गढवाळी रज्जा[/size] महीपतिशाह (राज्यकाल 1631 -1634 ई. या 1624 -1631 ई )[/size] [/b] महीपति शाह की राजगद्दी विषय मा इतियासकारूं मा कुछ घंघतोळ च की कब वो राजगद्दी पर बैठी. महीपति शाह बीर पूजक, भड़, छौ अर राज्य बढ़ाण , कठोर निर्णय ल्हींण मा ओ अगने छौ. महीपति शाह का टैम पर तिब्बत आक्रमण, कुमाऊं आक्रमण आदि घटना प्रमुख छन. वैका सेना नय्कुं मा माधो सिंह भंडारी , लोदी रिखोला, बनवारी दास तोमर, दोस्त बेग, बर्त्वाल बन्धु प्रमुख छया वैन तिब्बत सीमा पर कथगा इ चबूतरा बणवैन. महीपति शाह शक्ति पूजक छौ अर एक दें पूजा मा चित्तभ्रम से वो अजीब हरकत कर्ण लगी गे वैन भरत मंदिर रिसिकेस मा देव प्रतिमा की आँख निकाळएन , नंगा गुसांयुं हत्या करी छे. महिपत शाह न कुमाऊं पर आक्रमण बि करी छौ महिपत शाह का ज़माना मा मुसलमानी पातर (वैश्या) को प्रादुर्भाव ह्व़े गे छौ. धाम सिंह भंडारी : महिपत शाह को बजीर को नौ धाम सिंह भंडारी छौ जु जुवारा को छौ [/b] असवाल : असवाल दवेत्री छौ [/b]सजवाण: सजवाण बि दवेत्री छौ [/b]बर्त्वाल: बर्त्वाल एक दवेत्री छौ [/b] श्रीकंठ : श्रीकंठ पुरोहित छौ [/b]सेनापति बर्त्वाल अर भयात (बंधु) : जब मुख्य सेनापति की भड़पन (वीरता) से महिपतिशाह न तिब्बत का दाबा (इख क रज्जा गढवाळी ही थौ) [/b] अर बौध विहार पर अधिकार कर याल त राजा महीपति शाह मुख्य सेनापति लोड़ी रिखोला क दगड सेना सहित राजधानी श्रीनगर आई गे . महिपत शाह न दाबा मा बर्त्वाळ भायत का सेनापतित्व मा उख कुछ गढवाली सेना राख . ह्यूंद औण पर गढवा ळी सेना तैं परेशानी शुरू ह्व़े गे . कत्ति सैनिक मोरी गेन अर कत्ति रोगी ह्व़े गेन . इनमा दाबा क गढ़वाळी नरेश न ल्हासा क रज्जा (लामा) से मौ मदद माँगी.ल्हासा से एक लामा सेनापति अर तिब्बत को मददगार जनरल शीतल सिंग की सेना न गढवाली सेना पर धावा बोली दिने. उख लाबा मा घमासान जुद्ध जुड़े . कमजोरी होण पर बि श्रीनगरऐ गढवाळी सेना बड़ी वीरता से लड़ी. पण सब्बी सेना जुद्ध मा मारे गेबर्त्वाल भयात बि बड़ी वीरता से लड़दा लड़दा मारे गेन. . दुयूँकी तलवार अबी बि दाबा का बौध विहार मा धर्याँ छन अर बुद्ध मुरती का दगड ही बर्त्वाल भयात (बंधु) की तलवारूं पूजा अज्युं बि होंद लोदी रिखोला -एक महान बीर भड़ अर सेनापति : लोदी रिखोला महीपति शाह को प्रमुख सेनापति थौ. लोदी रिखोला क जनम बयेळी गाँव, बदलपुर पट्टी मा ह्व़े छौ [/b] बाळपन से ई वैकी भड़ पन की कथा मशहूर ह्व़े गे था. बयेळी गाँव मा एक बड़ो ढुंग (शिला) अर शहतीर अबी बि गवाह छन की लोदी रिखोला कथगा बड़ो भड़ छौ.युवापन मा ढुंग अर शहतीर तैं इखुल्या इखुली लोदी रिखोला उठै क गाँ मा लै छौ. लोदी रिखोला एक बड़ो जुद्ध ब्युंतदार (रणनीति कार), सेना संचालक बि छौ अर वैका सेनापतित्व मा महिपतिशः न दबा जुद्ध, सिरमौर जुद्ध (जखमा कलसी गढ़ अर बैराट गढ़ पर कब्जा करी), दक्षिण मा भाभर को जुद्ध जन जुद्ध जितेन , लोदी रिखोला की बीरता से महीपति शाह का कथगा सलाहकार, सभापति जळण बिसे गेन . ऊन एक खड़यंत्र मा लोदी रिखोला कसरल पर कथगा इ घौ करे दिने अर फिर कुछ दिनों मा लोदी रिखोला मोरे गे. लोदी रिखोला की बीरता क बारा मा कथगा ही लोक गाथा गढवाळ मा गीतुं अर कथों रूप मा प्रचलित छन माधो सिंह भंडारी : माधो सिंग को नाम गढवाळ मा बड़ो उच्चो स्थान, मधोसिंग बीर भड़ अर महान सेनापति ही नी छौ बल्कण मा एक सामजिक परवाण (सामाजिक नेता ) बि छौ [/b] माधो सिंह भंडारी न पख्यड़ खुदैक मेल्था की कूल गाडी छे. जब कूल पर पाणी नि आई त माधो सिंह न अपण इकलौता नौनु गजे सिंह की बळी देवी तैं चढे, पैथर कूल मा पाणी बि आये अर गजे सिंह बि बची गे माधो सिंग का परवाण गिरी (नेतृत्व ) मा महिपत शाह न लोदी रिखोला क दगड कथगा इ लड़ाई जीतेन. लोदी रिखोला बाद महीपति शाह को प्रमुख सेनापति बणन उपरान्त माधो सिंह न कथगा लड़ाई लडींन . अर इन बुले जांद बल लड़ाई मा घाइल ह्वेकि वैकी मिरत्यु ह्व़े. पण हैकि बोल (कथन/श्रुति) च बल माधो सिंह महिपत शाह का बाद बि गढ़ नरेश श्रीनगर को सेनापति राई बनवारी दास तुंवर : बनवारी दस तुंवर जहांगीर या शाहजहाँ को बगत पर दिल्ली बिटेन श्रीनगर नौकरी की खोज मा ऐ छौ अर वो महीपति शाह को एक सेनापति छौ [/b] कुमाऊं पर आक्रमण का बगत बनवारी दास तुंवर सेनापति थौ दोस्त बेग मुग़ल : दोस्त बेग मुग़ल महीपति शाह की सेना मा एक सेनापति थौ . बर्त्वाल, लोदी रिखोला माधो सिंह भंडारी कू मोरण पर दोस्त बेग को प्रभाव रज्जा पर भौत ह्वेई. [/b]