Author Topic: Learn Kumaoni & Garhwali - सीखे कुमाऊनी और गढ़वाली (मी उत्तराखंडी छौ) के साथ  (Read 12769 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मी उत्तराखंडी छौ!!!!

August 22 at 10:33am ·

जनकवि गिरदा की पुण्यतिथि पर 'मी उत्तराखंडी छौं ' पन्ने की और से सन्देश [ गढ़वाली - कुमाऊँनी - हिन्दी में ]

गढ़वाली :

"जैंता एक दिन ता आलू उ दिन ये दुनी में" जना क्रांतिकारी बोलों का रचनाकार गिरीश तिवाड़ी उर्फ़ गिर्दा की आज पुण्यतिथि च। गिर्दा मात्र एक कबि ही ना बल्कि एक लेख्वार, नाटककार, राज्य आन्दोलन कर्मी अर समाज सेवक बी छाई,चिपको आन्दोलन मा उन्की भी एक मुख्य भूमिका छाई।आवा आज सर्र्या राज्य मीलिक वा अमर कबि ते नमन कारा। [अनुवाद :निखिल उत्तराखंडी ]

कुमाऊँनी:

"जैंता एक दिन ता आलू उ दिन ये दुनी में" जस बोलोन क रचनाकार गिरीश तिवारी उर्फ़ गिर्दा क आज पुण्यतिथि छ। गिर्दा मात्र एक कवि नि थ्या बल्कि एक लेखक, नाटककार, राज्य आंदोलनकारी और समाज सेवक ले थ्या। चिपको आंदोलन मा उनरी एक मुख्य भूमिका थी। आवो आज पूरो राज्य मिलिबेर वी अमर कवि कै नमस्कार करनू। [ अनुवाद हिमांशु करगेती]

हिन्दी:

"जैंता एक दिन ता आलू उ दिन ये दुनी में" जैसे कन्र्तिकारी बोलों के रचेयता गिरीश तिवारी उर्फ़ गिर्दा की आज पुण्य तिथि है। गिर्दा मात्र एक कवि नहीं बल्कि एक लेखक,नाटककार,राज्य आन्दोलन कर्मी और समाज सेवक भी थे,चिपको आन्दोलन में उनकी भी एक अहम् भूमिका थी। आइये आज सारा राज्य मिलकर उस अमर कवि को नमन करें।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कुमाऊनी सन्देश:

देवभूमि उत्तराखंड अपण जाग में देखन लायक जाग छ, यैकि सुन्दरता भक्तिकि तरफ आकर्षित करछी, वही शक्ति दिछी अर मन कै शांति दिछी.. आवौ ये चित्रावली क माध्यम ले यसे कुछ चित्रोन है परिचित हुनू... आवौ प्रवेश नौटियाल जी अर उनार कैमराक नज़रोनले देख्नू...

गढ़वाली सन्देश:

देवभूमि उत्तराखंड अपण आप मा दिखण वोळ जगा च. यैकि सुन्दरता भक्तिsक तरफ आकरसित करदी, उखी शक्ति दीन्द अर मन मा शांति परदान करदी.. आवा कुछ फोटुओ क दगडी परिचित हवे जोला यी चित्रावली क माध्यम सेे.. आवा द्याखा प्रवेश नौटियाल जी अर उकी कैमर क नज़र बटी

हिन्दी सन्देश:

देवभूमि उत्तराखंड अपने आप में दर्शनीय स्थल है, इसकी सुन्दरता भक्ति कीओर प्रेरित करती है, वही शक्ति देती हैऔर मन को शांति प्रदान करती है... आइये ऐसे कुछ चित्रों से रूबरू होते है इस चित्रावली के माध्यम से... आइये देखे प्रवेश नौटियाल जी कीऔर उनके कैमरे की नज़र से

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मी उत्तराखंडी छौ!!!!
 

