Author Topic: Kumaoni Poem by Sunder Kabdola-सुन्दर कबडोला की कुमाउनी कविताये  (Read 12435 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 ऐकु दिल मेरोँ चा         
जिन्दगी यु मेरी
 त्वैमा धरि चा
 ऐजा दी घडि
 भल कै जी लैणु
 कै तु मैते कौलि
 कै मि त्वैते कौला
 चार दिनु कि हुछि
 मुलारी जवानी
 मुलारी जवानी
 चाँद सी मुखुडि
 रण-मणि सँभाव
 ऐकु दिल मेरोँ चा
 उले बसि…
 त्वै-मा चा
 उले बसि…
 त्वै-मा चा
लेख-सुन्दर कबडोला
 21/5/2012

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ऐकु दिल मेरोँ चा

जिन्दगी यु मेरी
त्वैमा धरि चा
ऐजा दी घडि
भल कै जी लैणु
कै तु मैते कौलि
कै मि त्वैते कौला
चार दिनु कि हुछि
मुलारी जवानी
मुलारी जवानी
चाँद सी मुखुडि
रण-मणि सँभाव
ऐकु दिल मेरोँ चा
उले बसि…
त्वै-मा चा
उले बसि…
त्वै-मा चा

लेख-सुन्दर कबडोला
21/5/2012

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दहैजि गब्बर

कुनयी भिडोँ यु 25 गत
जँवै छू उणि 26 गत
रँग-लूटि बे जम्मु जै रो
माँग ले हैगोँ ऊँचो निचोँ
बिन गाडि नि जैई सैगोँ
जँवै तुमारोँ फौजी हैगोँ
टाट मा सितणि
ठाँट-बाँट मा हैगोँ
“सफेद घोडि मा चेडि ऐरोँ
दहेज कु लिस्ट साथ मा लेरोँ”
महाराज…..
यु मँडप मा सँन्नाटा हैगोँ
गब्बर जस वर जै ऐगोँ
अगल-बगल … खुचुड बुचुड
‘जय’ और ‘वीरु का छा तुम
पहाड मा ऐगोँ यु गबर
पहाड मा ऐगोँ यु गबर

लेख-सुन्दर कबडोला
13/12/2012

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ठिठुरि जात

कलम कु स्याहि निमडि गै
विषय हमारु यु बदलि गै
“गीत कु र्गज – रित कु र्तज
छीटा काँसी – मिठा भाषा”
डबलु मा हैगिण यु ले र्दज
पहाड मा देखि यु ब्यार
सबै हैगिण ठिठुरि जात
हल बान कु हलिया लाख
सैणि हैगिण विकु जाग
गौ मा ऐगोँ निठुरि आग
पुराण सँस्कृति लागि डाम
अणरि-उजलि सबै घाम
रिर्वाज ले गिण चारोँ धाम
देवभुमि तै यु परत
कैल रचि…?
अगडि-पगडि सबै भाग
अयाण-सयाण ले हैगिण पात
बीरबल कु खिचडि जै यु पाक

लेख-सुन्दर कबडोला
15/09/2012

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गौ-गुँठारु
ब्यौ बरातु
ढोल-ढँमाऊ
मैले नाचु
छोड-चाचुडि
हिट काकुडा
छम छमा छम
नाचि दैणु
पाडि बाज मा
ओ बौजि ओ आम्मा
एक फरैक तु ले आ
कुँमौणि गीत तै
ठुमा ठुम नाचि दैणु
भैजि कु बरात मा
“रोकि दै दगडियो मेरोँ”
Rocking roll dance तै
Rocking roll dance तै
गोपालु दास कु
छलौडोँ नाच तै
ठुल कै नौणा
बुढ तै बौडा
वर ले नाचोँ
‘सास रडि’ गीत मा
रौनकी बरात मा
खाई पैई लदौड चिरि
कर उँडग लड झँगड
भैजि कु बरात मा
झुरि गो पराण
झुरि गो पराण
यु हमर पहाड
Today बरात मा
Today बरात म

लेख-सुन्दर कबडोला

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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यकलु बानरposted to "यु भैर भदैरु समाज कदम
 अत्याचारि पुरुष समाज"
 
