Author Topic: Garhwali Poems Hisotry - गढ़वाली कविताओ का इतिहास  (Read 28602 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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राम प्रसाद डोभाल : राम प्रसाद डोभाल की दो कथाएं  'चिट्ठी पतरी ' (२०००)  मे ' चैतु फेल बोडि पास ' नाम से प्रकाशित हुईं. एक कथा ' उर्ख्याल़ा की दीदी '  (चि.प. २००१) बालकथा है!

 
सत्य आनंद बडोनी (टकोळी , ति.ग. १९६३ )  सत्य आनंद बडोनी  की एक कथा मंगतू  (चिट्ठी  पतरी , २०००) प्रकाश मे आई है.!

विमल थपलियाल 'रसाल' : विमल के एक कहानी ' खाडू -बोगठया' खबर सार (२०००)  में प्रकाश में आई है, जो की दार्शनिक धरातल लिए हुई लोक कथा लीक पर चलती है. सम्वंदों में हिंदी का उपयोग वातावरण बनाने हेतु ही हुआ है. .   चंद्रमणि उनियाल : चंद्रमणि उनियाल की एक कथा 'रुकमा ददि ' चिट्ठी पतरी ' (  २००१) मे प्रकाशित हुयी. कथा चिट्ठी रूप मे है . प्रीतम अपछ्याण (गड़कोट , च.ग १९७४ ) की पांचएक  कथाएं २००० के बाद चिट्ठी पतरी मे छपीं. कथाएं व्यंग से भी भरपूर हैं व सामयिक भी हैं. सर्वेश्वर दत्त कांडपाल : सर्वेश्वर दत्त कांडपाल के एक खाणी 'दादी चाणी ' (चिट्ठी पतरी २०००) प्रकाश मे आये जो की एक बुढ़िया का नए जमाने  मे होते परिवर्तन की दशा बयान करती  है.!

संजय  सुंदरियाल (चुरेड गाँव , चौन्दकोट, १९७९) संजय की दो कथाएं चिट्ठी पतरी (२००० के बाद) प्रकाशित हुईं.!

सीताराम ममगाईं : सीताराम ममगाईं  की लघु कथा ' अनुष्ठान ' चिट्ठी पतरी (२००२ ) प्रकाश मे आई पाराशर गौड़ ( मिर्चौड़, अस्वाल्स्युं , पौ.ग., १९४७) 'जग्वाल' फिल्म के निर्माता पाराशर गौड़ की कथाएँ २००६ के बाद इन्टरनेट माध्यम पर प्रकाशित  हुयी  हैं. कथाएं व्यंग्य भाव लिए हैं और अधिकतर गढवाल में हुयी घटनाओं के समाचार बनने से सम्बन्धित हैं. भाषा सरल है, हाँ ट्विस्ट के मात्रा मे पाराशर कंजूसी करते दीखते नही हैं!

 
गजेन्द्र नौटियाल : गजेन्द्र नौटियाल के एक कथा मान की टक्क 'चिट्ठी पतरी' (२००६) मे  प्रकाशित हुयी. कथा मार्मिक है

