Author Topic: Garhwali Poems Hisotry - गढ़वाली कविताओ का इतिहास  (Read 27368 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गढवाळ का नामी गिरामी लोक (मलारी जुग बिटेन अब तलक )  : फडक -10                                                                                    गढ़वाल की विभूतियाँ (मलारी युग से वर्तमान तक ) : भाग 9    (Great Personalities of Garhwal ( Malari era till date) Part -10  भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )   ( ये लेख कु उद्देश्य नवाड़ी साख/छिंवाळी/न्यू जनरेशन  तैं गढवाळी भाषा मां अपण ऊँ लोकुं  तैं याद कराण  जौंक कारण  आज गढवाळ च , जौंक वजै से आज हम तैं घमंड च  /गर्व च )  मौखरी राज ( 480-550 AD ) हूण रज्जा यशोबर्मन ( 530-540 AD) :      इन लगद हूण आक्रमण से पैली अर पैथ्रां गढवाळ का कुछ या सबि हिस्सौं मा मौकहरी राज थौ . उन त मंदसौर स्तम्भ अधार पर जणगरा ब्थान्दन बल कुछ समौ तलक गढवाल़ो  कुछ हिस्सों पर हूण वंशीय खासकर यशोबर्मन को राज बि राई    मौखरी नरेश इशानबर्मन : आदित्यसेन का अफसाड़ अभिलेक से पता चलद बल जय बगत हूण वंशीय राज हिमाचल तलक ह्व़े गे थौ वैबरी गढवाल को हिस्सा पर मौखरी नरेश इशानबर्मन को राज छयो अर वैन अर वैको राजकुमार सर्व बर्मन न   हूणो तैं गढवाल मा नि घुसण दे थौ.  मौखरी नरेश सर्व बर्मन:  सर्व बर्मन इशानबर्मन को लौड़ छयो अर वैन अपण बुबा राजा इशानबर्मन को दगड मिलीक हूणों तैं गढवाळ मा नि आणि दे. इशानबर्मन बड़ो तागतबर मनिख थौ

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((History of Early Garhwal, History of Early Kumaun )                                                                                                          गढवाळ का नामी गिरामी लोक (मलारी जुग बिटेन अब तलक )  : फडक -11      गढ़वाल की विभूतियाँ (मलारी युग से वर्तमान तक ) : भाग 11     Great Garhwali Personalities (Malari Era till Date): Part 11                                                                                         भीष्म कुकरेती      (Bhishm Kukreti )   ( ये लेख कु उद्देश्य नवाड़ी साख/छिंवाळी/न्यू जनरेशन  तैं गढवाळी भाषा मां अपण ऊँ लोकुं  तैं याद कराण  जौंक कारण  आज गढवाळ च , जौंक वजै से आज हम तैं घमंड च  /गर्व च )                                                                                   कर्तारिपुर पुर का नागवंशी रज्जा[/size]           गुप्तकाल मा गुप्त रजौ क गढवाली प्रांताधिकारी विषयपति (465-485AD)  क बारा मा कुछ उल्लेख एक ताम्रपत्र मा मिल्द    गोपेश्वर (चमोलू) अर बाड़ाहाट  का त्रिशूल अभिलेखुं से पता चल्दु बल एक दें मौखरी बंश राज से पैलि नागवंशी राजाऊं राज बि राई डा शिव प्रसाद डबराल को अन्थाज से युंको राज 485 AD  शुरू ह्व़े होलू  नाग्वंशियुं का पांच राजों नाम त्रिशूल अभिलेख का अनुसार इन छन :गोपेश्वर क त्रिशूल लेख:१- स्कंदनाग : जु नाग्वंश्युं राज शुरू करण वाल माने जांद २- विभुनाग३- अन्शुनाग  ४- गणपति नाग   बाड़ाहाट त्रिशूल लेख मा 5- गणेश्वर : गणेश्वर का बारा मा जादा पता नि चल्दु पण इथगा त छें च वो धार्मिक किस्मौ रज्जा थौ ६- गुह नाग : महाबलशाली थौ. वैका आँख बड़ा बड़ा छया, बिग्रैल छौ अर दानी छौ . जणगरु विद्वान् छौ त धार्मिक बि थौ. इन लगद कै दुश्मन राजा न गुह पर आक्रमण करी थौ पण गुह न वै राजा तैं हरै  छौ  गणपति नाग   :  गणपति नाग   को नाम सैत च गणेश्वर बि थौ. गणेश्वर न बाड़ाहाट  (उत्तरकाशी) मा एक भौत उच्चो शिव मंदिर बणे छयो गणेश्वर कु नौन गुह  न  ए मंदिर का समणी २१ फूट उच्चो पितल़ो त्रिशूल थर्पी (स्थापना )   छौ : गोपेश्वर ( 15 foot )  अर बाड़ाहाट द्वी इ त्रिशूल कला क मामला मा एकजनी छन अर इन लगद बल यूँ त्रिशुलूं तैं  एकी सल्ली (कलाकार) न गाड़ी / बणे होलू .   Reference : Dr Shiv Prasad Dabral , Uttarakhand ka Itihas - 3 (History of Garhwal Uttarakhand , ) (History of Early Garhwal, History of Early Kumaun )  अग्वाड़ी का लेख फडकी/भाग 12  मा बाँचो .....

