Author Topic: Kumaoni-Garwali Words Getting Extinct-कुमाउनी एव गढ़वाली के विलुप्त होते शब्द  (Read 71656 times)

खीमसिंह रावत

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रडले = फिसलना
पाणी ढुंग में खुट बराबुर धारिये रडले 
यानी : पाणी के पत्थर में पैर  ठीक से रखना कहीं फिसलना नहीं |

पंकज सिंह महर

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गोठ- घर की सबसे निचली मंजिल, जिसका प्रयोग आम तौर पर जानवर बांधने और कुछ स्थानों पर किचन के रुप में प्रयोग की जाती है। अब तो गोठ ही विलुप्त हो रहा है, लोग भी अब ज्यादातर गोठ में ही रहने लगे :D ;D

माजिल- फर्स्ट फ्लोर का कमरा, मंझले शब्द से उत्पत्ति।

पांण- सबसे ऊपरी मंजिल, पहाड़ों में तीन मंजिले मकान ही होते हैं।

अलबलाट- किसी काम को करने समय परेशानी होना या बाधा पहुंचना।

गजबजाट- गड़बड़ा जाना।

मिजात- फैशन या मेकअप करना।


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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अड़क -  पानी को गिलास को होठो पर लगाये हुए पानी पीना !

इस अड़क कर पानी पीना कहते है

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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अड़चन - अति आवश्यक कार्य


विनोद सिंह गढ़िया

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फसक : बातें करना

जैसे : (कुमांऊनी  में) -  कि फसक लागी रै दीदी?

अब 'फसक' शब्द विलुप्त होने को जा रहा है, इसकी जगह हिन्दी का 'बात' शब्द प्रयोग किया जाने लगा है।

जैसे : कि बात चली रै दीदी ?

विनोद सिंह गढ़िया

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स्यूँन-श्रृंगार  : सज-धज के /  अच्छी तरह से बालों को सँवार के सजना-संवरना ।


'स्यूँन-श्रृंगार' शब्द भी अब कहीं सुनायी नहीं देता, इसका स्थान अब 'मेकप' शब्द ने ले लिया है।

जैसे : आज मेकप करी भे तू कदू दूर जाण छे ?

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मौ जौ -  गृहस्थी

यह शब्द पहले लोग गृहस्थी कल लिए इस्तेमाल करते थे ! 

प्रयोग - मोहन क मौ जौ जमी गे - यानी मोहन ने गृहस्थी जमा ली है !


पंकज सिंह महर

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धिराट- बहुत उछलने-कूदने की आवाज
भांण- बर्तन
ढांण-भुय्य- आंधी तूफान
पैर पड़न- बिजली गिरना
मान्तर- लेकिन, किन्तु, परन्तु
गन्जयाड़- केकड़ा
मूस- चूहा
फुंग- काकरोच
उप्यां- पिस्सू

विनोद सिंह गढ़िया

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बुती-धाणि  :  काम-काज

आजकल 'बुती-धाणि' शब्द की जगह हिन्दी के 'काम-काज' शब्द ने ले लिया है।

जैसे : (कुमांऊनी में) -

  • भुली कि बुती-धाणि लागी रा छा ?
  • भुली कि काम-काज लागी रा छा ?

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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