Author Topic: Garhwali Poems Hisotry - गढ़वाली कविताओ का इतिहास  (Read 27368 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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सर्युलोँ /सरोल़ा की संख्या मा बढत
रज्जा अजेय पाल का समौ पर बारा जातिका बामण रज़ा क वास्ता खाणक बणान्दा छया जौं तैं सर्यूळ /सरोल़ा बुले जांद थौ .
अर यो रिवाज गढवा ळ मा बि फैली अर जीमण मा १२ जात्युं का सर्युळ बामण ही भात दाळ बणादा था. एक दें महीपति शाह तिब्बत की
लड़ाई मा गे अर वख सब्बी सर्युळ जड्ड न मोरी गेन फिर परवाणु परामर्श पर महिपत शाह न छै बामणु ज़ात तैं सरयूळ मा शामिल करी
बारह सर्युलुं ज़ात को विवरण या च अर सबी चमोली या टिहरी का तर्फां का छन :
गावं सर्युळ जाती
१- नौटी नौटियाळ
२-मैटवाणा मैटयाळ
३- खंडड़ा खंडूड़ी
४- थापळी थपलियाळ
५- चमोला चमोली
६-सेम सेमवाळ
७- लखेड़ा लखेडा
८- सेम्ल्टा सेम्ल्टी
९- सिरगुरो सिलोडा
१०- कोटि कोटियाळ
११- डिम्मर डिमरी
१२- रतड़ा रतूड़ी
शुची रोटी को रिवाज: दाबा क लड़ाई से पैलि बामण जजमान धोती या लंगोट पैरीक रस्वै बणादा छया. तिब्बत का दबा जगा इथगा ठंडी छे कि
इन मा खाणक बणोण कठण ही छौ . इन मा मह्पति शाह ण रिवाज बणाई कि रस्वै स्यूं झुल्ला का बणये सक्यांद च. तब बिटेन यू रिवाज कायम च
महिपत शाह को नेतृत्व मा रोटी तैं शुची माने जाओ को रिवाज चौल. याने कि रुट्टी तैं रूस्वड़ से भैर भी खाए जै सक्यांद अर जजमान रुट्टी बणाओ त बामण बि खै सकदन
द्वि रिवाज अबी तलक चलणा छन
अग्वाडिक फड़क मा नक्कट्टी राणी बिरतांत बाँचो..
References;
1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4
History of Garhwal, History of Kumaun)
2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas
3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir oof Garhwal as translation by Tara Datt Gairola
बकै अगने खंड 38 मा बाँचो ...
To be continued part 38

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -38
गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 38
Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -38
भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
राणी कर्णावती या नक्कट्टी राणी ((1634 -1640 या 1631 -1640 ई.)
राणी कर्णावती मुस्लिम गाथाकारूं (इतियास कारुं ) बीच नक्कट्टी राणी नाम से प्रसिद्ध च.
जो मनिख राणी की आज्ञा नि माणदो छौ वा वैकी नाक कटवै दीन्दी छै . इलै वींक नाम नक्कट्टी राणी पोड़.
वा बड़ी पर्क्रामी, अर होसियार राणी छे जैन तै अपण राज कि भौत चिंता रौंदी छे
महीपति शाह को इंतकाल को समौ राजकुमार पृथ्वी पति शाह छ्वटु थौ त राज काज कर्णावती राणी तैं संभाळण पोड़.
वींको समौ पर मुग़ल बादशाह शाहजहां कि बि इच्छा होई बल गढवाल राज्य पर अधिकार ह्व़े जाओ
पुरोहित: श्री कंठ राणी कर्णावती को पुरोहित छौ
सेना नायक : माधो सिंह भंडारी अर दोस्त बेग मुग़ल सेना नायक छया . इन लगद माधो सिंह भंडारी को तब तलक इंतकाल ह्व़े गे रै होलू
दून प्रदेश पर मुग़ल अधिकार अर फिर गढवाळ को अधिकार : सिरमौर क रज्जा की मौ मदद से मुगुल राज्य को अधिकार दून प्रदेश पर ह्व़े बि च.
पण फिर राणी कर्णावती न सेनानायक दोस्त बेग को कारण दून प्रदेश वापस जीति
हंसनाथ : देवल गढ़ सत्यनाथ पीढी का नाथ पंथी महात्मा हंस नाथ की वै बगत प्रसिधी छे
प्रभात नाथ : प्रभात नाथ बि देवलगढ़ का महत्मा छ्या अर प्रभात नाथ न मंदिर को जीर्णोद्धार करी अर भ्नादार करी
References;
1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4
History of Garhwal, History of Kumaun)
2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas
3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir oof Garhwal as translation by Tara Datt Gairola
बकै अगने खंड 39 मा बाँचो ...
To be continued part 39