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 गढवाळ का नामी गिरामी लोक (मलारी जुग बिटेन अब तलक )  : फडक -12     गढ़वाल की विभूतियाँ (मलारी युग से वर्तमान तक ) : भाग 12     Great Garhwali Personalities (Malari Era till Date): Part 12  भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )                           ( ये लेख कु उद्देश्य नवाड़ी साख/छिंवाळी/न्यू जनरेशन  तैं गढवाळी भाषा मां अपण ऊँ लोकुं  तैं याद कराण  जौंक कारण  आज गढवाळ च , जौंक वजै से आज हम तैं घमंड च  /गर्व च )                                                                                        सैंहपुर  का यादव राजवंशी बारह राजा (600-800 AD का न्याड ध्वार )                                          लाखमंडल अभिलेख मा  सैंहपुर  का  बारा राजाओं क बर्णन मिल्दो . [/color]सैंहपुर/ [/color]सिंहपुर कालसी से आठ मील दूर यमुना अर गिरिनदी क संगम  पर यमुना क दें छ्वाड च अर लाखामंडल मा औन्दो . राजकुमारी ईश्वरा : ईश्वरा  सैंहपुर /सिंहपुर की  राजकुमारी छे अर वा बाल विध्वा ह्वेका अपण मैत सैंहपुर मा रौंदी थै . अपण कजै क प्रशश्ति मा इख मंदिर बणे अर पितृकुल का बारा पितरूं  प्रशश्ति लिखाई १- राजर्षि सेनवर्मन : राजर्षि सेनवर्मन न ये यदु वंश की स्थापना   सैंहपुर मा करी छे ( मूल पुरुष यदु माने जान्द ) २- नृपति आर्यवर्मन : नृपति आर्यवर्मन राजर्षि सेनवर्मन कु लौड़ छौ  एक सदाचारी मनिख छौ ३- नृपति देव वर्मन :    नृपति देव वर्मन नृपति आर्यवर्मन , कु नौनु छौ . डौर भौ से दूर अर हौरुं डौर भौ दूर करण मा श्रेष्ठ छौ , कुल के विजय का वास्ता प्रसिद्ध थौ ४- भूपाल प्रदीप वर्मन :     प्रदीप वर्मन , देव वर्मन कु नौनु छौ . क्रोधी अर शत्रुमर्दन का बान प्रसिद्ध ५- भूपति इश्वर वर्मन : सिह्वर वर्मन प्रदीप वर्मन कु राजकुमार छौ . दानि छौ .६ - राजा  वृद्धि  वर्मन : वृद्धि वर्मन क बुबा को इश्वर वर्मन  थौ. सुखदाई राजा छौ ७ - राजसिंह सिंहवर्मन :   राजसिंह सिंहवर्मन ,  वृद्धि वर्मन क लौड़ छौ . ये ही दानि, शौर्यमान राजा न सैंहपुर /सिंहपुर  ८ - नृपति जल वर्मन : नृपति जल वर्मन , राजसिंह सिंहवर्मन  को बेटा छौ . ताप दूरकर्ता छौ  ९- महीपति यग्य   वर्मन :   नृपति जल वर्मन को बेटा क नाम महीपति यग्य   वर्मन छौ १० राजर्सी घंघल अचल वर्मन :    राजर्सी अचल वर्मन , महीपति यग्य   वर्मन को पुत्र थौ. सदाचारी ११- नृपतीश  महाघंघल दिवाकर वर्मन :   महाघंघल दिवाकर वर्मन राजर्सी अचल वर्मन कु लौड़ थौ . तेजस्वी १२- नृपति पाल , रिपुघन्घल भाष्कर वर्मन :नृपति पाल भाष्कर वर्मन ,  महाघंघल दिवाकर वर्मन कणसो भुला थौ . शत्रु विजयी डा डबराल को हिसाब से घंघल शब्द को अर्थ विजयी है (घंघोल शब्द से आई ) ये जुग मा  शील सुभाव अर मोरन वा ळ की याद मा मंदिर बनौणो रिवाज छौ. शैव मत को प्रचार भौत छौ , खासकर शिव लिंग पूजै तैं जादा मान्यता छई . शिव पार्वती क ब्यौ की गाथा वै बगत प्रसिद्ध ह्व़े गे छे. कखी कखी बौध धर्म को प्रचार बि होंदु थौ .  Reference : Dr Shiv Prasad Dabral , Uttarakhand ka Itihas - 3 (History of Garhwal, Uttarakhand , ) (History of Early Garhwal, History of Early Kumaun...... बकै  13 वां खंड मा बाँचो

