Author Topic: Hisotry of Garwali Old Poems - गढ़वाली कविताओं का पुराना इतिहास  (Read 16896 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Bhola Dutt Devrani : A Garhwali poet of Melody and Imagery
----------------------- Bhishma Kukreti -----------------------------------------
                            Bhola Dutt Devrani was born in Village-Dundekha of Palla Langur, Pauri Garhwal,  in 1904,
 Bhola Dutt Devrani worked in Central Secretariat , New Delhi.
Devrani published Garhwali poetry collection books by the names- ‘Pakha Ghaseri’. Bhola dutt Devrani also published ‘ Juo ar Janani’ based on the story of Nal Damayanti, maletha ki Kool. Devrani also translated rhymes of Abhigyan Shankutalam and Shrimad Bahgwad Geeta in garhwali poetic form. His poems are with full of symbols, imagery and are melodious.
 Bhola dutt Devrani expired in November, 1956 , in New Delhi
Copyright @ Bhishma Kukreti, Mumbai, India, 2009

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शेर सिंह गढदेशी (श्रीकोट कटोलस्यूं पौ0 ग0 1934)

शेरसिंह गढदेशी कु गढवाली साहित्य चा कविता /गीत अर स्वांग दुयी बिधा मा बहुतेरो मिलवाक च। उन सुकटयौं न यूको मूल्यांकन करण मा दिल्ली का साहित्यकार सुकटयौं ;समालोचक द्धकेा साहित्यण्या आलोचना मा एकाधिकार जन स्थिति होणु से गढदेशी को मुल्यांकन उन नि ∫वें जांका गढदेशी को मुल्यांकन उन नि ∫वें जांका गढदेशी हकदार यौच । शेरसिंह गढदेशी की डेढ सौ से बिंडी कविता/गीत इना उनां पत्रिकाओं मा छापिन शेरसिंह गढदेशी की कवितों मा मरद-जनान्यूं को मनोवैज्ञानिक संबंध शारिरिक अर आत्मीय संबंध या संबंधू मा टूटन को विरतांत बडों सुंदर ढंग से होंद जु कि शेर सिंह तैं हौरि समायिक कवियूं से बिगलाण मा सफल छन। मजबूरी कलकली समाजिक बुरैयंू से टुटगाा हुयूं समाज व्यक्ति क कुदशा दिखाण मा शेर सिहं सिह्हस्त कवि च।गढवाली साहित्य मा याद करे जालु।

डा0 पार्थसारथी डबराल (तिमली डबरालस्यूं1936-2001)

उन त पारथसारथि न गढवाली मा उथगाा नि ल्याख ≈ उत्कृष्ट कवितौं पाली (श्रेणी) मा औदं इंटलक्चुअल पौयटन्न्ी का पौयट का रूप मा पारथी सारथह डबराल तै गढवाली साहित्य याद कारल डबराल की दुयी कविता खौल उद्यौ मा रियालिज्म समजण लेैंक भौण (शैली) चोट-चमकताल लगांद चबाड़ फिलोसोफी अर स्पिरिअलिठी को जोर मिलवाक मिल्द भौ भौ विषयूं तै लेकी पार्थ सारथिन कवित रचिन।

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विद्यावती डोभाल (सैंज,टि0ग0 1902-भगयान)

विद्यावती डोभालौ नाम देहरादून मा गौं-गौं वालु सेवा का वास्ता लिखें जांद, स्वतंत्रता आंदोलनकारी अर समाजसे विकास का नाम से डोभाल प्रसिह् च गंगा प्रसाद साहित्यिक मंच से विद्यावती डोभाल को अभिनंदन बि हुयूं च। ।दहूंस 53 विद्यावती डोभाल की भौत कविता इना उनां पत्र-पत्रिकाओं मा छपेंन, डोभल की कवितौं मा शिल्पकारूं मानवीय अर आर्थिक परेशानी जनान्यूं गढवाल मा आर्थिक अर सामाजिक योगदान पण जनान्यूं पर अनाचार/अत्याचार गरीबी अर गुरूबौं परेशानी होंद, कविता जिकुड़ी या कलकली जनम दींदन पण पैथरा अडाण वली अन्दाज मा डोभाल कुछ धनात्मक काज करणें हिदैत दींद अर आशा जगाण मा सफल ∫वे जांद।  विद्यावती डोभाल की तीन गढवाली गीतिका कविताखौल (1975) छपी छन।विद्यावती को नाम गढवाली साहित्य मा समाज-पीडित लोगूं आवाज उठाण का कारण सद्यनि अमर रालो।
बृजमोहन कबटियाल (विकासनगर,कोटद्वार 1933- भग्यान)