उतरायणी, खिचड़ी संग्रांद, घुघ्त्या [ शुभकामना - कुमाऊनी, गढवाली व् हिन्दी में ]

कुमाऊँनी

मकर संग्रांत त्यार देसाकि अलग-अलग जागान मा अलग-अलग नामँले जाणयो जांछ अर अलग-अलग तरीकन है भौत झर-परले मनायो जांछ. या त्यार कै हमर उत्तराखंडाक कुमाऊँ मंडल मा "उतरैणी" क नामले मनूनान् अर गढ़वाल मा येस पूर्वी उत्तर प्रदेशाक जन "खिचड़ी संग्रांत" या स्थानीय नाम "मकरैण" क नामाले मनानान्। कुमाऊँ मा येस "घुघुतिया" ले बुआलनान। यो दिन यक गुड़ मिल आटो है यक खास परकारक पकवान "घुघुत" बणायो जाँछ। यैक कारण ही कुमाऊँ मा मकर संग्रांत कै उतरैणीक दगाड़ घुघुतिया ले ब्वालनान। रात्त ही नारंगी, तलवार, दाड़िमाक फूल, डमरू, जलेबी आकाराक घुघुत, बड़न है बणि माला पैरीबेर छुआट बच्च "काले कौआ काले घुघुतिया माला खाले।" "ले कौवा बड़ा , मुकु दिजा सुनै-को घड़ा।" "ले कौवा तलवार , मुकु दिजा भॉल भॉल परिवार।"आदि कुनान। छत मा कौवा खिन घुघुत राखनान अर उनहै घुघुत खान खिन बुलुनान।
आप सबन कै यस पावन त्यारेकि भौत-भौत सुबकामना!
[अनुवाद - हिमांशु करगेती]

गढवाली

मकर सक्रांति कु त्यौहार देस का अलग अलग जगों मा अलग अलग नामों से जणे जांद अर् अलग अलग तरीका से भोत धूम धाम से मने जांद। ये त्यौहार ते हमर उत्तराखंड क कुमाऊँ मंडल मा "उत्तरायणी" क नाम से मनंदीन। अर् गढ़वाल मा येथे पूर्वी उत्तर प्रदेश को जन "खिचड़ी सग्रांद" या स्थानीय नाम "मकरैण" को नाम से मनंदीन।. कुमाऊँ मा येथे "घुघतिया " बी ब्वल्दीन। येका कारण ही कुमाऊँ मा मकर सक्रांद ते उत्तरायणी को दगड़ी घुघतिया बी ब्वल्दी ये दिन एक खास परकार कु पकवान "घुघुत" बणये जांद।सुबेर ही नारंगी, तलवार, दाड़िम क फूल, डमरू, जलेबी आकारा क घुघुत, बडा बटी बणि माला ते पेरी की छुटट नॉन बाल गंदीन "काले कौआ काले घुघुतिया माला खाले।" "ले कौवा बड़ा , मुकु दिजा सुनै-को घड़ा।" "ले कौवा तलवार , मुकु दिजा भॉल भॉल परिवार।" छत मा कौवों कुण घुघुत रखदिन अर ऊँते घुघुत खाण कु बुलादीन।
आप सब्ब्यों ते ये पावन त्योहारे की हार्दिक सुबकामना छन !
[अनुवाद - निखिल उत्तराखंडी]