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गढवाळ का नामी गिरामी लोक (मलारी जुग बिटेन अब तलक )  : फडक -13     गढ़वाल की विभूतियाँ (मलारी युग से वर्तमान तक ) : भाग 13     Great Garhwali Personalities (Malari Era till Date): Part 13  भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )                                                        ( ये लेख कु उद्देश्य नवाड़ी साख/छिंवाळी/न्यू जनरेशन  तैं गढवाळी भाषा मां अपण ऊँ लोकुं  तैं याद कराण  जौंक कारण  आज गढवाळ च , जौंक वजै से आज हम तैं घमंड च  /गर्व च )  महाराजा  हर्षवर्धन अर वैका बंश  (500-647) क  समौ कु उत्तराखंड              हर्षवर्धन कु समौ कु इतिहास अबी तलक पुरो त जाणि द्याओ कुछ बि उपलब्ध नी च . बस चीनी गौन्त्या यूअन  -चांग को लिख्युं से काम चलणु च , जैन बोली बल उत्तराखंड का कुछ हिस्सों पर हर्षवर्धन को राज छौ.तै बगत उत्तराखंड मा  तीन रज्जा छया १- स्त्रुघन  जनपद  - यमुना क पच्छमी पणढाल से लेकी गंगा जी तलक . ये राज मा स्त्रुघन/स्त्रुघिन , मयुर्नगर, ख़ास शहर छया २- ब्रह्मपुर जनपद - गंगा जी से करनाली लेकी काली गंगा तलक : बड़ाहाट , बैराट , श्रीनगर , लाल ढंग, बिजनौर कु ब्धापुर अर आजौ ब्रह्मपुर गाँव  ३- गोविषाण जनपद - नौनीताल क भाबर, तराई भूभाग का अलावा पूरबी भाग का मैदान :  इन लगद ये समौ पर तालेश्वर पर पौरव नरेशुं क शाशन छौ . इख तेस से जादा हिन्दू मन्दिर छ्या जयगुप्त : स्त्रुघन जनपद मा हालांकि बहुमत हिन्दू (सनातनी) कु छौ पण बुद्ध  धर्मी अपण प्रचार करदा ही था. इख बौध विद्वान् रौंदू था जैक नाम जाय देव  थौ       Reference : Dr Shiv Prasad Dabral , Uttarakhand ka Itihas - 3 (History of Garhwal Uttarakhand , ) (History of Early Garhwal, History of Early Kumaun...... बकै  14 वां खंड मा बाँचो

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                                                     गढवाळ का नामी गिरामी लोक (मलारी जुग बिटेन अब तलक )  : फडक -14     गढ़वाल की विभूतियाँ (मलारी युग से वर्तमान तक ) : भाग 14     Great Garhwali Personalities (Malari Era till Date): Part 14  भीष्म कुकरेती      (Bhishm Kukreti )                                                        ( ये लेख कु उद्देश्य नवाड़ी साख/छिंवाळी/न्यू जनरेशन  तैं गढवाळी भाषा मां अपण ऊँ लोकुं  तैं याद कराण  जौंक कारण  आज गढवाळ च , जौंक वजै से आज हम तैं घमंड च  /गर्व च )   देव प्रयाग का वर्मन अर वर्धन रज्जा ( 601-700)                           डा डबराल न पलेठा क शिलालेख अर  तालेश्वर (अल्मोड़ा ) का   भीड़ा (दीवार) का अभिलेखुं का बूता पर ल्याख बल सातवीं सदी मा पर्वताकार राज्य की स्थापना ह्व़े होली                                                                             पलेठा राज का रज्जा  पलेठा  कु राज टिहरी गढवाल  मा देवप्रयाग का न्याड ध्वार को क्षेत्र छौ याने उत्तराखंड को दक्षिण पच्छिमी क्षेत्र पलेठा मा आन्द छया आदिवर्मन : पलेठा राज कु संस्थापक आदिवर्मन छौ अर हर्ष को समौ पर ही आदिवर्मन न उत्तराखंड को दक्षिण पच्छिमी क्षेत्र मा अपण राज शुरू करी थौ परमभट्टारक  परमेश्वर कल्याणवर्मन :  आदिवर्मन को नौनु परमभट्टारक  परमेश्वर कल्याणवर्मन थौ आदित्य वर्धन : परमभट्टारक  परमेश्वर कल्याणवर्मन क पैथर वैकु नौनु आदित्य वर्मन पलेठा कु रज्जा ह्व़े करक वर्धन : कारक वर्धन पलेठा राज्य कु आख़री राजा समजे जांद  यू आदित्य वर्मन कु दौहित्र माने जांद                          Reference : Dr Shiv Prasad Dabral , Uttarakhand ka Itihas - 3 (History of Garhwal Uttarakhand , ) (History of Early Garhwal, History of Early Kumaun...... बकै  15 वां खंड मा बाँचो

