Author Topic: Garhwali Poems Hisotry - गढ़वाली कविताओ का इतिहास  (Read 19528 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक )
फड़क   -30
गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग  30                                         Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -30 भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )                     अजेयपाल से  पैल़ो  इतिहास गुम च[/b]   भौत सी वजों से अजेयपाल से पैलौ गढवालौ इतिहास ह्र्ची गे .                       श्रीनगर कू अजेयपाल (राज्य 1500  -1548 AD )  डा शिव प्रसाद जन जणगरों  बुन च बल अजेयपाल न श्रीनगर मा राजधानी बसै  छे . अजेयपाल एक महानतम रज्जा थौ जैन गढवाल तै एक करी छौ कीर्ति चंद  को आक्रमण : जौन दिनों जगत पाल अर विका वंशज पच्छमी गढवाल जिना अपणी शक्ति बढ़ाणा तेई समौ पर बाबा नागनाथ की प्रेरणा से काली नदी घाटी का चंद नरेश कीर्ति चंद न गढवाल नरेश पर आक्रमण करी छौ सत्यनाथ : बाबा सत्यनाथ को आश्रम देवल गढ़ मा छौ अर बाबा सत्यनाथ बाबा नाग नाथ को गुरु थौ. बाबा सत्यनाथ न कीर्ति चंद अर अजेय पाल का बीच सुलह कराये थौ ठकुरायियों पर विजय: अजेय पाल न पैन्कंदा, दुमग गढ़पति , सलाण , पच्छमी अलकनंदा अर जान्हवी गढ़पत्युं  तैं जीतिक बड़ो गढवाल राज्य की स्थापना करी दासी की नरबली : इन बुले जांद बल श्रीनगर मा महल चिणाणो उपरान्त अजेयपाल न एक दासी की नरबली दे थै क्फ्फु चौहान की हत्या: अजेयपाल न ही क्फ्फु चौहान की हत्या करीक  उप्पू गढ़ जीती छौ बद्रीनाथ मंदिर अर ज्योतिर्मठ   मा रावलों द्वारा पूजा की पवाण(शुरुवात) बद्रीनाथ /ज्योतिर्मठ मा रावलूं द्वारा पूजा को चलन अजेयपाल को समौ पर ह्व़े प्रथम दंडी स्वामी : बद्रीनाथ का पैलो रावलजगतपाल को समौ पर दंडी स्वामी बालकृष राई (1443 -1500 AD ) दूसरो दंडी स्वामी  हरि ब्रह्म  ( 1500   AD ) होई[/b]श्री बल्लभा चार्य को बद्रीकाश्रम औंण  ( 1511 ई) पुष्टिमार्ग प्रवर्तक श्री बल्लभा चार्य  सं 1511  मा बद्रीकाश्रम ऐ छाया वासुदेव तैलंग :  श्री बल्लभा चार्य  न देव प्रयाग मा वासुदेव तैलंग तैं अपनों पुरोहित (पंडा) नियुक्त करी छौ  [/b]सर्यूळ (सारोला) बामणु प्रादुर्भाव: अजेयपाल का महल मा जौं जौं  जाती का (कुल 12  जाती ) बामण खाणक  बणोदा वूं तैं सर्यूल्या/सर्यूळ बामणु की संज्ञा दिए गे अर य़ी बामण ही जीमण मा भात पके सकदा छया . बाद मा 12 जाती हौर जोड़े गेन  Reference :Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas bhag-4, History of Garhwal, History of Kumaun )बकै  31 वीं  फड़की मा ...To be continued in 31st  part

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गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -31
गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 31
Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -31
भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
सहजपाल (रा.1548 -1581 )अर बलभद्रशाह (रा.1581 -1591 ई)
सहजपाल : सहजपाल अजेयपाल को नौनु माने जान्द . सहजपाल चौर, कुशल, बीर रज्जा छौ
बलभद्र शाह ; इन बुले जांद बल सहजपाल कू नौनु मान शाह को संरक्षक बलभद्र शाह थौ .बलभद्र , बीर छौ, राजनीति मा होश्यार रज्जा छौ
शिवराज बुनियाल : रामानंद मठ को मठाधीस शिवराज बुनियाल न सहजपाल को राज्यकाल मा मंडप निर्माण करी थौ
रघुनाथ मंदिर देव प्रयाग को घंटा : सहजपाल न 1561 मा रघुनाथ मंदिर देव प्रयाग मा घंटा चढे थौ
अकबर दगड अच्छा सम्बन्ध : दुयूं का अकबर का दगड सम्बन्ध भला था
हुसैन्खान को आक्रमण : अकबर को एक सूबेदार हुसैन खान न अजमेर-बदलपुर पर आक्रमण/लूट करी थौ पण वै तैं सफलता नि मिली .हुसैन तैं हरण पोड़
कत्युर रज्जा सुखदेव को दगुड : बलभद्र शाह अर कत्युरी रज्जा सहदेव मा मेल छौ
पुरुषोत्तम पंत की हत्या : चंद नरेश रूद्र चंद सुखदेव को बैरी छौ . रूद्र चंद न पुरुषोत्तम पन्त तैं गढवाल पर लड़ाई को भेजी या सुखदेव तैं मरनो गढवाल भेजी
त एक गढवाळी पडयार सैनिक न पुरुषोत्तम की हत्या करी दिने . बलभद्र शाह न वै पडयार तैं कथगा ही गाँव जागीर मा दे देई.
सुख देव तैं विप्पति मा मौ मदद नी दीण : रूद्र चंद न पुरुषोत्तम पंत की हत्या बदला ल़ीणो बान दुबारा सुखदेव पर आक्रमण करी अर सुखदेव की हत्या करी दिने.
ये बगत पर बलभद्र शाह न कुज्याण किलै सहदेव की मदद नि करी धौं !
Reference : Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas bhag-4,
History of Garhwal, History of Kumaun )
बकै 32 वीं फड़की मा ...
To be continued in 32nd part

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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                    गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक )[/size] फड़क   -32[/size] [/b] गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग  32                                                                                                                   Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -32 [/b] भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )                                        मेदनी शाह  Medani Shah (Manpal ) (रा.का. 1591 -1611[/size]  )[/b] मेदनी शाह : र्मेदानी शाह समुद्र को समान गम्भीर, भीम जन भड़ (शौर्यशाली) तेजस्वी गढवाळी रज्जा थौ . वैकी सभा मा बनी बनिक विद्वान मंत्री अर भड़ सेनापति छ्या श्रीनगर मा मानपुर राजधानी : मेदनी शाह न श्रीनगर मा ही मानपुर नाम से बिगळी  (अलग) राजधानी बणे छे तिब्बती लुटेरों से प्रजा रक्छा : मेदनी शाह  समौ समौ  पर पैनखंडा, टकनौर  का बासिंदों की तिब्बती लुटेरों से रक्छा करदू राई कुमाऊं नरेश क दगड सात दें  लडै : इन बुले जांद बल