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क   -39 गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग  39 Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -39 भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
 
                                महाराज पृथ्वीपति  शाह (रा.का. 1634 -1664  या 1631 -1664  ई.  )
    पृथ्वी पति शाह महान पराक्रमी, भड़, साहसी , विपदा मा भौत धीरू ,  बैर्युं बिणासी छयो . पृथ्वी पति शाह को जादा तर समौ जुद्ध अर बैरी बिणास मा ही व्यतीत ह्व़े. पृथ्वी पति शाह का समौ की  कुछ  बड़ी घटनाउन बान  याद करे जान्दन : १-पच्छिम का तरफ राज्य बढ़ोतरी : पृथ्वी पति क  टैम पर गढवाळ राज्य सतलज तक पौंची गे थौ. फिर हिमाचल का राजा एक्ब्न्द ह्वेना अर हाट कोटी तक राज राई२- शाहजहाँ से राज्य रक्षा ; पृथ्वी पति तैं शाहजंहा से कथगा दें गढवाल राज्य की रक्छा करण पोड़ . पैथर पृथ्वी पति के डरा शिकोह दगड दोस्ती होई गे ३- पृथ्वी पति को नौनु मेदनी शाह को  दिल्ली दरबार मा जाण  ४- जब औरंगजेब न अपण भायुं तैं गिरफ्तार करीक दिल्ली को राज हथियाई त दारा शिकोह को नौनु सुलेमान सिकोह तैं पृथ्वी पति न श्रीनगर मा  शरण दे छे ५- सुलेमान शिकोह तैं पृथ्वी पति को नौनु मेदनी शाह न औरंगजेब तैं सौंप ६- मेदनी शाह न औरंगजेब को तरां अपण बुबा को राज्य हथियाई पृथ्वी पति शाह का दरबारी: पुरोहित : श्री कंठ राजगुरु : सारंगधर नौटियाल अर वृहस्पति बजीर: माधो सिंह भंडारी सेना नायक : माधो सिंह भंडारी को ब्यटा   गजे सिंह देवत्री : डोभाल दीवान ; बंदे सिंह भंडारी राणी : पृथ्वी पति शाह की भौत सी राणी छे . मथुरा बौराणी : मथुरा बौराणी को एक रजत पत्र देव प्रयाग मंदिर मा च (1664 AD ). मथुरा  बौराणी गजे सिंह की कज्याण छे गजे सिंह भंडारी: गजे सिंह भंडारी बि अपण बुबा ज्यू माधो सिंह भंडारी जन  बड़ो भड़ (बलशाली, वीर )  थौ. गजे सिंह त्यागी छौ. गढवाल राज्य रक्छा बान वैन कथगा इ लड़ऐयूँ मा भाग ल़े गजे सिंह का कत्ति पावडा  /जागर/लोक गीत गढवाळ मा अबी तलक चलदन राणी बर्त्वाल जी, राणी सिरमौर जी : पृथ्वी पति शाह को मोरणो परांत सात साल तक फतेशाह की अभिभावक का रूप मा राणी बर्त्वाल जी न राज सम्बाळ , ए बीच मेदनी शाह मुग़ल दरबार मा ही राई . बीच मा राणी सिरमौर जी न बि अभिभावक का रूप मा राज करी
References;1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4 History of Garhwal, History of Kumaun) 2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas 3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir oof Garhwal as translation by Tara Datt Gairola बकै  अगने खंड 40 मा बाँचो ...To be continued part 40   

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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   गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क   -40 गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग  40 Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -40 भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
 
मेदनी शाह (रा.का.1664 -1684  ई. )
               
