Author Topic: जय प्रकाश डंगवाल-उत्तराखंड के लेखक JaiPrakashDangwal,An Author from Uttarakhand  (Read 62138 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
June 17
मेरी कलम से: चैतन्यम शरणम गछामि ......

श्री चैतन्य महाप्रभु, हे श्री कृष्ण अभिरुपम, चैतन्य घन, चैतन्यम,
अंधकार मध्य, उदित प्रकाश पुंज, निशि दिवस भज मन चैतन्यम.
माया लिप्त, चंचल मन चलायमान, अस्थिर एवं लिप्तम अचैतन्यम,
दिशा प्रदह महा प्रभु! अचैतन्यम मा गम्यम, प्रभु गम्यम चैतन्यम.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
June 12 near Delhi · Edited
From my pen:-

When you feel, disturbed and deserted in life,
You need a cool shower to feel fresh and cool.
Speak to me, and feel that in my poetic words,
That cool, mind and body, as well as soul also.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
 
मेरी कलम से:-

आपके लिये फिक्र मंद होना आपको क्यों बुरा लगता है,
हमारा, आपकी नज्म पढ़ना आपको क्यों बुरा लगता है?

जिस प्रेम के दिये को, बड़े हिफाज़त से, जलाया है आपने,
बड़ी बेरहमी से उसको किसके खातिर बुझने दिया आपने?

मेरे नाम का हर आखर क्यों दिल से मिटा दिया है आपने,
आज तक वह् आखर क्यों ज़हन से मिटाये नहीं हैं आपने?

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
 
मेरी कलम से:-

इस कदर हसीन है, मेरी पसंद, कि उसे देखने के लिए, आसमा भी झुक गया,
हरियाली और फूलों से लदी पहाड़ी है जिसको आसमा भी चूम कर चला गया.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
July 11 near 
मेरी कलम से:-

पता है भौंरे क्यों मँडरा रहे हैं?
क्योंकि फूल खिल रहे हैं.

पता है पतंगे क्यों फड़फड़ा रहे हैं?
क्योंकि शमा जल रही है.

पता है पतझड़ क्यों रो रहा है?
क्योंकि बसंत आ रहा है.

पता है पराजित क्यों रो रहा है?
क्योंकि विजेता मुस्कुरा रहा है.

पता है धूप क्यों गरमा रही है?
अपनी गर्मी दिखा रही है.

पता है शीत क्यों कँपा रही है?
अपनी सर्दी दिखा रही है.

पता है भ्रष्टाचार क्यों रो रहा है?
मोदी का भय सता रहा है.

जेलों के विस्तार क्यों हो रहे हैं?
भ्रष्ट नेता जेल में आने वाले हैं.

आप किस पक्ष के गीत गा रहे हैं?
हम तो प्रकृति के गुण गुनगुना रहे हैं.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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From Jai Prakash Dangwal  .
 
मेरी कलम से देहरादून की शान में हसीन यादों का सफर :-

बड़ी मस्ती मारी है हमने, देहरादून शहर में, पल्टन बाज़ार, और राजपुर रोड में,
दोस्तो की मंडली और तफरी की फितरत ने, जिंदगी रंगीन बना दीं इस शहर में.

एक हूक उठती है यारों की याद में, और चाय का लुफ्त उठाना पल्टन बाज़ार में,
क्लास से टिप, फिल्में देखना, खूबसूरती देख, दिल का मचलना, राजपुर रोड में.

देहरादून से देख् मंसूरी में बर्फवारी, पैदल पंहुंच जाना, बर्फीली मंसूरी की गोद में
पर इतना ही काफी न था दोस्तों, दिल को थाम कर रखना इस देहरादून शहर में.

और भी हँसी अनमोल स़फर अभी शेष था, मेरा इन हसीन देहरादून की वादियों में,
कौलेज से निकलते ही विज्ञान के अध्यापक की नियुक्ति होगई राजपुर के स्कूल में.

'सत्यं प्रेम की जय' के प्रिय अभिवादन, 'मिथ्या मोह का क्षय', के प्रतिअभिवादन में,
जीवन के, इस शाश्वत सत्य का बीज मंत्र, अंकुरित हुआ है यहीं मेरी जीवन धारा में.

स्कूल से नीचे उतरते ही, प्रकृति के विहंगम द्रिश्य का नजारा, अद्भुत है इस शहर में,
यहाँ से, कहीं और जा पाना आसान नहीं है, इतना अधिक आकर्षण है, इस शहर में.

और परम् पुनीत प्रेम पुष्प, अंकुरित होकर पोषित हुआ था, इस ही खूबसूरत शहर में,
देश की, विसंगतियों से लड़ने का बोध और आक्रोश भी तो पैदा हुआ था इसी शहर में.

न जाने किसकी नजर लगी, मेरे देहरादून ने, मुझे विस्थापित कर दिया महा नगर में,
फिर भी, ताउम्र बना रहेगा यह शहर, एक अनमोल धरोहर मेरी यादों की इस शहर में

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
July 2 
मेरी कलम से:-

खयालो की दुनिया, अपनी दुनिया होती है, जिस खयाल में चाहो उसमें जी लो,
हक़ीक़त की दुनिया हक़ीक़त होती है, मुनासिब नहीं कि अपनी मर्जी से जी लो.

हकीकत में भी ख्वाब होते हैं, जो कभी तो पूरे होजाते हैं, और कभी टूट जाते हैं,
ठीक बादलों की तरह, जो कभी तो बरस जाते हैं, कभी बिना बरसें लौट जाते हैं

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
 
मेरी कलम से:-

न रूप है, और न रंग है, लेकिन, प्रेम के संगीत भ्रामरी का मर्मज्ञ है, भ्रमर तो बस भ्रमर है,
प्रेम के प्रतीक सुंदर सोख रंग गुलाब का मन मोह कर भ्रमर भी बन गया प्रेम का प्रतीक है.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
 
मेरी कलम से:-

बेवजह की फितरत को छोड़ इंसानियत में जो मशगूल है वह् नेक इंसान कहलाता है,
हर लह्मा जो खुदा की इबादत में मशगूल रहता है, वह् खुदा का नेक बंदा कहलाता है.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
 
From my pen:-

Let the feelings flow to maintain sanctity of feelings. Don't stop their flow to contaminate feelings.

 

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