Author Topic: Kumauni & Garhwali Poems by Various Poet-कुमाऊंनी-गढ़वाली कविताएं  (Read 132536 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
हाड माँस का पुतला छा हम
फिर के बातूग अभिमान
माट क परत चढी चा
माटू मा ही मिली जाण
क्या राजा क्या रंक
वक छन सब एक समान
खली हत ऐ छाई
खली हत ही चली जाण
हाड माँस का पुतला छा हम
फिर के बातूग अभिमान
माट क परत चढी चा
माटू मा ही मिली जाण
यू रूपयो क घमंड बातूग
जब रूपया वक नी जाण
खली त ऐ छाई
खली हत ही जाण
हाड मांस का पुतला छा हम
फिर के बातूग अभिमान
माट क परत चढी चा
माटू मा ही मिल जाण ।।
सर्वाधिकार सुरक्षित @ दीपक नेगी गढप्रेमी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कंपनी हवलदार मेजर
पलटन मा रावा तुम
पेशावर क नायक
आज बी अमर तुम
निहत्थों पर जब तुमन
गोळी नी चलाई
अंग्रेजु न तब तुमतै
काळु पाणी लखाई
नरसिंग काल भैरव
अंग्रेजों कुन रावा तुम
गडवळी सिपैयुं क जोश
खुन की उमाल तुम
गडवळी कन हुंद सिपै
अंग्रेजों तै जताई
गडवळी खुन की उमाल
बैर्युं तै दिखाई
हैट पैरी छाती चौडी
कैरिक रावा तुम
देश की अजादी मा
सबसे यैथर सिपै तुम
अंग्रेजु की नींद मा बी
सुपन्यों मा काल तुम
गडवळी सिपैयुं की सांस
आज बी छ्यावा तुम
सौ सैल्यूट सौ सलाम
लखांणा तुमकुन हम
हे बीर गडवळी तुमथैं
शत शत नमनम
पेशावर कांड के नायक बीर चंद्र सिंह गडवाऴी जी के नाम आज का दिन बिशेष रुप से प्रशिद्ध है यैसे योद्धा के लिये समर्पित ये पंक्तिया@लेख सुदेश भट्ट"दगड्या"

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
हाड माँस का पुतला छा हम
फिर के बातूग अभिमान
माट क परत चढी चा
माटू मा ही मिली जाण
क्या राजा क्या रंक
वक छन सब एक समान
खली हत ऐ छाई
खली हत ही चली जाण
हाड माँस का पुतला छा हम
फिर के बातूग अभिमान
माट क परत चढी चा
माटू मा ही मिली जाण
यू रूपयो क घमंड बातूग
जब रूपया वक नी जाण
खली त ऐ छाई
खली हत ही जाण
हाड मांस का पुतला छा हम
फिर के बातूग अभिमान
माट क परत चढी चा
माटू मा ही मिल जाण ।।
सर्वाधिकार सुरक्षित @ दीपक नेगी गढप्रेमी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
सिसक रहा है पहाड
खिसक रहा है पहाड
विकास के नाम पर
खोखला हो रहा है पहाड
कही ड्रील करके पहाड के सीने को
छलनी छलनी किया जा रहा
तो कही डाईनामाईन्ट लगा के
उडाया जा रहा है पहाड
सिसक रहा है पहाड
खिसक रहा है पहाड
विकास के नाम पर
खोखला हो रहा है पहाड
कही डोजर लगा के
कटा जा रहा पहाड
कही पूल बना के
जोडा जा रहा पहाड
सिसक रहा है पहाड
खिसक रहा है पहाड
विकास के नाम पर
खोखला हो रहा है पहाड
साँप सीढी सा सडको का
जाल बिछाया जा रहा है
गाव गाव तक सडको
पहुचाया जा रहा है
सिसक रहा है पहाड
खिसक रहा है पहाड
विकास के नाम पर
खोखला हो रहा है पहाड
पहाड पर दबाव अब
बढता ही जा रहा है
साल दर साल पहाड
दरकता जा रहा है
सिसक रहा है पहाड
खिसक रहा है पहाड
विकास के नाम पर
खोखला हो रहा है पहाड
पहाड के दर्द को
नही कोई समझ रहा
सिसक सिसक के दम
तोड रहा है पहाड
सिसक रहा है पहाड
खिसक रहा है पहाड
विकास के नाम पर
खोखला हो रहा है पहाड ।।
सर्वाधिकार सुरक्षित@ दीपक नेगी गढप्रेमी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Arti Lohani
April 22 at 1:56pm
गुम होते ये खूबसूरत पहाड़,
सीमेंट के जंगलों में तब्दील होते ,
ये खूबसूरत पहाड़.
बर्फ से ढके रहते थे पहले,
अब है वहाँ घास व जंगल
वैश्विक तापमानके बढ़ने से,
रिसते पिघलते ये पहाड़,
मानव के विकास की कीमत चुकाते,
विकास की लालसा की भेंट चडते,
प्रतिस्पर्धा की होड़ में,
भौतिकता की आड़ में,
खत्म होते खूबसूरत पहाड़.
फूलों के पेड़,गुम होते झरने,
गायब होती गौरेया,
पलायन करते ये नन्हें खूबसूरत पक्षी.
पलायन करते भोले-भाले गाँव वासी,
शहरों का चुंबकीय आकर्षण,
या आधुनिकता की माँग,
अब तो याद आते हैं पहाड़ सपनों में,
गुम से लगते हैं ये भी अपनों में,
झरने,पेड़-पोंधे विलुप्त होती नदियां,
भूगोल से नाता तोड़,
इतिहास के पन्नों में जाने को बेकरार,
क्या होगा जब खत्म होंगे पहाड़,
नदियां,हरियाली और ये पशु पक्षी,
क्या होगा जब खत्म हो जायेगी हवा,
बिन पानी,बिन हवा
कैसा होगा जीवन?
©® आरती लोहनी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Darsansingh Rawat
 
