Author Topic: Learn Kumaoni & Garhwali - सीखे कुमाऊनी और गढ़वाली (मी उत्तराखंडी छौ) के साथ  (Read 12800 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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प्रीतम जी जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें " मी उत्तराखंडी छौं " पेज क सभी सदस्यों की तरफ से।
>>>>>>गढ़वाली कुमाऊँनी में सन्देश<<<<<<<<

~कुमाऊँनी~:

उत्तराखंडाक सुप्रसिद्ध लोकगायक व जागर सम्राट श्री प्रीतम भर्तवान ज्यूक जन्मदिन पर हम सबै उनु कै बधाई एवं सुबकामनाए दिनु । श्री प्रीतम ज्यू ली अपन गीतो और गायकी ल उत्तराखंडेकी संस्कृति कै जन जन तक पौंचा और उनेरी आवाजेली देश विदेश मे बसी सबै उत्तराखंडियो क मन मे हमेशा अपनी मातृभूमि /जन्मभूमि क प्रति लगाव पैदा करि रा। आज हर उत्तराखंडी उनर आभारी छ और जन्मदिन हुनी उनेरी लंबी उमर और स्वस्थता की कामना करों।

~गढ़वाली~:

उत्तराखंड का सुप्रसिद्ध लोकगायक व जागर सम्राट श्री प्रीतम भर्तवान जी क जन्मदिन पर हम सब उते बधेई अर सुबकामना दीणा छवाँ। श्री प्रीतम जी न अपर गीतूँ अर गायकी क दगड़ी उत्तराखंडे की संस्कृति तै जन जन तक पौंछाई और उंकी आवाजन देश विदेश मे बस्या सबी उत्तराखंडियो क मन मा हमेशा अपनी मातृभूमि /जन्मभूमि क प्रति लगाव पैदा करि। आज हर उत्तराखंडी उंकों आभारी च और जन्मदिन पर उंकी लंबी उमर और स्वस्थता की कामना करदू।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड जरुर आये [ सन्देश कुमाऊँनी - गढवाली - हिन्दी में]
[तस्वीरे - प्रवेश नौटियाल जी के कैमरे से ]

~कुमाँऊँनी ~

उत्तराखंड मा आपदा है नुकसान त जरूर पुज्यो पर वांकि सुंदरता, वांका डाणा, वांका गाड़ा खेता, वांक प्रेम उविमें फैलि आध्यात्मिक महक आज लेगै आपकुण बुलुण लागरैछि.... थ्वाड़ चित्र प्रवेश नौटियाल जी कै कैमरा कि नजर बठे.... महसूस करया अर यैक आनंद ल्हीण खिन जब मौका मिलल उत्तराखंड जरूर आया... [अनुवाद : हिमांशु]
~गढवाली~
उत्तराखंड मा आपदा से नुक्सान ता जरूर पुहुच्यु च पर वेकी सुन्दरता ,वेका डांडा ,वेक बौण,वेका पुंगड़ा-डोखरी, वेकी माया, वेम फैलीं अध्यात्मिक महक आज बी आपते धै लगाणी च। कुछ चित्र प्रवेश नौटियाल जी को कैमरा बिटी ...महसूस कारा अर एको आनंद लीणा कुण उत्तराखंड जरूर जयां जब बी मौका मिललू। [ अनुवाद: निखिल]

~हिन्दी ~

उत्तराखंड में आपदा से नुकसान तो जरुर पहुंचा लेकिन उसकी सुन्दरता, उसके पहाड़, उसके जंगल, उसके खेत खलिहान, उसका प्रेम उसमे फ़ैली अध्यात्मिक महक आज भी आपको बुला रहे है .... कुछ तस्वीरे प्रवेश नौटियाल जी के कैमरे की नज़र से .... महसूस कीजिये और इसका आनंद लेने उत्तराखंड जरुर जाए जब मौका मिले.

https://www.facebook.com/meeuttarakhandi

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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रक्षाबंधन पर सन्देश [ गढवाली - कुमाऊंनी - हिन्दी में ] https://www.facebook.com/meeuttarakhandi

गढ़वाली [अनुवाद - निखिल ]