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गढवाळ का नामी गिरामी लोक (मलारी जुग बिटेन अब तलक )  : फडक -15     गढ़वाल की विभूतियाँ (मलारी युग से वर्तमान तक ) : भाग 15     Great Garhwali Personalities (Malari Era till Date): Part 15  भीष्म कुकरेती      (Bhishm Kukreti )                                                        ( ये लेख कु उद्देश्य नवाड़ी साख/छिंवाळी/न्यू जनरेशन  तैं गढवाळी भाषा मां अपण ऊँ लोकुं  तैं याद कराण  जौंक कारण  आज गढवाळ च , जौंक वजै से आज हम तैं घमंड च  /गर्व च )                                                पर्वताकर का पौरव -राजवंश ( 647- 735 AD)       अल्मोड़ा क तलेश्वरी मा एक पुंगड़औ  भीड़ा से प्राप्त ताम्रपत्र से मालूम होंद बल  कत्युरी  राजाओं से पैली उत्तराखंड पर पौरव राजाओं कु राज छौ . पुरवा या पौरव राजवंश सोम दिवाकर वंशी  माणदन अर ताम्रपत्र मा सोम वंशी . पौरव वंश तैं पुरवा का वंशज  बताये जांद  विष्णुवर्मन: इन लगद विष्णुवर्मन हर्ष को समौ पर ब्रह्मपुरी को शाषक थौ  वृषभ वर्मन प्रथम  : हर्ष को समौ पर ब्रह्मपुरी को शाषक थौपरमभट्टारक महाराजाधिराज अग्निवर्मन: वृषभ वर्मन को नौनु परमभट्टारक महाराजाधिराज अग्निवर्मन ह्व़े. परमभट्टारक महाराजाधिराज अग्निवर्मन गो ब्राह्मण  हितैषी थौ  . हूण अर कुछ-कुछ बुद्ध धर्म को  कारण वर्ण शंकर व्यवस्था कुमाऊं अर गढवाल मा बि सौरी/फ़ैली  गे छे . अर परमभट्टारक महाराजाधिराज अग्निवर्मन  वर्ण शंकर व्यवस्था तैं पुरी तरां   खतम कार . बैरी विणाश मा   परमभट्टारक महाराजाधिराज अग्निवर्मन ज्युंरा (यमराज)  क रूप मा माणे जान्द . परमभट्टारक महाराजाधिराज  द्युति वर्मन या द्विज वर्मन : परमभट्टारक महाराजाधिराज अग्निवर्मन  कु नौनु द्विज वर्मन थौ विष्णुवर्मन दुसरू : सैत च  परमभट्टारक महाराजाधिराज द्युति वर्मन/द्विज वर्मन   कु नौनु विष्णुवर्मन दुसरू,   पौरव राज को आखरी रज्जा छौ . वो मयल़ू (विनय), भड़ (बीर,शौर्यशाली ) धीरू, गम्भीर छौ  पौरव -राजवंशका मंत्री देवद्रोणयधिकृतएकास्वामिन: [/color]तालेश्वर ताम्रपत्र कु हिसाब से [/color][/color]एकास्वामिन पौरव  बंश कु मंत्री छौ अर वैकी पदवी देवद्रोणयधिकृत छे . एकास्वमिन कु समौ क पता नी च. [/color] पौरव -राजवंशका मंत्री देवद्रोणयधिकृत  मारीपतशर्मन : [/color]तालेश्वर ताम्रपत्र कु हिसाब से मारीपतशर्मन  पौरव  बंश कु मंत्री छौ अर वैकी पदवी देवद्रोणयधिकृत छे     आमात्य भद्र्विष्णु:  आमात्य भद्र्विष्णु पौरव   बंश  को एक ख़ास  मंत्री छौ   Reference : Dr Shiv Prasad Dabral , Uttarakhand ka Itihas - 3 (History of Garhwal Uttarakhand , ) (History of Early Garhwal, History of Early Kumaun...... बकै  16 वां खंड मा बाँचो To be continued in 16th part

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गढवाळ का नामी गिरामी लोक (मलारी जुग बिटेन अब तलक )  : फडक -16      गढ़वाल की विभूतियाँ (मलारी युग से वर्तमान तक ) : भाग 16     Great Garhwali Personalities (Malari Era till Date): Part 16  भीष्म कुकरेती      (Bhishm Kukreti )                                                        ( ये लेख कु उद्देश्य नवाड़ी साख/छिंवाळी/न्यू जनरेशन  तैं गढवाळी भाषा मां अपण ऊँ लोकुं  तैं याद कराण  जौंक कारण  आज गढवाळ च , जौंक वजै से आज हम तैं घमंड च  /गर्व च )                                                                     Garhwali and Kumauni Languages Form in Paurav