयुं का ...

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
देव भूमि बद्री-केदार नाथ
18 hours ago
मै भी उस पथ पर

कुछ अल्फाज पीछे छुटे पड़े थे किसी के
उनको मै सिमटने में लगा हूँ
अधूरी थी कुछ कविता गजल लेख
उस पथ पर मै भी अब चलने लगा हूँ
कुछ अल्फाज ........

कुछ पडी थी कबाड़ी में
कुछ घर की चार दिवारी में
कुछ खाली पन्ना निहार रही थी
कुछ कलम का मन टटोल रही थी
कुछ कल्पना संग उड़ना चाह रही थी
कुछ बंदिशों में बंधी पडी थी
सब कुछ ना कुछ पूछ रही थी मुझसे
अंदर ही अंदर कह रही थी मुझको
कुछ अल्फाज ........

कुछ आज कुछ इतिहास
कुछ स्नेह कुछ विशवास
कंही क्रान्ती की आग कंही भूख कंही प्यास
महंगाई की मार गरीबी की हाहाकार
चुप बैठे नेता और सरकार
किसी को तू आगे आना होगा
हे मेरी कलम बन जा तू तलवार
अति है अंतर से हुंकार
कुछ अल्फाज ........

शांत मन समन्दर लहरा
अंधकार मै ज्योती फैला
सोये जन को तू अब जगा
जीने की रहा पर ले जा
उलझा मन तू अब सुलझा
व्यर्थ ना ऐ जीवन गंवा
उठा कलम और कर विचार
एक नये विश्व की नीव रख
मंजिल देख रही तेरी रहा
कुछ अल्फाज ........

कुछ अल्फाज पीछे छुटे पड़े थे किसी के
उनको मै सिमटने में लगा हूँ
अधूरी थी कुछ कविता गजल लेख
उस पथ पर मै भी अब चलने लगा हूँ
कुछ अल्फाज ........

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22