Author Topic: जय प्रकाश डंगवाल-उत्तराखंड के लेखक JaiPrakashDangwal,An Author from Uttarakhand  (Read 25504 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
October 30
मेरी कलम से ©Jai Prakash Dangwal:-

मुस्कान को कभी धूमिल होने नहीं देना, ख्वाबों को कभी खोने नहीं देना,
हजार गम दफ्न हों सीने में तुम उन्हें कभी भी चेहरे पर दिखने नहीं देना।
बेहत्तर है गम किसी से न बांटना लेकिन अपनी खुशियां सबसे बाँट लेना,
दर्दे दिल, बरदास्ते काबिल न हो, तो हम जैसे किसी नाचीज से बाँट लेना।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
October 29
मेरी कलम से ©Jai Prakash Dangwal :-

विकसित, कली का, प्रस्फ़ुटित पुष्प है तू,
मदमस्त भ्रमर के गुंजन की, चाहत है तू,
मनोहर देह और मनमोहक मुस्कान है तू,
किसी तृषित प्रेमी की अनमोल जान है तू,
एक हसीं, हूर है तू और खुदा का नूर है तू।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मेरी कलम से ©Jai Prakash Dangwal हे प्रेरणा स्वरूपिणी:-

हे देवी नित्य प्रातः काले,
तव प्रश्न्नार्थे जलं अर्पयामी,
धूपं अर्पयामी, अर्घ्यं अर्पयामि,
पुष्पंअर्पयामि, नैवेद्यं अर्पयामि,
हे प्रेरणा स्वरूपिणी, हे सरस्वती,
हे रुष्टे! त्वं सस्नेह स्मरणयामि,
हे प्रेम मूर्ति त्वं सप्रेम आवह्नयामि,
हे देवी हृदय मध्ये त्वं स्थापयामि,
तव स्मरणोप्रांत जलं ग्रहणयामि,
तव पूजनोपरांत नैवेद्यं ग्रहणयामि,
बिना कारणेन हे कुपिते, हे सौम्ये,
प्रसीधम, प्रसीधम, प्रसीधम।
हे देवी मम लेखिनी मध्ये तिष्ट:
हे पुलकिते मम हृदय मध्ये तिष्ट:
मम लेखनीं भाव व हृदयं शांति प्रदः
हे सुदर्शनी, हे सुगंध्नी, हे कल्याणी,
प्रसीधम, प्रसीधम, प्रसीधम।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
October 22
From my pen my prayer to God and a wish to all near and dear one ©Jai Prakash Dangwal:-

Oh my God/dear one!
I hold you in my eyes,
I hold you in my breath,
I hold you in my mind,
I hold you in my soul.

What I wish in return?
I wish nothing except,
A glimpse of you in night,
A glimpse of you in morning.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
 
स्त्री और पुरुष का एक दूसरे के प्रति मधुर आकर्षण प्रकृति जन्य है और यह आकर्षण एक दूसरे के प्रति सम्मान, स्नेह और प्रेम को जन्म देता है। लेकिन इन सम्बन्धों में निकटता की एक सीमा होती है और उसका जबर्दस्ती अतिक्रमण गैर क़ानूनी और पाश्विक है। इसके लिए कठोर दंड व्यवस्था आवश्यक एवं सराहनीय है और इसका उत्तरदायित्व कानून और न्याय प्रणाली पर है। लेकिन टीआरपी के लिए न्यूज़ चैनल इन ख़बरों को जिस तरह मिर्च मसाला लगा कर पेश करते हैं वह स्त्री समाज और पुरुष समाज दोनों की अस्मिता बचाये रखने के लिए एक खतरे की घंटी है। इसके लिए न्यूज़ चैनलस पर बिना मिर्च मसाले के सटीक न्यूज़ प्रस्तुति की बाध्यता होनी आवश्यक है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
 