Era[/size] ( 647- 735 AD)                      With the aid of Copper Plates found in Taleshwar, Almoda, Dr Shiv Prasad Dabral concludes tha there was certainly modified form of Garhwali and Kumauni languages than the older one Khas-and Kanaiti mixed Kumauni and Garhwali. Dr Dabral states that the language was Deshbhasha of common people which later on developed into refined Garhwali and Kumauni languages ( Uttarakhand ka Rajnaitik v Sanskritik Itihas -3, pp 420-421) [/color]  As is the tendency in present time, the rulars (Paurav Vanshi) transformed the original name into Sanskritized names as today, most of the goverment hordings are either in Hindi or in English and the names of villages are changed as per Hindi /English grammar or phonology than Kumauni or Garhwali.  Dr Dabral states that " पौरव वंश के समय ग्रामों व खेतों के नाम समकालीन देशभाषा में थे. किन्तु पौरव शासनों  (के ताम्रपत्रों ) में देश भाषा के नामों को संस्कृत रूप देकर ताम्रपत्रों में अंकित किया गया , यथा:                             डा डबराल को बुलण छ बल  पर्वताकर पौरव राज वन्श्युं क समौ पर कुमौं अर गढवाळ मा देशभाषा मा बचळयान्द छया पण  राजाऊं अर बड़ा लोखुंन गढवाळी कुमाउनी का गाँव तैं ताम्रपत्रों मा संस्कृत रूप देकी अंकित कार अर या प्रवृति आज हिंदी या अंगरेजी सरकारी अधिसूचना मा बि दिखेंद जब गौं क नाम बदली जान्दन .  डा शिव प्रसाद डबराल न य़ी दिरिषटान्त  दिने :        ताम्रपत्रों मा गाऊं नाम     (  647- 735 AD)                          असली देशी भाषा मा गाऊं/पुंगड़/खेत का  नाम   उदुम्बर बास                 -----------------------  गोविलबास  कपिलगर्ता                   -------------------------कपिल्यागाड  कोल्लपुरी                    ------------------------- कोलिगांव खंडाकप्ल्लिका             --------------------  खंड गाऊं  खट्टल्लिका                 ----------------------- खाटळी खोहिलका                ------------------------   खोळी  गोहट्टबाटक           ----------------------  गोरबाट चम्पक                ----------------------------चम्पा  चंदुलाकपाली       ---------------------- चंडा पाली छिद्र्गर्ता           -----------------------     उड़्यार  जयभट्टपल्लिका ------------------ जैगाँ भट्टगाँ जम्बुसालिका   ---------------------  जामुण सारी  डिणडिका     ------------------------   डिंडा डुभाया      --------------------------    डोभ   तोली     ----------------------------   तोळी तापल्ली  --------------------------  थापळी  दीपपुर   ---------------------------- द्यूल़ा  दूणणा  ---------------------------- दूणी देवखल --------------------------  दिख्य्त द्रोणी ---------------------------- दूण  , दून   निम्बसारी ------------------------ निमसारीपल्ली    --------------------------- पाल़ी  बुरासिका   ------------------------ बुरांसी बृद्धतर पाल्लिका ------------------ बड़ी पाली  बंजाली   -------------------------  बंजागौं  भट्टपल्लिका --------------------  भट्ट गाँ  भूतप्ल्लिका ----------------------भूत गाँ मालवक क्षेत्र   --------------------  मालूंखेत  रजक्स्थल ---------------------- धोबीघाट लवणोंदक  -----------------------लुणियासोत  सेम्मक  क्षेत्र --------------------- सीम सेम्महिका -----------------------सिमलगा   गढवा ळी अर कुमाउनी भाषा का जणगरुं  /विद्वानुं तैं भाषाओं क पुराण/ इतिहास लिखद दें इन बातों ध्यान रखण जरोरी छ .    Reference : Dr Shiv Prasad Dabral , Uttarakhand ka Itihas - 3 (History of Garhwal Uttarakhand , )  (History of Early Garhwal, History of Early Kumaun )  ...... बकै  17 वां खंड मा बाँचो To be continued in 17 th part