हिन्दी

मकर संक्रान्ति का त्यौहार देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नाम, तरीके से और बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्यौहार को हमारे उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल में "उत्तरायणी" के नाम से मनाया जाता है तथा गढ़वाल में इसे पूर्वी उत्तर प्रदेश की तरह "खिचड़ी संक्रान्ति" अथवा 'मकरैण' के नाम से मनाया जाता है। कुमाऊं में यह त्यौहार 'घुघुतिया' के नाम से जाना जाता है। इस दिन गुड़ मिले आटे से एक विशेष प्रकार का व्यंजन 'घुघुत' बनाया जाता है जिस कारण कूमाऊं में मकर संक्रान्ति को ऊत्तरायणी के साथ साथ घुघुतिया के नाम से ज्यादा जाना जाता है। प्रातः ही नारंगी, तलवार, दाड़िम के फूल, डमरु, जलेबी आकार के घुघुत, बड़े से बनी माला पहनकर छोटे बच्चे "काले कौआ काले घुघुतिया माला खाले।" "ले कौवा बड़ा , मुकु दिजा सुनै-को घड़ा।" "ले कौवा तलवार , मुकु दिजा भॉल भॉल परिवार।" आदि कहते हैं। छत में कौओँ के लिए घुघुत रखते हैं और उनको घुघुत खाने के लिए बुलाते हैँ।
आप सभी को इस पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनायें!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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November 9, 2014 ·

उत्तराखंड स्थापना दिवस पर शुभकामनायें गढवाली - कुमाऊँनी - हिन्दी में

गढ़वाली:

आज हमरि देवभूमि ते एक राज्य का रूप मा बण्या १४ बरस ह्वे गे नी. ये बीच भिन्डी राजनैतिक उथल पुथल ,आर्थिक परेसानियों अर् कई भयंकर प्राकृतिक आपदाओं ते झेलिकी बी हमरी ये जलमभूमि अडिग च,निडर च अर् प्रगतिशील च.
सब्बी रैबासियों ते हमरी देवभूमि उत्तराखंड का चौदवो स्थापना दिवसे की भोत भोत सुब्कामना !

कुमाऊँनी:

आज हमरि देवभूमि कै एक राज्यक रूप मा बणिबेर १४ बरस ह्वै ग्यान. येहै बीच कई राजनैतिक उथल पुथल, आर्थिक परेसानिन अर कई भयंकर प्राकृतिक आपदान कै झेलि बेर ले हमरि ये जनमभूमि अडिग छी, निडर छी अर प्रगतिशील ले छी.
सबै राज्यवासिन कै हमरि देवभूमि उत्तराखंडाक चौदवों स्थापना दिवसैकि भौत भौत सुबकामनां !

हिन्दी:

आज हमारी देवभूमि को एक राज्य के रूप में अस्तित्व में आये हुए पूरे १४ वर्ष हो गए. इस बीच कई राजनैतिक उथल पुथल,आर्थिक समस्याओं और कई भयावह प्राकृतिक आपदाओं को झेलते हुए भी हमारी यह जन्मभूमि अडिग है ,निडर है और प्रगतिशील है.
सभी राज्य वासियों को हमारी देवभूमि उत्तराखंड के चौहदवे स्थापना दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएँ !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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[ अध्याय १९ ] भाग -९ कुछ शब्द और वाक्य प्रयोग
~पौणे - दावत - Party से संबन्धित वाक्य ~
[गढ़वाली- कुमाऊँनी,- हिन्दी -अंगरेजी]
१. चला भात खाणा कुण
१. आ हो भात खान खिन जानूँ
१. आओ दावत खाने चले.
1. let's go and eat[rice] in party

२. ब्यो बारात मा पौणे खाणा कु आनंद त आंद ही चा पर पंडो नचणा कु मज़ा ही कुछ और चा
२. शादी ब्या मेँ दावत खानाक आनंद त ऊणूइ छ अर नाचणाक ले मजा कुछ औरे हुँछ.
२. शादी ब्याह मे दावत खाने का आनंद तो आता ही है लेकिन 'पंडो' नाचने मे मज़ा ही कुछ और है
2. in marriages we love eating food but enjoyment of dancing [pando] is something else.

