Author Topic: Kumauni & Garhwali Poems by Various Poet-कुमाऊंनी-गढ़वाली कविताएं  (Read 451717 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt


आण वाल च अब
राखी कु त्योहार
बन बन की राख्युं न
सज्यूं ह्वाल बजार
आण वाल च अब
राखी कु त्योहार
दीदी भूली मेरी सब
खुश हुयीं होली
हथ्यूं मा लिफप लेकी
डाखनों मा जयीं होली
दुर प्रदेशु मा भै बंद
सारु लग्यां ह्वाल
मेरी तना डाखनों मा
चिटठी पत्री पुछणा ह्वाल
आण वाल च भयूं
राखी कु त्योहार
फौजी दीदा भी म्यार
खुश हुयां ह्वाल
बौर्डरु मा छुट्टी कुन
अर्जी दिणा ह्वाल
भै बैण्युं क प्यार कु
पबित्र त्योहार
मुबारक ह्वा सब्यूं कुन
रखडी कु त्योहार
आण वाल च दीदों
रखडी क त्योहार
बन बन की राख्यूं न
सज्यूं ह्वाल......
सर्वाधिकार सुरक्षित@लिख्वार सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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सुरम्य सुंदर गंगा तट पर
देवों ने लिया जहां
मुनियों का भेष
रीषी मूनी जहां
मिलकर हैं धोते
गंगा तट पर अपना केश
वो है मेरा ऋषिकेश
वो है मेरा......
सुंदर सुशील नारी यहां की
संवारती गंगा जल से केश
गंगा तट से खत हैं लिखती
पति गये जिनके परदेश
वो है मेरा रीसीकेष
जहां बम बम करते
शिवभक्त आते
कांवडियों का लेकर भेष
प्रभु द्वार से कोई खाली नही जाता
पाता मनईच्छा फल वो बिशेष
वो है मेरा रीसीकेष
वो है मेरा रीसी....
सुबह शाम जहां होती तट पर
मां गंगा की आरती बिशेष
सैलानी भी झूमते भक्ति में
वो है मेरा रीसीकेष
शांत स्वभाव के लोग यहां के
राग नही है कोई द्वैश
सब आपस में मिलकर रहते
नही किसी पर कोई केस
वो है मेरा रीसीकेष
दो पहाडियों के बीच बसा है
रीसी मुनियों का स्थान ये बिशेष
जहां प्रभु रहते है गली गली मे
जोगीयों का लेकर के भेष
वो है मेरा रीसीकेष
खुशहाली हर जगा जहां पर
सबके अपने ठाट बाट
रमणीक त्रिवेणी घाट जहां पर
रौनक आई.डी.पी.एल का हाट
सुरम्य सुंदर गंगा तट पर
देवों ने लिया जहां......
सर्वाधिकार सुरक्षित@लेखक सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कविता नं-19

छि भै तुम भि उन्नि छो
__________________

काम न काजा का छो, बस दुश्मन अनाजा का छो,
चौबीस घड़ि बस मुंडारु, झणी कैं जामा का छो,
डैर लगद तुमथैं त भैर खुट्टि रड़ॉण मा...
छि भै तुम भि उन्नि छो....

स्यु ब्याला कु घुत्तु देखादि भुय्यां नि देखणु च,
सूट-बूट मा जन क्वी बड़ु साब सि लगणु च,
अर् तुम रै ग्यो स्यु पैरा हि मिसांण मा...
छि भै तुम भि उन्नि छो...

करणि-कमाणि कुछ आंदि नी, हम फर हुँदो नराज़,
स्यु दगड्या का राणा-भरतवाण कख पौंछिगि आज,
अर् तुम रैग्यो बस स्यु पिपरि हि बजांण मा...
छि भै तुम भि उन्नि छो...

लोगों कु ज्वाग त कन-कन कैरिकि भि जगिगे,
मोदी च्या बेचि-बेचिकि भि प्रैम मिनिस्टर बणिगे,
अर् तुम रै ग्यो बस कच्चि हि सड़कांण मा...
छि भै तुम भि उन्नि छो...

नि आन्दु ब्वै का बखांण मा त रैंदु मि आज वख,
मेंई दगड्या कि करीना पौंछि गे स्या आज कख,
अर् मि रै ग्युं तुम्हरु हि कपाल कच्यांण मा...
छि भै तुम भि उन्नि छो....