वर्दी जरूरी च भै,अब का स्कुल्यो कु।
गुरू जी कु न, इंतजार भोजन माता कु।
बदलेंदा पहाड़ छी, उम्मीद म भला कु।
पट भ्वरेंद प्वटकी,मिलंद खूब खाणा कु।
छुटि पिछनै पाटी,पता ना ब्वलख्या कु। शिक्षा न पैलीसी,स्तर बदले शिक्षार्थी कु।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Darsansingh Rawat
 
कनु जमनु आई,दूर बैठ्या भी दिखेणा समणी।
मिटि जांदी देखि क, नाती पोतो की रणमणी।
छुट्टि म ऑदा छाया,कभि कभि म्यर समणी।
ऐ इंटरनेट सी,छ्वी लगि जांदि समण्या समणी।
अपणी ओ लगांदी, मि कथा लगांदु भै अपणी।
बिरणी सी इखुली जिंदगी, लगंद अब अपणी।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Darsansingh Rawat
April 23 at 7:38pm ·
जल ही जीवन च भै बंधौ, खाली बनाई नौन्यालू न।
भ्वरदी खाली पाणी पर ऑखी,काम करी मेनता न।
जल संरक्षण की, कथा लेखि पड़सोली का नौनु न।
उदाहरण बणी बड़ो खुणि,रंग दिखै सामुदायिकता न।
खतेणु पाणी रोकी, पेई पाणी गोर बछुरू बकरो न।
जल की महिमा खूब,समझी भै पड़सोली का नौनु न।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Darsansingh Rawat
April 23 at 1:24pm ·
नाम देवता गदयर,गुजड़ू बिजलोट बूंगी सल्ट पट्टी म।
बगदी अगनै जै कि सल्ट ,राम गंगा मिलंदी मर्चुल म।
जीवनदायी छै कभि, त्यरू पाणी प्वड़दु छा स्यारो म।
बिन सड़की गौं कु बाटु, छाई त्यरा द्वी छोड़ किनरो म।
सूनू बाटु अब च भै,नि रै मनख्यो की आस्था स्यारो म।
इखुली छोड़ी त्वे गैनी, शहर हिटि क त्यरा बाटो म।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Darsansingh Rawat
April 22 at 7:35am ·
वक्त मिलदु कभि कभि, समल्योण बणी जांद।
मिलदी जब पुरणा ग्वेर, एक तस्वीर बणी जांद।
लणै झगड़ा छाया कभि,व दगड़ी अब याद आंद।
रैंदा कखि दूर प्रदेशों म,दगड़्यो की भै याद आंद।
पलायन की मार प्वड़ी,कनु यु बिछोड़ करि जांद।
देखदी रैंदा तस्वीर बस,जब जब गाँव याद आंद।

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22