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Regards
B. C. Kukreti

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गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क   -17                                             गढ़वाल कि विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग  17                                                                      Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -17                                                                           भीष्म कुकरेती (  Bhishm Kukreti )                                                              यशोवर्मन कु राज मा उत्तराखंड (725-752)       यशोवर्मन: तुक्का अर कुछ काव्य साहित्य क हिसाब से इन बुले जान्द बल यशोवर्मन (कान्यकुब कु राजा ) न उत्तराखुंट    पर राज करी थौ. ह्व़े क्या छे बल तिब्बती राजा न नेपाल जितणो परांत गढवाल-कुमाऊं पर आक्रमण करी दे अर काब्य्कुब्ज कु राजा यशोवर्मन न तिब्बती राजा तैं लड़ाई मा हरे दे छौ अर कैंतुरा राजा /प्रशाशक मसंतन या वसन्तं तैं राज करणों मुख्त्यार बणे दे .   बकै  खंड 18  मा बाँचो To be continued in 18th Part .. Reference: Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas -3 ( History of Uttarakhand - 3History of Garhwal, History of Kumaun )  बकै  खंड 18  मा बाँचो To be continued in 18th Part ..                             गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क   -18                                         गढ़वाल कि विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग  18   Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -18                                                                                                                     भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )                                                                       कार्तिकेय का कत्युरी -राजवंश (732-1000 AD)     उन त इतिहासु जणगरों  इकमत नी   च बल कार्तिकेय तैं  जोशीमठ का नजीक  माने जाओ या कुमाऊं का कत्युर उपत्यका तैं. पण एक बात जरुर छ एक दें सरा उत्तराखुंट पर    कैंत्युराऊं राज छौ                                                                              कैंत्युराओं क तीन परिवार            कैंत्युराओं अभिलेख ( जोशीमठ, बागेश्वर,  , पांडुकेश्वर , बालेश्वर, कालीमठ  अर बडापुर से पता चलद बल एकी राजवंश का तीन परिवारों न न्याड ध्वार अपणी राजधानी बसै थौ अर राज करी थौ       शक- कुषाणों से सम्बन्ध   : पुराण लिख्वार (इतिहास लेखक) कनिंघम को मणन च बल     कनितुरा शब्द ' कटोर्मन या किटोरान  ' से आई. राहुल बोल्दो बल कैंतुरौं सम्बन्ध   शक- कुषाणों से थौ खश जाती से सम्बन्ध : डा डबराल अपणी राय दीन्दन बल कन्त्युरा पैली खश रै होला. ओकले बुलद बल कार्तिकेय राजधानी से कैंत्युरा शब्द बौण.                                                         