Author Topic: Ghnanand Pandey 'Megh' Famous Poet-श्री घनानंद पाण्डेय 'मेघ' प्रसिद्ध कवि  (Read 6315 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

 दोस्तों,
 
 मेरापहाड़ फोरम में हम आज आपका परिचय करा रहे है, उत्तराखंड मूल के प्रसिद्ध कवि श्री घनानंद पाण्डेय 'मेघ' जी से जो जिला पिथोरागढ़ के देवलस्थल से सम्बन्ध रखते है! पाण्डेय जी वर्तमान में लखनऊ में है! पाण्डेय जी उनके कृतियों के लिए कई सम्मान भी मिल चुके है ! इस टोपिक में हम पाण्डेय जी के प्रकाशित किताबो के बारे में जानकारी दंगे!
 
 अभी तक पाण्डेय की निमंलिखित:-
    - नरै (कुमाउनी गीत संग्रह)
    - दर्द लेखनी का
    - कल्पनाओं का सावन
    -  भारती की आरती
    -  चाँद सितारे आगन के (बाल गीत संग्रह)
 
 पाण्डेय जी का परिचय

M S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
घनानंद पाण्डेय जी की यह कविता के कुछ अंश जो उनकी किताब नरै (कुमाउनी गीत संग्रह से है)

पहाड़कि बात

तेरी माया कसी छ हो भगवान्
कती डाना कती गध्यारा कती छन मैदान
तेरी माया................

सुका डाना मली बटी रूखन का जाड़ा बटी
ख्यतन का बिच सिमार, डुडन जाड़ा बटी!

पाणी कसिके उ वान, ओ भगवन
तेरी माया...........



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

माँ याद आती है,

आती है माँ याद आती है
याद तुम्हारी माँ आती है!

             हम सब को भर पेट खिलाती है
             और स्वयं भूखी सोती थी !
             भईया जब सीमा पर जाते
             विलख विलख कर वो रोती है!

तिनके जब चिड़िया लाती है!
याद तुम्हारी माँ आती है!

              शांत धरा सी निश्छल रहती ,
              जाड़ा गर्मी सब सहती थी !
              हम तो गोदी में सो जाते
              लेकिन  तुम जगती रहती थी!

पास मुसीबत जब आती है!
याद तुमारी माँ आती है!

         हर पल उलझन में रहती थी
         लेकिन सबको खुश रखती थी!
         याद मुझे है, तुमको अवसर
         केवल खुरचन ही बचती थी !

भूख मुझे जब तडपाती है!
याद तुम्हारी माँ आती है!

            तुमने कितना कष्ट सहा था,
            जीवन माँ दुःख दर्द पिया था!
            हमको रचने की कोशिश में !
            मर मर कर हर सांस  जिया था!

आस कभी यदि तरसाती है!
याद तुम्हारी माँ आती है!

            तेरे ऋण से उऋण न होंगे !
            हम चाहे जिंट हो दानी!
            माँ की ममता आंक न पाते
            बड़े बड़े ज्ञानी विज्ञानी !

मिलती जब नेहिल पाती है!
याद तुम्हारी माँ, आती है!

                  एसे कोई शब्द नहीं है!
                  माँ पर बीती बात बताये
                  माँ तो है तरुवर की छाया
                  हम है उसकी बेल लताये !

दिन ढलते जब संध्या आती है
याद तुम्हारी माँ! आती है!

सर्वधिकार सुरुक्षित - घनानंद पाण्डेय ' मेघ; किताब  चाँद सितारे आँगन के पेज ४४

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

पहाड़ कि याद

प्रदेश ए बेर रे रयाँ, नी भुल्याँ पहाड़ कि याद !
आंखिन रिटी हर घडी, आजि ले नानछनिक बात !

गोरु भैसनाक दगाड, जंगल जै रेछी !
ग्वालन क दगाड, उड़ीयार भै रुछि!

बर बर बर बर हियुं पड़, दिन बरखा की तोडात
आँखिन रिटी हर घडी, आजि ले नानछनिक बात !

इजाक हातक, लगाद मिल्छ्या
घी पुडी दगाड , छास पी लिछिया!

आमाक एँण किस्सान में, है जा छि रोज अधरात !
आँखिन रिटी रुछि हर घडी, आजि ले नान छ्नानिक बात!

पहाड़ जै बेर, घी पूवा खै उ छ्या
घौत भट, काकड़ा काफल ल्ही उन्छया!

ओ भुला ओ भूली झन छोडिया पहाड़ की अपनी थात
आँखिन रिटी रुन्छी हर घडी आजि ले नानछ्नाकी बात !

घनानंद पाण्डेय 'मेघ'

copy right merapahadforum.com


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0


 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22