मेदनी शाह एक अवसरवादी  मनिख छयो. वैन 1661  ई. मा अपण बुबा ज्यू क राजगद्दी छीनी पण [/b]
[/size] लोखुंन वै तैं तबी राजा मान जब वैका बुबा ज्यू गुजरी गेन सुलेमान सिकोह तैं मेदनी शाह न औरंगजेब तैं सौंप बुटोळगढ़ पर अधिकार : मेदनी शाह की सेना मा सेनानायक तुंवर न बुटोऊळ गढ़ जीति अर तुंवर सेनानायक तैं मेदनी शाह न बुटोला नेगी कि उपाधि दे थै. पृथ्वीपुर कस्बा बसाण  : औरंगजेब से मेदनी शाह तैं दून को पट्टा मील अर मेदनी शाह न अपण बुबा ज्यू का नाम पर उख एक कस्बा बसै. बाज बहादुर को आक्रमण : ये समौ पर पूरबी सीमा क रज्जा बाज बहदुर न गढवाळ पर आक्रमण करी थौ. पुरिया नैथाणी :  पुरिया नैथाणी एक होशियार राजनायक छौ . जब कै स्य्यिद न भाभर पर कब्जा करी त मेदनी शाह न पुरिया नैथाणी तैं औरंगजेब का दरबार मा भेजी अर सईद बिटेन भाभर वापस ल़े . पुरिया नैथाणी न औरंगजेब से कथगा ही कर ख़तम कर्रें. पुरिया नैथाणी क होशियारी का कथगा इ किस्सा लोक कथाओं मा  प्रसिद्ध छन अल्पवयस्क राजा प्रदीप शाह के रक्छा बि पुरिया नैथाणी न करी छे मेरी गंगा  ह्वेली तो मीमा आली: हरिद्वार मा जब हौरी राजाओं न गढवाली राजा से पैलि नयाणो खड़यंत्र रच गंगा न अपनों रस्ता बदली अर गढ़वाळी राजा मेदनी शाह क शिविर का पास बगण बिसे गे गुरु राम राय तैं जगा : मेदनी शाह न निरंकारी गुरु गुरु राम राय तैं देहरादून मा धामावाला गाँव डेरा बसाणे दे मेदनी शाह क टैम पर कुमौं नरेश न उत्तरी गढवाळ पर आक्रमण बि करी मेदनी शाह न डोटी नरेश से संधि करी छे मेदनी शाह का टैम पर रानीतिक उठा पटक ही राई मनसबदार भीमसिंह /भीमसिंह बर्त्वाल:: १६५८-१६७८ ई. तलक मुग़ल दरबार मा गढवाल का द्वी प्रतिनिधि (मनसबदार ) छया. एक को नाम भीम सिंह या भीम सिंह बर्त्वाल थौ. भीमसिंह तैं १००० जात अर ६०० सवार को मनसब मिल्युं थौ . सैत  च भीम सिंह राणी बर्त्वाळी को भै बंद राय होलू मनसबदार प्रेम सिंह : प्रेम सिंह तैं बि १००० जात अर ५०० सवार को मनसब मिल्युं थौ. References;1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4 History of Garhwal, History of Kumaun) 2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas 3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir of Garhwal as translation by Tara Datt Gairola बकै  अगने खंड 41 मा बाँचो ... To be continued part 41   