मेदनी शाह न कुमाऊं रज्जा लक्ष्मी चंद तैं  सात दें लडै  मा हराई . जादा तर सीमान्त झडप छे . खंतुड़वा  त्यौहार : एक दें लड़ाई मा गेंडा कुमाऊं की सेना न गढवाळी सेनापति  खंतुड सिंह तैं लड़ाई मा मारी दिने त तै दिन बिटेन कुमाऊं मा इगास क दिन [/b] खंतड़वा त्यौहार मनाणो  रिवाज पोड़ नंदी सेनापति : नंदी मेदनी शाह को सेनापति छौ   . नंदी की सहायता से मेदनी शाह न पैनो गढ़ लक्ष्मी चंद से जीति . इन बुले जांद बल नंदी सेनापति न [/b] लक्ष्मी चंद की राजधानी चम्पावत पर अधिकार  (सैत -कुछ देरो खुणि ) बि कारभृंगी सेनापति : मेदनी शाह के सेना में नन्दी क समौ पर हैंको बीर सेनापति को नाम भृंगी छौ  जु पैनो युद्ध  मा नंदी को दगड थौ [/b] सरजू  डंगवाळ : सरजू डंगवाळ एक गढवाळी सरदार छौ जैन मेदनी शाह को विरुद्ध ह्वेका कुमाऊं राज में शरण ल़े छे अर एक दें यां पर बि [/b] कुमाऊं -गढवाली राजाओं बीच लड़ाई ह्व़े महान कवि, ज्योतिषी ज्योतिकराय  (भरत) : संस्कृत महाकवि भारत (ज्योतिक राय ) को जन्म पोखरी (चलणस्यूं) का रामजी बहुगुणा  क इख ह्व़े छौ[/b]भारत बहुगुणा अपणी शिक्षा अर बुधि का बल पर मेदनी शाह को मंत्री  बौण . मेदनी शाह न भरत बहुगुणा के बुद्धि देखिक  वै तैं गढवाली राजदूत बणेक जहाँगीर को दरबार मा भेजी . उख भरत तै ज्योतिषी का रूप मा ज्योतिकराय की उपाधि मिली . जहाँगीर नामा क अनुसार भरत तैं जहाँगीर न पांच दें इनाम दे छौ भरत बहुगुणा  न मानोदय महान काव्य की रचना भी करी . छ्वटु हों पर बि मनोदय काव्य साहित्यिक दृष्टि से महत्व को च जै पर कालिदास की छाप च [/b] Reference :Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas bhag-4,[/b] History of Garhwal, History of Kumaun )बकै  33 वीं  फड़की मा ...To be continued in 33rd    part [/b]

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गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक )[/size] फड़क   -33[/size] [/b] गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग  33 Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -33 [/b] भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )                                           श्यामशाह  Shyamshah  ( रा.का. 1611 -1630  AD )[/size]  [/b]श्यामशाह : श्याम्साह मेदनी शाह को नौनु छौ अर 1611  AD  मा  गढवाल देश की राजगद्दी मा बैठ. इतियासकार रतूड़ी हिसाब से जिद्दी, घमंडी छौ  [/b]पण डा डबराल को हिसाब से गुणी लोखुं आदर सत्कार करदो छौ . चित्त पर संयम रखदो थौ. गाँण  बजौणओ  भौत शौक़ीन छौ श्याम शाह . रज्जा श्यामशाह बड़ो शाक्त भक्त छौ. सुबेर पूजा कौरीक राजसभ मा न्याय करदो छौ. दुफरा मा खुले आम हाथी मा बैठिक एक मुसलमनी बांद, पातर तेलिन को ड़्यार जान्दो छौ  जख रज्जा कबाब खंडो छौ, शराब पीन्दो छौ अर दगड मा तेलिन की संगीत म्ज्लिश मा गीतुं , नाचूं मजा लीन्दु छौ फिर दुफरा ढळकण पर महल औन्दो थौ उख नयेकी पूजा करदो थौ फिर स्याम दें राजसभा मा ऐका राजकाज कू काम करदो छौ साथ से बिंडी रा णि यूँ खसम छौ शेम शाह पण कथगा ही चेरियाँ (रखैल) भी छया . श्याम शाह की मुसलमानी चेरियाँ (रखैल) बि छे .