From Jai Prakash Dangwal .
मेरी कलम से देहरादून की शान में हसीन यादों का सफर :-
बड़ी मस्ती मारी है हमने, देहरादून शहर में, पल्टन बाज़ार, और राजपुर रोड में,
दोस्तो की मंडली और तफरी की फितरत ने, जिंदगी रंगीन बना दीं इस शहर में.
एक हूक उठती है यारों की याद में, और चाय का लुफ्त उठाना पल्टन बाज़ार में,
क्लास से टिप, फिल्में देखना, खूबसूरती देख, दिल का मचलना, राजपुर रोड में.
देहरादून से देख् मंसूरी में बर्फवारी, पैदल पंहुंच जाना, बर्फीली मंसूरी की गोद में
पर इतना ही काफी न था दोस्तों, दिल को थाम कर रखना इस देहरादून शहर में.
और भी हँसी अनमोल स़फर अभी शेष था, मेरा इन हसीन देहरादून की वादियों में,
कौलेज से निकलते ही विज्ञान के अध्यापक की नियुक्ति होगई राजपुर के स्कूल में.
'सत्यं प्रेम की जय' के प्रिय अभिवादन, 'मिथ्या मोह का क्षय', के प्रतिअभिवादन में,
जीवन के, इस शाश्वत सत्य का बीज मंत्र, अंकुरित हुआ है यहीं मेरी जीवन धारा में.
स्कूल से नीचे उतरते ही, प्रकृति के विहंगम द्रिश्य का नजारा, अद्भुत है इस शहर में,
यहाँ से, कहीं और जा पाना आसान नहीं है, इतना अधिक आकर्षण है, इस शहर में.
और परम् पुनीत प्रेम पुष्प, अंकुरित होकर पोषित हुआ था, इस ही खूबसूरत शहर में,
देश की, विसंगतियों से लड़ने का बोध और आक्रोश भी तो पैदा हुआ था इसी शहर में.
न जाने किसकी नजर लगी, मेरे देहरादून ने, मुझे विस्थापित कर दिया महा नगर में,
फिर भी, ताउम्र बना रहेगा यह शहर, एक अनमोल धरोहर मेरी यादों की इस शहर में