वसंतदेव की साखी (वंशज) (732-800 AD)   परम भटटारक महाराजाधिराज  परमेश्वर वसंतदेव या मसंतदेव या भसंतदेव ( राज्यारम्भ ७३२ ई.)   : इन माने जांद बल कन्त्युरा राज की पवाण (शुरुवात)  वसंतदेव न लगै थै . वसंत देव धार्मिक वृति अर शौर्य वल़ू रजा छौ . वैन सैत च जोशीमठ को नृसिंह मंदिर की पौ धरी छे (स्थापना  की ) राणी सज्यनरा  : वसंतदेव की राणी  सज्यनरा  छे .  परम भटटारक महाराजाधिराज  परमेश्वर वसंतदेव को नौनु : ये नौनु को नाम अभिलेखों मा नी च बस  परम भटटारक महाराजाधिराज  परमेश्वर  की पदवी लिखीं च . यू शिव भक्त थौ   परम भटटारक महाराजाधिराज  परमेश्वर खर्पर देव : खर्पर देववसंत देव को नाती थौ . परम भटटारक महाराजाधिराज  परमेश्वर  अधिधज:   अधिधज वित्त-विद्या-मान छौ राणी लद्धा देवी  अधिधज की राणी क नौ लद्धादेवी छौ अर वीन्का द्वी नौन्याळ छ्या  त्रिभुवन राजदेव : त्रिभुवन राजदेवकमजोर रज्जा थौ

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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                                                                    निम्बर अर वैकी साखी (वंशज ) (800- 876) निम्बर राजा : निम्बर रज्जा पांडूकेश्वर कु राजा थौ अर धार्मिक गम्भीर रज्जा  थौ राणी नाशुदेवी : निम्बर राजा की अग्रम्हिषी को नाम  नाशु देवी छौ परम भटटारक महाराजाधिराज  परमेश्वर  इष्टगण देव  : इष्ट गण देव निम्बर कु राजकुमार छौ . वैकी द्वी राणी छे . वो अपण तलवार से हाथियुं  तैं काटी दींदु थौ  धरादेवी : धरादेवी इष्ट गण देव कि राणी छे वेग देवी : वेग देवी बि इष्ट गण देव की राणी छे परम भटटारक महाराजाधिराज  परमेश्वर  ललितशुरदेव : इष्टदेव कु राजकुमार कु नौ ललितशुरदेव  थौ लयादेवी राणी : लयादेवी ललितशुर देव की राणी छेपरम भटटारक महाराजाधिराज  परमेश्वर  भूदेव : भूदेव ललित शूर देव कु राजकुमार छौ भूदेव ब्रह्मण भक्त अर बुद्ध-श्रवण शत्रु छौ यानि कि कखी ना कखी वो बुद्ध धर्म को विरुद्ध छौ                                                    सलोणादित्य  अर वैकी साखी (वंशज) (876-1000 AD) सलोणादित्य  : सलोणादित्यकी राजधानी [/size]सुभिक्षपुर छे राणी सिन्धवली देवी : सलोणादित्य की राणी सिन्धवळी देवी छे परम भटटारक महाराजाधिराज  परमेश्वर  इच्छट   देव : इच्छ्ट देव सलोणादित्य को राजकुमार थौ  राणी सिन्धुदेवी : इच्छ्ट देव की  राणी सिन्धुदेवी छे परम भटटारक महाराजाधिराज  परमेश्वर  देशट देव :   इच्छ्ट देव कु नौनु देशट देव बामण  पूजक अर दानि थौ . वैकी प्रतिहार नरेश से भिडंत ह्व़े छौ जैमा जीत देशट देव की ही ह्व़े . मैदानी खसरों (रिकार्ड) मा इच्छ्ट देव  तैं खशाधिपति माने गे  पदमल्ल देवी : देशट देव की राणी कु नौ पदमल्ल देवी छौ परम भटटारक महाराजाधिराज  परमेश्वर  पद्मट:  पद्मट पराक्रमी रज्जा थौ राणी दिशाल देवी : पद्मट की राणी दिशल देवी छे   परम भटटारक महाराजाधिराज  परमेश्वर   पद्मट सुभिक्षराज : इन बुले जांद बल वो बैरी विणास मा कुशल रज्जा थौ. बैर्युं क्ज्यान /राणी कु हरण करण मा उस्ताद छौ अर सलोणादित्य कैंतुरा वंश को आख़री चिराग बि छौ  भट्ट भवशर्मन बामण : भट्ट भवशर्मन बामण सैत च सुभिक्ष राज का आमात्य थौ अर भट्ट रूद्र - भोगा वळी को नौनु थौ नरसिंह देव : इन माने जांद बल सलोणादित्य कैंतुरा वंश का बाद नरसिंघ देव कैंतुरा न राज सँभाळी थौ अर राजधानी बैजनाथ ल्ही गे छौ   कैंतुरा नरेश चरित्रवान , भड़ , बीर अर जनता का प्रेमी छया तबी त अबी तलक कुमौं अर गढवाल मा कैंत्युरा नचाये जान्दनकैंतुरा राजाऊं  न गढवाल-कुमौं मा तिब्बती राज तैं आण से र्वाक अर मैदानी राजाओं पर बि रोक लगाई   अगने बाँचो शंकराचार्य को गढवाल औण ..... Reference: Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas -3 ( History of Uttarakhand - 3 History of Garhwal, History of Kumaun ) बकै  खंड 19  मा बाँचो

