Author Topic: जय प्रकाश डंगवाल-उत्तराखंड के लेखक JaiPrakashDangwal,An Author from Uttarakhand  (Read 25430 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Jai Prakash Dangwal
 
मेरी कलम से:-

तेरी आँखों में, आंसू देख कर मुझे लगता था, आंसू तेरे हैं और दर्द मेरा है,
अब लगता है, बस आँखें तेरी हैं, इनमें आंसू भी मेरे हैं और दर्द भी मेरा है।
My desk:-see your eyes, tear I tear your pain, and I now think, just tear your eyes, my and my pain.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Jai Prakash Dangwal
 
मेरी कलम से:-
बहुत दिनों से, तेरा मुस्कराना नहीं देखा,
बहुत दिनों से, तेरा चहचहाना नहीं सुना,
बस कुछ नजर आता है, तो एक आक्रोश,
और बस एक अनबूझ क्रंदन का उद्घोष।
My desk:-long days, long days, not thy mascarene, hear thy tweets just a few visibly, a resentful, and just a anbujh shout himmat rakhiye. (Translated by Bing)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Jai Prakash Dangwal  मेरी कलम से:-
 
 तेरी मुस्कान के, दीवाने जहाँ में, बेसुमार हैं मेरे यार,
 हम दीवाने नहीं हैं, हम तो, तेरे कद्र दान हैं मेरे प्यार।
 हर पल, बिठा के रखा है सर आँखों पर तुम्हें मेरे यार,
 जिस्मानी कतई नहीं है, रूहानी है तेरे लिए मेरा प्यार।
 तुम जरुर पूछोगी, बिना जिस्म के हो सकता है प्यार?
 मुझे, पता नहीं, लेकिन हमेशा रूहानी ही रहा है प्यार।  .My desk:-where your smile, crazy, crazy, my man, we are not burmese, we are your virtue, charity, every moment of my love kept placing Sir. "eyes on you my man, physic is not, is my love for thy ruhani. you may puchogi, jarur jism love?
 I don't know, but always seems to love only ruhani. (Translated by Bing)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Jai Prakash Dangwal
about an hour ago
मेरी कलम से:-

जान पहचान वाले लोगों से, तो ओ अंजान लोग बेहतर हैं,
जो लोग, तकलीफ के समय पर, आपका हाल पूछ लेते हैं।
ऐसे वक्त, कई जान पहचान वाले ऐसे अंजान बन जाते हैं,
कि बड़ी बेशर्मी से आपको पहचानने से इनकार कर देते हैं।
हम, उन सहृदय अंजान लोगों को क्यों जल्दी भूल जाते हैं,
ऐसे परिचितों की उपेक्षा पर हम क्यों व्यर्थ खून जलाते हैं। .
My desk:-identify people with lives, o into strange people are better, people who, at the time of trouble, your recent time, many lives. asking such identity become that big into strange such shamelessly refuses to identify you. we, why people quickly forget doting into strange, ignoring such acquaintances on why we wasted blood may burn. (Translated by Bing)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Jai Prakash Dangwal
August 26
मेरी कलम से ©Jai Prakash Dangwal :-

कवि और कवि की कविता यह दोनों सदा से अभिन्न हैं,
जिस तरह कि फूल और उसकी महक, दोनों अभिन्न हैं।
तुम भाव हो और कवि के शब्द, भाव की अभिव्यक्ति हैं,
कवि भाव का, भाव कवि का, दोनों, एक दूसरे के प्रेमी हैं।
My desk © Jai Prakash Dangwal: poet and poet poems are both eternally and integral way that flowers and her smell, both integral. you updated and are an expression of the poet's Word, emotion, sense, sense the poet poet, both lovers of each other. (Translated by Bing)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Jai Prakash Dangwal मेरी कलम से©Jai Prakash Dangwal:-
 