[/b]   इन बुले जांद बल अलकनंदा  नौ (नाव) विहार करद वैकी मिरत्यु ह्व़े अर वैकी साथ जनानी वैकी चिता मा सती ह्वेन .[/b] कुमाऊं रज़ा दगड सम्बन्ध: कुमौं रज्जा क दगड क्वी लड़ाई को ज़िकर इतिहासकार नि करदन . हाँ जब शकराम कार्की, विनायक भट्ट  अर पीरु गुसाईं [/b]न कुमाऊं राज पर अधिकार करी त कुमौं क एक राजकुमार त्रिमल चंद न श्याम शाह क राज मा शरण ल़े छे . त्रिमल चंद न अफिक अपणा बल पर फिर से  कुमौं पर अधिकार करी .तिब्बत को दगड लड़ाई: तिब्बत को दगड कबि ना कबि लड़ाई ह्वेई जांदी छे  [/b]श्याम शाह मुग़ल दरबार मा : श्याम शाह 1621 ई.  मा आगरा मा जहाँगीर को दरबार मा गे छौ . तै टैम फर ज्योतिक राय (भरत बहुगुणा )  गढवाळ को राजदूत थौ. [/b]इसाई पादरियूं गढवाळ मा औण : श्याम शाह क बगत इसाई पादरी गढवाळ अर तिब्बत आण बिसे गे छया . यूँ  पदार्युं तैं तिब्बत जाणो खुणि  माणा गाँव से जाण पड़दो  छौ [/b] शेम शाह को व्यक्तिगत समंध पादरियूं दगड ठीक छया . अजेवेदो, मैन्युवल पादरियूं  नाम उल्लेखनीय च [/b] Reference :Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas bhag-4,[/b] History of Garhwal, History of Kumaun )बकै  34 वीं  फड़की मा ...To be continued in 34th     part [/b]

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गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -34
गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 34
Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -34
भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
बदरिकाश्रम मंदिर , ज्योतिर्मठ मा पूजा व्यस्थाप्कुं सूची (820 ई. बिटेन 1946 ई. तलक )
The Chief Priests of Badrikashram (Badrinath ) and JyotirmathTemple from 820 to 1946 AD
820 AD--1222 AD तलक बद्रीनाथ मा तौळ लिख्यां उनीस (19 ) आचार्य ह्वेन जौन बदीनाथ की पूजा अर ज्योतिर्मठ की व्यवस्था करी
तोटकाचार्य
विजयाचार्य
कृष्णाचार्य
कुमारोआचार्य
गरुड़ध्वजाचार्य
विन्ध्याचार्य
विशालाचार्य
वकुलाचार्य
वामनाचार्य
सुन्दरअरुणाचार्य
श्री निवाशाचार्य
सुखनंदाचार्य
विद्यानन्दाचार्य
शिवाचार्य
गिरिआचार्य
विद्याधराचार्य
गुणानन्दाचार्या
नारायणाचार्य
उमापतिआचार्य

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बद्रिकाश्रम मंदिर का दंडी स्वामियों कू बिरतांत ( 1497 -1776 AD )
बद्रिकाश्रम मा सन 1497 का उपरान्त व्यवस्था डंडी स्वामियों हाथ मा आई
(तौळ सभी काल/समौ सम्वत मा च )
१- बालकृष्ण (सम्वत १५०० -१५५७)
२- हरिब्रह्म (सम्वत १५५७-१५५८)
३- हरिस्मरण (१५५८-१५६६ )
४-वृन्दावन ९ १५६६-१५६८)
५-अनंत नारायण (१५६८-१५६९)
