बंद कमरा part -2
मेनका -मिमा ना सै - पर इं बच्ची का बारा मा क्या ख़याल च ? क्या तेरी दिलचस्पी यीं मा नी च ? मीन त्यार खेल देख आल , समजी आल। वीं पर प्रभाव डाळणो बाण तू मर्दाना रूप से ठसठस लगणु छे।
गज्जु - मि तैं शान्ति मा रण द्याओ। उख ऑफिसम म्यार बाराम कुछ लोग छ्वीं लगाणा छन। मि तैं सुणन द्याओ कि वु क्या बुलणा छन। अर तेरी खुसी का वास्ता मि बोलि द्यूं कि मैकुण तैं बच्चीक क्वी उपयोग नी च।
कामिनी -धन्यवाद।
गज्जु - मीन कठोरता पूर्वक नि ब्वाल हाँ !
कामिनी -नीच !
गज्जु - अब देख ले। मीन पैलि बोल छौ कि बात नि कारो।
कामिनी -वींक गलती च; वींन इ शुरू कार । मीन त कुछ बि नि मांग छौ , स्याइ आइ म्यार ऐना बणनो।
इनेज - हूँ त तू इन बुलणि छे। पर हर बकत तू इन हरकत करणी छै कि वु आकर्षित ह्वे जाव।
कामिनी -ठीक ! पर मी तैं किलै नि करण चयेंद ?
गज्जु - तुम पागल छंवां ! दुयाक द्वी। दिखणा नि छंवां बल हम इन मा कख जाणा छंवां ? खुदा ! हाँ दया का वास्ता ! बैठ जावो , अब चुप राओ , फर्स की तरफ द्याखो अर हरेक भूल जावो कि क्वी हैंक बि इख च।
इनेज -दुसर तैं भूल जौंवाँ ? क्या बेवकूफी च ! मि त्वै तैं अपण हरेक छिद्र मा अनुभव करणु छौं। तेरी हरेक चुप्पी म्यार कंदुड़ुम भारी आवाज करदि। तू अपण मुख सील सकदी , जीब काटि सकदि .... पर तू अपण अस्तित्व नि मिटै सकुद । क्या तू अपण विचार बंद कर सकदि ? मि त्यार विचारुं तैं इनि सुणद जन बुल्यां घड़ी की सुई टक टक करणी हो। मि तैं विश्वास च कि तू म्यार विचार बि चिताणी रौंदि। हाँ ठीक च कि तू अपण सोफ़ा मा धँस्युं छे पर वास्तव मा तू हर जगा छे। हरेक ध्वनि मीमा मटमैली ह्वेक आंद, किलैकि तीन ध्वनि रोक जि च।
किलै , इख तलक कि तीन मेरि मुखड़ि बि चुरै आल; तू जाण दु छे पर मि नि जाणदु। अर इस्टेली का बारा मा क्या च ? तीन वींतैं मीमांगन चुरै आल।. यदि मि अर इस्टेली ही इख हूंदा तो क्या इस्टेली म्यार दगड़ इन ब्यौवार करदि ? न, मुख से अपण हाथ हठा , मीन त्वै तैं शांति से नि रण दीण - अर यु त्वै तैं भलु बि लगल। तू बैठिक योगी का रूप मा ध्यानमग्न ह्वे जैली तो फिर बि यदि वा मि तैं नी बि दिख्यालि तो बि मेरि हड्डी वीं तैं अनुभव करणा छया ---वींक फिराकक सरसर मि अनुभव कर सकुद ,अर हाँ त्यार लाभ का वास्ता मि बोलि दयूँकि वा त्वे पर मुस्कराट फेंकणी छे , तीन नि द्याख …खैर वै मामला मा म्यार क्वी मतलब नी च, पर मि अपर नरक कु चुनाव करण चांदु , मीन त्यार आँखूं से आँख मिलाण अर हिसाब किताब करण।
गज्जु - जन करणयाइ स्यु कौर। मै लगद इन हूण इ छौ; वु जणदा छा कि वु क्या करणा छन , अर हम सरल प्यादा छंवां। यदि मि तैं मरदों बीच रखदा तो मरद चुप रै स्कदं। पर असंभव की चाहत ही ठीक नी च। तो ठीक च. मि अब त्वे पर फ़िदा ह्वे ग्यों (वु इस्टेली तैं छेड़दु )। इन लगद तू मि तैं दिखणि छे ?
कामिनी -मि तैं टच नि कर हाँ।
गज्जु - किलै ना ? हमर व्यवहार प्राकृतिक हूण चयेंद .... पता च औरतुं मामला मा पागल छौ ? अर कुछ तो म्यार पैथर बि पागल छया। तो नाटक बंद कारो। क्वी नुक्सान नि हूण। नम्रता , शालीनता मा समय बरबाद किलै करे जावु ? हमर अलावा इक क्वी नी च। तो चलो नंग धड़ंग ह्वे जाँदां --जन्मजाति बच्चा की गाणी मा।
कामिनी -मि तै छोड़।
गज्जु - नंग धड़ंग ! मीन पैलि बोलि याल छौ। मीन थोड़ा सा इ मांग छौ बस - शान्ति अर शांति। मीन कानुं पुटक अंगुळि डाळी आल छौ। गोमेज कमरा का बीच फवारा जन फुटणु छौ , प्रेसमैन सुणना छया अर सब्युंक बौंळ बिटयां छया। मीन सुणनो कोशिस कार पर तुमर चकच्याट मा नि सुण्या। पृथ्वी मा समय जल्दी बदल्द। तुम अपण जीबुं पर ताळु नि लगै सकद छा क्या ? अब सब बंद ह्वे गे। वैन बुलण बंद कर याल। अर जु वैन म्यार बाराम सुचद वु वैकि दिमाग मा च। खैर अब त हम सब … नंग धड़ंग जन जनम जात बच्चा। जथगा जल्दी तथ्गा भलु। अच्छा बताओ म्यार जोड़ीदार को च।
मेनका - तू जाणदि इ छे। इखमा पुछणै बात नी च।
गज्जु - गलत। अबि हमन अपण पत्ता नि खोलिन कि कैन क्या कार कि इख आण पोड़। चल यंग लेडी तू इ शुरू कौर। किलै ? बोल कि यी तीतै किलै लैन ? यदि तू सच बुलली हम तैं आपदा से बचै देलि। चल शुरू कौर। किलै ?
