Darsansingh Rawat
June 12 at 12:57pm ·
गाँव एक गल्याऊ द्वी,मनखी भी तका का द्वी।
महफिल जमि जांदी भै,जख बैठदा ए भाई द्वी।
मरोड़ प्वटकी पोड़दी, जब लगांदी छ्वी ए द्वी।
दिनराती पता नि रैंदु, कछड़ि म मिलदी जब द्वी।
गाँव इलाका प्रसिद्ध छि,मेरा गौं का भैजी द्वी।
दुआ देवतो सी करदु, रैया सलामत भै ऐ द्वी।