Author Topic: Kumauni & Garhwali Poems by Various Poet-कुमाऊंनी-गढ़वाली कविताएं  (Read 383004 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Hem Pant
 
ओ रे दगड़ियो , मैं तो रणीं गयू ....
यो वाटसैप देख बेर अड़कसी गयूँ....
क्याप क्याप , विचार बतूनी
नई नई जान पहचान बणूँनी
इनर फोटुक देखो .
आहा कतु भल विदेशो बीडीयो देखो....
हसणीं बहार देखो , रूलूनी विचार ले देखो...
द्यापतक् दर्शन हुनी , गोल ज्यू पुज ले देखो ...
बेई बदरी केदार रिशै गई ...
गँगा जमुना बाड़ लगै गई ..
खष्टी काकी के छाव लाग गो...
आहा कतु भल नरसिंह ज्यू को जागर देखो....
अल्माड़ में घाम लागी रो..
नैनताल में हौल लागी रो...
बागेश्वर में बाघ बौई रो...
लछिया घर कुकुरै पोथी है रो....
कस कस आपदा हुणीं
प्रधान ज्यू शराब पीणीं..
पटवीरी ज्यू को साथ हैरो
यो वीडीयो लै वाईरल हैरो..
खेत बाड़ी गोरुन उजाड़ हालीं...
बची कुची बानरैल खतम कर हालीं..
खाणीं पीणीं होश नी रैगो..
बिरादरी , दोस्ती कथप हरै गो...
दगड़ियो तुम लै वाटसैप बड़ा लियो ...
अपुण ख्वर में बज्जर पड़ै लियो....

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Prakash Satauri
 
बगनी जाँ सौ सौ गंगा, सौ सौ छना हिमाला ।
डाना -डाना में शक्ति ,घट घट में जां शिवाला ।
यो पितृ भूमि मेरी यो मातृ भूमि मेरी ।।
जय देवभूमि जय उत्तराखंड ।।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jogasingh Kaira
 
कल से आगे : आओ रे नानतिनो....
आल्बोखरुक खटाई बनि, मसुरे की दाल
काल भटे की चुर्कानी, झोईक कमाल।
आल मुवो को थेचूवा, भांग डली बाँट
हलुवापूरी खीर मिठाई , कस छन ठाट।
लासणलूण औसीधुसि , भंगीरे चट़ाणि
फैलीं रेछो धनिये की , खूसबू अथाणि।
लाड सुङ्गव पथापाथ, बरपन बर्यात
तिलों को तेला निकल , पिन भरी पर्यात ।
तिज त्यौहार भरी संस्कार , य मेर पहाड़
झन भुलिया रीतीरिवाज, आदर सतकार।jsk

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Gyan Pant
Yesterday at 4:38pm
जिम कार्बेट पार्काक् शेर .....
. एक पुराँणि रचना ..
. बखत
म्यार बौज्यू आल
बिलैत मिट्ठे लाल
ते नि दियूँ
ते नि दियूँ ।
म्यार बाबू आल
शिशी - गोयि लाल
तु घुत्ती खाले
ते घुत्ती दियूँन ।
म्यार डैडी आल
ठुल्ली बन्दूक लाल
ते गोयि ठोकुन शाला ~~
शाला~ ते गोयि ठोकून ।
बिलैंत मिट्ठै --- टाफी , शिशी गोयि --- कंचे
घुत्ती -- अँगूठा

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Gyan Pant
 
जिम कार्बेट पार्काक् शेर .....
के कूँ ....
कूँण जस् के न्हाँ
के सुणूँ ....
सुणूँन जस् के न्हाँ
के देखूँ ....
देखूँण जस् ले
के न्हाँ कौ .......
ततु है बेरि ले
ज्यूँन छै ?
..... के करुँ पैं
दुन्नी
मरण ले काँ दीं
आ्स जगै दीं
जैङिणी चार
उज्याव दिखैं दीं
और
टुक में घाम जस्
पराँण अटकी रुँनीं
यसी कै .....
" अकर " बखत में ले
मनखी (अकर -- कठिन )
मरि - मरि बेरि
दुन्नी मे
ज्यूँन रुनीं । ज्ञान पंत