कामिनी -बुलण क्या च। मि तैं क्वी विचार इ नी सुजणु च। तौन बताण नी च।
गज्जु - त बात या च। ऊंन मि तै बि नि बताण। पर म्यार समज मा एक विचार आणु च। तू बुलण मा शर्माणि छे ना ? त मि शुरू करदु -मि सम्मानीय पुरुष नि छौं।
मेनका -बताणै जरूरत बि नी च। हम तै पता च च धोखेबाज छे।
गज्जु -हूण दे। यू बस थोड़ा सि बस। मि इक इलै छौ कि मीन अपण घरवळि तै पीड़ा दे , उत्पीड़न। बस। पांच साल तक। हाँ व अबि तक दुःख सहणि च। अरे स्या च वा : जनि मीन वींक बारा मा ब्वाल वा दिखेण मिसे गे। गोमेज का बारा मा सुचणु छौं , ले स्याच वा। गोमेज पांच साल तक कख छौ ? वुख। ऊंन वीं तैं म्यार चीज बस्तर दे आलिन; वा सब चीज लेकि खिड़की पास बैठीं च। वींक घुण्डुं मा म्यार चौदा छेड़ वळ कोट पड्यूं च। खून बैंगनी जंक , हरेक छेद पर खून की एक पपड़ी। यु कोट इतिहास का म्यूजियम लैक च जु इतिहासकारुं तै डराल। अर मि ये तैं पैरदु छौ -मजे से। स्या एक आँसु बि नि बगै सकदि ! शायद अन्तमा , एक आंसू त टपकैलि तू ? ना ? त्वे से नि ह्वे सकण ? … देर रात मि नशा मा धुत्त , शराब की बदबू अर जनानी लेक आंद छौ। वा म्यार बान खड़ी रौंदि छे। पर वा कबि ना त रोइ च अर ना इ वींन विरोध मा क्वी शब्द ब्वाल। खाली वींक आँख बुल्दा छा। बड़ी दुखी आँखि ! मि तैं क्वी पश्चाताप नी च। मि तैं कीमत चुकाण पोड़ल , पर मि तै शिकायत नी … बर्फ पड़नि च। मेरी प्यारी घरवाली !क्या तू रोली ना ? अजीब व्यक्तित्व ! वा औरत जनजात इ शहीद पैदा ह्वे छे , पता च , कर्म से बि वा पीड़ित छे।
मेनका -तीन वीं तैं इन त्रास किलै दे ?
गज्जु -भौत सरल छौ। एक शब्द इ से वा घबरै जांदि छे। बड़ी कोमल छे वा छुईमुई जन। पर कबि कुजबाब ना। मि तैं तडफाण -तंग करणम मजा आंद। मीन द्याख अर प्रतीक्षा कार। पर क्वी आंसू ना, क्वी विरोध ना । अब वा कोट झाड़नी च। वींक आँख बंद छन अर वींक अंगुळि गोळी का दुंळ अनुभव करणा छन। तू क्या आशा करदि ? क्वी अफ़सोस ? ना। सच्चाई या च कि वा म्यार सम्मान करदि छे, अधिक ही प्यार करदि छे । क्वी मतलब ?
मेनका -ना। में से क्वी प्यार नि करदु छौ , क्वी आदर नि दींदु छौ।
गज्जु - त्यार दगड़ इनि हूण छौ। अब जरा रामकथा अगनै सूण। मि एक छुटि जातिक लड़की तैं रौणै अपड दगड़ लौं। मेरी घरवळि मथिन रौंदि छे अर हम द्वी मुड़िन। मेरि घरवळि तै सुबेर जल्दी उठणै आदत छे अर हम द्वी देर तक सियां रौंद छा । मेरि घरवळि हम दुयुं तैं रोज सुबेरक काफी पिलांदि छे।
मेनका -पशु कहींका ! क्रूर !
गज्जु - हाँ हाँ क्रूर ही सै पर शालीन क्रूर। (वैक नजर दूर दिखदन ) हैं ! स्यु गोमेज ! ना म्यार बाराम कुछ नी बुलणु च। हाँ … तू क्या बुलणि छैइ … क्रूर पशु ! अवश्य। निथर मीन इख किलै आण छौ ? अब तेरी बारी।
मेनका - मी पर लानत फिंकदा छ लोग अर कुत्ती बुल्दा छ। खैर लानत तो अबि बि। त म्यार इक हूण मा खौंळेणे बात नी च।
गज्जु - यी बुलणै ?
मेनका - ना। फ्लोरेंस का साथ संबंध छौ। एक मुर्दा आदिमैक कथा। तीन मुर्दों की, वास्तव मा। वु म्यार कजिन छौ। वैकी से शुरुवात तो ह्वे गए। वा अर मि , तीन। सब ऐ गेन हैं। मि तै चिंता नी च। बस ऊ रूम। ल्या अब मि देख सक्णु छौं। अब खाली अर ताळ लगि गए … ना ना ताळ खोली याल। अब ' किराए के लिए उपलब्ध है ' कु साइन पट्टी लग गे। बडु अजीब बेकार ।
गज्जु न - तीन बोल बल तीन मृत्युएँ ?
मेनका - तीन।
गज्जु - एक मरद अर द्वी औरत ?
मेनका - हाँ।
गज्जु - अच्छा , अच्छा। क्या वैन आत्महत्त्या कार ?
