गढवाळ का नामी गिरामी लोक (मलारी जुग बिटेन अब तलक ) : फडक -12 गढ़वाल की विभूतियाँ (मलारी युग से वर्तमान तक ) : भाग 12 Great Garhwali Personalities (Malari Era till Date): Part 12 भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti ) ( ये लेख कु उद्देश्य नवाड़ी साख/छिंवाळी/न्यू जनरेशन तैं गढवाळी भाषा मां अपण ऊँ लोकुं तैं याद कराण जौंक कारण आज गढवाळ च , जौंक वजै से आज हम तैं घमंड च /गर्व च ) सैंहपुर का यादव राजवंशी बारह राजा (600-800 AD का न्याड ध्वार ) लाखमंडल अभिलेख मा सैंहपुर का बारा राजाओं क बर्णन मिल्दो . [/color]सैंहपुर/ [/color]सिंहपुर कालसी से आठ मील दूर यमुना अर गिरिनदी क संगम पर यमुना क दें छ्वाड च अर लाखामंडल मा औन्दो . राजकुमारी ईश्वरा : ईश्वरा सैंहपुर /सिंहपुर की राजकुमारी छे अर वा बाल विध्वा ह्वेका अपण मैत सैंहपुर मा रौंदी थै . अपण कजै क प्रशश्ति मा इख मंदिर बणे अर पितृकुल का बारा पितरूं प्रशश्ति लिखाई १- राजर्षि सेनवर्मन : राजर्षि सेनवर्मन न ये यदु वंश की स्थापना सैंहपुर मा करी छे ( मूल पुरुष यदु माने जान्द ) २- नृपति आर्यवर्मन : नृपति आर्यवर्मन राजर्षि सेनवर्मन कु लौड़ छौ एक सदाचारी मनिख छौ ३- नृपति देव वर्मन : नृपति देव वर्मन नृपति आर्यवर्मन , कु नौनु छौ . डौर भौ से दूर अर हौरुं डौर भौ दूर करण मा श्रेष्ठ छौ , कुल के विजय का वास्ता प्रसिद्ध थौ ४- भूपाल प्रदीप वर्मन : प्रदीप वर्मन , देव वर्मन कु नौनु छौ . क्रोधी अर शत्रुमर्दन का बान प्रसिद्ध ५- भूपति इश्वर वर्मन : सिह्वर वर्मन प्रदीप वर्मन कु राजकुमार छौ . दानि छौ .६ - राजा वृद्धि वर्मन : वृद्धि वर्मन क बुबा को इश्वर वर्मन थौ. सुखदाई राजा छौ ७ - राजसिंह सिंहवर्मन : राजसिंह सिंहवर्मन , वृद्धि वर्मन क लौड़ छौ . ये ही दानि, शौर्यमान राजा न सैंहपुर /सिंहपुर ८ - नृपति जल वर्मन : नृपति जल वर्मन , राजसिंह सिंहवर्मन को बेटा छौ . ताप दूरकर्ता छौ ९- महीपति यग्य वर्मन : नृपति जल वर्मन को बेटा क नाम महीपति यग्य वर्मन छौ १० राजर्सी घंघल अचल वर्मन : राजर्सी अचल वर्मन , महीपति यग्य वर्मन को पुत्र थौ. सदाचारी ११- नृपतीश महाघंघल दिवाकर वर्मन : महाघंघल दिवाकर वर्मन राजर्सी अचल वर्मन कु लौड़ थौ . तेजस्वी १२- नृपति पाल , रिपुघन्घल भाष्कर वर्मन :नृपति पाल भाष्कर वर्मन , महाघंघल दिवाकर वर्मन कणसो भुला थौ . शत्रु विजयी डा डबराल को हिसाब से घंघल शब्द को अर्थ विजयी है (घंघोल शब्द से आई ) ये जुग मा शील सुभाव अर मोरन वा ळ की याद मा मंदिर बनौणो रिवाज छौ. शैव मत को प्रचार भौत छौ , खासकर शिव लिंग पूजै तैं जादा मान्यता छई . शिव पार्वती क ब्यौ की गाथा वै बगत प्रसिद्ध ह्व़े गे छे. कखी कखी बौध धर्म को प्रचार बि होंदु थौ . Reference : Dr Shiv Prasad Dabral , Uttarakhand ka Itihas - 3 (History of Garhwal, Uttarakhand , ) (History of Early Garhwal, History of Early Kumaun ) ...... बकै 13 वां खंड मा बाँचो