३. ब्यो मा झर फर भलु लगदू
३. ब्या ले झर-फर,भोते भाल लगुन
३. शादी कि भीड़ बहुत आनंदित करने वाली लगती है
3. The crowed of wedding seems to delightful

४. 'ब्यो', 'नामकरण', 'मुंडन' जन शुभ अवसर पर पौणे कु रिवाज च.
४. 'ब्या' 'नवान', 'मुंडन',आदि कै लैगे शुभ अवसर मेँ दावत को रिवाज छ.
४. शादी , नामकरण , मुंडन जैसे शुभ अवसरों पर दावत का आयोजन किया जाता है.
4. In marriages, naming ceremony, Mundan like ocassion we through parties.

५. पैली ता सरयूल बणान्दा..छाई खाणु अजक्याल हलवाई बनन्दीन।
५. पैली त सरयूल बनूँथ्या खानो अच्याल हलवाई बणूनान।
५. पहले तो सरयूल बनाते थे खाना, आजकल हलवाई बनाते है ।
5. In yesteryear a special cook known as SARYOOL used to cook the rice , now the task is done by halwaai's .

६. अचकाल त पोणे क खाणा होटल मा बणदू वैमा पलक तरां लखड़ो मा बन्यू खाणsक स्वाद कख च.
६. अच्याल त दावत को खाण होटल मेँ बणछ जैमेँ पैलीक लकाड़ान क चूल मेँ पकाइनाक खाण जस स्वाद काँछ.
६. आजकल तो दावत का खाना होटल मेँ बनता है जिसमेँ पहले की तरह लकड़ी के चूल्हे मेँ बनाये गये खाने सा स्वाद कहाँ!
6. Now a days food for party is cooked in hotel, but it does not have the taste as it is used to be food cooked in wooden fire.

७. घार- गौं माँ आज भी ''पत्तल '' मा और'' पंगत '' म बैठि कि खये जांद.
७. घर- गौं माँ आज लैगै ''पत्तल '' मेँ अर ''पंगत'' मा बस बेर खाये जाँछ.
७. गाँव में आज भी पंक्तिबद्द बैठकर ..पत्तल में परोसा जाता है।
7. All people sit in a queue called ''pangat ' and their plates are made of leaves called ''pattals '', food is served in these pattals .

८. पैली सबी मिल जुली कन भेर गोल्लेई मा बैठी की बड़ा तोल्यू मा बणयूं खाणा खंड छयाई जे मा बहुत स्वाद हूंद छयाई.
८. पैली सबै जन मिल जुलि बेर आँगन मेँ गोलकै बस बेर गुड़ तौलान मेँ पाकिनाक दाल-भात खान भ्या जैमेँ भौते स्वाद थ्यो
८. पहले सभी लोग मिलजुल कर आँगन मेँ गोलाकार पंक्ति मेँ बैठ कर बड़े तौलोँ मेँ पके खाने को खाते थे जिसमेँ बहुत स्वाद था.
8. Earlier people used to sit in round and eat the food which was made in Big Vesels, it used to be tasty.

९. पौणे मा अपड़ा - वीराणा सबी मिल जन्दिन, सब्युन का हाल -चाल पता चैल जन्दिन.
९. पौणे मेँ अपन - पराय सब्बै मिलि जानान, सबक खबर - बात मिल जाँछी.
९. दावत में अपने - पराये सभी मिल जाते हैं, सब के हाल चाल मालूम हो जाते हैं .
9. We meet all the kith and kin in the party and whereabouts of all people can be ascertained

१०. ब्यो कि दावत मा न्यूतेरों(करीबी रिश्तेदार) को स्वागत खे ब्यो से पैली एक दिन हूंद !
१०. ब्याकि दावत 'पौण पाछि' कै स्वागत खिन ब्या है एक दिन पैली हुँछि !
१०. विवाह के भोज में न्यूतेर (करीबी रिश्तेदार ) के स्वागत हेतू विवाह से एक दिन पहले का दिन निर्धारित होता है
10. In a wedding function one day prior to the marriage is allotted for the welcoming of 'nyuter' close realtives.