भारतीय संस्कृति मा बिस्वास को बंधन ही मूल च और रक्साबंधन ई बिस्वास को बंधन च। ये त्यौहार केवल रक्षासूत्र को रूप मा राखी बांधिक रक्सा को वचन ही नि दींदु बल्कि पिरेम,समर्पण ,निष्ठा व संकल्प को जरिया दिलों ते बंधणा को बी वचन दींदु। रक्सा बंधन भै भूली तक ही सीमित नी च पैली बी नी छा, बल्कि मुसीबत को बखत मा अपरी रक्सा खे या कै हौर की आयु अर आरोग्य की वृद्धि खे कैथे बी रक्षा सूत्र बंधे जांदू छा या भिजे जांदू छा।
'मी उत्तराखंडी छौं' पन्ने कि तर्फ बटी सबै उत्तराखंडाक भै बैणो अर सबी भारतवासियूँ ते भौत-भौत सुबकामनां।

कुमाऊँनी [अनुवाद - हिमांशु]

भारतीय परम्परा मा विश्वासो को बन्धन ही मूल छ अर राखीक त्यार येस्सै विश्वासोको बन्धन छ। यो पर्व खाली रक्षा-सूत्राक रूप मा राखी बाँधिबेर रक्षा को वचन ही न दिन बल्कि प्रेम, त्याग, निष्ठा व संकल्पाक जरियले हृदयों कै बाँधनाक ले बचन दिछ। रक्षा बन्धन भै-बैणिन तक ही सीमित न्हातिन पैल ले नी थ्यो, बल्कि विपत्ति ऊना बखत अपणि रक्षा खिन या कैकि उमर अर स्वास्थ्य की वृद्धि खिन कैसै लैगै रक्षा-सूत्र (राखी) बांध्यो या भेजो जानि भयो।
'मी उत्तराखंडी छौं' पन्ने कि तर्फ बठे लैगै सबै उत्तराखंडाक भै बैणिन कै अर भारतवासीन कै भौत-भौत सुबकामनां।

~हिन्दी ~

भारतीय परम्परा में विश्वास का बन्धन ही मूल है और रक्षाबन्धन इसी विश्वास का बन्धन है। यह पर्व मात्र रक्षा-सूत्र के रूप में राखी बाँधकर रक्षा का वचन ही नहीं देता वरन् प्रेम, समर्पण, निष्ठा व संकल्प के जरिए हृदयों को बाँधने का भी वचन देता है। रक्षा बन्धन बहन-भाई तक ही सीमित नहीं है पहले भी नही था, अपितु आपत्ति आने पर अपनी रक्षा के लिए अथवा किसी की आयु और आरोग्य की वृद्धि के लिये किसी को भी रक्षा-सूत्र (राखी) बांधा या भेजा जाता था/है।
'मी उत्तराखंडी छौं' पन्ने की ओर से सभी उत्तराखंडियो के भाई बहनों को एवं भारतवासियों को बहुत बहुत शुभकामनायें

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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स्वतंत्रता दिवस की बधाई [ सन्देश गढ़वाली कुमाऊँनी एवं हिन्दी में ] https://www.facebook.com/meeuttarakhandi

~गढ़वाली~

लमडीकि-रैड़ीकी, लड़खड़ेकी- संबलेकी, हौर कुजाण कतका असान अर कठिन पड़ावों बिटी हीटिक अद्द्धि राती मा बण्यू ये देस सदियों को संघर्ष का बाद लिई आजादी को आज ६७ साल पूरा होणा को जसन मनाणू च।
हमरा सब्बी राज्य वासी अर देस वासियों ते स्वतंत्रता दिवसे की भोत भोत बधै!

