Author Topic: जय प्रकाश डंगवाल-उत्तराखंड के लेखक JaiPrakashDangwal,An Author from Uttarakhand  (Read 62137 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
November 26 at 8:48pm · Delhi ·

From my pen: God is a complicated subject. When we try to untangle complications it becomes more complicated. But we can feel God just by feeling him.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
9 mins · Delhi ·

शुभ प्रभात ......
मेरी कलम से©jaiprakashdangwal:-

आज की सुबह, मेरे कानों में, कोई कुछ कह गई,
स्वयं में कैद वह् अपनी व्यथा कथा गुनगुना गई.
भूलकर न भूला जिसे, अपनी याद ताजा कर गई,
इस अनमोल प्रेम पे, आज की सुबह मुस्कुरा गई.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
December 3 at 10:36pm · Delhi · Edited ·

जरुरी नहीं कि किसी को, अपना कह् देने से, कोई अपना होजाता है,
जरूरी नहीं कि, एक अदद ख्वाब देखने से, ख्वाब सच्चा हो जाता है.
किसी की मुस्कान भा जाने से जरूरी नहीं कि, तू उसका हो जाता है,
लोग इस कदर मगरूर होते हैं उनका मुस्कुराना एहसान हो जाता है.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
December 3 at 10:14pm · Delhi ·

मेरी कलम से©jaiprakashdangwal:-

दर्द पी कर भी मुस्कराना तेरा, तेरी गज़ब शक्सियत की मिसाल है,
वरना लोग तो जरा सी चोट के दर्द से भी, बहुत तिलमिला उठते हैं.
तेरी इसी खासियत की वजह से मेरा याराना तुझसे एक मिसाल है,
वरना किसी के जानिब कब किसी की मुहब्बत मे गिरफ्तार होते हैं.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
November 30 at 7:29am · Delhi ·

मेरी कलम से©jaiprakashdangwal:-

याद रखने का सबक सीखना हो, तो हमसे सीखें,
भूलने का सबक सीखना हो तो कोई तुमसे सीखें.

खूबसूरती पर, मगरूर रहने का सबक तुमसे सीखें,
खूबसूरती को बाअदब देखने का सबक हमसे सीखें.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
December 6 at 8:26am · Delhi · Edited ·

शुभ प्रभात ......
मेरी कलम से ©jaiprakashdangwal:-

आज की सुबह, मेरे कानों में, कोई कुछ कह गई,
स्वयं में कैद वह् अपनी व्यथा कथा गुनगुना गई.

मुझे भूल कर भी, मुझ पर यह तोहमत लगा गई,
'तेरी याद जालिम आज मुझको बेइंतहा रुला गई.'

भूलकर न भूला जिसे, अपनी याद ताजा कर गई,
इस अनमोल प्रेम पे, आज की सुबह मुस्कुरा गई.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
December 3 at 10:36pm · Delhi · Edited ·

जरुरी नहीं कि किसी को, अपना कह् देने से, कोई अपना होजाता है,
जरूरी नहीं कि, एक अदद ख्वाब देखने से, ख्वाब सच्चा हो जाता है.
किसी की मुस्कान भा जाने से जरूरी नहीं कि, तू उसका हो जाता है,
लोग इस कदर मगरूर होते हैं उनका मुस्कुराना एहसान हो जाता है.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
December 3 at 10:14pm · Delhi ·

मेरी कलम से©jaiprakashdangwal:-

दर्द पी कर भी मुस्कराना तेरा, तेरी गज़ब शक्सियत की मिसाल है,
वरना लोग तो जरा सी चोट के दर्द से भी, बहुत तिलमिला उठते हैं.
तेरी इसी खासियत की वजह से मेरा याराना तुझसे एक मिसाल है,
वरना किसी के जानिब कब किसी की मुहब्बत मे गिरफ्तार होते हैं.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
December 6 at 9:57am · Delhi · Edited ·

शुभ प्रभात.
मेरे प्रकाशित होने वाले हिंदी उपन्यास मोह भंग से ............
ईश्वर का विशुद्ध स्वरूप प्रेम है. हम उसे विभिन्न धर्मो में ढूँडते हैं. वास्तव में उसे धर्मो में नहीं धर्मो के आडंबर में ढूँडते हैं और ढूँडते ढूँडते स्वयं आडंबर बन जाते हैं. हम भूल जाते हैं कि वह् हर धर्म की आत्मा में है. और यदि गौर से देखेंगे तो दिखेगा कि हर धर्म की आत्मा में उसका एक ही निर्मल स्वरूप है और वह् निर्मल स्वरूप है एक मात्र प्रेम.... विशुद्ध प्रेम....

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal 
December 25 at 3:32pm ·

माननीय श्री अटलबिहारी वाजपेयी और महामना श्री मदन मोहन मालवीय जी भारत के युग परुष हैं और अनमोल भारत रत्न हैं. उनके जन्म दिवस पर हांर्दिक शुभ कामना और सप्रेम शब्दों में मनोभाव की भेंट.
दो युग पुरुष,
जन गण मन के अधिनायक,
भारत के सिरमौर.
गण तंत्र के दृढ़ स्तंभ अटल,
अडिग महामना मदन मोहन, .
भारत के अनमोल रत्न,
नहीं पारितोषिक की अभिलाषा,
जाने बस एक प्रेम की भाषा,
दीन हीन की मात्र एक आशा.
एक अटल, एक अडिग,
भारत माँ के ये दो लाल,
हैं भारत माँ की शान,
भारत मा का मान,
हर भारतीय की पहचान.

 

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