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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नई वयार का प्रतिनधि  ओम प्रकाश सेमवाल ( दरम्वाड़ी , जख्धर, रुद्रप्रयाग , १९६५ ) यह एक उत्साहवर्धक घटना है क़ि गढवाली साहित्य में ओम प्रकाश सेमवाल सरीखे नव जवान साहित्यकार पदार्पण कर रहे हैं. ओम प्रकाश का आना गढवाली साहित्य हेतु एक प्रात: कालीन पवन झोंका है जो उनींदे गढ़वाली कथा संसार को जगाने में सक्षम भूमिका अदा करेगा . कवि ओम प्रकाश सेमवाल का गढवाली कथा संग्रह ' मेरी पुफु ' (२००९), लोकेश नवानी के अनुसार इस सदी का उल्लेखनीय घटना भी है . कथा संग्रह में 'धर्मा', हरसू, फजितु, आस, ब्व़े, भात, ब्व़े, वबरी, नई कूड़ी , बेटी ब्वारी , बड़ा भैजी , मेरी पुफू, गुरु जी  कथाएं समाहित हैं. कथाएँ मानवीव समीकरण व सम्बन्धों क़ि पड़ताल करते हैं.               गढवाली लोक नाट्य शाष्त्री   डा दाता राम पुरोहित का कहना है क़ि कथाएँ डांडा -कांठाओं (पहाडी विन्यास ) के आइना हैं व  कथाओं में गढ़वाली मिटटी की 'कुमराण' (धुप से जले मिट्टी की आकर्षक सुगंध) है. वहीं लोकेश नवानी लिखते हैं की सेमवाल एक शशक्त कथाकार हैं.      नामी गिरामी , जग प्रसिद्ध लोक गायक  नरेंद्र सिंग नेगी का कहना है की जब गढवाली भाषाई कहानियों में एक रीतापन/खालीपन आ रहा था तब सेमवाल का क्थास्न्ग्ढ़ इस खालीपन को दूर करने में समर्थ होगा. वहीं गजल सम्राट मधुसुदन थपलियाल ने भूमिका में लिखा कि 'मेरी पुफू ' गढ़वाली साहित्य के लिए एक सकारात्मक सौगात है . थपलियाल का कहना इकदम सही है कि कथाओं में सम्वाद बड़े असरदार हैं और कथाएं परिपूर्ण  दिखती हैं.    आशा रावत : (लखनऊ , १९५४) आशा रावत की पचीस से अधिक कहानियां शैलवाणी समाचार पत्र आदि मे प्रकाशित हुए हैं. एक कथासंग्रह ' शैल्वणी' प्रकाशन कोटद्वार मे प्रकाशाधीन है, कहानियां मार्मिक, समस्या मूलक, है. संवाद कथा मे वहाव को गति प्रदान करने मे सक्षम हैं. शेर सिंह  गढ़देशी : शेर सिंह  गढ़देशी की परम्परावादी कथा 'नशलै सुधार' एक सुधारवादी कथा है (खबर सार (२००९) सुधारवादी कथाकार जगदीश देवरानी ( डुडयख़ , लंगूर, १९२५): जगदीश देवरानी की ' चोळी के मर्यादा' , 'नैला पर दैला, 'गल्ती को सुधार' आदि पाँच कथाएं शैलवाणी साप्ताहिक कोट्द्वारा, में अक्टूबर व नवम्बर २०११ के अंक में क्रमगत में छपी हैं. शैलवाणी के सम्पादक व देवरानी से बातचीत पर ज्ञात  हुआ कि आने वाले अंको में लगभग ३० अन्य गढवाली  कहानियाँ प्रकाशाधीन है. कहानियां सुधारवादी हैं, परम्परागत हैं . भाषा  संस्कार सल़ाणी है  . भाषा सरल व संवाद चरित्र निर्माण व कथा के वेग में भागीदार हैं.

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गढवाली व्यंग्य चित्रों की कॉमिक  कथाएं                   गढवाली में व्यंग्य चित्रों के माध्यम से कोमिक कथाएं भी प्रकाशित हई हैं . व्यंग्य विधा के द्वारा कथा कहने का  श्रेय भीष्म कुकरेती को जाता है. भीष्म कुकरेती ने दो व्यंग्य चित्र कॉमिक कथाये ' एक चोर की कळकळी कथा (जिस्मे एक चोर गढवाली साहित्यकारों के घर चोरी करने जाता है) व पर्वतीय मंत्रालय मा कम्पुटर आई ' प्रकाशित की हैं. दोनों व्यंग चित्रीय कॉमिक कथाएँ गढ़ ऐना (१९९०) में प्रकाशित हुए हैं . अबोध बंधु बहुगुणा ने इन कॉमिक कथाओं की सराहना की ( कौंळी किरण , पृष्ठ १४९)                         अंत में कहा जा सकता है कि आधुनिक गढवाली कहानियाँ १९१३ से चलकर अब तक विकास मार्ग पर अग्रसर रही हैं . संख्या की दृष्टि से ना सही गुणात्मक दृष्टि से गढवाली भाषा की कहानियाँ विषय , कथ्य, कथानक, शैली , कथा वहाव, संवाद, जन चेतना, कथा मोड़, वार्ता , चरित्र चित्रण , पाठकों को कथा में उलझाए रखने की वृति व काला , पाठकों को सोचने को मजबूर करना, पाठकों को झटका देना, कथाकारों में प्रयोग करने की मस्सकत  आदि के हिसाब से परिस्कृत हैं .       इसी तरह गढवाली कथा साहित्य  में श्रृंगार, करूँ , वीर, बीभत्स, हास्य, अद्भुत रस व सभी ११० भावं से संपन रही हैं   नये कथाकारों के आने से भी प्रकट होता है कि गढवाली कथा साहित्य का भविष्य उज्ज्वल है. सन्दर्भ :१- भीष्म कुकरेती, २०११, गढवाळी कथाकार अर हौरी भाषाओं क कथाकार , शैलवाणी के (२०११-२०१२ ) पचास अंकों में क्रमगत लेख २- अबोध बंधु बहुगुणा , १९७५ गाड म्यटयेकि गंगा, देहली (गढवाली गद्य साहित्य का क्रमिक विकास ) ३- डा अनिल डबराल, २००७ गढ़वाली गद्य परम्परा , ४- अबोध बंधु बहुगुणा , १९९०, गढ़वाली कहानी , गढवाल की जीवित विभूतियाँ और गढवाल का वैशिष्ठ्य, पृष्ठ  २८७-२९० ५- ललित  केशवान (२०१०) का भीष्म कुकरेती को लिखा लम्बा पत्र जिसमे १०० से अधिक गढवाली भाषा के लेखक लेखिआकों के बारे में जानकारी दी गयी है. ६- अबोध बन्धु बहुगुणा , २००० कौन्ली किरण Copyright @ Bhishm Kukreti, Mubai 2011 Regards
B. C. Kukreti