©®सर्वाधिकार सुरक्षित: धर्मपाल रावत
ग्राम- सुन्दरखाल, ब्लॉक- बीरोंखाल,
जिला-पौड़ी गढ़वाल-246169.
18.08.2015

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कविता नं-16
____________

धन हो जुकरबर्ग तेरि कारिगिरि खुणे,
भै जु तिल यु इनु फेसबुक बणाई ।
सब्भ्युं खुणे यखि कौथीग हयूँ च,
सर्र्या दुन्या अब्त यखि मिसे ग्याई ।।

कैइ सालों बटे मि अपड़ा गौं नि गाई,
पर गौं पहाड़ का दर्शन यखि कै दींदु ।
गौं पहाड़ कि खुद मेरा भि जिकुड़ि मा,
द्वी आखर लेखिकि यखि तसल्लि कै दींदु ।।

अपड़ा पर्र्या सब्भि इखि जुड्यां छिन,
भितरा कु भैरा कु यखि मीलि जांद ।
गुड मॉर्निंग से लेक़े गुड नाईट तक,
अब सब खुणे रोज यखि बुले जांद ।।

सासु बिचारि अमाणि च खटुला मा,
कुछ वींकु फफराट कुछ अपड़ा दुःख मा ।
अर् दूधा कु पतिला स्यु ह्वै चुल्ह जुगता,
ब्वारि त मगन बणींच फेसबुक मा ।।

चालिस साला कि नौं धनि च ऐंजल,
अर् पचासा कु ब्वाडा प्रिन्स लगाणु च ।
अर् नौनु नकलि भेष धरि कि नौनि कु,
कतगै नौनों थैं स्यु टुपला पैराणु च ।।

ब्वै बिचारि कु सोर कुटुंबदरि का पैथर,
अर् कुटुंबदरि इंनि फेसबुक मा मस्त ।
अर् बबा घुस्युं च नौन्यूं का इनबॉक्स मा,
बल प्लीज़ एक्सेप्ट माई फ्रेंड रिक्वेस्ट ।। (छोरि समझिकि)

छुंयुँ कि न पूछा खूब छरोलि लगीं चा,
नम्बर ले देकि व्हाट्सअप मा मिस्यां छि।
अर् उठ्यां छि अध-अधा रात्युं खुणि,
छैन्दा मनखि स्यु देखा उल्लु बण्यां छी ।।

रोज दिल जुड़ना छि, दिल टुटना छि,
अर् न जाने झणि क्या-क्या हूणु च ।
द्वी नौनों कि ब्वै भाज वे फसबुकिया दगड़,
अर् बबा कपाल पखिड़ि कि रूणु च ।।

©® सर्वाधिकार सुरक्षित- धर्मपाल रावत,
ग्राम- सुन्दरखाल, ब्लाक- बीरोंखाल,
पौड़ी गढ़वाल-246169.

06.08.2015.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Khyali Ram Joshi
 

स्यापोंक किस्मत में आब उ जहर कांछ
जौस मैंस आब बातों बातों में उगइ जांछ

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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अनिल सिंह मेहरा कुमाऊंनी
August 19 at 12:39am ·

आज मेरी भतिजी कोमल को उसके जनम दिवस पर मेरी ओर से ढैर सारी शुभकामनायें व आर्शिवाद ,,

सालो साल यू ही तु जनम दिवस मनाते रहें ,,,

कुन्नू कै जनम दिनोक सह्दय बधै व आर्शिवाद ,,, खुश रयें बल ,, आब के दिनु पै मि त्वैके आज ,, ले एक बाल कविता जस के कै दिनु त्यर लिजी ,,,,,

चंचल चंचल छवि हैं तेरी
मन को मेरे भाती हैं ,,,,

नटखट नटखट तेरी अदायें
याद बहुत ही आती हैं ,,,

तेरी वो अल्लहड़ सी हसी
एक पल में वो रूठ जाना

फिर कुछ पल में हसते गाते
सब कुछ भुला गले लग जाना

तेरी आंखो में बचपन के हजार रंग
यू उन रंगो से मेरा कोरा जीवन रंग जाना

याद बहुत ही आता हैं वो तेरा रूठ जाना

हरपल ये ही चाह हैं मेरी
मुस्कान कभी कम ना हो

हर पल खुशियो से घिरी रहें
पास कोई गम ना हो

तेरे संग रहूंगा हमेशा
बनके तेरी परछाई

अपने मंगल जनम दिवस की
तुझे लाख लाख बधाई

खुश रहें तु हरदम
पास तेरे कोई गम ना हो ....

ये शुभकामनायें तुझे मेरी
आंख कभी तेरी नम ना हो ......