बृजमोहन कबटियाल गढवाली अर हिंदी का लिख्वार अर कवि च। भौत सा पत्र पत्रिकौं मा कबटियाल को गढवाली कविता छापिन ,बृजमोहन की गढवाली कविताखौल रामायण अर गढ़चेतना जीतू बगड्वाल , गंगू रमोला गीत नायक छपी छन। आकाशवाणी बिटेन बि भौत सा कविता रिले हवेन। ब्रजमोहन कबटियाल न पर्यावरण सामाजिक कुरीति अर समाधान पर ज्यादा जोर दे। भाषा मा शील पट्टी की सलाणी पुट छैं च अर कविता समजण मा सरल छन , यांको अलावा कविन लोक नायंकू तै जनमानश मादुबारा प्रकाश मा लाणें भरपूर पुठयाजोर लगै।

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चंडी प्रसाद भट्ट ‘व्यथित’ (वरसुडा सलाण पौ0 ग0 1936)

चंडी प्रसाद भट्ट न गढवाली अर हिंदी मा खूब कविता छपैन कविताखौल (संग्रह) को बारा मा जाणकारी त नी च पण गढवाली का पचास तक बिंडी कविता पत्र-पत्रिकाआंे मा छपीं छन, आकाशवाणी से बि चंडी प्रसाद भट्ट की कवितौं प्रसारण ∫वे। भट्ट व्यथित की कवितौं मा शिल्पकार ,दलित श्रमिक अंधविश्वासों नुकसान सामाजिक कुरीतीयूं को पूरा व्यौरा मिल्द च, विद्रोहो स्वरूं कविता बि छन। 

गोविंद राम सेमवाल शास्त्री (नसोली गुप्तकाशी च0ग0 1928-)

गोविंद राम शास्त्री संस्कृत काव्यशैली दर्शन आध्यात्म अर अडंदेर का धड्वै छन। गोंविद राम सेमवाल न गढवाली कवितौं मा सामाजिक अंधविश्वास कुरीत्यूं पर कुलाड़ी चलाई। नै-सोच अर दार्शनिक चितंन का कविं च सेमवाल ‘गढशतकम’ प्रार्थना और याचना , राकेश्वरी रतन गढवाली कविताखौल छपी छन, गोविंदराम सेमवाल न गीता का कुछ भागूं अनुवाद करी, राम की बद्रीकेदार यात्रा खंडे काव्य एक जत्रैव -विरतांत अर आध्यात्म को मिलवाकी कवितौं खौल/ बिठकी (संग्रै)च।

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रामप्रसाद गैरोला (कंडारा,चमोली गढवाल1933-)

रामप्रसाद गैरोला का ‘सुद्याल’ खंड काव्य विशाल कार्यालय नारायण कोटि बिटेन सन् 1967 सर छप कविता मयेली छन। जयानंद केशवान शर्मा (सिरोली,इडवालस्यूं पौ0ग0-1924-2009)-जयानंद शर्मा केशवान की श्रीमद्भगवत गीता गढवाली भाषांतर कवितासंग्रै छपैणै तयारी मा च। भौं कारणूु से किशवान अपण ज्यंूटि किताब नि छप साकु।

श्ंाभू प्रसाद धस्माना (तोली पौ0ग0-1930-1966)

शंभु प्रसाद धस्माना छः गढवाली गीत/कविता वै को इतनी सी बतियां (सन्2000) हिंदी कविता संग्रै को दगड छप्यांछन। यो संग्रह कवि पुत्र अशोक धस्माना न छाप। कविता गढवालों विकास धार्मिक चेतना अर विरह विषयक कविंता छन। भाषा- मा सलाणी पुट च अर कवितो शैली पारंपरिक च विरह विषयक कविता कलकली;करूणाद्ध छन।