6-भवा नन्द (१५६९-१५८३)
७- कृष्णानन्द (१५८३-१५९३)
८-हरि नारायण (१५९३-१६०१)
९-ब्रह्मा नन्द (१६०१-१६२१)
१०- देवा नन्द (१६२१-१६३६)
११- रघुनाथ (१६३६-१६६१)
१२-पूर्ण देव (१६६१-१६८७)
१३-कृष्ण देव (१६८७-१६९६)
१४-शिवा नन्द (१६९६-१७०३)
१५- बाल कृष्ण (१७०३-१७१७)
१६-नारायण उपेन्द्र (१७१७-१७५०)
१७- हरिश्चंद्र (१७५०-१७६३)
१८-सदा नन्द (१७६३-१७७३)
१९-केशव (१७७३-१७८१)
२० नारायण (१७८१-१८२३)
२१ रामकृष्ण (१८२३-१८३३ )

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बद्रिकाश्रम मंदिर मा रावलूं बिरतांत ( 1776 ई.बिटेन 1946 ई. तलक )
सन 1776 ई मा दंडीस्वामी रामकृष्ण की मिरतु ह्व़े त उख बद्रिकाश्रम मा क्वी दंडीस्वामी नि थौ त फिर गढ़ नरेश न
केरल कू नम्बुरी जातिक गोपाल तैं रावल के पदवी देकी बद्रिकाश्रम मंदिर क व्याव्श्था बहार दिनी . तब बिटेन बद्रिकाश्रम मंदिर मा
केरल का नंबूरी, चोली या मुकाणी जातिक ब्रह्म्चार्युं तै रावल बणाणो रिवाज च :
(तौळ समौ संवत मा च )
१- गोपाल ( १८३३-१८४२)
२- रामचंद्र (१८४२-१८४३)
३- नीलदंत (१८४३-१८४८)
४-सीताराम (१८४८-१८५९)
५-नारायण (१८५९-१८७३)
६-नारायण -२ (१८७३-१८९८ )
७-कृष्ण (१८९८-१९०२)
८-नारायण तृतीय (१९०२-१९१६)
९-पुरुषोत्तम (१९१६-१९५७)
१०-वासुदेव (१९५७-१९५८)
११-राम (१९५८-१९६२)
१०- वासुदेव फिर से (१९६२-१९९५)
१२- गोविंदन (१९९५-२००३)
१३- कृष्णन (२००३-)

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गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -35
गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 35
Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -35
भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
केदारनाथ /केदारेश्वर मंदिर का रावलुं नाम (16 सदी का उपरान्त )
A Few Names of Rawals (Chief Priests) of Kedarnath Temple (after 16th century)
केदार नाथ मठ का मुख्य पुजारी तै बि रावल बुल्दन अर युंको नाम का अगने लिंग जरूर होंद. य़ी रावल तमिलनाड , कर्नाटक या केरल का जगम (वीर शैव्य)
साधु होंदन
सोलवीं सदी तलक 286 रावल ह्वेन . 286 वां रावल कू नाम रहस्य लिंग थौ . वैका उपरान्त को बिरतांत :
रहस्य लिंग
ज्ञानदीप लिंग
विशोक लिंग
जनार्दन लिंग
कृतग्य लिंग
धर्मराज लिंग
जटाधर लिंग
ख्यात लिंग
त्रिशूल लिंग
कल्प्राज लिंग
अभिराम लिंग
वरुण लिंग
अजर लिंग
देवदेव लिंग
कपिल लिंग
भालचंद्र लिंग
मुरारी लिंग
अम्ल लिंग
चित्र्काम लिंग
चाँद लिंग
बीरभद्र लिंग
शिव लिंग (१)
शिव लिंग द्वितीय
सितेवर लिंग
महा नीलकंठ लिंग
वासु लिंग
सितेवर लिंग द्वि.
वैद्य लिंग
केदार लिंग
गणेश लिंग
विश्व लिंग
नीलकंठ लिंग द्वि .
जय लिंग
विश्नाथ लिंग

References
1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4
History of Garhwal, History of Kumaun)
2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas
बकै अगने खंड 36 मा बाँचो ...
