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Kumauni & Garhwali Poems by Various Poet-कुमाऊंनी-गढ़वाली कविताएं

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
नरेन्द्र सिंह नेगी

औˇणा

तुमुन मैं हिटणु सिखाई
पर दनकण नि दे
तुमुन मैं बच्याणु सिखाई
पर बोल्ण नि दे
तुमुन मैं लारा लाण-पैरणा सिखैनी
पर मनमर्ज्यू पैर्ण नि दे
खाणु खाण सिखाई
पर कमौण नि दे
तुमुन मैं लिखै-पढ़ै जरूर छ
पर खुदमुखत्यारि को अखत्यार नि दे
तुमुन मैं फर पुछड़ि पंखुड़ि लगैनी
पर उड़ण नि दे
किलैकि
तुमथैं अपड़ा घर मा
बेटि कि जगा
कठपोथˇी चयेणी छै।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
दुर्गाप्रसाद घिल्डियाल

रैबार

जु मैं मु धर्यु छौ, त्वे देई याले
अपणा हड्गौ को रस, जु मैं मु बच्यूं छौ
खलैकि यख की, बारा रस्याˇी
विदेशु रण मा त्वे तैं पठै छौ।
निभैने तिन बल, भला हि काज
रखे तिन म्यरा, दूध कि लाज
नि छौ ख्याल कि तू परदेशो ५ेली
भरोसो छयो कि तु मैं मु एैली।
छोड़ी पुराणी नई थैं अंग्यौणो
या प्रथा छ भौत पुराणी
पर मा° त मा° च, इनो किलै नि सोची
वर्षंु बटि च जवा त्वे तैं भट्यौणी।
तख रच्येन्दी कविता गयेन्दा गीत
पर या°न नि ढकेंदी म्यरि ना°ग का°ग
नि पौंछदि यख त्य

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
चन्द्रसिंह राही

रणसिंगा बजै दे

लोगू की कूड़ी सदानी चिणी तिल
तेरी कूड़ि लोˇा तनी चूंदि राया
मंदिर मस्जिद भि तिल छन बणांया
त्वेकू त भगवान रूठ्य°ू हि राया
हैंका की धाण भुखी पेट काया
त्यरा नौना भूखाल बिबलान्द राया
जैंकी नांग त त्वेन ढकाया
≈°लै हि तेरी नंगी टांग काया
जैंकी खुशी मा बाजा बजाया
त्यरा दुख मा ≈°लै हि मुख फरकाया
मनखि भि यख आज जौंका बण्यां छन
तेरी खून पे-पे कि मोटा बण्या छन
त्यरा दम परैं या दुनिया टिकी च
अपणी ताकत को त्वैं

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
केशवानन्द ध्यानी

को जो होलो आणू

‘घुगति बसूति’ घुरी घुगति डाˇि म
उज्याˇि मयˇि घूरी घुगती डाˇि म।
रीटि फीरि आई Ωतु छड़म बाजी लाठी
फूलु की फ्ल्याˇि आई गिंवाड़ यू° की बाटी।
डा°डि हैरि डाˇि मौˇि रंगमती ब°सूली
धरती का कंठ आज फूलु की ह°सूˇी।
पंथ्या घौलू ∂यौंलि आरू लΠया फूले बुरांस
घु°गट्य ˇि ठुमकदी आई झपन्याˇ्यों हिला°स
पैंत्वˇ्यों पराज आज कंठ की बडुˇी
आज को जी होलो औणू डुलदी च लुटली।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
डा० शिवानंन्द नौटियाल

सौंण

जब मैना सौंण को आलो
बरखा होली गदिरा भरेला, स्वींस्याट होलो गाड को।
काˇा काˇा बादल आला,राग मल्हार गाला
अन्धेरो होलो चाल चलकेली, उज्याˇो होलो धार को।
थम थम मोर नाचला, भिडखा टर-टर बोलाला
पैरा पोड़ला, रस्ता टूटला, चोट होली रात को।
छाम-छाम के कोदो गोडेलो, कुयोड़ो होलो रात-सि लगली
जकबक कूटी दाथी हाथ मा, नाम नि होनो बाटा को।
घाम की खुद-सी लागली, छी छी होली पाणी की
घाम आलो कमाण पोड़ली, रंग अनोखो सोण को।
हरी-तो सभी जगा होलो, छोया फुटला जगु-जगु मा
पशु-पंछी पाणी पाला, कुयड़ी फटालो जिकुड़ी को।

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