( हिमांशु करगेती जी एवं निखिल उत्तराखंडी का धन्यवाद अनुवाद हेतू )

उत्तराखंड की भाषा आप ते अपना संस्कृति क दगड़ जुडदी!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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क्रांतिकारी चन्द्र सिंह गढ़वाली जी का जयंती २५ दिसम्बर कुण श्रदा सुमन
[ गढवाली कुमाऊँनी हिन्दी में ]

~गढवाली में ~

भारतीय इतिहास मा चन्द्र सिंह गढ़वाली ते पेशावर कांड क नायक का रूप मा याद करे जांदु। २३ अप्रैल १९३० कुण हवलदार मेजर चन्द्र सिंह गढवाली का नेतृत्व मा रॉयल गढवाल राइफल्स क जवानों ना भारत क आजादी कुण लडन वॉल निहत्था पठानों पर गोली चलाण से इन्कार कर दे छ्याई। बिना गोली चलायां, बिना बम फट्या पेशावरमा इतना बड़ू धमाका हवेगयाई छ्याई कि एकाएक अंग्रेज भी खौंले गीं....... नमन हमर उत्तराखंड क यीं महान हस्ती ते!!!!

~कुमाऊँनी में ~

भारताक इतिहास मा चन्द्र सिंह गढ़वाली कै पेशावर काण्डाक नायकाक रूप मा याद कियो जांछ. 23 अप्रैल 1930 को दिन हवलदार मेजर चन्द्र सिंह गढ़वालीक नेतृत्व मा रॉयल गढ़वाल राइफलाक जवानन ले भारतीय आज़ादीक खातिर लड़न व्ल निहत्थ पठानन पर गोली चलून है इनकार कर हाल्यो थ्यो. बिन गोली चलाया, बिन बम फोड़या पेशावर मा इतुक बड़ धमाको भ्यो कि अंग्रेज ले अचानक आश्चर्य मा रै ग्या थ्यान... नमन हमर उत्तराखंडाक यस महान हस्ती कै.

~हिन्दी में ~
भारतीय इतिहास में चन्द्र सिंह गढ़वाली को पेशावर काण्ड के नायक के रूप में याद किया जाता है. 23 अप्रैल 1930 के दिन हवालदार मेजर चन्द्र सिंह गढ़वाली के नेतृत्व में रॉयल गढ़वाल राइफल के जवानो ने भारतीय आज़ादी के लिए लड़ने वाले निहत्थे पठानों पर गोली चलाने से इनकार कर दिया था. बिना गोली चले, बिना बम फोड़े पेशावर में इतना बड़ा धमाका हुआ कि अंग्रेज भी अचानक से हक्के बक्के रह गए थे . नमन हमारे उत्तराखंड के इस महान हस्ती को.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दीपावली ۩ஜ▬▬●ஜ۩ बग्वाल ۩ஜ▬▬●ஜ۩ की शुभकामना गढ़वाली/कुमाऊँनी/हिन्दी में


۩ஜ▬▬●ஜ۩ गढवाली ۩ஜ▬▬ ●ஜ۩

सब्बी उत्तराखंडी दगडियो अर समस्त भारतवासियों ते बग्वाले को पावन त्योहारे की भोत भोत बधै ! लक्ष्मी माँ आपक घौर मा बरकत लैई ,सम्पन्नता लैई ,आप सब्ब्यों ते भलु राखी अर ये पिरेम अर आदर को भाव सदन्नी बणे राखी . राज्य को उत्थान अर बिकास माँ हम सब्बी ,कै न कै तरीका से सहयोग दीं . राज्य का मन्खिओं मा आपसी सौहार्द अर पिरेम को संचार ह्वा .