मेनका - ना , ना वैमा इथगा हिम्मत इ नि छै। फिर बि यांकुण कारण तो छैं इ छौ। हमर कारण उ कुत्ता की जिंदगी जीणु छौ। असल मा वु ट्राम का तौळ ऐका मोर। एक सुदी सूद्यक अंत। मि उंक दगड़ रौंद छौ। वु म्यार कजिन छौ।
गज्जु - क्या फ्लोरेंस साफ़ आदिम छौ ?
मेनका - साफ़ ? तू जाणदि छे, मि तैं क्वी अफ़सोस नी च। फिर बि मि तैं तीमा कथा लगाणै रूचि नी च।
गज्जु - ठीक च। मतलब , तू वै से अति परेशान ह्वे गे छे ?
मेनका - हाँ धीरे धीरे। छुटि छुटि बातुं से मि बितके या उछिंडे गे छौ। उदाहरण ले लेदि , पींद दैं बड़ी आवाज गांडदु छौ - एक तरां से गड़गड़। बर्दास्त से भैर। इनि छुटि छुटि बात। असल माबड़ी शोचनीय दशा छे वैक। भौत इ कमजोर, मार्मिक । तू हंसणि किलै छे ?
गज्जु -खैर , किलैकि मि कमजोर नि छौं।
मेनका -इथगा विश्वास ठीक नी च … मि वींक भितर बैठ गए छौ। वा दुनिया म्यार आंखुं से दिख्दि छे। वीन जब वै तैं छवाड़ त मीन वीं तैं सहारा दे। शहर का दुसर किनारा पर हम द्वी छुट सि कमरामा एकि बिस्तर मा सींद छा ।
गज्जु - फिर ?
मेनका - फिर वु ट्राम तौळ ऐ गे। मि रोज वींतैं याद दिलांदु छौ :" हम दुयुंन वै तैं पिचकैक मार। ".। असलम मि जरा क्रूर छौं।
गज्जु - मी बि त क्रूर छौं।
मेनका - न तू क्रूर न कुछ हौरि छे।
गज्जु -क्या ? क्या ?
मेनका - बाद मा बतौल। मि जब बुल्दु कि मि क्रूर छौं तो मतलब च कि मि तैं तब तक चैन नि पड़द जब तक मि कै तैं दुःख नि द्यों। एक जळदु क्वीला। कैक दिल पुटुक एक जळदु क्वीला। जब मि अकेला हूंद तो मि जळणु रौंद। छै मैना तक मि वींक जिकुड़ी तैं लगातार फुकणु रौं तब तब तक वींक पास रंगुड़ छोड़िक कुछ नि रै। तो एक रात वींन अफु पर आग लगै दे अर मि सियुं छौ। अर वा बेड पुटुक घुस गे। तो अब जाणि गे।
गज्जु - अच्छा , अच्छा।
मेनका - हूँ। त्यार मन मा क्या च ?
गज्जु -कुछ ना। पर या भली कथा नी च ।
मेनका -अवश्य। पर क्या फरक पड़द ?
गज्जु - हाँ जन तीन ब्वाल -क्या फरक पड़द। अब तेरी बारि च। बोल तीन क्या कार ?
कामिनी -मीन ब्वाल नी च कि मि तैं खयाल इ नि आणु कि मीन क्या कार कि मि तैं इ इख लैन। मीन दिमाग पर भौत जोर दे पर कुछ फायदा नि हूणु।
गज्जु - ठीक। हम तेरी सहायता करला। उ घायल मुखक , कु छौ वु ?
कामिनी - कु ? - कैक बारा मा ?
मेनका - और कु ! तू जाणदि त छे। वी, इख आण पर जै से तू डरीं छे।
कामिनी -ओ ऊ। वु म्यार ब्यॉय फ्रेंड ।
गज्जु -तू वै से किलै डरीं छे ?
कामिनी -मिस्टर गार्सिन ! वु म्यार व्यक्तिगत मामला च।
मेनका - क्या वैन त्यार तरफ से इ अफु पर गोळि मार ?
कामिनी -नै नै। क्या बेवकूफी वळि बात करणि छे ।
गज्जु - तू फिर किलै भयभीत छे ? वैन अपण मुंड पर गोळि चलाई , है ना ? यांसे वैक मुंड फटी गे।
कामिनी -नहीं। कृपया अब नि सुणाओ।
गज्जु - त्यार वजै से। त्यार इ कारण।
मेनका -वैन अफु पर त्यार कारण से गोळी मार।
इस्टेली -मि तैं इखुलि रण द्यावो ! या बि क्वी बात ह्वे … मि तैं तंग कारणा छंवां। मि जाण चाणु छौं , मीन जाणै।
गज्जु - जै स्कद त जा। मीन क्वी इन बात बि नि पूछ कि। दुर्भाग्यवश द्वार बंद छन।
कामिनी -तुम धुर्या छंवां दुयाक द्वी।
मेनका -धुरया वा घृणा लायक ? हाँ सही शब्द। अब मुद्दा पर आ। जैन अफु तै गोळी मार , तू वैकि रखैल छे ?
गज्जु - हाँ भै हाँ ! स्या वैक रखैल छे। अर वु चाँद छौ स्या वै तैं अकेला छोड़ द्या। है ना ? याइ बात च ना ?
इनेज -वु जाज डांसर छौ जन प्रोफेसनल हुँदन। पर वु गरीब छौ जन भिकंगाक ड्यारौ मूस , है ना ?
गज्जु - क्या वु गरीब छौ ? सीधा जबाब दे।
कामिनी -हाँ वु गरीब छौ।
गज्जु - अर तू गरीबी से घृणा करदि छे। एक दिन वु आई अर त्वे से भागणो प्रार्थना करण मिसे गे। अर तू वैक प्रार्थना पर हंसण बिसे गे।
मेनका - हाँ तू वैक मुख पर इ हंसण लग गे।
कामिनी -क्या तू फ्लोरेंस का समिण इनि मुक मड़कांदी छे ?
