Jogasingh Kaira
कल से आगे : आओ रे नानतिनो....
आल्बोखरुक खटाई बनि, मसुरे की दाल
काल भटे की चुर्कानी, झोईक कमाल।
आल मुवो को थेचूवा, भांग डली बाँट
हलुवापूरी खीर मिठाई , कस छन ठाट।
लासणलूण औसीधुसि , भंगीरे चट़ाणि
फैलीं रेछो धनिये की , खूसबू अथाणि।
लाड सुङ्गव पथापाथ, बरपन बर्यात
तिलों को तेला निकल , पिन भरी पर्यात ।
तिज त्यौहार भरी संस्कार , य मेर पहाड़
झन भुलिया रीतीरिवाज, आदर सतकार।jsk