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         गढवाळऐ बड़ा आदिम (मलारी काल से
लेकी अब तलक: फडकी-३*
**
*                                     (गढवाल कि विभूतियाँ : मलारी युग से आज
तक भाग-3 )*
* *
( Great Personalities of Garhwal from
Malari Era to till Date Part -3 ) *

भीष्म
कुकरेती

(Bhishm Kukreti )

*उत्तराखंड मा बुद्ध जुग या बुद्ध मत वालूँ मा प्रसिद्ध मनिख *

*मयूरध्वज कु जैन रज्जा : महावर कु समौ उपरान्त (500 इशा पूरब न्याड़ ध्वार ) उत्तराखंड कु द्खिंनी अडगें (क्षेत्र), नजीबाबाद कु नजीक मा कबि जैन रज्जा कु राज छयो. *

*श्रुघन नगर कु बामण ५०० इशा पूर्ब) : उत्तराकह्दं की द्खिंनी अडगें (क्षेत्र)
मा एक बामण रौंदू थौ जु बड़ो विद्वान थौ अर घमंडी बि थौ. महत्मा बुद्ध इख ऐ
छ्या अर ऊन वै बामण कु घमंड ख़तम करी थौ (चीनी गौन्त्या (भ्रमणकारी) युवान चांग की गौन्त्या को बिरतांत/ डायरी ) *

*गंगाद्वार (हरिद्वार ) अर मोरगिरी का वासिंदो को दान (५०० इशा पूर्ब) : यीं
अडगें (क्षेत्र) वालुंन भारहुत बौध स्तूप तोरण का वास्ता दान दे थौ. यूँ
दान्युं मादे चक्रमोचिका पुत्र नागरक्षित भूध भिक्षु बौंण अर गोतिपुत ,
वाछिपुत धनभुती, बाधपाल, भी बौध भिक्षु छया . नागार्क्षित (नागिल) की बैणी बिभूध भिक्षुणि छे , *

*भौत बड़ो रज्जा अशोक : इ**न बुल्दन बल भौत बड़ो रज्जा अशोक न उत्तराखंड प्रराज करी थौ ( 258-257 B.C) अर वैका खैकर ( प्रतिनिधि ) उत्तराखंड का पुराणा रज्जा ही छया ( डा शिव प्रसाद, उत्तराखंड का इतिहास -३ )*

*मंझिम स्थविर : बौध मोग्ग्लिपुत स्थविर न उत्तराखंड मा बौध धर्म फुळणो/
फैल़ाणो काज मंझिम स्थविर तैं दे छौ जु उत्तराखंड ऐ छौ.*
* *
*Regards
B. C. Kukreti*
* *