मेनका -हाँ।
कामिनी - इन नि ह्वे। तुम दुयुंक अनुमान गलत च। वु चाँद छौ कि हमर बच्चा हो। या च बात !
गज्जु - अर त्वे तैं बच्चा नि चयाणु छौ ?
कामिनी -बिलकुल नही। दुर्भाग्यवश , बच्चा ह्वे। मि पांच मैना कुण स्विट्जरलैंड ग्यों। कै तैं कुछ पता नि चौल। नौनि पैदा ह्वे । जब बच्ची पैदा ह्वे त रोजर बि दगड़ मा छौ। वै तैं भोत बड़ी खुसी ह्वे। मि तै कतै नि ह्वे!
गागज्जु - फिर ?
कामिनी -उख बालकोनी बिटेन बिलकुल समिण एक झील दिख्यांदि छे। मि एक बडु पत्थर लौं। बेटी बाँध … उ बालकोनी से दिखणु छौ। वैक समज मा ऐ गे कि मि क्या करणु छौं। वु बालकोनी से लॉंफ्याणु छौ अर चिल्लाणु राइ , "इस्टेली ! नहीं , नहीं। कर " । मी घृणा से ही ना अधिक गुस्सा मा छौ। वैन सब द्याख। वैन बि द्याख कि पाणि मा कन गड्ढा ह्वे, भौंर पैदा ह्वे अर कन लहर बणिन -
गज्जु -हूँ। फिर ?
कामिनी -बस ! मि स्विट्जरलैंड बिटेन वापस औं - अर वैन वी कार ज्वा वैक इच्छा छे।
गज्जु - मतलब वैन तब अपण मुंड पर गोळी मारि ?
कामिनी -बेवकूफ छौ वु। म्यार पति तै कुछ पता नि चौल। तुम लोग गंदा छंवां।
गज्जु - कुछ बि कौर। इख आँसु नि आंदन।
कामिनी -मि कायर छौं। अर तुमसे घृणा करद।
मेनका - बेचारी बच्ची ! तो सुणवाइ खतम। पर इख लटक्युं जज बणनै जरूरत नी च।
गज्जु - लटक्युं जज ? लटका हुआ न्याय ? मि अफु तैं आइना मा दिखण चांदु। ओहो ! कथगा गरम च (कोट उतारदु )। सौरी (फिर से कोट पैरदु )
कामिनी -फिकर नि कौर। तू कमीज मा ऐ सकदि अर बौंळ बिटै सकद छे।
गज्जु - ओके। त्वै तैं मै पर गुस्सा नि हूण चयेंद।
कामिनी -मि त्वै पर नराज नि छौं।
मेनका - अर मि ? क्या तू मे पर बि गुस्सा छे ?
कामिनी -हाँ।
मेनका - अच्छा, मिस्टर गज्जू , चलो अब हम हम नंग धड़ंग हुयां छंवां । क्या तू यांसे अधिक कुछ हौर बि समज सकदी ?
गज्जु -हाँ ! शायद छेड़खानी बढ़िया होलु। मेरी समज से हम तैं एक दुसरैक मदद शुरू करण चयेंद।
मेनका -मि तैं सहायता की जरूरत नी च।
गज्जु - इनेजा ! ऊंन बड़ी हुस्यारी से हम तैं फँसायुं च -मकड़जाळ जन। यदि तू कुछ बि हरकत कौर , थ्वड़ा सि हथ बि उठैलि त इस्टेली अर मि द्वी खिंचे जांदा। अकेला क्वी बि अफु तैं नि बचै सकुद ; हम एक दूसर से जटिलतापूर्वक जुड़्यां छंवां। अब तुमारी अपण इच्छा च। हे ! त्वे क्या ह्वाइ ?
मेनका - उख। ऊंन कमरा किराया पर उठै याल। खिड़की पूरी खुलीं, एक आदिम म्यार पलंग मा बैठ्युं च । म्यार पलंग , म्यार कमरा मतलब बुलणो कुण म्यार। साला वै कमरा तैं धीरे धीरे अपण बणाणु च। अरे ! अरे ! उख एक स्त्री बि च। वा वैक पास जाणि च , वीन वैक कंधा मा हाथ धौर आल। उश , अरे सि ट्यूब लाइट किलै नि जळाणा छन ? अंध्यर हूणु च। अब वु भुकि पीण वाळ च , शायद चखुलुं तरां एक हैंकाक दाँत बुकाणा होला ! पर उ म्यार कमरा च , म्यार पलंग। धुप्प अन्धेरा। मि तै कुछ नि दिख्याणु च , पर पर हाँ दुयुंक सुस्कारि सुण्याणु च। क्या वु द्वी म्यार पलंग मा ? अहो ! वु क्या बुलणु च - दुफरा च , चिट्टु घाम च ? अरे अरे , मि अंधा हूणु छौं। पूरा काळ अँध्यारु। ना मि देख स्कणु छौं , ना हि सुणणु छौं। मै लगद यु पृथ्वी दगड म्यार आखरी सम्पर्क छौ। अब ऊख से क्वी संबंध अर कारण नि रै गे। सब खलास ! मि तैं सब खाली खाली लगणु च, अब अछेकि मेरि मृत्यु ह्वे गे । बस मी अर मी बस अकेली। गार्सिन ! तू क्या बुलणु छौ - कुछ मदद -सुदद , है ना ?
गज्जु - हाँ।
मेनका - तू मेरी मदद किलै करण चाणि छे ?
गज्जु - ऊंक खतरनाक होसियारी खतम करणो वास्ता।
मेनका - अर बदला मा क्या चांदि , में से ?
गज्जु - मि तैं मदद कर। मेरी मदद कर। मि तैं बिंडी ना थ्वड़ा सि मदद चयेंद , कोशिस , इनेजा ! मि तैं मानवीय भावना याने तेरी भावनाओं कु प्रवाह, बहाव !
