Arti Lohani
April 22 at 1:56pm
गुम होते ये खूबसूरत पहाड़,
सीमेंट के जंगलों में तब्दील होते ,
ये खूबसूरत पहाड़.
बर्फ से ढके रहते थे पहले,
अब है वहाँ घास व जंगल
वैश्विक तापमानके बढ़ने से,
रिसते पिघलते ये पहाड़,
मानव के विकास की कीमत चुकाते,
विकास की लालसा की भेंट चडते,
प्रतिस्पर्धा की होड़ में,
भौतिकता की आड़ में,
खत्म होते खूबसूरत पहाड़.
फूलों के पेड़,गुम होते झरने,
गायब होती गौरेया,
पलायन करते ये नन्हें खूबसूरत पक्षी.
पलायन करते भोले-भाले गाँव वासी,
शहरों का चुंबकीय आकर्षण,
या आधुनिकता की माँग,
अब तो याद आते हैं पहाड़ सपनों में,
गुम से लगते हैं ये भी अपनों में,
झरने,पेड़-पोंधे विलुप्त होती नदियां,
भूगोल से नाता तोड़,
इतिहास के पन्नों में जाने को बेकरार,
क्या होगा जब खत्म होंगे पहाड़,
नदियां,हरियाली और ये पशु पक्षी,
क्या होगा जब खत्म हो जायेगी हवा,
बिन पानी,बिन हवा
कैसा होगा जीवन?
©® आरती लोहनी