कुंमाऊनी .........( त्यर कक )

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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अनिल सिंह मेहरा कुमाऊंनी
August 17 at 6:41pm ·

हरदौल वाणी के ताजा अंक में मेरी एक छोटी सी कविता को स्थान देने हेतु परम वंदनीय गुरूदेव आदरणीय देवी प्रसाद गुप्ता जी व श्रीमान ललित जी का ह्दय से धन्यवाद व आभार व्यक्त करूंगा ,,,
कुछ पंक्तिया धर्म के झूठे लिबास पर ,, कुछ पंक्तियो नेताओ की दबंगई पर ,,, बाकी आप स्वयं अनुभव करें ,,,,,,, धन्यवाद ,,

अभी नासमझ हूं कुछ और समझ तो आने दो ,,,,,
अभी कच्चा हूं कुछ और पक जाने दो ,,,,

करूंगा मैं भी बातें बडी़ बडी देश बदलने की ,,,
हाथो में कोई राजनैतिक किताब तो आने दो ,,,

करूंगा वादे मैं भी वो ना निभाने है कभी जो ,,,
श्याम बदन पे पहले स्वेत लिबास तो आने दो ,,,

भंरूगा मैं भी तिजोरिया अपनी कस के ,,,
फिर कोई आपदा का सैलाब तो आने दो ,,,

मेरा भी होगा एक दरबार भगवान से मिलाने वाला,,,
तन में पिताम्बर हाथो में पुराण तो आने दो ,,,,

करेगी सरकारे खर्च करोडो़ चन्द गुनेहगारो पर ,,,,
पहले कोई देश में और इक कसाब तो आने दो ,,,

प्रचार करायेंगे विश्व में भारतीय मसालो का ,,,
पहले संसद में एक और सैलाब तो आने दो ,,,,

अभी नासमझ हूं कुछ और समझ तो आने दो ,,,,

अनिल सिंह मेहरा " कुंमाऊनी "

( कमलेख - कौसानी )

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Khyali Ram Joshi
August 15 at 2:00pm ·

नफ़रत नकि छू नि पाओ यकें
मन में खटास छू निकाओ यकें
ना त्यर ना म्यर ना यैक ना वीक
य सब्बोंक भारत छू समाओ यकें

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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अनिल सिंह मेहरा कुमाऊंनी
August 15 at 1:23am ·

आ हम अजाद हैं गिन ,,,,,
क्या हम अजाद है गिन???

आज ले या भुलि बैणियो कै उच्यैणी जा
आ ले आपन घरे ब्वारियो कै फुकी जा

मैस मैसोक विपदा बखत पार
आपन गोठो भतैर लुकी जा ,,,,

नेताओनो राज चल रो आपन जात के लिबैर
मैसे वोट दिहो जानी अदि पवु पि बैर

मिके लागनो हम क्यै लिजी अजाद छन
हम शराब बैचने लिजी अजाद छन
हम एक दूसोर कै थैचने लिजी अजाद छन

पराई भुलि बैणीयो कै नोचनै लिजी अजाद छन
हम करने लिजी ना बस सोचने लिजी अजाद छन

हम आपु बोली भाषा हबै अजाद छन
हम आपु सभ्यता संस्कारो हबै अजाद छन

आपन पुराणी परिवेश परिधान छोड़
पश्चिमी कुसंगती लिजी अजाद छन ,,,

मि तो कुनो हम किले अजाद छन ,,,
ओ अंग्रेजो फिर दोबरा आओ
शिमला वाई हमोर कौसाणी ले रेल पौचाओ

ओ अंग्रेजो फिर दोबार आओ
तुमोर टनकपुर बागसेर लैन सर्वे तुम कै चै रे
किले आदू काम छोडो उकै पुर कर जाओ

ओ अंग्रेजो फिर दुबार आओ
जसिकै गोरखानो कै भजा तुमोल
वूसिकै यो तानाशाह नेताउनकै भजाओ ,,,

तुमोर जाई बै ना क्वी भगत सिंह पैद होई
ना क्वी अजाद बोस ना लाजपत होई

तुमोर जाई बै भारते माताओ कोख मैं
वीरो जनम हुन बंद है गिन
आओ धै एक बार फिर उधम मचाओ ,,,
ओ अंग्रेजो फिर दोबार आओ ,,,,,

धै आई क्वी जनम लियो लक्ष्मी बाई बन बैर
धै आई चूडी वाल हाथो में धार हो तलवार बन बैर

धै क्वी फिर मिलो देश कै लाल शास्त्री जस
धै आई क्वी जनमो आई सरदार पटेल जस ,,,

सिती शेर छू हमोर युवा इनुकै जगै जाओ
आओ अग्रेजो आओ फिर उधम मचाओ ,,,,,

सब दगडियो के स्वतन्त्रा दिवस की बधै ,,,,
आज देश ६८ साल को उमर पार कर गो ,,, आब बुडी गो ,,,, वृद्धा पेंसन लाग गे आब ,,, विकास बुडें चाले वाई चल रो ,,,, आब जबै पहुचो ठिकान पै ,,,,

कुंमाऊनी ( एक स्वतन्त्र टिप्पणीकार )

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Khyali Ram Joshi
August 13 at 12:37pm ·

यादों में कां ढुनणा छा मि कें मी तो मनाक क्वाण में बसी हौंल
चाहतछू अगर मिलणैकि तो हाथ धरो दिल पर मी मिलि जौंल

 

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