मेनका -मानवीय भावना। यी मेरी तागत से भैराक बात च। मि भावनाओं मामला मा सडिं -गळी चीज छौं।
गज्जु -अर मी ? मि त निरा पत्थर छौं।
मेनका - कुछ फैदा नी च। मि खाली छौं। मि ना दे सकुद ना ले सकुद। मि मदद करुल ? मि त सुक्युं सुरै (कैक्टस पेड़ ) छौं जु जळणो तयार च। फ्लोरेंस सुंदर छौ , प्रकृति अर प्राकृतिक रूप से।
गज्जु - पता च त्वै कि यीं नौनिक भाग्य मा त्यार पीड़ादाता बणन लिख्युं च ?
मेनका - सैत , मीन कुछ कुछ अंदाज लगै त आल छौ।
गज्जु - ऊंन ईंक द्वारा त्वै तैं पीड़ा या उत्पीड़ा दीण। मि , हाँ , मि कुछ अलग छौं -अकेला। मीन वीं पर ध्यान नि दे - यदि तू कोशिस कर सकदी तो -
मेनका-हाँ ?
गज्जु - यु एक फसाणो फंदा च। ऊ त्वै तैं दिखणा छन कि कं तू जाळ मा फंसदि।
मेनका - जाणदु छौं। तू बि त दुसर फंदा छे। क्या तू समजदि कि ऊँ तैं पूर्वज्ञान नि हो कि तीन क्या क्या बुलण ? अर अवश्य ही भोत सी गुप्त चाल ह्वाल जौं तै हम नि भांपी सकदां। इख हरेक चीज फंदा च , जाळ च। पर मि तैं क्यांक फिकर ? मि बि स्वयं एक फंदा छौं। अवश्य ही वींकुण। शायद मि वीं तै पकड़लु।
गज्जु - तीन कुछ नि पकड़न। हम एक दुसरक पैथर दौड़ना छंवां गोल गोल घ्यारा मा अर जन कोल्हू का बैल रिटद। या यूंक योजना कु भाग च, हाँ अवश्य …इनेज ! छोड़ ये तैं। अपर हथ खोल अर सब चीज करे जावो। अर नथर तीन हम तिन्युं कुण आपदा लाण।
मेनका - क्या मि इन स्त्री लगद कि जु कुछ बि हूण दे ? मि जणदु छौं म्यार दगड़ क्या हूण वाळ च। मि जळण वाळ छौं, अर यु सदा का वास्ता। हाँ , मि सब कुछ जाणदु। पर तू समजदि कि मि हूण द्योलु? मि वीं तैं फँसौलु , अर वा त्वे तैं मेरी आँख्यूंन द्याखलि जन फ्लोरेंसन वै आदिम तैं मेरि आंखिन द्याख। मेरी हमदर्दी जोड़नै कोशिस किलै ? मि विश्वास दिलांदु कि मि सब जाणदु , अर मि अपर बान बि दुःख अनुभव नि कर सकुद। एक फंदा ! क्या मि नि जाणदु कि मि गौळ तक जाळ मा फँस्युं छौं अर यांपर कुछ नि करे सक्यांद ? ठीक च यदि तौंकि नियमावली से मेल खांदी तो ठीक च।
गज्जु - हूँ ! अच्छा , मि तैं ते से हमदर्दी च। म्यार तरफ देख ! हम द्वी नंगी छंवां , हर तरह से नंगी कि मि त्यार हृदय देख सकुद छौं । यु त्यार अर म्यार मध्य एक जोड़ च। क्या त्वे तैं लगद च कि मि त्वे तैं चोट , ठेस, पीड़ा पौंचाण चांदु ? मि तैं क्वी अफ़सोस नी च। मि सुखा ही छौं। पर त्यार बान मि दया अनुभव कर सकुद।
मेनका -नहीं ! मि दया से चिड़दु छौं। अपर दया , करुणा अफुम ही रख। गार्सिन ! याद रख , त्यार बान बि ये कमरा मा जाळ बिछयां छन। मि त्वे कुण फंदा छौं। तू अपण विषय मा सोच। यदि तू हम दुयुं तैं मि अर तैं बच्ची तैं शान्ति मा रण देलि त मि त्यार क्वी नुकसान नि करुल।
गज्जु -ठीक च।
कामिनी -गार्सिन ! प्लीज !
गज्जु -क्या चयेणु च ?
कामिनी -खैर , तू मेरी सहायता कर सकदी।
गज्जु -यदि मदद चयाणी च त वींसे प्रार्थना कौर।
कामिनी -मी त्वे से प्रार्थना करणु छौ। गार्सिन - तीन वादा कौर छौ, वादा दे छौ कि ना ? मेरी सहायता कौर , जल्दी। मि अकेला नि रौण चाँद। ओल्गा वै तैं कैबरे करणो ली गे।
मेनका -कै तैं ?
कामिनी -पीटर … ले , सि द्वी दगड़ी डांस बि करणा छन।
मेनका -पीटर क्वा च ?
कामिनी -इतना मूर्ख लड़का। वु मेकुण अपण ग्लान्सिंग स्ट्रीम, छलछलाती नदी बुल्दु छौ। वु भयानक तौर से में से प्यार करदु छौ। वींन वै तैं डांस करणो मनै आल।
मेनका -क्या तू वै से प्यार करदी छे ?
कामिनी -अब वु बैठणा छन। वा व्हेल्क तरां सांस लीणी च। बेवकूफ लड़की ! फिर बि डांस करणो जोर दींदी। मि विश्वास से बोल सकुद कि वा डांस अपण … कम करणो बान … ना ना, मि वै से प्यार नि करदु। वु अबि अठारा कु च, अर मि बच्चा चोर नि छौं।
मेनका - तो ऊंपर इथगा चिरड़ेणै या जळणै जरूरत क्या च ? क्या फरक पड़द ?