~कुमाऊँनी~

लोटना फोटना, लड़खड़ाबेर संभलिबेर अर न जान कतुका सिद कठिन पड़ावन है गुजरिनाको को अद्द रात खिन पैद हुईनाक यो देस कई सालन कै कठिनाई बाद आजादी ल्हिनाक ६७ साल पुर हुनाको जसन मनूणो छ।
हमर सबै राज्यवासिन अर देस वासिन कै स्वतंत्रता दिवसैकि भौत भौत बधै।

~हिन्दी~

गिरत-पड़ते,लडखडाते-सँभलते, और न जाने कितने आसन कठिन पड़ावों से गुजरते हुए आधी रात को जन्मा यह राष्ट्र सदियों के संघर्ष के बाद ली गई आज़ादी के आज ६७ साल पूरे होने का जश्न मना रहा है।
हमारे सभी राज्य वासियों और देश वासियों को स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाईयाँ।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बाबा मोहन उत्तराखंडी की पुण्यतिथि पर सन्देश [ कुमाऊँनी - गढवाली - हिन्दी में ] अपनी टिप्पणी भी उन्ही भाषाओ में लिखने का प्रयास करे - धन्यवाद https://www.facebook.com/meeuttarakhandi

~कुमाऊँनी~

९ अगस्त २००४ कै बाबा मोहन उत्तराखंडी ले अपणि अंतिम साँस ल्ही ..... उनारि सहादत कै हम नी भूलन द्यां।
१९४८ मा पैद होइनाक मोहन जी १९७० मा बंगाल इंजीनियर मा भरती भ्यान लेकिन १९९४ मा नौकरि छोड़बेर उन पृथक राज्यक आन्दोलन मा कूद ग्या। २ अक्टूबर कै रामपुर तिहारे मा हुइनाक घटना है उनले जनमभरि बाल, दाड़ी नि काटनाकि कसम हालि। ११ जुलाई १९९७ कै राज्य व राजधानी गैरसैंण खिन पैल अनशन सुरू कर्छ। १३ बेर उनले आमरण अनशन करि उनले पहाड़स एक करन में ले अहम भूमिका निभैछि। नवंबर २००० मा जब उत्तराखंड बन्यो पर गैरसैंण राजधानीक स्यून पूर न भ्यो .... येक थें उनले २ जुलाई २००४ कै दुबार आमरण अनशन सुरू कर द्यो ... ३७वां दिन ८ अगस्त कै कर्णप्रयागाक तहसीलदार द्वारा जबरदस्ती सी एच सी मा वू भरती भ्यान जां उनले रात मा अपण परान छोड़ि दियान।
उत्तराखंडाक यस महानायकस 'मी उत्तराखंडी छौं' पन्ना अर हर उत्तराखंडी सलाम करछ अर हमेसा याद रखल। [ अनुवाद - हिमांशु करगेती ]

~गढवाली~

९ अगस्त २००४ मा बाबा मोहन उत्तराखंडी न अपिर आखिर सांस लेइ ।
वूंकी सहादत ते हम कबि बी बिसर नि सकदा। १९४७ मा जन्मा मोहन बाबा १९७० मा बंगाल इंजीनिअर मा भरती ह्वेइ पर १९९४ मा नौकिर छोडिक एक अलग राज्य को आन्दोलन मा सामिल ह्वे गीं। २ अक्टूबर मा रामपुर तिराहा की घटना का बाद वूंल सर्र्या जीवन लट्वला ,दाढ़ी न कटाणा की सौगंध खैइ। ११ जुलाई १९९७ मा अलग राज्य अर राजधानी गैरसैंण खे पहलु अनसन सुरु कारि। १३ बार आमरण अनसन कैरिक वूंल अपर पहाड़ ते एक कन मा बी अहम् योगदान देइ। नवम्बर २००० मा जब उत्तराखंड राज्य बणे पर गैरसैंण राजधानी को सुपिन्या पुरु नि ह्वेइ ,तब वूंल येका बाना २ जुलाई २०००४ मा फिर से आमरण अनसन सुरु कैरी। ३७ वा दिन ८ अगस्त मा कर्णप्रयाग तहसीलदार द्वारा जबरदस्ती सी एच सी मा भरती करे गीं, जख राती वूंल अपर पराण त्याग दीं।
उत्तराखंडाक ये महानायक ते 'मी उत्तराखंडी छौं' पन्ना अर हर उत्तराखंडी सलाम करदू अर हमेसा याद राखल [ अनुवाद - निखिल उत्तराखंडी ]