 नव जीवन कु सूँचक छै
 माँ बैणि अर चेली तूँ
 ना गर्ब मा सुरक्षित
 ना भैर ऐई यु दुनि मा
 “यु भैर भदैरु समाज कदम
 अत्याचारि पुरुष समाज”
 जबै हैई तूँ गर्ब मा ठैरि
 भेद भाव कू बलि चढि
 तूँ चेलि छै…
 यैक कारण त्यर हत्या है
 “यु भैर भदैरु समाज कदम
 अत्याचारि पुरुष समाज”
 भैर ऐई तूँ फिर ले तूँ
 भेदभाव मा बहती धारा
 जवान हैई तू फिर लेतूँ
 अत्याचारि समाज निगाह बैडि तै
 प्रताड़ित छै तूँ चेलि छै
 “यु भैर भदैरु समाज कदम
 अत्याचारि पुरुष समाज”
 ब्याह करबै ले तूँ
 सुखि नही तूँ चेलि छै
 दहेज कु ताने बाँट मा त्यर
 बिछै हुई यु काटु छण
 पैद हुण तै मरण तलक
 त्यर यौनि बस तूँ चेलि छै
 त्यर यौनि बस तूँ चेलि छै
 
 हे नारि तूँ थम जा अब
 ना चेलि जात कूँ अँकुर दे
 ई पापी दुनिया मा
 कै छू त्यर मान सम्मान
 हे नारि तूँ थम जा अब
 हे नारि तूँ थम जा अब
 “यु भैर भदैरु समाज कदम
 अत्याचारि पुरुष समाज”
 
 लेख-सुन्दर कबडोला
 गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 यकलु बानरposted toMerapahadforum "नि जलाओ नि जलाओ
 हैरि भैरि दाण टुकि"
 
 हैरि भैरि दाण टुकि
 नि लगाओ नि लगाओ
 ऊँचो निचो दाण टुकि
 हैरि भैरि धार रुखि
 अदभुत रौनक ठाँड बैरि
 
 नि जलाओ नि जलाओ
 तुमँरु हमँरु यु पहाड
 हैरि भैरि कै बिगै (नुकशान)
 फल दारु गौर बाँछु
 चरणि हैरि एक निवाल
 ऊँचो निचो दाण टुकि
 रुँडि दिना धुँघरि(धुँवा) पट
 
 नि करो नि करो
 पहाडुण दाण टुकि आग लगै
 चाड़ पथिल उडणि फुर
 “एक पेडु घोल पडि
 चाड़ पौथि आण जलि”
 सोचि मेरी बैणि दाज्यु
 चाड़ पौथिल आँख भैरि
 बेजुबाण प्राण भयि
 वैकु मुँया कैल मारि
 आण भदैर सँसार नै
 विनती मेरी गिनति तेरी
 जैल लगाई आग रे
 ऊँचो निचो दाण टुकि
 नि लगाओ नि लगाओ
 हैरि भैरि दाण टुकि
 तुमर हमर यु पहाड
 नि जलाओ नि जलाओ
 हैरि भैरि दाण टुकि
 ऊँचो निचो दाण टुकि
 
 लेख-सुन्दर कबडोला
 गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड"नि जलाओ नि जलाओ हैरि भैरि दाण टुकि" हैरि भैरि दाण टुकि नि लगाओ नि लगाओ ऊँचो निचो दाण टुकि हैरि भैरि धार रुखि अदभुत रौनक ठाँड बैरि नि जलाओ नि जलाओ तुमँरु हमँरु यु पहाड हैरि भैरि कै बिगै (नुकशान) फल दारु गौर बाँछु चरणि हैरि एक निवाल ऊँचो निचो दाण टुकि रुँडि दिना धुँघरि(धुँवा) पट नि करो नि करो पहाडुण दाण टुकि आग लगै चाड़ पथिल उडणि फुर “एक पेडु घोल पडि चाड़ पौथि आण जलि” सोचि मेरी बैणि दाज्यु चाड़ पौथिल आँख भैरि बेजुबाण प्राण भयि वैकु मुँया कैल मारि आण भदैर सँसार नै विनती मेरी गिनति तेरी जैल लगाई आग रे ऊँचो निचो दाण टुकि नि लगाओ नि लगाओ हैरि भैरि दाण टुकि तुमर हमर यु पहाड नि जलाओ नि जलाओ हैरि भैरि दाण टुकि ऊँचो निचो दाण टुकि लेख-सुन्दर कबडोला गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड height=132

sundarkabdola

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"मुर्गि टाँग देशी दाँर
मिल बैठि यु चारो यार"