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गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क   -41 गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग  41 Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -41 भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
  महाराज फतेपति शाह (फतेशाह )  (रा.का. १६६४-१७१६ ई. )
     फतेपति शाह को राज्य काल क बारा मा इतियास कारुं मा घंघतोळ इ च .   फतेशाह वीर, पराक्रमी , भड़, सांसदार (साहसी) थौ जैक राज मा , पड़ोसी राजाओं दगड कथगा जुद्ध ह्वेन .  महाराज  फते शाह न जिंदगी का भौत सा हिस्सा जुद्ध भूमि मा बितायेन . प्रजा क दगड वैको संपर्क बरोबर रौंदो थौ. गढवाल का सीमान्त अडगै (क्षेत्र) मा आक्रमणकारियूँ से प्रजा की रक्षा करें मा अगने छौ .महाराज फते शाह कवियों, विद्वानुं , चित्र्कारून  बड़ो मान करदो छौ  . गुरु व पुरोहित : फते शाह का राज मा वृहस्पति ओझा, धीरेन्द्र जी, बागेश्वर ज्यू, गुणा नाथ जोशी, मणि कंठ दुयाल, पूर्ण नन्द कंडवाल पुरोहित अर गुरु छाया बजीर: चन्द्र मणि डंगवाल अर गजे सिंह भंडारी राज ज्योतिषी : जटा धर मिश्र बक्षी : केसर सिंह सुकेत्या , भोजवाण , भादल का बणिया दीवान : चारो खत्री , गुलाब सिंह भंडारी ; नित्या नन्द डोभाल लेखवार : धीरज मणि पैन्युली                   फौन्ज्दार ; घाल का - बीरा नेगी रवांई का : अर्जुन सिंग रायजादा, बलराम सकन्यानीसल़ाण का : औतार सिंह भंडारी भांग  का : रौथाण , मेघा बुगाणि , गुणा, नत्थू , मिसर, सिद्ध साह टकसाली : केसोपुरी, निर्मल पुरी उमराव : असवाल, झिन्क्वाण , बर्त्वाल , सजवाण  मंत्री  : धमादों  दीना नाथ पल्याल नागपुर खान को कारिन्दा : गरीबदास नागपुर का कमीण : मदु रावत दालिपोथा का खिदमत गार : दीना बुगाणोंबद्रीनाथ का रावल : नारायण, सीताराम केदारनाथ का रावल : महालिंग देहरा का महंत : माता पंजाब कौर २४ राणियाँ ; महाराज फते शाह के चौबीस राणियां छे १- सुकेत जी - २ २- कुमैणी  जी -२३- पश्चिम की  -२४-कहलूर की - २५-बघाट कि  -२ ६ - मडी की - १७- बिसर की -२८- बर्त्वाली - २९- झिन्क्वाणी -२१०-बड़े पुरिया की- २११-जस रोटा  की -२१२- जम्मू की -१

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गुरु राम राय तैं गाँव  दान : फतेशाह न गुरु राम राय तैं सात हौरी गाँव दान मा दिनी . अर फिर ड्यारा दू ण (देहरादून ) सहर बसणे शुरुवात ह्व़े

 
श्रीनगर मा गुरु राम राय मंदिर :फते शाह न एक गुरु राम को मंदिर श्रीनगर मा बि बणे छयो जु बिरही गंगा औगळ-बौगळ (बढ़ )  मा बौगी गे

सिरमौर से युद्ध : फतेशाह की सिरमौर से जुद्ध ह्व़े छौ .सिरमौर का हिसा पर कब्जा बि करी, पण औरंगजेब का दबाब में वापिस करी.गुरु गोविन्द सिंग का दगड झडप : फते शाह की ख्द्प गुरु गोविन्द सिंह से अपण समद्युळ का वजे से ह्वीं दाबा गढपति  को दगड लड़ाई: दाबा रज्जा न जब कर दींण बंद करी त  फते शाह न वै पर आक्रमण करी एर वै तैं हराई श्रीनगर पर कुमौं क रज्जा को अधिकार : १७०९ ई मा कुमाऊं का रज्जा को अधिकार श्रीनगर पर होई फिर १९१० मा फते शाह न श्रीनगर अर बाकि जगाओं पर दुबार अपण अधिकार करी.

पुरिया नैथाणी का दौत्य कार्य: पुरिया नैथाणी के  राज्नैयीक चतुरता का वजे से दिल्ली का बादशाह न गढवाल पर आक्रमण निकरी.

कवि भूषण को गढवाल औण : फते शाह कवियुं आदर करदो छौ. इन बुले जांद कवि भूषण १६८५ का करीब गढवाळ ऐ थौ.

कवि मतिराम को गढवाळ औण : कवि मतिराम गढवाळ ऐ छौ अर गढवा ळ मा ' व्रितकौमादी' की रचना करी छे

कवि रतन (क्षेमराज) को गढवाळ औण : क्षेम राज कवि भौत सा साल श्रीनगर राज दरबार मा राई अर क्षेम राज न कथगा इ संस्कृत ग्रन्थ रचेन जु अबी बि सेंट   पीट्स बर्ग पुस्तकालय मा छन