~हिन्दी ~

९ अगस्त २००४ को बाबा मोहन उत्तराखंडी ने अपनी अंतिम साँस ली ..... उनकी सहादत को हम भूलने नही देंगे.
१९४८ में जन्मे मोहन जी ने १९७० में बंगाल इंजीनियर में भरती हुए लेकिन १९९४ में नौकरी छोड़ वे पृथक राज्य के आन्दोलन में कूद गए. २ अक्टूबर को रामपुर तिहारे में हुई घटना से उन्होंने आजीवन बाल, दाढ़ी न काटने की शपथ ली। ११ जुलाई १९९७ को राज्य व राजधानी गैरसैंण के लिए पहला अनशन शुरू किया. १३ बार उन्होंने आमरण अनशन कर उन्होंने पहाड़ को एक करने में भी अहम भूमिका निभाई. नवंबर २००० में जब उत्तराखंड अस्तित्व में आया लेकिन गैरसैंण राजधानी का सपना पूरा नही हुआ .... इसके लिए उन्होंने २ जुलाई २००४ को पुन: आमरण अनशन शुरू किया ... ३७वेँ दिन ८ अगस्त को कर्णप्रयाग तहशील द्वारा जबरदस्ती सी एच सी में भरती किया जहा रात्रि में उन्होंने इस दुनिया से अलविदा कह दिया. उत्तराखंड के इस महानायक को 'मी उत्तराखंडी छौं' पन्ना एवं हर उत्तराखंडी को सलाम करता है और हमेशा याद रखेगा.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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इनसे मिलिए - श्री सच्चिदानंद भारती [ संक्षिप्त परिचय कुमाऊँनी - गढ़वाली - हिन्दी में - बाकी पहली टिप्पणी में हिन्दी में ]

~कुमाऊँनी~ [ अनुवाद : हिमांशु करगेती ]

इनर दगड़ मिल यो छन 'दूधातोली लोकविकास संस्थान' क संस्थापक श्री सच्चिदानंद भारती [रिटायर्ड मास्टर] जिनूनले एक-द्वी नै बल्कि 136 गौँओन मा पानी कै बचूनैकि अर बढ़ूनैकि योजना कै नतिजो तक पुजायो. चिपको आंदोलनाक सिपै सच्चिदानंद भारतील लोगोनकै सहयोगलै उइ काम कर दिखायो जै लाखो करोड़ों रुपैनकि सरकारी योजनाँ नी कर सक्थ्या. चिपको आंदोलनाक दगाड़ भारती सुरु बठे जुड़ीनाक थया। लेकिन जब उनले जंगल बचूनैकि योजनाक दगाड़ पानीक योजना लैगै जोड़ दी त सालोँ बठे पुरान सूखिनाक धारोँ मा दुबारा पानीक बहार ऐ गै।

~गढवाली ~ [ अनुवाद _ महेंद्र सिंह राणा ]

इनू दगड़ी मिला यूं च दूधातोली लोकविकास सस्ंथानक सस्ंथापक श्री सच्चिदानंद भारती जी ( सेवानिवृत्त शिक्षक ) जिनोन यक-द्वि ना बल्कि १३६ गौं मा पाणि तें बचोण अर बढ़ोणक मुहिम तें अंजाम तक पौंछाई। चिपको आन्दोलनक सिपै सच्चिदानंद भारतीन जनसैभागिताक आधार पे वु काम कैर दिखै जु काम लाखों-करोड़ों रुपयोंक सरकारी योजना भी नि कैर सकदी। चिपको आन्दोलन दगड़ी पैल दिनों बटी भारती जुड़्या रया लेकिन वुनोन जब बौण बचौणक मुहिमा दगड़ा-दगड़ी पाणि भि जोड़ी द सालुं पुराणा सुख्यां पाणि मोड़्याsणों मा भि पाणि फुटण लगी।

~हिन्दी~

इनसे मिलिए ये हैं 'दूधातोली लोकविकास संस्थान' के संस्थापक श्री सच्चिदानंद भारती [ शिक्षक, रिटायर्ड] जिन्होंने एक-दो नहीं बल्कि 136 गाँवों में पानी के संरक्षण और संवर्द्धन की मुहिम को अंजाम तक पहुँचाया है. चिपको आंदोलन के सिपाही सच्चिदानंद भारती ने जनसहभागिता के आधार पर वो काम कर दिखाया जो लाखो करोड़ों रुपए की सरकारी योजनाएं नहीं कर पातीं. चिपको आंदोलन से शुरुआती दिनों से भारती जुटे हुए थे लेकिन जब उन्होंने जंगल बचाने की मुहिम के साथ जल को भी जोड़ दिया तो वर्षो पुराने सूखे जलस्रोतों में फिर से जलधाराएं निकल पड़ीं.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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धन्यवाद सन्देश [ कुमाऊँनी, गढवाली व् हिन्दी में ]  https://www.facebook.com/meeuttarakhandi

