Jai Prakash Dangwal
November 20 at 1:28pm · Delhi ·
मेरी कलम से ©jaiprakashdangwal:-:-
घाव, जब गहरा होता है, और दर्द सर्द होता है, मन बड़ा बेचैन होता है,
घाव रिस रहा होता है, और दर्द से इनसान, बेइंतहा तड़फ रहा होता है.
आघात, जब कोई शत्रु करता है, तब प्रतिघात का खुला अवसर होता है.
आघात अपना करता है तो दर्द होता है, प्रतिघात का मन नहीं करता है.