राज सभा का नवरत्न : श्रीनगर दरबार मा नौ रत्न छया जौंक नाम इन छन  : सुरेशा नन्द बडथ्वाल रेवत राम धष्माना रुद्री दत्त किमोठी हरि दत्त नौटियाल वासबा नन्द बहुगुणा, किर्ती राम  कैंथोला शशि धर डंगवाल सहदेव चंदोला  हरि दत्त थपलियाल ज्योतिषी जटाधर मिश्र : जाता धर मिश्र न ज्योतिष पर कति ग्रन्थ लेखिन . नीलकंठ : नीलकंठ संस्कृत  को प्रकांड विद्वान् थौ सुखदेव मिश्र : सुखदेव मिश्र संस्कृत को बड़ो विद्वान् छौ राम चन्द्र कंडियाल  : सभा कवि राम चन्द्र कंडियाल न संस्कृत मा ' फतेहशाहयशोवर्णन ' की रचना करी थौ. चित्रकार श्याम दास ; चित्रकार श्याम दास दरबारी तसवीरदार छयो जो मेदनी शाह का टैम पर सुलेमान सिकोह का दगड श्रीनगर ऐ गे छयो चित्रकार केहिर दास  : केहिर दास श्याम दस को नौनु छौ अर दरबार क तस्वीर दार छौ चित्रकार  मंगत राम : श्याम दास को नाती मंगत राम बि दरबारी तस्वीर दार छयो.

 References;
1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4 History of Garhwal, History of Kumaun) 2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas 3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir of Garhwal as translation by Tara Datt Gairola बकै  अगने खंड 42 मा बाँचो ... To be continued part 42   

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गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क   -44 गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग  44 Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -44 भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti ) महाराज ललित शाह  (1772 -1780  ई. ) ललित शाह को राजगद्दी मा बैठण अर मोरण तिथियुं मा बि घंघतोळ च .मौलाराम को अनुसार लाल्ट शाह क दूसरों राज लुठणो लालच न गढवाळ राज्य विणासऔ पौ  (आधार शिला ) धार लाल्ट शाह न सिरमौर रज्जा की सक्यात (तागत) को तैं अंथाज्याँ  (अनुमान )  बगैर सिरमौर पर आक्रमण करी अर सेना तै हार दिखण पोड़. . कुमौं पर अधिकार की ल्ह़ाळसा से वैको धन अर पराणु नाश ह्व़े ललित शाह को नौनु जैकृत शाह तैं गढ़वाळ बिटेन भजण पोड़ . एक नौनु प्रदयुम्न न वैको राज छीनी . ललित  शाह का द्वी नौनु प्रदयुम्न अर पराक्रम शाह को आपसी झगडा से गुर्ख्याणी  राज को बाटो साफ़ ह्व़े ललित शाह का दरबारीगुरु : कमला पति  नौटियाल , गुण नाथ ओझा बजीर; सुलतान सिंह सजवाण, जयदेव सिंह डंगवाळ  दफ्तरी : प्रेम पति खनूड़ी . शिव देव, चन्द्र मणि देवान : प्रबल सिंह खत्री , जै सिंह भंडारी बक्शी : सुकेत्या  लेखवार : धीरजमणि पैन्यूली , श्रीचंद डोभाल दानाध्यक्ष : भूदेव पंत टकसाली : मौला राम गोलदार ; मियाँ धन्नू गद्दी सभासद : क्रष्ण नन्द जोशी, गोत्र नन्द , महंत मायाराम, केदार सिंह गुलेरिया, घमंड सिंह, बिजराम नेगीसोबन सिंह बागड़ी नेगी ललित शाहऐ  राणी ,  राजकुमार अर राजकुमारी जसरोटिया ज्यू : अजमत्देव की बेटियाँ -२ डोटियाल ज्यू :  राजकुमार प्रदयुम्न अर पराक्रम की ब्व़े कैठल़ी  ज्यू : जैकीर्ती शाह की ब्व़े कुमाणी ज्यू ; क्फ्ल्ड क कुमाई भैचंद की नौनी अर प्रीतम शाहऐ ब्व़े राजकुमारी ज्यू : राजकुमारी ज्यू को ब्यो देहरादून को थोकदार (जमीदर ) गुलाब सिंह पुंडीर को दगड ह्व़े

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From - Bhishma Kukreti.

