Author Topic: Kumauni & Garhwali Poems by Various Poet-कुमाऊंनी-गढ़वाली कविताएं  (Read 131277 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कण भाग

कण भाग माण मेरु
कण दुओड़ तन मेरु
ऊँचा पहड़ छुडकी मेरु
कण भाग भग्या मेरु
कण भाग माण मेरु ...............

हे हीमाला हे माया भुमी
ऊँचा कैलाश को थाना
है बद्री हे केदार बाबा
जुग जुग बाटी तेरु बखान
कण भाग माण मेरु ...............

गो गुल्युओं का मेरु रटाण
बाटा सड़की छुड़ कखक भगण
मन परदेस मा कखक लगण
टका की माया भुलंह अब सब भूलहण
कण भाग माण मेरु ...............

बीता दीणु की लगी रैन
बरखा बरसी अन्ख्न्युं का घेण
ये परदेस मी यकुली यकुली रैण
बाबा भुली बौई की याद अब बस आईण
कण भाग माण मेरु ...............

कण भाग माण मेरु
कण दुओड़ तन मेरु
ऊँचा पहड़ छुडकी मेरु
कण भाग भग्या मेरु
कण भाग माण मेरु ...............

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
ओ इज्यु मेरि! कस अंधेर है गोओ इज्यु मेरि! कस अंधेर है गो
जाड़ बठी टुक तलक
 संत्री बठी, प्रधानमंत्री तलक
 सबै झुट्ठै – झूट बोलनी
 जत्तू है सकें, तत्तुक बोलनी
 साच्ची बोलना में फटकार मिलनी
 झुट्टी बोलानाकि पुरस्कार मिलनी
 कस देस है गो, कस समय ऐ गो
 ओ इज्यु मेरि! कस अंधेर है गो
शिक्षित कूनी जैसि चोरि करनि ऊनी
 नि करि  सकि जबत उई अनपढ़ कूनी
 स्वाभिमान न आत्म-सम्मान राखनी
 दुई डबल खातिर सब बेचि खानी
 न संस्कार न संस्कृतिक मोल राखनी
 नांगै रूनी, सबकै नांगै देखनी
 कस सब्यता कस समाज है गो
 ओ इज्यु मेरि! कस अंधेर है गो



Poem By - Mohan





एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
गढ़वाली  पट्ट
                      भैलो ऱे भैलो
भैलो   -  भैलो  - भैलो
चरखी सि घुमिलो
 भैलो  ऱे  भैलो .
 
क्य क्य खैलू,
छक्वला - पक्वला , खीर  ,
अर कखड़ी रैलु.
 
जनि जैलू , तनि ऐलू
भैलो ऱे भैलो - भैलो भैलो .
 
बग्वाल  मा भैलो ,
इगास मा  भैलो
भैलो मा भैलो ,
भैलो ऱे भैलो .
 
हैंका बरस, फिर एलो .
सब्बू  तै बग्वाल मा,
भ्वरी भ्वरी देलो .
 
भैलो ऱे भैलो .
 
खुशहाल रावत ,मुंबई

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
पहाड़ मा

धरु - धारौं मा - नेतौं की

गौं-गौं मा - आपदौं की

दफ्तरौं मा - सरकरी फईलौं की

घर -घरौं मा - उन्दु रडदा बेरोज्गरौं की

सैण-बज़ारौं मा - नेपली डुटीयलौं की

बिलोक मा - टवटगी बिगास योजनौं की

गाड - गद्नियों मा - भ्रष्ट परियोजनौं की

राजधानी मा - बारामषी झूठी घोषणऔं की

जिला कार्यालय मा - निकज्जू  और क्वलण - कुम्च्यरौं

कट्गल लग्यीं चा !