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गढवाळऐ बड़ा आदिम (मलारी काल से लेकी अब तलक: फड़क - 4 )                                                                                                                                                        (गढवाल कि विभूतियाँ : मलारी युग से आज तक भाग- 4     )                                                                                                                                 ( Great Personalities of Garhwal from Malari Era  to till Date Part - 4  )                                                                                                                                                                                         भीष्म कुकरेती     ( ये लेख कु उद्देश्य नवाड़ी साख/छिंवाळी/न्यू जनरेशन  तैं गढवाळी भाषा मां अपण ऊँ लोकुं  तैं याद कराण  जौंक कारण  आज गढवाळ च , जौंक वजै से आज हम तैं घमंड च / गर्व च )                                                  गढवाळऐ कुलिंद राज ( 118- B.C to 175  A .D    .) का नामी गिरामी मनिख-मनख्याणि (Great Garhwalis 118-22 B.C) काद ; काद गढ़वाळ कु रज्जा छौ अर कनैत बंश ये या यीं जात कु नाम से पोड़ कदैक शाखा : इन बुले जांद बल कुलिंद की एक शाखा कु नाम कदैक ह्व़े जन से कनैत जाती क नाम पोड़ . कनैती राज यमुना बिटेन काली नदी, सहारनपुर तक थौ खरोष्ठी अर ब्राह्मी लिपि : कनैती राज मा खरोष्ठी अर ब्राह्मी लिपि छे अर सहित च वैबरी कुमौं अर गढवाल राजनीति क हिसाब से एकी छ्या  अगरज : अगरज एक  कनैती रज्जा छौ गागी : गागी एक कनैती राणी छे धनभुती : एक कनैती रज्जा थौ वाछी : धनभुती की राणी क नौ वाछी थौ नागरखिता :  नागरखिता धनभुती की राणी छे बाधपाल : बाधपाल एक कनैती रज्जा थौ धनभुती दुसर : धनभुती दुसर  एक कनैती रजा थौ बलभूति :   बलभूति एक कनैती रज्जा थौ वाछी : वाछी बलभूति की राणी छे विश्व देव : विश्व देव कनैती रज्जा छौ अर अमोघभूति क बुबा थौ कौत्सी: कौत्सी  विश्व  देव की राणी छे  अमोघभूति (87-165 AD ) :इन माने जांद बल ए समौ क बीच मा मा कनैत रज्जा अमोघभूति न या हौरी बि कनैती ठकुरयों  न गढवाल कुमाऊं मा राज करी थौ अर अमोघभूति भौत बड़ो रज्जा ह्व़े. वाछी : अमोघभूति की राणी वाछी छे मगभत : मगभत एक कनैती रज्जा छौ शिव दत्त : शिव दत्त एक कनैती रज्जा छौ हरिदत्त : हरिदत्त एक कनैती रज्जा छौ शिवपालि :  शिवपालि कनैती रज्जा छौ भद्र मित्र : भद्र मित्र  एक राज कर्मचारी थौ जु देहरादून मा चुंगी उग्राणि करदो छौ

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गढवाळऐ बड़ा आदिम (मलारी जुग  बिटेन अब तलक: फड़क - 5 )                                                             (गढवाल की  विभूतियाँ : मलारी युग से आज तक भाग- 5     )                                                                                                                                         ( Great Personalities of Garhwal from Malari Era  to till Date Part - 5    )                                                                                                                                                                                                            शक-पह लव अधिकार जुग का नामी गिरामी गढवाळी शकादित्य : बद्री दत्त पांडे कु लिखण च बल उत्तराखंड कु रज्जा शकादित्य न मौर्य बंश को आख़री रजा राजपाल तैं मारी थौ                                                       कुशाण जुग मा नामी गिरामी गढ़वाळी  ) विम : इन बुले जान्द बल कुशाण नरेश विम कु राज मायापुर (हरिद्वार )  पर अधिकार करी थौ कुशाण रज्जा  कु मुख्त्यारी रजा (क्षत्रप) एधुराया अधुजा :  क्वी क्वी इन बुल्दु बल  एधुराया अधुजा उत्तराखंड पर कुशाण बंश कु क्षत्रप ह्वेक  राज करी कार्तिकेय की जन्मभूमि उत्तराखंड : डा शिव प्रसाद क हिसाब से कार्तिकेय अर गणेष कि जन्म भूमि उत्तराखंड च वासुदेव : वासुदेव न उत्तराखंड पर २०६-२५० तक राज करी  छत्रेश्वर, भानु, रावण : भैड़गाँव (डाडामंडी पौड़ी ग ), देहरादून, बेहत से  प्राप्त सिक्कों से पता चलद बल कबि गढवाळ की यीं अडगें मा छत्रेश्वर, भानु, रावण  रज्जुं राज थौ (240 से  290  ई ) ई रज्जा कुशाण नि छया शिव भवानी अर शीलवर्मन रज्जा : देहरादून का अभिलेखों से पता चल्दु बल शिव भवानी पोण बंश का अर  शीलवर्मन रज्जा राजाओं न देहरादून पर राज करी थौ अर दुयूंन  अश्वमेध यग्य करी छौ (290 - 350   ई..) ई रज्जा कुशाण नि छया   