~कुमाऊँनी~

यो पेज बणा राखथ्यो २००९ मा यस सोच बेर कि हम एक्कै मंच है उत्तराखंडाकि भाषान कै सिखला एक दगाड़ - एक सरल तरिकाले - पढ़ूंला लिखूंला समझूँला सिखूँला सिखाला. तबै असल उत्तराखंडी हुन महसूस करला ( सैद वी समय सिर्फ एक्क योयी पन्नो थ्यो फेसबुक मा ). उम्मीद छी क्वे दगड़ियोँ ले फैद त उठायो हुनो. होय आज पसंद कर्न वालान् कि संख्या - ८००० + ह्वै गैछी क्वे प्रचार प्रसार कै बगैर.... या पन्ना कै सबै सदस्यन को आभार जू आप यस पन्ना है जुड़या, जुड़या रयान अर पसंद करना रयान.... तहे दिल बठे धनेबाद..

~गढवाली~

यूं पन्ना बणे छयाई २००९ मा यो सोचिकन कि हम एक मंच बटी उत्तरखंडे की भासाओ ते सिखला दगडी - एक आसान ढंग से - पढ़ला, लिखला, समझला, सिखला अर सिखौला. तबी हम अफू ते असली उत्तराखंडी महसूस करला. [ सेत वे वक्त यूं अकेला पन्ना छयाई]. उम्मीद च कि कुछ सदस्यों न फ़ैदा उठे हवालो. हाँ आज ये पन्ना क सद्स्योक संख्या ८००० + वू भी बिना प्रचार प्रसार क. ये पन्ना क सबी सदस्यों कू आभार जू आप लोग जुडेन, जुड्या रेन अर पसंद करना रेन - दिल बटी आपक धन्यवाद....

~हिन्दी ~

यह पेज बनाया था २००९ में इस सोच के साथ कि हम एक मंच से उत्तराखंड की भाषाओ को सीखंगे एक साथ - एक आसान तरीके से - पढेंगे लिखेंगे समझेंगे सीखेंगे सिखायेंगे. तभी असली उत्तराखंडी महसूस करेंगे ( शायद उस समय केवल यही एक पन्ना था फेसबुक में ). उम्मीद है कुछ फाइदा मित्रो ने उठाया होगा. हाँ आज इसकी संख्या - ८००० + हुई बिना किसी प्रचार प्रसार के.... इस पन्ने के सभी सदस्यों का आभार जो आप इस पन्ने से जुड़े, जुड़े रहे और पसंद करते रहे .... तहे दिल से धन्यवाद....

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हरेला की शुभकामना कुमाऊँनी, गढ़वाली व् हिंदी में - साथ ही प्रार्थना है उत्तराखंड के लिए.https://www.facebook.com/meeuttarakhandi

कुमाऊँनी: सबै उत्तराखंडियूं कै हरियाव त्यारेकि भौत भौत बधे अर शुभकामना!!! उसिक तो हरियाव साल मै ३ बखत मनाई जां लेकिन सौन महिनाक एक पैट हनी मनानी त्यार भौते उत्साह ली मनाई जां । हरियाली जस सुखद और खुसी जिनदगी हो , यस आशीर्वाद ठुल बुजुर्ग लोग परिवार जानो कै दिनी .. । अफु सबै लोगो को यक बार फिरि शुभकामना!!

गढ़वाली: सबी उत्तराखंडियूं ते हरेला त्योआर की बौत बौत बधे अर शुभकामना!!! उन त साल मा 3 बगत मने जांद पर सौण मेन क एक गति कुण मने जाणवॉल बिंडी उत्साह से मनये जांद। हरियाली जन सुखद अर खुसी राव, इन आशीर्वाद बड़ बूढ़ लोग दिंदिन कुटुंबदरी क लुखों ते। आप सब्यु ते एक बार फिर शुभकामना!!