 

आभार : श्री गीतेश सिंह नेगी जी को ब्लॉग

http://geeteshnegi.blogspot.com/

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
गेवाड़
गेवाड़ की सान रामगंगा,जाँ देवाताउक थान छा.
अगनेरी की माईथान, जो बनानी एक  महान छा.
 लखनपुर कतुरी राजा जो गेवाड  सान छा,
मासी बतिक चौखुटि तक, जाँ हरी भरी सार छा .
हे ! मेरा गेवाड़क देवताओ तुमुकं हमर परणाम छा.
मासी का भूमियाँ देवा जो भक्तुक भगवान छा.
कृपा करिया हे !   गेवाड तू  हमरी  शान छा.....

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
 ”पर्वतीय महिलाएं”
 
आज भी दम तोड़ती हैं,
घास काटते हुए’
जब फिसल जाता है पैर,
पहाड़ी ढलान पर,
और गिर जाती हैं,
गहरी खाई में.
 
 जंगलों में,
जंगली जानवरों के हमले से,
विषैले सांपों के काटने से,
पेड़ों की टहनी काटते हुए,
पेड़ से गिरने से,
कहीं पेड़ों को छूते,
बिजली के तारों द्वारा,
करंट लगने के कारण,
हो जाती है अकाल मृत्यु,
पर्वतीय महिलाओं की.
 
प्रसव पीड़ा में,
घायल अवस्था में,
अस्वस्थ होने पर,
उत्तराखंड सरकार की,
१०८ एम्बुलेंस सेवा,
राहत प्रदान करती है,
जो एक सार्थक प्रयास है,
पर्वतीय महिलाओं  और,
सभी  के लिए.
 
रचनाकार: जगमोहन सिंह जयारा “ज़िग्यांसू”
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
ग्राम: बागी-नौसा, चन्द्रबदनी, टेहरी गढ़वाल
E-mail: j_jayara@ yahoo.com

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
“गैरसैण..गैरसैण”
   
बैरा नि छौं सुण्यालि,
दीक्षित साबन देखा,
कनु बुरु करयालि,
आँख्यौं मा.. ऊंका भी,
लोण मर्च धोळ्यालि,
गैरसैण कतै ना,
यनु भी देखा..बोल्यालि.

चर्चा होंणि धार खाळ,
मन मा औणा छन ऊमाळ,
उत्तराखंड की राजधानी,
गैरसैण..गैरसैण…
छबीला गढ़वाल अर्,
रंगीला कुमाऊँ मा,
यनु बोन्ना छन लोग,
उत्तराखंड की राजधानी,
गैरसैण..गैरसैण…

Copyright@Jagmohan Singh Jayara”Zigyansu”…

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
“ज्वानि का बाद”
औजि ब्वडा कू ढोल बजि,
तब पैटि थै बारात,
लगि लंगट्यार, पौणौं की,
ज्वानि की छ या बात….

बामण दादान मंत्र पढिन,
तब ह्वै थान फेरा,
ब्योलि कू थौ, मुक्क ढ़कैयुं,
खुशि थै मन मा मेरा…..

दगड़्यौन खाई दारू माशु,
ब्यो का दिन की बात,
ब्योलिन लिनि बचन मैसि,
निभौणु होलु साथ……

जिंदगी की, गाड़ी अग्वाड़ि,
ज्वानि कू जोश,
कुजाणि कब, बितिगी सारी,
अब औणि छ होश….

बितिगी अब, सुणा हे दगड़्यौं,
अब छ गधा चाल,
भारी छ बितणी,
“जिज्ञासू” कू कवि मन,
पौंछ्युं छ, वे छबीला गढ़वाल….