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गढवाळऐ बड़ा आदिम (मलारी जुग  बिटेन अब तलक: फड़क - 6 )                                                                              (गढवाल की  विभूतियाँ : मलारी युग से आज तक भाग- 6      )                                                                                                                                                         ( Great Personalities of Garhwal from Malari Era  to till Date Part - 6     ) राजा मात्रिमित्र : काशीपुर से मिलयां सिक्कों क अनुसार (अनुमान)  मात्रिमित्र उत्तराखंड कु एक रज्जा छौ (सैट च वैकी राजधानी गोविषाण छे  (मित्र बंश 250 - 290    AD  . राजा पृथ्वी मित्र : इन लगद प्रिथवीमित्र मित्र बंश कु रज्जा छौ अगने बाँचो ....फडक - 7 (This write up is not historical details but just to inform about Great Garhwalis and is based on book Uttarakhand ka Itihas by dr shiv Prasad Dabral, History of Uttarakhand by Dr Shiv Prasad Dabral )
 
--


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B. C. Kukreti

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    गढवाळ का नामी गिरामी लोक (मलारी जुग बिटेन अब तलक )  : फडक - 7                                                                  गढ़वाल की विभूतियाँ (मलारी युग से वर्तमान तक ) : भाग 7                                                                 Great Personalities of Garhwal ( Malari era till date) Part 7                                                                            भीष्म कुकरेती     Bhishm kukreti             ( ये लेख कु उद्देश्य नवाड़ी साख/छिंवाळी/न्यू जनरेशन  तैं गढवाळी भाषा मां अपण ऊँ लोकुं  तैं याद कराण जौंक कारण  आज गढवाळ च , जौंक वजै से आज हम तैं घमंड च  /गर्व च )      Dynasty of Jay Das जयदास अर वैका  वंशज (190-350 AD)   जयदास अर वैका वंशंजूं  राज छागळपुर मा ( लाखामंडल का नजीक ) छौ अर सी तौल़ा क ख़ास -ख़ास रज्जा छ्या .   १- जैदास ' नरपति'२-गुहेश 'क्षिपति' ३- अचल 'अवनीपतीश '५- छागलेशदास ' ६-रुद्रेश दास ' न्रिपतेश' ७-  अजेश्वर, छाग्लेश  या छागलकंतु   यूँ रज्जा क राज मा लोकूं तैं शिखा दीणो भलो रिवाज थौ. इन लगद ये बगत लाखामंडल जिनां शैव धर्म को बोल बाला थौ अर राज परिवार मा उमा-महेश्वर की पूजा हुंदी छे.   (History of Early Garhwal, History of Early Kumaun )    ........बकै फाड़ी -  8 मां........To be Continued  part 8

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गढवाळ का नामी गिरामी लोक (मलारी जुग बिटेन अब तलक )  : फडक -8    गढ़वाल की विभूतियाँ (मलारी युग से वर्तमान तक ) : भाग 8   Great Personalities of Garhwal ( Malari era till date) Part 8                                                                                   भीष्म कुकरेती     Bhishm kukreti          ( ये लेख कु उद्देश्य नवाड़ी साख/छिंवाळी/न्यू जनरेशन  तैं गढवाळी भाषा मां अपण ऊँ लोकुं  तैं याद कराण  जौंक कारण  आज गढवाळ च , जौंक वजै से आज हम तैं घमंड च  /गर्व च )   कर्त्रिपुर मागुप्त राजाओं प्रान्तशासक   डा डबराल न बि किताब, कथों, पुराणा स्वांग (नाटक) अर शिलालेखुं बांचिक य़ी बोल बल उत्तराखंड  पर गुप्त रज्जों राज राई अर उख इतिहास कु समौ या च १- गढवाळी खशाधिपति अर ऊंका वंशज ( 350-380 AD) २- गुप्त राजौं अधिकार (380 - 470AD)३- विषयपति सर्वनाग  (465-485 AD) : विषयपति सर्वनाग  गुप्त राजाओं क कत्रीपुर मा मुख्त्यार थौ ४- नागवंशी नरेश (485- 576AD) : गोपेश्वर अर बाड़ाहाट क अभिलेखुं क हिसाब से जब गुप्त राजाओं तागत कम ह्व़े त नाग्वंश्युं न गुप्त राजाओं बिटेन उत्तराखंड कु  राज हथिया ५- यदुवंशी : नाग्वंश्युं समौ पर यामुनाप्रदेश (पच्छमी   उत्तराखंड ) मा यदुवंश्युं क राज थौ   .......To be continued part - 9 .......बकै फडक   9 मा बाँचो.....Reference : Dr Shiv Prasad Dabral : Uttarakhand ka Itihas Part 3, (History of Uttarakhand) (History of Early Garhwal, History of Early Kumaun

