बीना पटवाल कंडारी (कसाना, घुमाकोट, 1967)
बीना कंडारी की अब तलक दसेक कविता छपी गेन, आकाशवाणी अर दूरदर्शन मा कवितौं पसारण होणा रौंदन। बीना कंडारी की कवितौं मा पलायन जनानी पीड़ा अर बुड्यौं की पीड़ा जादा
सैंदन।
दीन दयाल बंदूणी ‘दीन’ (भैंसोड़ा, सावली, पौ० ग०1956)
दीन दयाल बंदूणी दीन को दिल्ली मा कवि सम्मेलनुं मा कविता गाण से बड़ी-पछ्याणक बौण, बन्दूणी की कविता ‘धै’ कविता संगै (1980) जखमा आ० नौ कवियूं का कविता संकलित ∫वेन च बन्दूणी का अपणा कविता संग्रह हिमाला कुदेश ;1975द्ध अर घंघतोˇ ;2007द्ध कविता संद्ययूं की साहित्यकार, विद्वान सामाजिक सरोकार्यूंन भौत बड़ै करी। जंकजोड़, कुतगˇि अर उत्तराखण्ड घवता तीन कवितां संग्रह छपणौ तयार छन, दीन दयाल बंदूणी ‘दीन’ की कवितौं विषय भौत लम्ब चौड़ा छन, समाज,व्यक्ति मनखि मन्ख्यात, राजनीति, प्रशासन, धर्म रिवाज, संस्कृति संबधु कु रौˇा-पौˇो जन सबि विषयूं पर बंदूणी की कविता छन। ‘दीन’ गीत पारंपरिक कविता अतुकांत
कविता शैली मा कविता रचद, सलाणी ।दहूंस 67
को पुट कवितौ मा साफ मिल्द, भौत सी जंग व्यंग्य की मार बंचनेरू तैं उद्वेलित
करण मा सफल च। सब्बि तरौं का रस कवितौं मा मिल्द अर वीभत्स रस त नि
दिख्यांद, अभिव्यक्ति को हिसाब से कविता सरल छन।