जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
March 22 at 12:50pm ·
म्येरी रचना कू एक अंश,
चोरी जू कर्लु, ह्वे जालु निर्रबंश....
लूथि ब्वोडा ब्वोन्न लग्युं,
तू छैं गधा समान,
मनखि ह्वेक गधा छैं,
किलै कर्दि अभिमान......
म्येरा बोल्यां कू क्वी गधा,
बुरु न माणि जौ,
छौ त अपणु हिछैं तू,
जरा यनै त औ.....
लूथि ब्वोडान चिल्म चड़ाई,
मान्नु लंबी स्वोड़,
हे गधा तू यथैं औ,
मुक्क न अपणु म्वोड़.....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
रचना-1086, 22.3.2017