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गढवाळ का नामी गिरामी लोक (मलारी जुग बिटेन अब तलक )  : फडक -9      गढ़वाल की विभूतियाँ (मलारी युग से वर्तमान तक ) : भाग 9     Great Personalities of Garhwal ( Malari era till date) Part 9    भीष्म कुकरेती      (Bhishm Kukreti )   ( ये लेख कु उद्देश्य नवाड़ी साख/छिंवाळी/न्यू जनरेशन  तैं गढवाळी भाषा मां अपण ऊँ लोकुं  तैं याद कराण  जौंक कारण  आज गढवाळ च , जौंक वजै से आज हम तैं घमंड च  /गर्व च )                                                    महाकवि कालिदास गढवाळी ही थौ[/size]                                                                                    Great Poet  Kalidas was Garhwali !!!![/size] उन त महाकवि कालिदास क जन्म स्थान कु बारा मां जण गरुं मा  इकराय णी च फिर बि इन बुले जय सक्यांद बल कालिदास कु जन्म कविल्ठा मा होई (  100 se 400 AD का  बीच  कु समौ )   भज्ञान ललिता प्रसाद नैथाणी , सदानंद जखमोला,   डा शिवा नन्द नौटियाल अर भीष्म कुकरेती न वैज्ञानिक ढंग से सिद्ध करी बल कालिदास कु जन्म कविल्ठा (चमोली गढवाल ) ही छ . भीष्म कुकरेती न त नेपाली लिखवार कु आधिकारिक लेख  बल कालिदास कु जन्म नेपाल मा ह्व़े छौ कु तर्कशाश्त्र का पूरा सिद्धांत का बल पर सिद्ध करी बल कालिदास नेपाली ना गढवाळी थौ                                                          कालिदास कु उत्तराखंड        कालिदास क साहित्य मा गढवाल/उत्तराखंड ही उत्तराखंड च कुमारसंभव मा गढवाळ -कुमाऊं                     कुमारसंभव कु पैलो सर्ग का चौड़ा श्लोकुं मा हिमालय कु बिरतांत च                       पन्दरा श्लोक बिटेन गढ़वाल , भागीरथी, अलकनंदा (गंगा) जन बातुन बिरतांत च                     तिसरू  सर्ग मा गंधमाधन डांड, पाख पख्यड़ऊँ आदि कु  बिरतांत च                छठों सर्ग मा हिमालय कु बिरतांत मनिख जन च                 सातों सर्ग मा औसधिप्रस्थ, म्दाराच्ल पहाड़  अर कैलास कु बिरतांत च मेघदूत मा गढवाळ   मेघदूत मा कुरुक्षेत्र बिटेन कनखळ औणो अर अग्वाड़ी हिमालय, अलकापुरी ( आजौ बसुधारा ) अलकनंदा अर कैलास कु बिरतांत च अभिज्ञानशाकुंतलम स्वांग मागढवाळ          पैलक अंक मा  मा कणवाश्रम की ब्त्था छन . अर इख मा गंगा जी , मालनी पर आधारित  घटना छन . दुसर अर तीसर अंक मा बि कण्वाश्रम की ब्त्था छन. . अगनि हेमकूट की घटना छन    विक्रमोवंशीयम मा गढवाळ                            ये काव्य मा हेमकूट, कार्तिकेय आदि को विर्तांत च   (History of Early Garhwal, History of Early Kumaun   बकै अग्वा ड़ी क फान्क्युं (फडक ) '... 10    मा बाँचो ..

 

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