जयानंद खुगसाल ‘बौल्या’ ;≈°ण्यूं,अस्वालस्यू° पौड़ी 1925)

भीष्म कुकरेती न पत्रिका मा जयानंद ख्ुगसाल कन्हैयालाल डंडुरियाल अर ललित केसावन का बारा मो लेखी बल यूं तिंन्यों को जतन से गढवाˇी साहित्य मा रियलिज्म कौमन मैन का बाटा मा एक दुसरी भौण की पवाण लग। एक्सपेरिमेंटल कवितौ की पवाण मा बि यूं तिन्यू हाथ च चबोड़ चखन्यौ से चमकताˇ लगाण को दुसरौ भौण को पवाण का भी मिनी आधार बिंदु छन।
जब बि कै को बि लिख्वार या रचनाकारै क्वी ‘चरित्र बंचनेरू बरमंड मा खदर-बदर मचाण बिसे जावु या वु ‘चरित्र’ रचनाकारौ दगड़ जुड़ि जावुत बींग लियांद बल रचनाकार सुफल ∫वेगे। जयानंद अर वैको कविता चरित्र ‘इलमदु दा’ हैंका। को पर्याय बणीन अर या च जयानंद बौˇ्या सिरमौरी कवि च। जयानंद न भौत कविता लेखिन उनी जयानंदौ को कविताखौˇ को नाम च ‘इलमतु दादा’ जयानंद खुलसालैं कविता इनै-उनै बि छपणै रैन। कवि सम्मेलनुं मा वि खुणदेर बौˇ तैं टक्क लगैक सुणदा था।

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जग्गू नौडियाˇ (भीमली, पैडलस्यूं पौ0ग01940)

जग्गू नौडियाल पैलु कविता खौˇ संग्रह गीतु मा छप अर‘‘ समˇौण’ सन्1980 मा छप यांका अलावा जग्गू का हौरि कविता पत्र पत्रिकौ म खूब छापिन।

घनश्याम रतूडी‘‘शैलानी’’ (चारिगाड केमर टि0ग0)


घनश्याम रतूड़ी शैलानी एक सोसल ऐक्टिविस्ट का रूप मा भि प्रसिह् च। शराब बंदी चिपको आंदोलन मातृशक्ति जन-जनआंदोलन मा बडी चढीेक भाग ।दहूंस 55लींदेर घनश्याम रतूड़ी की कुछ कविता ‘‘ गंगा-जमुना मा मैत बटि ;जखमा हौरिबि कवियंू कविता छनद्ध छपेन रतूड़ी ‘‘चोˇ बदन’’ कविताघˇ कि भी भौत बडैं ∫वे। कवि कागौˇ बि सुणदेरूं तै आकर्षित करद अर कवि सम्मेलनुं मा बि रतूड़ी कविता संुणाद टिहयाˇी भाषौं पुट कविता मा प्रकृति बर्णन जंगला बचाओं सामाजिक सोच सौब कुछ गढवाल बर्णन / गौं बर्णन दिख्यांद मा उस्तादी दिख्यांद।

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बद्रीश पोखरियाल(तिमली खातस्यूं, पौ0ग0 1918)

बद्रीश पोखरियाˇन कवितौं अलवा साहित्यिक संस्था अर शैलोदय रैबारी पतड़ौ;समाचार पत्रद्ध दगड़ जुड़न से पैथर बिटेन गढवाली साहित्य मा अपणु मिˇ्वाक दे। कालीदासौ मेघदूत’ अर जयशंकर प्रसादौ ‘‘कमायनी’’ कु गढवाली मां अनुवाद करी।

श्जयंती प्रसाद बुडाकोटी(चरगाड,पौ0ग0 1960)

जयंती प्रसाद बुडाकोटी अर यूंको बुबाजी कैर्वा बुडाकोटी न पुराणौं जागरूं को इकबटोल कटीक हाथ से पांडुलिपि तैयार करीन जयंती प्रसाद प्रकाशक की जग्वाल काण् च।