 अब गुनगुनाना कोई ऐसा गीत, जिसे सुनकर,
 पवन आनन्दित हो कर, मदमस्त झूमने लगे।
 अब गुनगुनाना, कोई ऐसा गीत, जिसे सुनकर,
 मनोहर बाग़ में, सुकोमल कलियाँ खिलने लगें।
 अब गुनगुनाना, कोई ऐसा गीत, जिसे सुनकर,
 कोई आहत प्रेमी मन ही मन में मुस्कराने लगे। 
 अब गुनगुनाना, कोई ऐसा गीत, जिसे सुनकर,
 भ्रमर आल्लाहदित हो कर फूल पर मंडराने लगे।
 अब गुनगुनाना, कोई ऐसा गीत, जिसे सुनकर,
 दूर रह कर भी पास होने का अहसास होने लगे।
 अब गुनगुनाना, कोई ऐसा गीत, जिसे सुनकर,
 फूलों से सुवासित मलय मुझ तक पंहुंचने लगे।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Jai Prakash Dangwal मेरी कलम से©Jai Prakash Dangwal:-
 
 अब तुम तो नहीं हो, लेकिन गीत तुम्हारे बन गए हैं मेरे मीत,
 जिस बात से शिकन आये तेरे चेहरे पर नहीं चाहिए ऐसी प्रीत।
 कुछ मधुर गीत लिखना जिनको सुनकर शांत हो जाये तूफान,
 अजनबी हूँ फिर भी दुआ है, सदा बनी रहे तेरी प्यारी मुस्कान।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Jai Prakash Dangwal September 24मेरी कलम से©Jai Prakash Dangwal:-
 
 फ़ूड बिल का लाली पाप देकर जनता को बेवकूफ बना रही है सरकार,
 एक टांग पर खड़ा खामोश बगुला भगत, चला रहा है अपनी सरकार।
 जो संप्रदाय वादी हैं, वही लोग भोले भाले बन कर चला रहे हैं सरकार,
 चलो दिखा देते हैं, हम सब उनको, उनका असली चेहरा, अबकी बार।
 समझौते की, सरकार से तो बेहतर है, कि चले यह देश बिना सरकार,
 तब असली चेहरे सामने होंगे, होगा नहीं, राजनीत का गन्दा व्यापार।
 या फिर, चुने जाने पर, बहुमत से बनायें नरेन्द्र मोदी अपनी सरकार,
 जनता के पास, मात्र यही विकल्प है, अब देने को लुटेरों को फटकार।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Jai Prakash Dangwal September 24मेरी कलम से©Jai Prakash Dangwal:-
 
 फ़ूड बिल का लाली पाप देकर जनता को बेवकूफ बना रही है सरकार,
 एक टांग पर खड़ा खामोश बगुला भगत, चला रहा है अपनी सरकार।
 जो संप्रदाय वादी हैं वही लोग भोलेभाले बन कर चला रहे हैं सरकार,
 चलो दिखा देते हैं, हम सब उनको, उनका असली चेहरा, अबकी बार।
 समझौते की सरकार से, तो बेहतर है, कि चले यह देश बिना सरकार,
 तब असली चेहरे सामने होंगे, होगा नहीं, राजनीत का गन्दा व्यापार।
 या फिर चुने जाने पर बहुमत से, बनायें नरेन्द्र मोदी अपनी सरकार,
 जनता के पास, मात्र यही विकल्प है, अब देने को लुटेरों को फटकार।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Jai Prakash Dangwal September 22मेरी कलम से©Jai Prakash Dangwal:-
 
 तुझे पाने की चाहत में, खुद को ही भूल चुके हैं हम,
 हर किसी से पूछते हैं कि बताइए जरा, कौन हैं हम?
 किसी ने कहा, किसी बेरहम के गम के मारे हो तुम,
 पूछता रहा यह कैसी बीमारी है बता दो कम से कम।
 उस बेरहम ने कहा लाइलाज बीमारी है मेरे हमदम,
 तुम्हारे जैसे बीमार लाख देखे हैं हमने कम से कम।
 अब न तो तू जी पायेगा न निकल पायेगा तेरा दम,
 यह तो बता देतीं कि, अब जिन्दा हैं या मुर्दा हैं हम।

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22