बैठक का कमरा[/b]
चली आ रही है गर्म-गर्म चाय भीतर से
लजीज खाना चला आ रहा है भाप उठाता
धुल के चली आ रही हैं चादरें पर्दें
पेंटिंग पूरी हो कर चली आ रही है
संवर के आ रही है लड़की
जा रहे हैं भीतर जूठे प्याले और बर्तन
गन्दी चादरें जा रही हैं परदे जा रहे हैं
मुंह लटकाए लड़की जा रही है
पढ़ लिया गया अखबार भी
खिला हुआ है कमल-सा बाहर का कमरा
अपने भीतर के कमरों की कीमत पर ही खिलता है कोई
बैठक का कमरा
साफ़ सुथरा संभ्रांत
जिसे रोना है भीतर जा कर रोये
जिसे हँसने की तमीज नहीं वो भी जाये भीतर
जो आये बाहर आंसू पोंछ के आये
हंसी दबा के
अदब से
जिसे छींकना है वही जाए भीतर
खांसी वही जुकाम वहीँ
हंसी ठटठा मार पीट वहीँ
वही जलेगा भात
बूढी चारपाई के पायों को पकड़ कर वहीँ रोयेगा पूरा घर
वहीँ से आएगी गगनभेदी किलकारी और सठोरों की ख़ुशबू
अभी अभी ये आया गेहूं का बोरा भी सीधे जाएगा भीतर
स्कूल से लौटा ये लड़का भी भीतर ही जा कर आसमान सर पर उठाएगा
निष्प्राण मुस्कराहट लिए अपनी जगह बैठा रहेगा
बाहर का कमरा
जो भी जाएगा घर से बाहर कभी, कहीं
भीतर का कमरा साथ-साथ जाएगा