पाराशर गौड़ (मिरचौड़ असवालस्यूं पौ0ग0 1947)

पैली गढवाली फिल्म जग्वाˇ कोकनर्माता हीरो पाराशर गौड़न गढवाली मा गीत कविता ल्यखिने गौड़ अच्काल इंटरनेट पर तकरीबन रोज एक कािवता छपदु।पराशर व्यगंयात्मक कविता जादा ल्यखद, पर हौरि रस से पहिेज नी छ। कविता बहुयामी छन। जादातर कविता अतुकांत छन पाराशर की कवितौं प्रसारण आकाशवाणी से त ह्वाई छन। आधुनिक माध्यमयू से बि कवितौं प्रसारण ∫वें।

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लोकेश नवानी (गंवाड़ी किमगड़ी गा°व पौ० ग० 1956)

उन त लोकेश नवानी क एक कविताखौˇ ;संग्रहद्ध फंची ;1977द्ध मा छप पणु यां से लोकश नवानी कु गढ़वाली कविता संसार मा योगदान तैं नि नपे सक्यांद, दिल्ली से देहरादून जाण पर लोकेश नवानी को संगठनात्मक शक्ति को परिचय 66 अंग्वाˇमिल्द, देहरादून बिटेन ‘धाद’ मासिक पत्रिका को प्रकाशन अर ‘धाद’ का आधार पर नया-नया कवियंू की फौज बणान मा नवानी की तागत क पता चलद। धाद कविता आन्दोलन का मार्फत गढ़वाल का दूर दराजी गा≈° मा लोखुं मा कविता तैं सुणनै ललक का पैथर लोकेश नवानी को हि हाथ च। आज ग्रामीण गढ़वाल मा गढ़वाली कविता फलणी च, फुलणी च, फुˇ्याणी ;प्रसारितद्ध च त उख
मा बि लोकेश की संगठनात्मक शक्ति को ही हाथ च।
‘फंची’ को कविता अस्सी का दसक की सर्वश्रेष्ठ गीतूं मा माने जांदन,
कविता गीतेय शैल मा होणो परांत बि सामायिक छे अर दगड़ मा कुछ सवाल उठैक
बंचने रूं मा जोश भरण मा समर्थ छे।

निरंजन सुयाल (अपोला, इड़िया कोट, 1963)

निरंजन सुयाल ईं सदी को गढ़वाˇी को बड़ों हुन्यार कवि च। कविता गंठ्याण अर पारंपरिक बिबूं-प्रतीकों इस्तेमाल करण मा निरंजन उस्तांदूं उस्ताद च। गढ़वाˇी साहित्य तैं अंतर्राष्टन्न्ी थौˇ मा लिजाणौ बान जु बि कवित कोशिश मा लग्यां दन वा मा निरंजन सुयाल कु नाम बि सुमार च।
निरंजन की कवितौं मा चबोड़ त होंद च पण गंभीरता बि उथगा ही होण से
निरंजन की अलग ही पछ्याणक च।
निरंजन सुयाल की चालीसेक कविता इनै उनै पत्रिकौं मा छपीगेन।

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बीना पटवाल कंडारी (कसाना, घुमाकोट, 1967)

बीना कंडारी की अब तलक दसेक कविता छपी गेन, आकाशवाणी अर दूरदर्शन मा कवितौं पसारण होणा रौंदन। बीना कंडारी की कवितौं मा पलायन जनानी पीड़ा अर बुड्यौं की पीड़ा जादा
सैंदन।

दीन दयाल बंदूणी ‘दीन’ (भैंसोड़ा, सावली, पौ० ग०1956)