मुर्गि टाँग देशी दाँर
मिल बैठि यु चारो यार
परुँवा- खिमदा- चनुँवा- शेरदा
जेठ फुँकि कु गर्मि-घाम
दयाल-दा कु सुखि-राम
अजब-गजब कु दगडु थाम
चार पियकड़ काम बियकड़

"बिन पानी कु सडकै देशी
इँग्लिश मा तै फुकनी लेजी"

दयाल-दा वेटर इन दा ग्रेट
मूलि- टाँग, मुर्गि- प्याज
और कै छू रे इन दा डेट

अ से ब भल हैरो कौ
"देशी नँश- पहाडि मँस्त
इँग्लिश फँस्ट- दयाल-दा पँस्त"

जथै जानी यु चार पियकड़
सफल हैजा ऊ काम बियकड़

मुर्गि टाँग देशी दाँर
मिल बैठि यु चारो यार
रुँड भिकाँणु जण टिटाँटु
"अनँपढ कु यु देशी गम
पढी लिखी कु इग्लिँश रम"
अ से ब भल हैरो कौ
परुँवा- खिमदा- चनुँवा- शेरदा
कस पहाड कस हैगो हाल
अ से ब भल हैरो कौ

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड

sundarkabdola

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"ऊँचो निचोँ याँकु बाँटु
जँथै ढुँगि तै करनी वास
देव देवो कु जाँगर काथ"

जाँग जाँग थाँण थाँण
ऊँचो निचो देवो थाँण
गाड़ ग्धैरो निर्मल धार
चाँड़ पथिल गूँज प्रँभात
घुघति कि मार्मिक गाँथ
भै बैणि काँथ है सार
देवभूमि उत्तँरा है विशाल
जतै माँटि मा भूँमाऊ देवो
वास करै ऋषि योगी तपभूमि
शब्द गढ़ै कुँ भाँव कुँर्मो
सरियुँ गोमती र्जण धारा
पूँजि जानी हे सँसार
रित- रिर्वाजु अदँभुत सार
पाडुण र्जण पानी धार
थाँल हुँडुकि देवो नाच
जतै हुणि अवतारित रात
जँगरि धाँत हुँडुकि नाँथ
गुरु गुरु कि महिमा पार
गुरु गुरु कि महिमा पार

"ऊँचो निचोँ याँकु बाँटु
जँथै ढुँगि तै करनी वास
देव देवो कु जाँगर काथ"


लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड

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By Sunder Kabdola
ईजा बौज्यु हाँट बाँट तोड
 जूँ क्याँरि कै सिँचै त्वै
 कौप किताब कलम दँवात
 भल अकँक्षर कु ज्ञान दिला
 पढे लिखे यु डिग्ररि ले
 काम नि लागि ईजा बौज्यु
 बाँगश्रेर आँल्माड हँल्दानि दूँन
 नि लागि यु शिक्षा काम
 बस डबलु मा तुलगै डिग्ररि
 चुर चुर हे सुपनियु रे
 
 पढे लिखाई हे बौज्यु त्वील
 काम नै लागि त्यर मुँया
 डबलु मा तुलगै
 तुमर मुँया कु मेहनत आज
 रुवै रुवै म्यर डिग्ररि आज
 हारी ग्युँ हारी गै
 ओ ईजा-बौज्यु रे
 क्षमा करे यु चेला कै
 जूँ उठे नि पाई सुपनियो जाग
 त्यर सुपनियो बदलु कै दु आज
 तुलगै नौकरि हैशियत मा आज
 तुलगै बौज्यु तेरी मेहनत
 तुलगै ईजा तेरी आश
 तुलगै सुपनियो मेरो आज
 गरीब मुँया कि डिग्ररि यारोँ
 गरीब मुँया कि डिग्ररि यारोँ
 
 हे सरकारी बाबु
 कै मोल छू मेरो डिग्ररि आज
 ले म्यर डिग्ररि थाँम
 ईज बौज्यु कु दे दै दाँम
 ईज बौज्यु कु दे दै दाँम
 ईज बौज्यु कु दे दै दाँम
 http://phadikavitablog.wordpress.com/
 लेख-सुन्दर कबडोला
 गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड

 

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