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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                                                      गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क   -19                                                                           गढ़वाल कि विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग  19  Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -19                                                                                                       भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )                                                                                                                                                 शंकराचार्य  (788-820AD) कु गढवाल औण                                                                                            Arrival of Shankaracharya in Garhwal  शंकराचार्य कु जनम केरल मा कलटी गाँव मा शिव गुरु नाम्बुदिपराद अर विशिष्ठा या सती  को ड़्यार ह्व़े  . बुबा बाल़ापन मा गुजर गे छौ अर शंकर बाल़ापन मा इ  सन्यासी ह्व़े गे छौ  शंकर न बचपन मा ही उपनिषद अर ब्रह्मसुत्रुं  ज्ञान ल़े आली थौ  . १२ बरस मा कशी मा वैन वेदान्त को प्रचार शुरू करी.  शंकर गढवाल कि  तरफ चली जख वैकी मनशा व्यासगुफा मा वेदांत सूत्र लिखणे   छे अर ऋषिकेश मा औण पर पता चौल बल पुजारियों न तिबतियों डौर न विष्णु मुरती लुकाई दिनी . शंकर न मुरती को उद्धार करी अर फिर से मन्दिर मा मुरती थर्पी .                बद्रिकाश्रम औण पर पता चली बल तिब्बती लुठेरों डौरन बद्रेश्वर की मुरती नारद कुंड मा लुकायीं च . शंकर ण वा खंडित मूर्ती को उद्धार करी अर फिर से मंदिर मा थर्पी .             शंकर न व्यासगुफा (माणा गौं मथी ) मा ब्रह्म सूत्र, भगवद्गीता, उपनिषदों पर भाष्य लिखी  शंकर न भारत का चरी कूणो मा शृगेरी, गोवर्धन, शारदा अर ज्योतिर्मठ की स्थापना बि करी  शंकर केदारनाथ मा ३२ साल कि उमर मा (८२० ई.)    परलोक गेन   शंकरं बद्रिकाश्रम कि पूजा विधान का नियम बि बणेन अर अपनों पैलू च्याला तोटकाचार्य तैं यू काज सौंप.  820 AD--1222 AD तलक बदीनाथ की पूजा अर ज्योतिर्मठ की व्यवस्था आचार्य करदा था . फिर केरल का रावलुं हथ मा या गद्दी आई  820 AD--1222 AD  तलक बद्रीनाथ मा तौळ लिख्यान उनीस  (19 ) आचार्य ह्वेन जौन बदीनाथ की पूजा अर ज्योतिर्मठ की व्यवस्था करी  तोटकाचार्यविजयाचार्यकृष्णाचार्य  कुमारोआचार्य गरुड़ध्वजाचार्य विन्ध्याचार्यविशालाचार्यवकुलाचार्य वामनाचार्य सुन्दरअरुणाचार्य  श्री निवाशाचार्य सुखनंदाचार्यविद्यानन्दाचार्यशिवाचार्य गिरिआचार्य विद्याधराचार्यगुणानन्दाचार्या     नारायणाचार्य उमापतिआचार्य   शंकराचार्या को भारत मा सांस्कृतिक  एकता बणाणो बान बड़ो योगदान च  Reference: Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas -3 ( History of Uttarakhand - 3 History of Garhwal, History of Kumaun ) बकै  खंड 20  मा बाँचो

 

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