۩ஜ▬▬●ஜ۩ कुमाऊँनी ۩ஜ▬▬●ஜ۩

सबै उत्तराखंडी दगड़ियन, सदस्यन व समस्त भारतवासिन कै दीपवाली क पावन त्यारैकि भौत भौत सुबकामना। माँ लक्ष्मी आपुक घौर मा अन्न धन बरसालि , सुख समृधि ल्याली, आप सबन कै स्वस्थ राखलि अर आप मा स्नेह आदरको भाव सदा बना रखलि।राज्य को उत्थान अर बिकास खिन हम सब के न के रूप मा सहयोग ले द्याल। याक दगाड़ प्रभु ले प्रार्थना छी कि राज्यक लुखन मा आपसी सौहार्द्र रये अर परस्पर प्रेमको संचार हौ

۩ஜ▬▬●ஜ۩ हिन्दी ۩ஜ▬▬●ஜ۩

सभी उत्तराखंडी मित्रो सदस्यों व समस्त भारतवासियों को दीपवाली के पावन त्यौहार पर हार्दिक शुभकामनायें। माँ लक्ष्मी आपके घर धन धान्य बरसाए, सुख समृधि लाये, आप सभी को स्वस्थ रखे और आप मे स्नेह आदर का भाव सदा बनाए रखे। राज्य के उत्थान और विकास के लिए हम सब किसी न किसी रूप मे सहयोग दे साथ ही प्रभु से प्रार्थना है कि राज्य के लोगो मे आपसी सौहार्द्य बने एवं परस्पर प्रेम का संचार हो।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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नरेंद्र सिंह नेगी जी जन्मदिन मुबारक हो .. सन्देश कुमाऊँनी / गढ़वाली /)

कुमाऊँनी:

उत्तराखंडाक सुप्रसिद्ध लोकगायक श्री नरेंद्र सिंह नेगी ज्यूक जन्मदिन पर हम सबै उनु कै बधाई एवं शुभाकांनाए दिनु । श्री नेगी ज्यू ली अपन गीतो और गायकी ल उत्तराखंडेकी संस्कृति कै जन जन तक पौंचा और उनेरी आवाजेली देश विदेश मे बसी सबै उत्तराखंडियो क मन मे हमेशा अपनी मातृभूमि /जन्मभूमि क प्रति लगाव पैदा करि रा। आज हर उत्तराखंडी उनर आभारी छ और जन्मदिन हुनी उनेरी लंबी उमर और स्वस्थता की कामना करों।

गढ़वाली:

उत्तराखंड का सुप्रसिद्ध लोकगायक श्री नरेंद्र सिंह नेगी जी क जन्मदिन पर हम सब उते बधेई अर शुभाकांना दीणा छवाँ। श्री नेगी जी न अपर गीतूँ अर गायकी क दगड़ी उत्तराखंडे की संस्कृति तै जन जन तक पौंछाई और उंकी आवाजन देश विदेश मे बस्या सबी उत्तराखंडियो क मन मा हमेशा अपनी मातृभूमि /जन्मभूमि क प्रति लगाव पैदा करि। आज हर उत्तराखंडी उंकों आभारी च और जन्मदिन पर उंकी लंबी उमर और स्वस्थता की कामना करदू।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मी उत्तराखंडी छौ!!!!
August 10, 2014 ·

रक्षाबंधन पर सन्देश (हिन्दी-गढ़वाली-कुमाउंनी )

रक्षा बंधन के अनोखे त्यौहार की सारे उत्तराखंडियो को अनेकों शुभकामनाएं. आशा करते हैं कि हर आने वाले नए पर्व में भाई और बहन के बीच का प्रेम और अगाढ़ और अटूट बने .

गढ़वाली :

रखड़ी को अनोखो त्योहारे कि सब्बी उत्तराखंडियो ते भोत सुबकामना. उम्मीद करदो कि हर आण वलू त्योहार को दगड़ी भै अर् भुली को मधे प्रेम हौर गहरु अर अटूट हुयां.