दीन दयाल बंदूणी दीन को दिल्ली मा कवि सम्मेलनुं मा कविता गाण से बड़ी-पछ्याणक बौण, बन्दूणी की कविता ‘धै’ कविता संगै (1980) जखमा आ० नौ कवियूं का कविता संकलित ∫वेन च बन्दूणी का अपणा कविता संग्रह हिमाला कुदेश ;1975द्ध अर घंघतोˇ ;2007द्ध कविता संद्ययूं की साहित्यकार, विद्वान सामाजिक सरोकार्यूंन भौत बड़ै करी। जंकजोड़, कुतगˇि अर उत्तराखण्ड घवता तीन कवितां संग्रह छपणौ तयार छन, दीन दयाल बंदूणी ‘दीन’ की कवितौं विषय भौत लम्ब चौड़ा छन, समाज,व्यक्ति मनखि मन्ख्यात, राजनीति, प्रशासन, धर्म रिवाज, संस्कृति संबधु कु रौˇा-पौˇो जन सबि विषयूं पर बंदूणी की कविता छन। ‘दीन’ गीत पारंपरिक कविता अतुकांत

कविता शैली मा कविता रचद, सलाणी ।दहूंस 67
को पुट कवितौ मा साफ मिल्द, भौत सी जंग व्यंग्य की मार बंचनेरू तैं उद्वेलित
करण मा सफल च। सब्बि तरौं का रस कवितौं मा मिल्द अर वीभत्स रस त नि
दिख्यांद, अभिव्यक्ति को हिसाब से कविता सरल छन।

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  कथाकार नौटियाल को इफको साहित्य सम्मान        Nov 19, 01:00 am    बताएं                देहरादून, जागरण संवाददाता: इस वर्ष का 'श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान' हिंदी के विशिष्ट कथाकार विद्यासागर नौटियाल को प्रदान किया जाएगा। दिल्ली के एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में 24 नवंबर को कृषि मंत्री शरद पवार उन्हें यह प्रतिष्ठित सम्मान प्रदान करेंगे।
अपने कार्यव्यवहार और कार्य प्रकृति के अनुरूप गांव, किसान व कृषि जीवन से संबंधित यथार्थवादी एवं उत्कृष्ट कलात्मक साहित्य को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर को-ऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने 'श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान' की शुरुआत की। यह सम्मान प्रतिवर्ष उस साहित्यकार को प्रदान किया जाता है, जिसका हिंदी भाषा एवं साहित्य के संव‌र्द्धन में महत्वपूर्ण अवदान रहा हो। साथ ही उसने भारतीय कृषि एवं किसान और ग्रामीण जीवन से जुड़ी समस्याओं, आकांक्षाओं व संघर्षो को अपने साहित्य के माध्यम से मुखरित किया हो।
इफको के प्रबंधक जनसंपर्क हषेंद्र वर्धन के अनुसार इन सभी मानकों पर हिंदी के प्रतिष्ठित साहित्यकार विद्यासागर नौटियाल खरा उतरते हैं। लिहाजा, प्रसिद्ध आलोचक प्रो.नामवर सिंह की अध्यक्षता वाले निर्णायक मंडल ने इस बार पुरस्कार के लिए नौटियाल का चयन किया। पुरस्कार स्वरूप प्रशस्ति पत्र, शील्ड एवं 551000 की राशि नकद प्रदान की जाएगी।
नौटियाल की साहित्यिक यात्रा
साहित्यकार विद्यासागर नौटियाल की महत्वपूर्ण कृतियों में उनकी लंबी कहानी 'भैंस का कट्या' का विशेष स्थान है। पूर्व में सोवियत संघ प्राच्य विद्या संस्थान के डॉ.वी.चेर्निशोव ने इस कहानी का रूसी अनुवाद कर अपनी लंबी टिप्पणी के साथ एक कहानी संकलन में सम्मिलित किया था। इसके अलावा 'उत्तर बायां है', 'झुंड से बिछड़ा', 'भीम अकेला', 'यमुना के बागी बेटे', '10 प्रतिनिधि कहानियां', 'देशभक्तों की कैद में', 'फट जा पंचधार', 'मेरी कथा यात्रा', 'फुलियारी' आदि नौटियाल की प्रमुख कृतियां हैं।
समारोह में खास
समारोह में देश के सात प्रख्यात कवियों शमशेर बहादुर सिंह, फैज अहमद फैज, सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन अज्ञेय, केदारनाथ अग्रवाल, नागार्जुन, गोपाल सिंह नेपाली व असरारुल हक मजाज की जन्मशती के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी होगा।


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