Author Topic: Kumauni & Garhwali Poems by Various Poet-कुमाऊंनी-गढ़वाली कविताएं  (Read 382612 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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यंन ना मिथे तुम देख्यां

(यंन ना मिथे तुम देख्यां
ज्यू से लगै द्यूँलू
तुम थे मि चुरै द्यूँलू तुम भतिक
बल जिकोडि मां लुकै द्यूँलू ) ..... २

(तेर ज्यू से ऐ गैल्या ज्यू मेरु बुलणु च
प्रीत का बैरी लोक मिथे डौर ल्गदु रैंदु च )..... २
थमी ले अंग्वाळ मेरि मि तुम थे संभळ लियुंलूँ
तुम थे मि चुरै द्यूँलू तुम भतिक
बल जिकोडि मां बसै द्यूँलू

यंन मिथे तुम देख्यां
ज्यू से लगै द्यूँलू
तुम थे मि चुरै द्यूँलू तुम भतिक
बल जिकोडि मां लुकै द्यूँलू ..... २

(मठु.. २ आगि दगडी फिनका सिलगया छन
दूर भतेक तुमण ऐ ज्यू थे क्दगा तडपया छन )..... २
मि अब ऐ ज्यू कु सरया ख्वैस गडु द्यूलु
तुम थे मि चुरै द्यूँलू तुम भतिक
बल जिकोडि मां लुकै द्यूँलू

यंन मिथे तुम देख्यां
ज्यू से लगै द्यूँलू
तुम थे मि चुरै द्यूँलू तुम भतिक
बल जिकोडि मां लुकै द्यूँलू ..... २

(माया कि कुछली मां टिप टिपै कि हम फूल भोरी द्यूँलू
बाटों का सरया कांडों थे दूर कैरी द्यूँलू )..... २
मायादार तुम थे अप्डी जान बनें द्यूँलू
तुम थे मि चुरै द्यूँलू तुम भतिक
बल जिकोडि मां लुकै द्यूँलू

यंन मिथे तुम देख्यां
ज्यू से लगै द्यूँलू
तुम थे मि चुरै द्यूँलू तुम भतिक
बल जिकोडि मां लुकै द्यूँलू ..... २

