८० वात (वायु ) विकार
चरक संहितौ सर्व प्रथम गढ़वळि अनुवाद
खंड - १ सूत्रस्थानम , बीसवां अध्याय ( महारोगाध्याय ) पद ११
अनुवाद भाग - १५९
गढ़वाळिम सर्वाधिक पढ़े जण वळ एकमात्र लिख्वार-आचार्य भीष्म कुकरेती
-
!!! म्यार गुरु श्री व बडाश्री स्व बलदेव प्रसाद कुकरेती तैं समर्पित !!!
-
पैल वात जन्य रोगुं बात करे जाय। जनकि - नंगुं टुटण , खुट फटण , खुटुं पीड़ा , पादभ्रंश , खूट सीण , वातखुड्डका , गुल्मग्रह , पिंडलियुं म ऐंठन , गृधसी , जानुभेद अर जानुविश्लेष , उरूस्तम्भ, उरसाद , पंगुला, गुदभ्रंस , गुदार्ति, वृषणोंत्क्षेप (अण्डकोशक मथि खैंच्यांण ) , शिश्नम खिंचाव , वंक्षण म मल रुकावट , पूठ छल फटण , मलभेद , उदावर्त, लंगड़ापन , कुबड़ापन , नाटापन , तीकरग्रह , पृष्ठग्रह, पंसलीयुं पीड़ा ,
पेटम मरोड़ , हृदय मूर्छा , हृदय धड़कन बढ़ण , छाती पीड़ा , छातीक रुकण , हथ सुकण , गौळ अकड़न , घाटै (गळा नस ) अकड़न (मन्यास्तम्भ ) , स्वरभंग, मुख (जबड़ा ) खुलाक खुला रौण, ओंठ फटण , दांत टूटण , दांत शिथिलता , गूंगापन , वाणी रुकण , मुखम कसैलापन , शुष्क मुख , स्वादौ ज्ञान नि हूण , गंध ज्ञान अभाव , घ्राणशक्ति म अभाव , कन्दूड़ वेदना , कन्दूड़ नि सुणेन , उंचो सुण्याण , बैरोपन , जड़ पलक , पलक संकुचित हूण , शंख , कनपटी फटण , कपाळ फटण , मुंड पीड़ा , बाळुं भूमि फटण , आर्दित वात , एकांग रोग , सर्वांग रोग , पक्षाघात , आक्षेपक , दंडापतनक , थकान , चक्कर आण , कम्पन , विषाद , जम्माइ , चिंता , अति प्रलाप , ग्लानि , रुक्षता , कर्कशता, लाल लाल रंगै चमक , निंद नि आण , काच रोग , आँखुंम वेदना , आंख्युं पलटेण, भ्रुवों संकुचित हूण , अस्थिर चित्त , यी ८० (अस्सी ) प्रधान वात विकार छन। वात विकार असंख्य छन िखम मुख्य वात विकारुं बात ह्वे। ११।
-
*संवैधानिक चेतावनी : चरक संहिता पौढ़ी थैला छाप वैद्य नि बणिन , अधिकृत वैद्य कु परामर्श अवश्य
संदर्भ: कविराज अत्रिदेवजी गुप्त , भार्गव पुस्तकालय बनारस ,पृष्ठ २४० बिटेन २४१ तक
सर्वाधिकार@ भीष्म कुकरेती (जसपुर गढ़वाल ) 2021
शेष अग्वाड़ी फाड़ीम
चरक संहिता कु एकमात्र विश्वसनीय गढ़वाली अनुवाद; चरक संहिता कु सर्वपर्थम गढ़वाली अनुवाद; ढांगू वळक चरक सहिता क गढवाली अनुवाद , चरक संहिता म रोग निदान , आयुर्वेदम रोग निदान , चरक संहिता क्वाथ निर्माण गढवाली , चरक संहिता का प्रमाणिक गढ़वाली अनुवाद , हिमालयी लेखक द्वारा चरक संहिता अनुवाद , जसपुर (द्वारीखाल ) वाले का चरक संहिता अनुवाद