हीरो बणि गये हम भैजी की बरात मे
धूपी चसमा पहने थे हमने आधी रात में,
काठा कू कपाल पर रेसमि रूमाल था
ढौंडा कू सि ताल तक निखूल्दा सुलार था,
स्याली एक कूंण से हमे घूर रही थी
दूध की भदौली मे हमे चूर रही थी,
गर्ल्फ्रेन्ड का रोग हमे ऐसा सुहाया
गिचू बटी घूंड तक लार हमने चुवाया,
भारी भीड मे घुसे भितर गोतरा चार मे
किंल्ग बोल्ड हुऐ हम पहले पहले प्यार में,
गोरी गोरी चोंठी पे काला काला तिल था
तिल नही था वे हमारा फूंका हुवा दिल था,
ज्यूड डाली गाल मे बांध दिया किलू पर
भैजी की बरात मे बोख्टया बन्या हम कीलू पर ।