कुमाऊंनी
रक्षा बंधनाक अनोखो त्यारै कि सबै उत्तराखंडियो कै भौत सुबकामना. आसा करनू कि हर ऊन्य वाल नइय पर्व में भाया अर बैणिक बीच को प्रेम और गैरो अर अटूट बनोल.

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अमर शहीद श्री देव सुमन जी की पुण्यतिथि पर सन्देश [ कुमाऊंनी - गढ़वाली- हिन्दी मा]-https://www.facebook.com/meeuttarakhandi

~कुमाऊंनी~

लोकतंत्राकि स्थापनाक लिजि ८४ दिनून तक आमरण अनशन करन वाल अमर शहीद श्री देव सुमन ले २५ जुलाई १९४४ कै अपण परान त्याग दियान। श्री देव सुमन को जनम २५ मई १९१४ मा टिहरीक बमुन्द पट्टी कै नोल गौं मा श्री हरिराम बडोनीक यां भ्यो थ्यो। वीन टिहरी रियासत मा देसाकि आज़ादीक दगाड़ राजशाहीक अभिसाप है मुक्त करान खिन लगातार आन्दोलन चलायान। ३० दिसम्बर १९४३ कै उनस चंबा मा पकड़ि बेर टिहरी जेल मा बंद करद्यो ग्यो। वाँ उनस भौत परकाराकि यातनाँ दी गैनी। जाँ वीन यस संसार है अलबिदा कयो .... मी उत्तराखंडी छौं पन्ना कि तरफ बठे यस उत्तराखंडाक सपूत कै उनारी पुण्यतिथि मा श्रद्धा सुमन अर्पित छन। [ अनुवाद हिमांशु करगेती]

~गढवाली~

लोकतंत्र की स्थापना का वास्ता ८४ दिनों तक भूख हड़ताल कन वला सिरी देव सुमन को २५ जुलाई १९४४ मा देहांत ह्वे। सिरी देव सुमन को जलम २५ मई १९१४ मा टीरी का बमुन्द पट्टी को नोल गों मा सिरी हरिराम बडोनी को घौर ह्वे। वूंल टीरी रियासत मा देसा कि आज़ादी का दगड़ी अपर क्षेत्र ते राजशाही को अभिशाप बीटी मुक्त कराणा का वास्ता लगातार आन्दोलन चलेइ। ३० दिसंबर १९४३ मा वून्ते चंबा मा गिरफ्तार कैरिक टीरी जेल मा कैद केर दे ग्ये। वख वून्ते बिंडी परकारा का कष्ट दिए गीं। वखी वूंल अपरी आखिर साँस लेइ।"मी उत्तराखंडी छौ" पन्ना की ओर बीटी उत्तराखंड का ये अमर सपूत ते वेकि पुण्यतिथि का उपलक्ष मा भावभीनी श्रद्धांजलि ! [अनुवाद निखिल उत्तराखंडी ]

~हिन्दी ~

लोकतंत्र की सथापना के लिए ८४ दिन तक आमरण अनशन करने वाले अमर शहीद श्री देव सुमन ने २५ जुलाई १९४४ को अपने प्राण त्याग दिए. श्री देव सुमन का जन्म २५ मै १९१४ में टिहरी के बमुन्द पट्टी के नोल ग्राम में श्री हरिराम बडोनी के यहाँ हुआ था. उन्होंने टिहरी रियासत में देश की आज़ादी के साथ साथ राजशाही के दंश से मुक्त कराने के लिए निरंतर आन्दोलन चलाये. ३० दिसम्बर १९४३ को उनको चंबा में पकड़ कर टिहरी जेल में बंद कर दिया गया .वहाँ उन्हें कई प्रकार की यातनाये दी गयी. जहाँ उन्होंने इस संसार से अलबिदा कहा .... मी उत्तराखंडी छौं पन्ने की और से श्रद्धा सुमन इस उत्तराखंड के सपूत की पुण्यतिथि पर.

 

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