कामिनी -वु म्यार छौ ।
मेनका -अब पृथ्वी मा त्यार क्वी नी च।
कामिनी -मीन ब्वाल कि वु म्यार छौ । पूरी तरह से म्यार।
मेनका -हाँ वु त्यार छौ - कबि । पर अब - जरा वै तैं छूणै कोशिस करदी , जरा वै तै कुछ सुणादि। ओल्गा वै तैं छू सकदी , जब चा व वैक दगड़ बात कर सकदी। सचाई या च ना ? ओल्गा वै पर चिपक सकदी -
कामिनी -देख ! वा अपण बकळि मोटि छाती वैक छाती पर कन चिपकाणि च, जोर जोर कैक साँस लीणी च अर अपण सांस वैक मुक पर फेंकणी च । पर म्यार बिचारु चिनखु , क्या तू नि दिखणु छै कि स्या कन बेढंगी च ? तू तैं पर किलै नि हंसणी छे ? यदि मि तैं तौंक समिण जाणो मौक़ा मिल्द त वीन भीम पोड़ जाण छौ। क्या अब म्यार उक कुछ नी बच्युं च ?
मेनका -कुछ बि ना। त्यार उख अंश मात्र बि नि बच्युं च - छैलु बि ना। क्या तू तै किताब काटणो चक्कु पसंद करली ? या मेन्टलपीस का जर जवाहारात ? उ नीलु सोफ़ा त्यार च। अर प्यारी ! डार्लिंग ! मै तेरी हूँ सदा के लिए।
इस्टेली -तू मेरी ! ठीक च ! ठीक ! तुम मादे कु मेकुण छलछलाती नदी , झिलमिलाती नदी , पवित्र लड़की बोल सकुद ? तू म्यार बारा मा अधिक इ जाणदि , तू जाणदि छे कि मि सरासर सडीं छौं , सड़ी -गळी - पीटर प्यारा ! जरा म्यार बारा मा सोच , अपण ध्यान म्यार तरफ त घुमा , अर मि तैं बचा। हर समय तू सोचदी छौ ," छलछलाती नदी , झिलमिलाती नदी " , मि इख अधा इ छौं। मि इख केवल अधा बदमाश , बुरी छौं बकै अधा साफ़ , पवित्र त तौळ त्यार दगड़ च साफ़ जल … अहो , जरा वींक मुकौ तरफ त देख , लाल चचकार टमाटर। यु सरासर हास्यास्पद च , तू अर मि वीं पर कथगा दै हौंस होला धौं ! भौत दैं … अच्छा वु गीत क्या छौ ? हाँ , मेरि बौ सुरीला ! सतपुळि नि जाणा , मेरी बौ सुरीला " … ठीक च नाच ले , नाच ले। ग्रासिन ! काश ! तू वीं तैं दिखदि त तीन बि हौंसन मर जाण छौ। केवल - वींन कबि नि जणन कि मि वीं तैं दिखणु छौं। हाँ ओल्गा ! मि त्वै तैं दिखणु छौं, अपण बाळुं कारण तु मूर्ख लगणी छे । ये ये ! अब तू वैक खुट दबाणी छे अपण खुटन। या चिल्लाहट च। जल्दी , जल्दी , अरे उ वीं तैं रिंगाणु च , भद्दो लगणु च। पर तीन त बोल छौ बल दुनिया मा मि इ सबसे हळकि छौं , वु म्यार दगड डांस करण पसंद करदु छौ। वु क्या च ? क्या च ? अच्छा तीन ब्वाल ," बिचारी ओल्गा !" ? इथगा बड़ो धोखेबाज नि बण। तीन एक आँसु बि नि बगाई … अर वेंक हिम्मत त द्याखो वा वैक दगड़ छ्वीं लगाणी च। वींक हिम्मत तो द्याखो ! व पीटरक दगड़ म्यार विषय मा बात करणी च? ना , ना , वैमा नि बोल , वैमा नि बोल - सब बात नि बथा - ये मेरी ब्वे तैन सब बथै आल - रॉजर , स्विट्जरलैंड , बच्ची सब्युंक बारा मा। वैन क्या ब्वाल ," इस्टेली इन इथगा त नि छे --". हाँ मि इथगा इन नि छौ। पर हैं ? वु दुखी त ह्वे च , वैन मुंड त हिलै च , पर वै तै क्वी आश्चर्य कतै नि ह्वे, कै से क्या आसा करे सक्यांद। ठीक च रख वै तैं - मि त्यार दगड़ वैक नौनी जन प्यारि सुंदर , मुखड़ी, सुंदर आंख्युं का भौंउंक सौदा बि नि कर सकुद। अब वु सब त्यार छन। 'छलछलाती नदी , झिलमिलाती नदी " सब बौगी गे , सब सुखी गेन। सब चकनाचूर ! नाच , नाच , नाच। पर स्टेप उठाणों समय कु ख़याल अवश्य रख , एक द्वी , तीन …। मेरी इच्छा इख बिटेन उख वैक दगड़ नाचणै हूणि च। संगीत की आवाज मंद हूणी च , लाइट मंद हूणी च … प्लीज आवाज बढ़ाओ , लाइट कारो … हैं ! मि दूर हूणु छौं और दूर , हौर दूर … मि कुछ बि नि सुणणु छौं। सब ख़तम , सदा का वास्ता ख़तम। पृथ्वीन मि तैं छोड़ि आल। मे से दूर नि हो --प्लीज। मि तैं अपर हातुं मा ले।
मेनका - गज्जू , उठा।
गज्जु -इनेज , वा तेरी च।
कामिनी - मुख नि मोड़। तू मरद छे , छे ना , अर अवश्य ही मि डरौंण्या नि छौं! सब बुल्दा छ कि म्यार बाळ प्यारा छन , आखिर एकान म्यार बान अफु पर गोळी मार। त्वे तैं कुछ ना कुछ दिखण इ च अर इख सोफ़ा, मेन्टलपीस , मेन्टलपीस का उप्र जवाहरात अर मेज का अलावा कुछ नी च। मि यूँ भद्दा फर्निचरूँ से त सुंदर छौं इ। सूण ! मि ऊंक दिल से इन भैर हों जन एक चखुलि बच्ची घोल से तौळ पड़ जांदी। तो मि तैं पकड़ , अपण दिल मा धौर - अर त्वे तैं लग जाल कि मि कथगा मयळि छौं।
गज्जु - सूण ! त्वै तैं वीं स्त्री से बात करण चयेंद।
कामिनी -वीं मा ? पर वा त गणत मा इ नी च, वा स्त्री च ।
मेनका -हूँ ! मि गणत मा नि छौं ? तो तू या सुचदि ? पर मेरी नन्ही मुन्नी मुनिया ! तू त युगों से म्यार दिल मा रौंदि , हाँ यू तू नि जाणदि। डौर ना , मि सदा आँख खोलिक तेरी रक्षा करलु , हमेशा। अर तू हमेशा मेरी नजरूं समिण रैलि जन सूरज का समिण सूर्यकिरण।
कामिनी -सूर्यकिरण ! बकबास नि कौर। तीन पैलि हुस्यारि दिखै आल, अर पता हूण चयेंद कि तेरी ट्रिक नि चौल ।
मेनका - मेरी लहराती नदी , मेरी झिलमिलाती नदी इस्टेली !