(सर्वाधिकार सुरक्षित,उद्धरण, प्रकाशन के लिए कवि,लेखक की अनुमति लेना वांछनीय है)
जगमोहन सिंह जयाड़ा “जिज्ञासू”
ग्राम: बागी नौसा, पट्टी. चन्द्रबदनी,
टेहरी गढ़वाल-२४९१२२
निवास: संगम विहार, नई दिल्ली
13.9.२००९, दूरभास:9868795187
E-Mail: j_jayara@yahoo.com

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
“होलु क्वी दगड़्या”
धार ऐंच बैठ्युं, दगड़्यौं का दगड़ा,
स्कुल्या दिनु की, बात बतौणु,
क्वांसु होयुं होलु, मन भी वैकु,
बचपन याद, करि करिक,
होलु अफुमा खोणु.

औणि होलि, याद वैकु मेरी,
गौं कू बाटु, हेरी हेरी,
हे दगड़्या तू, कख होलि लठ्याळा,
याद औणि छ तेरी.

ऐजा लठ्याळा, हमारा गौं मा,
काखड़्यौं की लबद्यारि,
मुंगरी पकिग्यन, छकि छक्कि खौला,
भैन्सि ब्ययीं छ हमारी.

दूर परदेश, बिराणा मुल्क,
या छ होईं लाचारी,
बौळ्या बणिक, दिन भर भागा,
या छ जिंदगी हमारी.

बग्त बदली, मन भी बदली,
ऊ दिन याद मा ख्वैगि,
मै जना दगड़्या, कुजाणि कख होला,
ऊंकू मन भी, क्वांसु हवैगि.

Copyright@Jagmohan Singh Jayara”Zigyansu”

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Bharat Lohani
अपुणे गौं गाड़ेकी बात, परदेश में ऊनी याद

आलूक थेच्छय़ू प्याजक पुड़पूड़ी
काकड़क रेत मूअक साग
मुंगेकि मुंगोड़ी माशेकि बड़ी
कावपट्ट चुणकाणी लसपस भात
इज खोची खोची खवे दिछि
जिबड़ीक म्यरा बड़ मिजाज
अपुणे गौं गाड़ेकी बात, परदेश में ऊनी याद

जोश्ज्यूका का काकड़ लझोड़
बिस्टज्यू को आड़ूक बाग
पन्त्ज्यू का पूलम नि छोड़
नेगिज्यूका खेतम पड़य़ू उजाड़
दिन भर म्यरा रोंते में कटी जाछि
भोते भल छि हो म्यरा ठाटबाट
अपुणे गौं गाड़ेकी बात, परदेश में ऊनी याद

भीजी शिसूण हाथम दंड
महेश मास्सेप भोते खतरनाक
चुलगम मेल चिपकाय कुर्सी में
चप से चिपक गयी मास्साप
सब नान्तिनुले दोड़ लगे दे
भूभी कूटिगो घुस्स लात
अपुणे गौं गाड़ेकी बात, परदेश में ऊनी याद

घटेकी घर घर द्यारे कि सर सर
पल भाखेयी कुकुरोक टीटाट
शिटोवे कि चू चू बिरावे कि म्यू म्यू
पार तली गाड़क सरसराट
डरक मारी हगभराछी
ब्याव पड़ी सुण बागक घुरघुराट
अपुणे गौं गाड़ेकी बात, परदेश में ऊनी याद

ओ रुपली शौज्यूकी चेली
दिन रात रिटछ्यू त्यर आसपास
नि के सकियू आपुणे मनेकी
तुगे देख म्यर लकलकाट
खुबे नाँचीयूँ द्वी ढक्कन पिबेर
जब मोहनदा लायीं त्यार घर बरात
अपुणे गौं गाड़ेकी बात, परदेश में ऊनी याद

कां रेगो गौं कां रेगे गाड़
कां रेगो काफल कां तिमिल्क पात
कां रेगे रुपली कां ऊक फरफराट
कां रेगेंयी दगड़ू कां उनर बोयाट
रात अधरात क्याप जस लागों
गाव् भरी जां, आँख भिज जानि
जब ऊँछी गौंकी परदेश में याद
अपुणे गौं गाड़ेकी बात, परदेश में ऊनी याद
भारत लोहनी

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22