Author Topic: Kumauni & Garhwali Poems by Various Poet-कुमाऊंनी-गढ़वाली कविताएं  (Read 383239 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बिराणी
हे री तेर देरी ....ऐ बेरी
इत्गा किलै ह्वैग्याई
आंखियुं का आंसू पुछ्दा सुख्दा
जिबन भोळ ह्वैग्याई
हे री तेर देरी ....ऐ बेरी ........
अकुलौ माया
मन माया बाई मा समागैई
लांद, झूटा-फीटा
सऊँ खंद दिटा किलै इन कैरगैई
हे री तेर देरी ....ऐ बेरी ........
झुटि सच्ची स्याणी
कंठि किलै गोठ्याणी काणि
मैंत बोदू बात सोच दिन रात
मुरखू कु संग किलै कैरगैई
हे री तेर देरी ....ऐ बेरी ........
आँखु देखि लाडी
बात कैगे लाटी बुरु ना मानी
जगत की गालि पोट्गी की खाणी
मिथे इन बिराणी ना कैजादि
हे री तेर देरी ....ऐ बेरी ........
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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छुछा
अब तू छुछा दिखेणु नि छै
कख तू छुछा सैगुसै ह्वेगे
द्वि बियां कु चार अनारा
कैगे तू कदगों कु बिमारा
बल तिल खूब कमैई कै छै
तेरु किलै क़ि अब निखंडु ह्वेगे
पहाड़ पिछणे पहाड़ हुलु
क़दगा पिडा लुक्के हुलु
अब तू छुछा दिखेणु नि छै
कख तू छुछा सैगुसै ह्वेगे
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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यखुलू मि
कख लगि हुली मांजी
कख बिरडी हुली
सबेर घास कु ग्याई
मांजी कख हर्ची हुली
क्वी जाण ना
विं की क्वी पछाण ना
कै डालू छैलु बैठी मांजी
रुन लगि हुली
कख कख खोजों विंथे
विं बाण कख रिंटू
थमेंदु नि जिकोडी धकध्याट
विं से कया बोलूँ मांजी
हल मेर इन छिन
कैथे मि जैकी बोलू
बाबाजी मेर छन मांजी
सात समुदर पार
बालकृष्ण डी ध्यानी
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Darsansingh Rawat
 
क्या जी पाई होलु, मिन मुकुट पैनी की।
जिंदगी भलि छै, मेरि बिना ब्यावा की।
क्या जी मिली होलु, मांगल भै लगै की।
ढोल बजी बैंड पर,दारू नि बांटी छकै की।
लगी श्राप दगड़्यू कु, जो नचि बिना पे की।
मैं ए झंजाल छु,फस्यू मि ब्योला बणी की।
सुपन्या स्वाणा देखी,तैंकीमुखड़ी देखि की।
आज मि पछताणू,ऐ जुठा भांडा मंज्या की।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat
March 26 at 11:00am ·
मुखिया बण्या रावत जी, हाल देखो गौं का।
राजा बण्या तुम भै, वोट प्वड़ी मोदी नौं का।
सत्रह साल भैजी, हाल वी छिन पहाड़ों का।
अदला बदली आपस म, नौं बदलेंणा दलों का।
तक भी यख भी मि, तक्या तकी लोग गौं का।
ऐश होणी रूप्यो पर, जो अयां गौं का नौं का।
भैजी फुकि फुकि चली, पिछने लैन म कुर्सी का।
दगड़्या तुमरू वी,जो नि हवाया अपणा गौं का।

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Darsansingh Rawat
 
गौरव पहाड़ो कु, हटमली कूड़ो की तान।
दुःख सुख की दगड़ी,माया म देंदी ज्यान।
पलायन अब डलणू, गाँव म व्यवधान।
भंडि की आश म,भंडि छोड़णा भै इंसान।
विचित्र सी जीवन थै,समझणा भै सम्मान।
सिर उठै खड़ि कूड़ी,बडाणा हमरू मान।

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Darsansingh Rawat
March 27 at 10:54pm ·
गंगा गंगोत्री सी त, चलि यमुना यमनोत्री बटि।
मनखी चलि पहाड़ों बटि, योगी पौड़ी पंचूर बटि।
लगातार ऊदरि लग्यां सब,अपणी जन्मभूमि बटि।
सोचंदु मी कभि कभि,रात ऑख्यों म कटि कटी।
श्राप कि वरदान यु,जो मिल्यु हम थै तपोभूमि बटी।
मिलंदि शिक्षा दिक्षा,चलदा दुन्या बटणौ तक बटि।
देवभूमि व जग्वलणी हम थै भै,रात दिन कटि कटी।
गर्व सदानी होद, ऊंचा नाम निकलणा तक बटि।

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Darsansingh Rawat
March 25 at 11:42am ·
हे पाणी पैलि पुजणु त्वे,अपणु घर बसाण सी पैली।
सौरस्या मुल्क नयु बासु मेरू, सदनी तू दगड़ु कैली।
कमि न करि अपणी गाँव कु,सदनि इनी बगणु रैली।
एक डोर म बंध्या हम आज बटि,दगड़ु मेरू तू देली।
रात बिरात औलु त्वे म,तीस तू म्यरू कुटम्बै बुझैली।
नमन करदु लक्ष्मी रूप म,आशीष सबु थै दीणु रैली।

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Darsansingh Rawat
March 24 at 2:08am ·
रिवाज म्यरू मुलक्या, थौला मेला कौथिग च।
मां बेटी सी सौरस्या भेंट,गैल्यण्यो की दगड़ी च।
मन मीत मिल॔दी,सजेंदी सैंदण कु लीणु दीणु च।
भगवती पूजन म, झुमेला चौफलु की बहार च।
मैना साल म कभी आंद,वक्त यो कौथग्यार च।
नयु पैनणु नयु देखणु, भै कौथिग्या रिवाज च।
दिन रात मेहनत,कौथिग खुशी मनाणो दिन च।

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Darsansingh Rawat
March 25 at 11:42am ·
हे पाणी पैलि पुजणु त्वे,अपणु घर बसाण सी पैली।
सौरस्या मुल्क नयु बासु मेरू, सदनी तू दगड़ु कैली।
कमि न करि अपणी गाँव कु,सदनि इनी बगणु रैली।
एक डोर म बंध्या हम आज बटि,दगड़ु मेरू तू देली।
रात बिरात औलु त्वे म,तीस तू म्यरू कुटम्बै बुझैली।
नमन करदु लक्ष्मी रूप म,आशीष सबु थै दीणु रैली।

 

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