कामिनी -तेरी झिलमिलाती नदी ? नखरी चाल। तू क्या समजणि छे कि तू चिकनी -चुपड़ी बथुं से मूर्ख बणै देलि ? मि भितर से पूरो खाली छौं , जू बि च स्यु म्यार भैर च पर यु त्वैकुण नी च।
मेनका -सूण ! कामिनी । तू जु चाणि सि रौ - छलछलाती नदी , झिलमिलाती नदी , कीच वळि नदी या कुछ बि। मेरी आंख्युं मा देख तू अर जु तू चाणि छे सि देख।
कामिनी -ह्यां मि तैं चैन से रण दे। तीम आँखि इ नी छन। मि ते से दूर रै सकुद छौं ? मीम एक विचार च (वा गारसिंक मुख पर थूकदि ) ले।
मेनका -त्वे तैं कीमत चुकाण पोड़ल।
गज्जु -त असल मा तीतै आदिम चयांद ?
कामिनी -क्वी बि आदिम ना , तू।
गज्जु - अब चकड़ैति ना। त्वै तैं आदिम खुश कर सकुद। चूँकि मि इख छौं तो। है ना ? पर इन तरां कु आदिम नि छौं। मि जवान मूर्ख युवा नि छौं अर झमेला नाच बि नि नाच सकुद ।
कामिनी -तू जन छे तन इ ठीक च। सैत च , मि त्वै तैं बदल बि द्यूं।
गज्जु - मि तैं विश्वास नी च। मीन ध्यान नि दीण। मीन कुछ चीजुं बारा मा सुचण।
कामिनी -क्या चीज ?
गज्जु - त्यार कामक चीज नि छन।
कामिनी -मि त्यार सोफ़ा मा बैठलु अर प्रतीक्षा करुल। मि विश्वास दिलांद कि मि त्वे तै दिक नि करुल।
मेनका - हाँ ठीक च। मूरख जन लगा मक्खन। भीख अर शरम ! अर वैकि नजर मा प्रशंसा बि नी च ।
कामिनी -वींक नि सूण। ना वीं आँख छन ना इ कान। कुछ बि नी च --वा।
गज्जु -जु चयेणु च मि दींदु। ज्यादा कुछ ना। मि ते से प्यार नि करुल। मि त्वै तैं बि खूब से जाणदु।
कामिनी -खैर ! तू मि तैं चांदि छे कि ना ?
गज्जु -हाँ।
कामिनी -बस और कुछ नि पुंछण --
गज्जु -ये मामला मा -
मेनका -गार्सिन , इस्टेली ! तुम पागल ह्वे गेवां। तुम द्वीइ नि छंवां। मी बि छौं इख।
गज्जु - हाँ - पर क्या फरक पड़द ?
मेनका - मेरि आंख्युं समिण ? तुम इन नि कर सकदां।
कामिनी -किलै ना ? मि त अपण नौकरानी क समिण नंगी हूंद छौ अर वींक आँख -
मेनका - वीं तैं अकेला रौण दे। अपण गंदा हाथ वींक पीठ पर नि फेरी हाँ।
गज्जु - सावधान हाँ ! मि जंगली किस्मौ मनिख छौं। मि औरतुं पर कताई दया नी दिखांदु।
मेनका -पर तीन मै से वादा कौर छौ, वादा कौर छौ । मि खाली वादा निभाणो बुलणु छौं।
गज्जु -किलै , पैल तीनि वादा त्वाड़? अफु तो तू ?
इनेज - ठीक च , जु करणाइ सि कारो। मि दुयुंक बीच मा अकेला पड़ ग्यों तो मि कमजोर। पर मत भूलो कि मि बि इख छौं अर मि देख सकुद। गार्सिन मीन आँख नि हटाण। गार्सिन जब तू वींक भुकि पेलि त पता चलल कि वींक ऊँठ फीका छन। ठीक च जु करणाइ स्यु कारो। हम नरक मा छंवां तो मेरी बि चलल तो फिर तुमर सकिण -पकिण दिखुल।
गज्जु - अब। जरा अपण ऊँठ त नजीक लादि। त्यार ऊँठ, हौर नजदीक !
कामिनी -हैं ? मीन बोलि नि छौ कि वींक नि सूण ?
गज्जु -तीन गलत समज। उख गोमेज च। गोमेज प्रेस रूम मा फिर ऐ गे। वूंन खिड़की बंद करीं च। मतलब जड्डू मौसम ऐ गे। उख छै मैना बीत गेन। मीन चेतावनी दे छौ ना कि मि भुल्ल्कड़ छौं। है ना ? वु कमणा छन -कोट पैर्युं च अर मि ईख गरमाक मारा भरच्याणु छौं। वाह , वु म्यार बारा मा बात करणु च।
कामिनी -येन देर तक चलण। तू बता कि उख क्या हूणु च।
गज्जु - कुछ ना। उ कुत्ता च साला। खदुळ कुत्ता। कुत्ता का बच्चा। चलो अब वापस - यख ऐ जाँदां। क्या तू प्यार का वास्ता तयार छे?