To be continued part 36

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                      गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क   -36 गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग  36                                            Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -36                                              भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )                               दुलो रामशाह (राज्यरोहण 1581  ई.)                                      इन लगद दुलो रामशाह मनशाह को संरक्षक का  रूप मा  गड्डी मा बैठ अर वैको शासन काल भौत इ कम बताये जान्द दुलो रामशाह  मनोरंजन को शौक़ीन थौ अर घुमण अर  अएड़ी खिलण (hunting ) मा वै तैं रौंस आँदी छे . चकोर , तीतर , कव्वा, मुर्गा लड़ाण ; कुश्ती दिख्न मा ही वो दिन बितान्दो छौ वैक टैम पर राजकाज मंत्री चलाया करदा था. References; 1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4History of Garhwal, History of Kumaun) 2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas 3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir oof Garhwal as translation by Tara Datt Gairola बकै  अगने खंड 37 मा बाँचो ...To be continued part 37                               गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क   -37 गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग  37 Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -37                                                                                         भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )

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                                 गढवाळी रज्जा[/size] महीपतिशाह    (राज्यकाल 1631 -1634  ई. या 1624 -1631  ई )[/size]       [/b]             महीपति  शाह की राजगद्दी विषय मा इतियासकारूं मा कुछ घंघतोळ  च की कब वो राजगद्दी पर बैठी. महीपति शाह बीर पूजक, भड़, छौ अर राज्य बढ़ाण , कठोर निर्णय ल्हींण  मा ओ अगने छौ. महीपति शाह का टैम पर  तिब्बत आक्रमण, कुमाऊं आक्रमण आदि घटना प्रमुख छन. वैका सेना नय्कुं मा माधो सिंह भंडारी , लोदी रिखोला, बनवारी दास तोमर, दोस्त बेग, बर्त्वाल बन्धु  प्रमुख छया वैन तिब्बत सीमा पर कथगा इ चबूतरा बणवैन. महीपति शाह शक्ति पूजक छौ अर एक दें पूजा मा चित्तभ्रम से वो अजीब हरकत कर्ण लगी गे वैन भरत मंदिर रिसिकेस मा देव प्रतिमा की आँख निकाळएन , नंगा गुसांयुं हत्या करी छे. महिपत शाह न कुमाऊं पर आक्रमण बि करी छौ  महिपत शाह का ज़माना मा मुसलमानी पातर (वैश्या) को प्रादुर्भाव ह्व़े गे छौ. धाम सिंह भंडारी : महिपत शाह को बजीर को नौ धाम सिंह भंडारी छौ जु जुवारा को छौ [/b] असवाल : असवाल दवेत्री छौ [/b]सजवाण: सजवाण बि दवेत्री छौ  [/b]बर्त्वाल: बर्त्वाल एक दवेत्री छौ [/b] श्रीकंठ : श्रीकंठ पुरोहित छौ [/b]सेनापति बर्त्वाल अर भयात (बंधु)  : जब मुख्य सेनापति की भड़पन (वीरता) से महिपतिशाह न तिब्बत का दाबा (इख क रज्जा गढवाळी ही थौ) [/b] अर बौध विहार पर अधिकार कर याल त राजा महीपति शाह मुख्य सेनापति लोड़ी रिखोला क दगड सेना सहित राजधानी श्रीनगर आई गे . महिपत शाह न दाबा मा बर्त्वाळ भायत का सेनापतित्व मा उख कुछ गढवाली सेना राख . ह्यूंद औण पर गढवा ळी सेना तैं परेशानी शुरू ह्व़े गे . कत्ति सैनिक मोरी गेन अर कत्ति रोगी ह्व़े गेन . इनमा दाबा क गढ़वाळी नरेश  न ल्हासा क रज्जा (लामा) से मौ मदद माँगी.