हिन्दी: हरेला के शुभ अवसर पर सभी उत्तराखंडियो को बधाई एवं शुभकामनायें। वैसे तो हरेला साल मे तीन बार मनाया जाता है लेकिन सावन माह के एक गते को मनाया जाने वाला यह त्यौहार अधिक उत्साह से मनाया जाता है। हरियाली जैसा सुखद अहसास एवं खुशियो भरा जीवन हो येसा आशीर्वाद बड़े बुजुर्ग परिवार जनो को देते है ...... आप सबको पुन: शुभकामनायें!!!!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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एक चर्चा चित्र पर न जाए उस बात को देखे जो उन्होंने कही ---- [ विषय गढ़वाली, कुमाऊँनी और हिन्दी में दिया है कृपया इन्ही में अपनी बात रखे ] https://www.facebook.com/meeuttarakhandi

गढ़वाली - डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह न पिछल मंगल्बारा कुण ब्वाल कि वूं क १५०० अनुयायी उत्तराखंड आपदा मा विधवा हुयां बिठलो क दगड ब्यो करण कु तैयार छन ..... आप लोग क्या सुचदिन एक उत्तराखंडी हूणा क नाता ?

कुमाऊँनी - डेरा सच्चा सौदाक प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह ले पछिल मंगलबार खिन सूचित कर हालछी कि वांक १५०० अनुयायी उत्तराखंड आपदा मा विधवा ह्वैग्यान औरतन खिन ब्या करन खिन तैयार छन। एक उत्तराखंडी हुनाक नाताले आप कि सोचछा? [ अनुवाद हिमांशु करगेती ]

हिन्दी - डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह ने पिछले मंगलवार को घोषणा की है कि पंथ के 1500 अनुयायी उत्तराखंड आपदा में वि‍धवा हो चुकी महिलाओं से शादी के लिए तैयार हैं। एक उत्तराखंडी होने के नाते आप लोग क्या सोचते है ?

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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एक सन्देश [ गढ़वाली - कुमाऊँनी - हिन्दी ]https://www.facebook.com/meeuttarakhandi

(गढवाली )


उत्तराखंड मा ईन भयंकर आपदा मा कुजाण कथका नुक्सान हवे हवालो - गौ क गौ बोगी गीन, कथका जीवन चली गीन ... यी घड़ी मा लोग तन मन से सेवा मा जुट्या छन. उत्तराखंडी त एक मिसाल बनी गीन... सेना त सदेनी अपर कर्तव्य निभांद. कुछ लोग अर संस्था भी तन मन धन से सेवा कारज मा लग्या छन. 'मी उत्तराखंडी छौं' पन्ना आप सबी लुखो ते सलाम कर दू.

(कुमाऊँनी ) -
उत्तराखंड मा यस भयानक आपदा मा पत्तो नै कतुकाक नुकसान भ्यो ह्वालो. गौँआक गौँ बगि ग्याइ, कतुका जीवन न्है ग्याइ - यस घड़ी मा लोग तन मन बठे सेवा मा जुट्या छन, उत्तराखंडी यक मिसाल बणि ग्यान. सेना अपण कर्तव्य हमेसा निभैछी... क्वे लुख अर संस्था ले तन मन धन बठे यस सेवा काम मा लग्या छन - 'मी उत्तराखंडी छौं' पेज इन सबन कै सलाम करछ। [ अनुवाद - हिमांशु करगेती ]

(हिन्दी) -

उत्तराखंड में इस भयंकर आपदा में न जाने कितना नुकसान हुआ होगा. गाँव के गाँव बह गए, कितने जीवन चले गए - इस घड़ी में लोग तन मन से सेवा में जुटे है, उत्तराखंडी एक मिसाल बन गए है. सेना अपना कर्तव्य सदा निभाती है... कुछ लोग और संस्थाएं भी तन मन धन से इस सेवा कार्य में लगे है - 'मी उत्तराखंडी छौं' पेज इन सभी को सलाम करता है.

 

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