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
 
ओंसिल बून्द
ओंसिल बून्द
ग्लोडि भतेक
टप टप चुनि होली
अंख्यों भतेक
माया विंकी
कया बिगोंणि होली
कब्बि खैल मां ऐकि
छुईं भंडया लगैकि
किलै यखुलि कैजांदी
इन अपड़ी
बिसात बिछे कि
अफ से अजाण कैग्याई
ओंसिल बून्द
ग्लोडि भतेक
टप टप चुनि होली
बालकृष्ण डी ध्यानी
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ओंसिल बून्द
ओंसिल बून्द
जबै ग्लोडि भतेक
टप टप चुनि होली जी
अंख्यों भतेक
वा माया विंकी
आज कया बिगोंणि होली जी
कब्बि खैल मां ले जैकि
भंडया छुईं दगडी लगैकि
यखुलि कै जांद वा
इन अपड़ी
तुक की बिसात बिछे कि
मिथे अफ से अजाण कैजांद वा
ओंसिल बून्द
जबै ग्लोडि भतेक
टप टप चुनि होली जी
बालकृष्ण डी ध्यानी
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हे मेरी बिगर्याळि-नखर्याळि
हे मेरी बिगर्याळि-नखर्याळि
आज (झप्प.. २) किलै की तू आंदि जांदी छा
पैलु दफा मिथे देखि कि ऊ झसकणु तेरु
अब बी याद आणु छा
इतगा अजाण मां वा मिथे पछाण ग्याई
वा म्यळि अंख्याळि कि खुद आणि छा
हे मेरी बिगर्याळि-नखर्याळि
आज (झप्प.. २) किलै की तू आंदि जांदी छा
वा तेरी दंतपंक्ति कि हैंसि उजाळि फिर कैग्याई
जिकोडि मां छाया गैरु अंद्यारू वा दूर ह्वैग्याई
भूम्याळि बणकै ऐई ऐ ज्यू हरयाळू कैगैई
पहाड़ कु ठंडो मिथु पाणि जनि तिस बुझैगैई
हे मेरी बिगर्याळि-नखर्याळि
आज (झप्प.. २) किलै की तू आंदि जांदी छा
बालकृष्ण डी ध्यानी
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मौळन लग्यां छन
मौळन लग्यां छन
सबि कोंगळा पात कुयेडि थे सरके कि
माय कु हुलु पैलु स्पर्श जनु
तू ऐकि ऊनि मि थे बि छू जैई
भूमि का खेल सबि बिगरैल
हैरी भैरी धरती ऊंचा निसा डंडों कि धैल फ़ैल
किलै बग्दी हुलि गदनि सागर का छोर
राति थे छोड़ी कि जन आणि हुलि भोर
ऐठन लगिन्छ सूना की मुंदरी
घंघतोळ मां छ वा चांदी की चदरि
अंजूळ भोरी कि तू बी ऐजा कख भत्ते
ऐ अगास जनि तू मिथे कै जैई
मुलमुल लंगिं चा खित खित कनि चा
सुबेर-ब्योखोंण वा अपड़ी मां लगिं चा
भूम्याळ मयाळ वा मेरी मया भूमि
कुज्याणी क्यपता कख आज ख्वै होली
मौळन लग्यां छन ..................
बालकृष्ण डी ध्यानी
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अस्वाणु मि
अस्वाणु देखि मि मां सबुन
स्वाणु कैल नि देखि जी
फरसि काट दिख जांदी सबु थे
घता कैल नि सैली जी
अंग्वालि ले लेंदु कुई
जौ कुई यख हुंदु क्वी अपडो
बिरणा मुल्का अजाणा लोक छन
हम दगडी कुई पछाण लगा देंदु
कूटण मां गैरी जिंदगी ग्याई
संभली मिल हाथ कुच नि ऐई
रैग्युं सदनी मि गुणत्यालु मां
दैण क्वी कख कब किलै ह्वळु कुई
संगल खोलि दयाल कया कुई
सटकण कु अब मेरु ज्यु करदू
सट-बट मिन खुब कैर कैरी कि
सब गैल्या सम्लोंणया रैगयां जी
अस्वाणु देखि मि मां सबुन ........
बालकृष्ण डी ध्यानी
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ज्यू से लगै द्यूँलू
तुम थे मि चुरै द्यूँलू तुम भतिक
बल जिकोडि मां लुकै द्यूँलू ) ..... २
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तुम थे मि चुरै द्यूँलू तुम भतिक
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तुम थे मि चुरै द्यूँलू तुम भतिक
बल जिकोडि मां लुकै द्यूँलू ..... २
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बाटों का सरया कांडों थे दूर कैरी द्यूँलू )..... २
मायादार तुम थे अप्डी जान बनें द्यूँलू
तुम थे मि चुरै द्यूँलू तुम भतिक
बल जिकोडि मां लुकै द्यूँलू
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आंख्युं कि भाष
आंख्युं कि भाष ,आंख्युं न जाणी
हैंस्दरी कबै वा ,कबै चुळ ..२ पाणि
आंख्युं कि भाष ......
कया.. २ सिखैगे,कया.. २ पढ़ैगे
माया का कदग रिश्त लगे गे
जैल जोड़े वैल जाणी
आंख्युं कि भाष
छप.. २ छपै जांद,घल .. २ घुळै जांद
क़डे दबाई मां
जन वा मिथि सी टॉफी
आंख्युं कि भाष
टप .. २ बिराणो मां,सप.. २ वा अपडों थे
टप - सप टिपै कि
वा अपडा बने कि जांदि
आंख्युं कि भाष
बालकृष्ण डी ध्यानी
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मेरु ज्यू तेरु
मेरु ज्यू तेरु .....मेरु ज्यू तेरु.....तिसू....मेरु ज्यू तेरु
पुरी कब हुलि टप टपैकि ....मेर आसा
मेरु ज्यू तेरु .....मेरु ज्यू तेरु.....तिसू....मेरु ज्यू तेरु
(जब्बि मिन देखि तेथे मेरु ज्यू नि रैगे,मेरु
दे दे अपडो हाथ मेरा हाथों मां कया जालो,तेरु ) ..... २
अब तू ना तोड़ अ.... आसा ...
मेरु ज्यू तेरु .....मेरु ज्यू तेरु.....तिसू....मेरु ज्यू तेरु.
(जिंदगी च मेर एक दाँव , तू हार तू जीत,मेरी
इन विन कन बी तू खेल हम दगडी जन मरजी ,तेरी) ..... २
क्दगा सिधि छे मेर.... आसा....
मेरु ज्यू तेरु .....मेरु ज्यू तेरु.....तिसू....मेरु ज्यू तेरु.
(पता नि कुछो मि ,कया छो मि औरृ कख मिथे, जाण
अपड़ी ऊ कहाणि ज्या अजाण रैकि बणगे, फ़साण) ..... २
जीबन कया छ......तमासु ....
मेरु ज्यू तेरु .....मेरु ज्यू तेरु.....तिसू....मेरु ज्यू तेरु.
पुरी कब हुलि टप टपैकि ....मेर आसा
मेरु ज्यू तेरु .....मेरु ज्यू तेरु.....तिसू....मेरु ज्यू तेरु
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कैन सिलगै गै हुलु
अब की बारी मि यख फिर बिरदीगियूं
यूँ डांडा कांडों मां उजड़दी सरियूं मां आज
रैगे ऐ उमाळ इन सरया सरया साल
ऐई ना कुई यख यूँ को पूछण को हाल
मिथे हाक मारी कैन मि फिर बिरदीगियूं
बालापन कि ऊन टूटी यादों मां आज
देखणा छन सुपनिया सब अपडा अपडा
म्यारा सुपनियूं कि याद कैथे ना आज
देख ऊब उभी हुली कुई मि फिर बिरदीगियूं
विंकी की हेर मां मि कख लुकिगीयू आज
कण बरख नि होली ऐ निरबैगी बरखा
ऐ सौंण भादो मां कैन सिलगै गै हुलु आग
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