ल्हासा से एक लामा सेनापति अर तिब्बत को मददगार  जनरल शीतल सिंग की सेना न गढवाली सेना पर धावा बोली दिने. उख लाबा मा घमासान जुद्ध जुड़े . कमजोरी होण पर बि श्रीनगरऐ  गढवाळी सेना बड़ी वीरता से लड़ी. पण सब्बी सेना जुद्ध मा मारे गेबर्त्वाल भयात बि बड़ी वीरता से लड़दा लड़दा मारे गेन. . दुयूँकी तलवार अबी बि दाबा का बौध विहार मा धर्याँ  छन अर बुद्ध मुरती का दगड ही बर्त्वाल भयात (बंधु) की तलवारूं  पूजा अज्युं बि होंद लोदी रिखोला -एक महान बीर भड़ अर सेनापति : लोदी रिखोला महीपति शाह को प्रमुख सेनापति थौ. लोदी रिखोला क जनम बयेळी गाँव, बदलपुर पट्टी मा ह्व़े छौ [/b] बाळपन  से ई वैकी भड़ पन की कथा मशहूर ह्व़े गे था. बयेळी गाँव मा एक बड़ो ढुंग (शिला) अर शहतीर अबी बि गवाह छन की लोदी रिखोला कथगा बड़ो भड़ छौ.युवापन मा ढुंग अर शहतीर तैं इखुल्या इखुली लोदी रिखोला उठै क गाँ मा लै छौ. लोदी रिखोला एक बड़ो जुद्ध ब्युंतदार  (रणनीति कार), सेना संचालक  बि छौ अर वैका सेनापतित्व मा महिपतिशः न  दबा जुद्ध, सिरमौर जुद्ध (जखमा कलसी गढ़ अर बैराट गढ़ पर कब्जा करी), दक्षिण मा भाभर को जुद्ध  जन जुद्ध जितेन  ,              लोदी रिखोला की बीरता से महीपति शाह का कथगा सलाहकार, सभापति जळण बिसे गेन . ऊन एक खड़यंत्र मा लोदी रिखोला कसरल पर कथगा इ घौ करे दिने अर फिर कुछ दिनों मा लोदी रिखोला मोरे गे. लोदी रिखोला की बीरता क बारा मा कथगा ही लोक गाथा गढवाळ मा गीतुं अर कथों रूप मा प्रचलित छन माधो सिंह भंडारी : माधो सिंग को नाम गढवाळ मा बड़ो उच्चो स्थान, मधोसिंग बीर भड़ अर महान सेनापति ही नी छौ बल्कण मा  एक सामजिक परवाण (सामाजिक नेता ) बि छौ [/b] माधो सिंह भंडारी न पख्यड़ खुदैक मेल्था की कूल गाडी छे. जब कूल पर पाणी नि आई त माधो सिंह न अपण इकलौता नौनु गजे सिंह की बळी देवी तैं चढे, पैथर कूल मा पाणी बि आये अर गजे सिंह बि  बची गे माधो सिंग का परवाण गिरी (नेतृत्व ) मा महिपत शाह न लोदी रिखोला क दगड कथगा इ लड़ाई जीतेन. लोदी रिखोला बाद महीपति शाह को प्रमुख सेनापति बणन  उपरान्त माधो सिंह न कथगा लड़ाई लडींन  . अर इन बुले जांद बल लड़ाई मा घाइल ह्वेकि वैकी  मिरत्यु ह्व़े. पण हैकि बोल (कथन/श्रुति) च बल माधो सिंह महिपत शाह का बाद बि गढ़ नरेश श्रीनगर  को सेनापति राई बनवारी दास तुंवर :  बनवारी दस तुंवर जहांगीर या शाहजहाँ को बगत पर दिल्ली बिटेन श्रीनगर नौकरी की खोज मा ऐ छौ अर वो महीपति शाह को एक सेनापति छौ [/b] कुमाऊं पर आक्रमण का बगत बनवारी दास तुंवर सेनापति थौ दोस्त बेग मुग़ल : दोस्त बेग मुग़ल महीपति  शाह की सेना मा एक सेनापति थौ . बर्त्वाल, लोदी रिखोला माधो सिंह भंडारी कू  मोरण पर दोस्त बेग को प्रभाव रज्जा पर भौत ह्वेई. [/b]

 

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