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Gyan Pant
May 11 at 9:41pm

जिम कार्बेट पार्काक् शेर ......
सबनलै बोट लगैयीं फल लागा्ल कै
आ्ब मैं नि खै सक्यूँ त भाग्यै बात छ ।
बखत'कि त आपणी अलग चाल भै
दगा्ड़ लग्गुवै न्याँत मैं ले लाग्यै भयूँ ।
जब - तबै बात तुमन के सुँणूँ पैं
मनखिन 'कि भीड़ में एकलो रयूँ मैं ।
कभतै दिन - दोफरिै घाम न्है जांछ
यसी कै जिन्दगी 'क रात हुनी रुँछ ।
भल समझौ रत्तै ब्याँण सूर्ज ऐ जां
मनखिय'क ख्वार फिर ले रात पड़ी भै।
कसिक कै दियूँ गौं 'क फाम न्हाँ कै
ढुँङ पाथर मैं कैं धाल लगूनै रुनीं ।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jogasingh Kaira
May 11 at 1:16pm

उपमा अलंकार की महिमा ।
बलाण में गूड़ जसी
ठंडी हवा रुड़ जसी
पीपले छाया जसी
हिरद की माया जसी।1।
आँख की तारी जसी
कन्या कुमारी जसी
प्योली की फूल जसी
अक्ले की मूल जसी।2।
मंद मंद चंठ जसी
कोयलेकि कंठ जसी
मुखड़े की जून जसी
देखिणे की चुन जसी।3।
ह्योने की घाम जसी
पाकिया आम जसी
ठुल घरे चेली जसी
सुनें की बेली जसी।4।
फुले की डाई जसी
ज्ञान गुरु माई जसी
चाल गज राज जसी
कमर बन राज जसी।5।
पाकिया अनार जसी
कौणीं की बाल जसी
कैड़ा फूुल बुरुस जसी
जिंदगी की सांस जसी।6।
दिलेकी सागर जसी
पाणि की गागर जसी
सती सावित्री जसी
धरमें पवित्री जसी।7।
लक्ष्मीक सार जसी
बीणा की तार जसी
इजे की पुकार जसी
ठंडी हवा धार जसी।8।
अकाशकी तार जसी
सालकी त्यौहार जसी
म्हेंण में कुंवार जसी
दिनों में इतवार जसी। 9।jsk

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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तुझ बिन हे हिमालय
जीवन अधुरा अपना है
तेरी गोद मे खेल सकुं
बस यही अपना सपना है
रीसी मुनियों की तपस्थली
गंगा यमुना का उदगम है
तुझ बिन हे हिमालय
अधुरा मानव का जीवन है
तु ही तो है अडिग प्रहरी
सीना ताने मेरे भारत का
श्वैत चादर ओढे हिमालय
तु रक्षक है भारत का
तुझ बिन अधुरा जीवन
पुरे जग मे मानव की
हर रोज लगाता तिलक मै माथे
तेरे पावन चरणों की माटी की
तुझ बिन हे हिमालय
जीवन अधुरा अपना है
तेरी गोद मे खेल सकुं
बस यही अपना ......
अपने आरोहंण दल के समस्त सदस्यों की ओर से आप सभी हिमालय प्रेमियों को सादर समर्पित.... सर्वाधिकार रक्षित@लेख सुदेश भट्ट"दगड्या"

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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आहा आज फिर जिकुडी मा
कन धकध्याट ह्वैगे
गौं की तिबरी डिंड्याल्युं की
कन याद यैगे
रौंत्यालु उलारु भग्यान
हपार म्यार गांव च
बचपन खत्युं जख मेरु
द्याखो कन भग्यान ब्वांग गांव च
जख उलारी सार्युं मा
खत्युं म्यार बाळपन
जुगंल्या पाणी म दीदों
कंटर लेकी जयुं छौ जख हथपन
गोर बी खुब चरैन दीदों
गल्यों की दौंळी बी बटीं छन
कबी झल्ली कबी फडक्या
कबी बाटक आम खुब हिलयां छन
आहा आज फिर जिकुडी मा
कन धकध्याट ह्वैगे
गौं की तिबरी डिंड्याल्यूं की
कन याद....
सर्वाधिकार रक्षित@सुदेश भट्ट"दगड्या"

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जिकुड़ि
जिकुड़ि धड़क धड़क कनि
क्वै कुंन आजा ..... २
झप झपिगे पराणी मेरी
कु लुक्यों ऐ मन का बाटा
जखन तखन सरग गिड़िके
स्यां स्यां (बिजुलि कु धागा) .... २
तड़क झड़क कन फरक कैगे
पाणी का ऐ धारा
रुणन झुणन बिजली बलिगे
उलरि (जिकोडी कु ऐ सांझ).......२
मन कदों कदों कख बिरदी छा.
अपडा मनमा ही लाटा
हिरे-हिरे की बथो आंदि
क्वी औरृ (क्वै की खबर लांदी) ....२
कनु कै ऐ अशांत जी
कन हुलु आज शान्ता
जिकुड़ि धड़क धड़क कनि
कै कुंन आजा ..... २
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

 

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