Author Topic: Manglesh Dabral Poems - मंगलेश डबराल जी की कविताएं  (Read 11612 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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परछाईं / मंगलेश डबराल

परछाईं उतनी ही जीवित है
जितने तुम

 तुम्हारे आगे-पीछे
या तुम्हारे भीतर छिपी हुई
या वहाँ जहाँ से तुम चले गये हो ।

 (रचनाकाल :1975)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मकान / मंगलेश डबराल
यह मकान सारा कुछ छिपाये हुए है
अपने अंधकार में औरत
औरत का स्वप्न
औरत का बच्चा
औरत की मौत ।

 (रचनाकाल : 1975)

 

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