from Mukund Dhoundiyal ml.dhoundiyal@gmail.com
हमारा पहाड़ों की जीवन शैली माँ तरक्की ता जरूर ह्वेई च लेकिन तुल्न्मात्मक दृष्टि से ... वास्तव माँ... चालीस पचास का दशक माँ हमारा पहाड़ी आदिम तैं अधिकतर "घरेलु" या फिर "होटल नौकर" समझे जांदू छैयी ......हालात भौत ख़राब छैयी
हम तैं भंड मज्जा बोले जांदू छयो..... गरीबी भोत छै
लोग बाग़ अपना नौनो तैं हद से हद मिड्डल ही कराइ सकदु छाई
एक तेज तर्रार बछा तैं भी सिर्फ मेट्रिक ही कराइ सकदा छा
खास समर्थवान ( क्वि क्वि) ही अपना औलाद तैं अग्ने पडैयी सकदु छैयी
नौना कु रिजल्ट अभी खुली भी नि की ..भेजी देन्दा छा वे तैं.परदेश जाण वोला का दिगढ़ और बोल्दा छा की
"जा नौना परदेश जा रुपया कमाऊ फटाफट
और हम खुनी मणि आर्डर भेज"
हल्ल्या भी "हैल तंगल" चलiना कु मोटी रकम मंग्दु
फसल माँ हिस्सा, लारा लत्ता गरम मसाला ता अलग से
वैकि मन की अगर नि ह्वेई ता वू सार्या गों माँ ढाकी मार के बैज्ती करना माँ देर नि करदू
हल्ल्या कु मुख बंद रखना का वास्ता व़ेई तैं खुश रख्णु जरूरी च
लेकिन जू लोग बाग़ परदेश माँ चली गैनी , वू लोकु माँ कुछ मेहनती लोकु न दिन रात एक करके पढाई करी और अपणी आर्थिक स्तिथि मजबूत करी
पचास---साठ का दशक माँ जब हालात थोडा भोत सुधरी
और लोकु न अपणी जीवन सुधार सँरचना बनायीं
लोगु की आर्थिक हालात सुधरी ता वू लोगु की औलाद
तैं तब मिली .... वास्तविक अनुकूल वातावरण और ह्वेई गैन अपना पैर पर खड़ा वू बणी गैन स्वावलंबी
"भंड मज्जा " नाम करन भी धीरे धीरे .... दूर ह्वेगी
हालात एन छिना की छाती ठोक के हम भी
ललकार मरि सक्दां की हम भी कै से कम नि छाँ
हमारा लोग भी अब बड़ा बड़ा इंजिनियर बणी गैनी
और सात समुद्र पार अपणी साख बनौना छी
ता फैली गैन सारा हिन्दुस्थान का बड़ा बड़ा शहर माँ और हिन्दुस्तान ही नहीं विदेशों माँ भी
और तो और कुछ ता विदेशों माँ बस्सी गैन
बडू सौभाग्य च हमारू ....
लेकिन यो तो ह्वेई एक बात...दूसरी तरफ
हमारू प्रबुद्ध समाज (मरद जात) कु भी ता बहुत स्पीड पलायान ह्वेई गी
गाँव का गाँव .खाली ह्वेई गैन ...अर अभी भी होंदा ही जाणा छिन
हालात इतना खराब ह्वेई गी की कै कै गाँव माँ "मुर्दा" लिजाणा का वास्ता चार छै मरद भी नि रेगी .... सोच्णु पोड्लो की...हम तैं कुछ..की,, हमारू पलायान बंद कनि के हो
रोक्णों पोडालो यो पलायन आज कु .असली मुद्दा. च..यो...
पहाड़ का लोकु का वास्ता रोजी रोटी का असार पैदा करना पोड्ला..
और हमारा लोग बाग़ अपना मुल्क माँ "वापसी" कनि के करीं ..... कनि कै नया नया लघु उद्योग, कारखाना खुल ला और हमारा पहाड़ माँ हमारी छोटी छोटी जरूरत कनि कै ह्वेइली पूरी
अपना मुल्क का विकास माँ हमारू योगदान होणु जरूरी च लेकिन होलू कनि कै ?
हम तैं रोजी रोटी का नया नया आयाम तलाश करण पोड्ला ताकि हमारा मुल्क माँ रैण वालों तैं सुरक्षा और आत्मविश्वास मिलो
और वू भी नयी शक्ति का साथ, नयी स्फूर्ति और नयी उमंग का साथ और नया नया सुबेर कु नयू नयु सूरज की लाल लाल किरण का साथ अपणा काम माँ ब्यस्त ह्वेई जाला
अब त हमारी गरीबी काफी हद्द तक दूर ह्वेगी
अब हम पिज्जा और कोक भी घर पर माँगा सक्दान नेगी जी का "मयल्दा गाणों" तैं भी अपणा अपणा घोर माँ ही आराम से सुणी सक्दां
फलों कु , पल्प कु और जूस की क्वी कमी नहीं
सोयाबीन की खेती और उत्पादन भी हमारा लोकु तैं रोजगार दे सक दीं
हेर्बल रिसर्च लबोरात्रि खुल सकदीना
सौर उर्जा , पवन चक्की और कु कारोबार भी रोजगार पैदा करी सकदु
हम अपणी बंजर जमीन माँ "फ़ल पट्टी" कु अभियान ता आसानी से चलाई ही सक्दां
जै माँ 3 -४-5 साल माँ ही पेड़ फल दीना शुरू करी देन्दा
बस सिर्फ बन्दर, भालू और सुंगर से रक्षा
कु ध्यान रखना पर्लु
जय बद्रीविशाल