अनिल सिंह मेहरा कुमाऊंनी
August 17 at 6:41pm ·
हरदौल वाणी के ताजा अंक में मेरी एक छोटी सी कविता को स्थान देने हेतु परम वंदनीय गुरूदेव आदरणीय देवी प्रसाद गुप्ता जी व श्रीमान ललित जी का ह्दय से धन्यवाद व आभार व्यक्त करूंगा ,,,
कुछ पंक्तिया धर्म के झूठे लिबास पर ,, कुछ पंक्तियो नेताओ की दबंगई पर ,,, बाकी आप स्वयं अनुभव करें ,,,,,,, धन्यवाद ,,
अभी नासमझ हूं कुछ और समझ तो आने दो ,,,,,
अभी कच्चा हूं कुछ और पक जाने दो ,,,,
करूंगा मैं भी बातें बडी़ बडी देश बदलने की ,,,
हाथो में कोई राजनैतिक किताब तो आने दो ,,,
करूंगा वादे मैं भी वो ना निभाने है कभी जो ,,,
श्याम बदन पे पहले स्वेत लिबास तो आने दो ,,,
भंरूगा मैं भी तिजोरिया अपनी कस के ,,,
फिर कोई आपदा का सैलाब तो आने दो ,,,
मेरा भी होगा एक दरबार भगवान से मिलाने वाला,,,
तन में पिताम्बर हाथो में पुराण तो आने दो ,,,,
करेगी सरकारे खर्च करोडो़ चन्द गुनेहगारो पर ,,,,
पहले कोई देश में और इक कसाब तो आने दो ,,,
प्रचार करायेंगे विश्व में भारतीय मसालो का ,,,
पहले संसद में एक और सैलाब तो आने दो ,,,,
अभी नासमझ हूं कुछ और समझ तो आने दो ,,,,
अनिल सिंह मेहरा " कुंमाऊनी "
( कमलेख - कौसानी )