विशेष कर केजरीवाल जी के लिये:-

आप एक कर्मठ नेता हैं और जनता के प्रति आपकी सत्यनिष्ठा और कर्म निष्ठा सराहनीय है। मोदी जी को मैं इस युग में भारत का सर्वश्रेष्ठ जन नायक मानता हूँ। लेकिन आपके सदाचार के कारण मोदी जी का प्रबल समर्थक होते हुए भी आपके लिए मेरे मन में आदर भाव है। आप सत्य निष्ठ राजनीति के पक्षधर हैं यह गर्व की बात है लेकिन राजनीति में विचारों में कुछ सीमा तक विभिन्न राजनैतिक विचारों से समन्वय में लचरता होना आवश्यक है। इस दृष्टि से राजनैतिक लाभ तो होगा ही आपका अपना व्यक्तित्व भी प्रचुर मात्रा में निखर उठेगा। प्रिय बंधु स्वर्ण आभूषण भी तभी दमकता है जब सोने में उचित मात्रा में सुहागा और अन्य तत्व का मिश्रण होता है जिसके कारण उसमें सुंदर रंग और लचरता आ जाती है और इसीलिए सुनार मन चाहे सुंदर स्वरुप में उसे ढाल सकता है। अन्यथा पूर्ण शुद्ध स्वर्ण को सुनार स्वर्णिम स्वरुप नहीं दे सकता। मैं आपके जैसा प्रतिभाशाली भले ही न हूँ लेकिन उम्र और अनुभव में आपसे बड़ा हूँ ठीक उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद्र जी की कहानी 'बड़े भाईसाहब' के नायक बड़े भाईसाहब की तरह। जो कुछ लिखा है आपके प्रति स्नेहवश लिखा है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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From -

Jai Prakash Dangwal

मेरी कलम से ©Jai Prakash Dangwal:-

भला हम क्यों सरकार बनायें? बनाएंगे तो, जनता से पूछ कर बनायेंगे,
फ़ैल हो गए तो जनता और अगर सफल हो गए तो हम पास कहलायेंगे।

अगर सरकार बन गई तो हम हमेशा इसी तरह अपनी सरकार चलाएंगे,
विधान सभा क्यों जाएँ? सड़कों पर जनता से पूछ हम सरकार चलायेंगे।

दिल्ली ही क्यों? सारे भारत में घूम कर, राजनीती का नया पाठ पढ़ाएंगे,
फेल हो गए तो तुम, पास हो गए तो हम, ऐसे बेमिसाल नेता कहलायेंगे।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
December 17
मेरी कलम से ©Jai Prakash Dangwal:-

जब किसी की मुस्कान अच्छी लगती है, तो वह इंसान अच्छा लगता है,
अगर इंसान के चेहरे के साथ साथ, उसकी आँखों में भी मुस्कान होती है,
तो मुस्कान और भी अच्छी लगती है, और वह इंसान लाजवाब लगता है,
वैसे पसंद अपनी होती है लेकिन मुझे अपनी मुस्कान लाजवाब लगती है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
December 17
मेरी कलम से ©Jai Prakash Dangwal:-

अन्ना जी कोशिश कर रहे हैं, कांग्रेस की लगाने नैय्या पार,
केजरीवाल खे रहे हैं आप की नैय्या बता खुद को ईमानदार,
कांग्रेस खे रही है नैय्या केजरीवाल, अन्ना को बना पतवार,
मोदीजी शंखनाद कर रहे हैं, मिटाने को भारत से भ्रष्टाचार।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal

December 14
From my pen ©Jai Prakash Dangwal:-:-

I wait in vain for my mobile's ring on every mid night of New Year,
But I never get disappointed for not hearing your sweet wish dear!

I always love these lovely moments, lost in your memory my love,
I presume myself a drake in a clean lake swimming with my dove.

New year begins with joy and wish to each other happy New Year,
I sleep lost in dreams and wait one year more, for your wish dear.

 

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