कामिनी -अब ?
गज्जु - विश्वास करलि कि ना ?
कामिनी -क्या बुड्यों जान बात करणु छे। तू हमेशा मेरी नजरूं समिण रैलि। अर मि तैं इनेज से किलै डरण , जब तू म्यार दगड़ छे ?
गज्जु - ओहो , मि कै हैंक विश्वास की बात करणु छौ। बोल , बोल। मि अपण बात नि करणु छौ। त्वे तैं विश्वास दीण पोड़ल।
इस्टेली -ओ ! क्या बकबास करणु छे तू ! मि अपण मुख , ऊँठ , हाथ पूरा शरीर सब कुछ त्वै तैं सौंपणु छौं अर तू म्यार विश्वास मांगणु छे ! मीन कै तैं कुछ नि दीण , तू मि तैं शर्मिंदा करणी छे। अवश्य ही तेरी चेंतना मा म्यार विश्वास पर अविश्वास बैठ गे।
गज्जु - ऊंन मै पर गोळी मार।
कामिनी -मि तै पता च। किलैकि तीन प्रतिरोध मा लड़ै नि लड़। तीन लड़ै किलै नि लौड़ ?
गज्जु -मीन - मीन असल मा मना बि नि कौर। मि बोल सकुद बल उ अच्छी तरह से बात करदु छौ, वैन म्यार विरुद्ध काबिल केस बणै पर वैन कबि नि ब्वाल कि मि तैं क्या करण चयेंद छौ। क्या ? मि तैं सेनाध्यक्षक का पास जाण चयेणु छौ अर बुलण चयेंद छौ कि " जनरल , मीन नि लड़न। " ? उ वैबरी मि तैं जेल भेजी दींदा। पर मि अपण रंग दिखाण चाणु छौ, मि अपण असलियत दिखाण चाणु छौ, मतलब समजी गे ना ? मि नि चांदु छौ कि वु म्यार मुख बंद कारन। इलै मीन -ट्रेन पकड़ … अर ऊंन रस्ता मा टबॉर्डर पर ट्रेन मा पकड़।
कामिनी -तू कख जाणौ कोशिस करणु छौ ?
गज्जु -मि मैक्सिको जाण चाणु छौ। उख एक विश्व 'शांति' समर्थन मा एक अखबार निकाळणो विचार छौ। अच्छा तू कुछ ख़ास किलै नि बुलणि छे ?
कामिनी -क्या बुलण ? जब तू लड़न इ नि चाणु छौ त तीन ठीकि कार। परर तू क्या जबाब चांदी में से ?
इनेज -अंदाज नि लगै सकदी ? वू चांदु कि तू वैकुण शेर क्या बब्बर शेर बोल ! वैन शेर बणणो बाण लड़ै नि लड़।
गज्जु -शेर बणणो बाण लड़ै नि लड़ ! हम तैं शब्दुं बान लड़ै नी लड़न चयेंद।
इस्टेली -हाँ पर त्वे तैं भागण चयेंद छौ। उख रैक तो ऊंन जेल इ डाळन छौ, है ना ?
गज्जु - हाँ , क्या मि कायर छौं ?
इस्टेली -मि क्या बोल सकुद ? में से इतना आस ? मि तेरी जगा मा हूंद तो मि क्या करदु ? इथगा कल्पना मि नि कर सकुद। तू अपर बारा मा अफिक निर्णय ले।
गज्जु -मेरी समजम कुछ नि आणु च।
कामिनी -हाँ पर त्वे तैं कारण पता हूण चयेंद कि तू किलै अर क्या करणु छे।
मेनका - मि तैं पता च।
कामिनी -अच्छा ?
गज्जु - पर क्या वु कारण सही होला क्या ?
कामिनी-त्यार दिमाग एक जगा मि नि छौ। या च असली परेशानी। इन छुटि छुटि बातों से तू असल मुद्दा से भटक गे।
गज्जु - हाँ पर मि अपण सिद्धान्तु तै अग्वाड़ी लाण चाणु छौ अर वूं पर दृढ बि रौण चाणु छौ।
मेनका - हाँ याइ त बात च। यू इ त सवाल च। कि त्यार क्या उदेश्य च ? तीन अवश्य ही खूब स्वाच विचार कौर होलु , तीन सबि बथुं पर विचार कर ह्वै होलु। पर डौर , घृणा गंदी प्रकृति बणान्दि अर असली सूच यूँ गंदा बथुं तौळ दब जांदन। घृणा अर डौर सही आत्मविश्लेषण नि करण दींदन। तो मिस्टर गार्सिन लगे रहो , बोलते रहो । पर हमर दगड़ ना सै अपण दगड़ तो ईमानदारी बरतो , चाहे एकाद बार इ सै -
गज्जु - क्या यु बताण जरूरी च ? दिन अर रात मि कुठड़ि मा हिटणु राउंड छौ , कख से कख तक ? एक दीवाल बिटेन खिड़की तक अर खिड़की से दीवाल तक। मीन अपण दिल तैं खंगाळ, मीन अपण खोज इनि कार जन एक जासूस करद। अंत मा मीन अनुभव कार कि मीन अपण सरा जिंदगी आत्मविश्लेषण मा वितै दे। पर अंत मा आवाज आदि छे कि मीन वी कार जु करण चयेंद छौ, मीन वीं फ्रन्टियरौ वास्ता ट्रेन पकड़ । पर किलै ? किलै ? आखिरमा मीन स्वाच : मृत्यु ही हिसाब किताब पूर कर सकद। यदि मि मृत्यु का सामना साहस , बीरता अर हिम्मत से करुल तो मि साबित क