Jai Prakash Dangwal
January 12 at 1:00pm ·
एक गुनाह का कबूलनामा या यों समझिये मनोरंजन का हलफनामा. मेरी कलम से©Jai Prakash Dangwal
एक शिकायत:-
आपकी, बेरुखी, तो इस कदर बढ़ गई, कि पैग़ाम से तो दूर,
हम तो, तेरे सलाम से भी, हो गए हैं, न जाने क्यों इतने दूर.
जवाब जब नहीं मिला, खुदा से पूछ लिया, यह क्या हो गया?
उसने हंसके कहा तुझे तेरी ज्यादितियो का सबक मिल गया,
मैने भी बड़े अदब से, खुदा से अपना गुनाह कबूल कर लिया,
मुहब्बत अगर गुनाह है, तो कबूल है मैंने गुनाह है कर लिया.
एक शुकराना उनके लिये:-
तू भले ही न मिलीं, खुदा से गुफ्तगू का मौका तो मिल गया,
इस मेहरबानी के लिए दिल से, आपका शुक्रिया और शुक्रिया.