Author Topic: Kumauni & Garhwali Poems by Various Poet-कुमाऊंनी-गढ़वाली कविताएं  (Read 383112 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Subodh Upadhyay
Yesterday at 12:35am · Bangalore

ऊंचा हिमाला मेरो पहाडा,
ठंडो पाणी और बयारा,
कल कल बैणी गाड़ गधेरा,
हरी भरी खिली रै स्यारा।
ऊंचा हिमाला मेरो पहाडा...
आडू बुरासां म्यल फूली रै,
आगो रंगीलो बसंत,
हुडकी नंगाडा बाजणै रेयी,
आ रै त्यौहारों रंगत।
ऊंचा हिमाला मेरो पहाडा....
सैणियां मैसा मग्न हैरी,
मस्त हैरी बुड ज्वाना,
झ्वड चांचरी म्यल लागी रै,
जग जग हिमाला डाना,
ऊंचा हिमाला मेरो पहाडा....
हम बैठिया दूर परदेशा,
आंखों मे आंसू ली बेर,
याद आ जैछा म्यर मुलुका,
रोज हर दिन देर सुबेर॥
ऊंचा हिमाला मेरो पहाडा....

सुबोध उपाध्याय
खुमाड सल्ट अल्मोड़ा
उत्तराखंड

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Gyan Pant
April 14 at 10:51pm

जिम कार्बेट पार्काक् शेर ....

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Darsansingh Rawat
April 16 at 9:05pm ·
खुशी तस्वीर खैंचणा की,दिखणी मुखड़्यो म।
सुखी जीवन त च भै,बस्यु हमारा पहाड़ों म।
आधुनिकता बढ़ण लैगे,अब ए नयु जमनु म।
फांगी पटलि छुटि गी,ऐंटीना लगि गी घरो म।
लहर अगनै बढणा कि,बसी गाँव मनख्यो म।
पैलि सी जिन्दगी,कखि कखि ही च पहाड़ो म।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Darsansingh Rawat
April 18 at 8:24pm ·
कथा सुणादु पहाड़ों की,दैंई होणी ग्यूं की।
दिन गर्मियों का,आफत अयीं च बल्दो की।
हैल भी बल्दो सी, अब बारी ग्यूं मंडेणा की।
किसान ही जणदी भै, अहमियत बल्दो की।
पशुधन सारू हमारू,दगड़ी पुराणी पशु की।
ए म ही भलै हमारी,कदर कैरो भै पशुधन की।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
सासू ब्वारिक वार्तालाप
(ब्वारी आपुण सास कैं धमकौने)
.......................................
सौरज्यू म्यारा भान माजाल,
और चूल लिपेली सास।
कचकच नी कर रंकरा,
बखत एरा यस।
आंग रेशमी साड़ी बिलोजा,
खुट चपल्ला काल।
कसकै हालुं आंग्वे सासू,
त्येर गूबराक डाल।
कसकै काटू घा लाकाड़,
धुर जंगला मांज।
कसकै कमु तेरी जमीन,
कसके पालुं बांज।
कसकै जा मे हांग भीड़ा में,
कसके गोडु खेत।
कसकै फूंकु चूल ओ सासू,
कसके चीरु पेट।
(शेरदा)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Darsansingh Rawat
 
जल ही जीवन च भै बंधौ, खाली बनाई नौन्यालू न।
भ्वरदी खाली पाणी पर ऑखी,काम करी मेनता न।
जल संरक्षण की, कथा लेखि पड़सोली का नौनु न।
उदाहरण बणी बड़ो खुणि,रंग दिखै सामुदायिकता न।
खतेणु पाणी रोकी, पेई पाणी गोर बछुरू बकरो न।
जल की महिमा खूब,समझी भै पड़सोली का नौनु न।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

Darsansingh Rawat
April 22 at 7:35am ·

वक्त मिलदु कभि कभि, समल्योण बणी जांद।
मिलदी जब पुरणा ग्वेर, एक तस्वीर बणी जांद।
लणै झगड़ा छाया कभि,व दगड़ी अब याद आंद।
रैंदा कखि दूर प्रदेशों म,दगड़्यो की भै याद आंद।
पलायन की मार प्वड़ी,कनु यु बिछोड़ करि जांद।
देखदी रैंदा तस्वीर बस,जब जब गाँव याद आंद।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Darsansingh Rawat
 
नाम देवता गदयर,गुजड़ू बिजलोट बूंगी सल्ट पट्टी म।
बगदी अगनै जै कि सल्ट ,राम गंगा मिलंदी मर्चुल म।
जीवनदायी छै कभि, त्यरू पाणी प्वड़दु छा स्यारो म।
बिन सड़की गौं कु बाटु, छाई त्यरा द्वी छोड़ किनरो म।
सूनू बाटु अब च भै,नि रै मनख्यो की आस्था स्यारो म।
इखुली छोड़ी त्वे गैनी, शहर हिटि क त्यरा बाटो म।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Darsansingh Rawat
April 18 at 8:24pm ·
कथा सुणादु पहाड़ों की,दैंई होणी ग्यूं की।
दिन गर्मियों का,आफत अयीं च बल्दो की।
हैल भी बल्दो सी, अब बारी ग्यूं मंडेणा की।
किसान ही जणदी भै, अहमियत बल्दो की।
पशुधन सारू हमारू,दगड़ी पुराणी पशु की।
ए म ही भलै हमारी,कदर कैरो भै पशुधन की।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
चला दगड्या एक दा फिर
हम बालापन मा बौडी जौला
जख भी हर्ची होलू वू बालापन
ओ दगड्या वे खुज्योला
ई भागा दौड मा
ये आधुनिक दौर मा
बालापन की शरारत दोहरौला
चला दगड्या एक दा फिर
हम बालापन मा बौडी जौला
माटक कुड बणेकि
कुडी भाडी खैलियोला
गुड्डा गुडियो क चला
फिर हम ब्यो रचियौला
चला दगड्या एक दा फिर
हम बालापन मा बौडी जौला
काधा मा बस्ता हत मा पाटी लैकि
स्कूलिया बाटू मा जयोला
अपडी ही ककडी मुगरी चुरेकी
लुकछुपी की खैई लियोला
चला दगड्या एक दा फिर
हम बालापन मा बौडी जौला
चला दगड्या चला
गौरम भी जयौला
बडग डालम झूकी खिलला
अर गदन जैकी माछ पकडला
ढनडीयू मा न्यौला
चल दगड्या एक दा फिर
हम बालापन मा बौडी जौला
माचिस फाडी क
पूदड बणोला
झूल्ला गिन्दी बणेकि प खिलला
गौ क उकाल उन्दारियूक बाटू मा
तार पहिया खूब दौडोला
चल दगड्या एक दा फिर
हम बालापन मा बौडी जौला
जख भी हर्ची होलू वू बालापन
ओ दगड्या वे खुज्योला
सर्वाधिकार सुरक्षित @ दीपक नेगी गढप्रेमी

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22