ललित शाहे बगत गढवाळ मा उठा पोड़ (उठा पटक ) बदरीनाथ मा रावलूं पुजारी बणन : ललित शाह को बगत पर ही बद्रीनाथ मंदिर मा रावलूं तै पुजारी [/b] बणये गे छौ. पैलि रावल ज्यू का नम गोपाल ज्यू थौ डिम्मर का डिमरी : गोपाल ज्यू का नम्बुरी भै बन्धुं तैं डिम्मर गाँव दिए गे थौ अर ऊ दिम्मारी जात का ह्व़े गेन दून मा व्यवस्था : दून क्षेत्र पर प्रद्देप शाह क टैम पर फिर से गढवाल को अधिकार ह्व़े गे छौ . ललित शाह को टैम पर ही  दून की राजधानी नवादा से डेरा का पास खुड बुड़ा मुहल्ला मा लये गे जां से दून व्यवस्था मा गुरु दरबार को असर साफ़ दिखेण बिसे गे दखणी भाभर पर शुजाउद्दौल़ा को अधिकार : दखणी भाभर का मोरध्वज, चंदनपुर अर मोटा ढंग पर [/b] दून पर जाबितखां को असफल आक्रमण ह्व़े [/b]दून पर सिखूँ आक्रमण हुंदा ही रैन सिरामुर पर लाल्ट शाह को आक्रमण : ललित  शाह न अपण राजकुमारूं  खुणी नयो राज्य को चक्कर मा सिरमौर देश पर आक्रमण करी अर पराजय झेली

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कुमाऊं अभियान   कुमौं का राज्य दरबारी जोशियों की भकलौणी अर लालच मा ऐकी लाल्ट शाह न अपण नौनु प्रद्याम्नु शाह तैं श्रीनगर मा ही कुमाऊं को राजा घोषित करी दे अर जोशियों तैं लाखो रूप्या देनी पैथर चालाक हर्ष देव जोशी न दुलड़ी शिविर मा  बड़ी बेज्जती कार अर वखी  दुलेडी शिविर मा ललित  शाह को इंतकाल ह्व़े ललित  शाह धन से बे गे अर मान से बि गे जगदेव बहुगुणा : मेघाकर शाश्त्री को भुला बि संस्कृत को विद्वान् छौ , कवि छौ अर ज्योतिषी बि छौ पोखरी मा पुस्तकालय : द्वी बहुगुणा भायुं न अपण गाँव पोखड़ा मा एक बड़ो पुस्तकालय खोली छौ जख मा हथा लिख्या कथगा ही ग्रन्थ छया .पण जोशियाणी  का बगत कुमाऊं का पंडित  सौब ग्रंथुं तैं कुमाऊं ल़ी गेन References;1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4History of Garhwal, History of Kumaun) 2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas 3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir of Garhwal as translation by Tara Datt Gairola बकै  अगने खंड 45 मा बाँचो ... To be continued part 45   

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गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क   -45 गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग  45 Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -45 भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
महाराज जैकीर्ति शाह (१९८०-१९८५)
उन त ये रज्जा का नामै अगने जै अर पैथर कीर्ति छयो पण ये तैं दुयूं मादे कुछ बि नि मीलललित  शाह को गुजरणो बगत फर पराक्रम शाह अर प्रदयुम्न शाह छ्वाता छया त जै कीर्ति शाह गढवाळऔ रज्जा बौण जै कीर्ति शाह क  दरबारी तीन राणी : कठयाण जी , हतनावर जी , अस्वाळ जी बजीर : जयदेव मिंयाँ , मोहन सिंह रावत मुख्त्यार ; नित्या  नन्द खंडूड़ी , कृपाराम डोभाल दफ्तरी : अजब्राम नेगी, वासबानंद , हरिदत्त खंडूड़ी , श्याम सिंह बक्शी : देवी दत्त डोभाल देवान : भवानंद , श्रीविलास नौटियाल, घमंड सिंह, धनीराम डोभाल लेखवार : दिवाकर, सर्पा नन्द पैन्युली                        फौंद दार नित्या नन्द खंडूड़ी का पतन का बाद कृपाराम डोभाल सल़ाण का फौंद दार बि अफु बौ णि गे रंवायीं का गजे सिंह बागड़ी दून का -हरि सिंह अर उम्मेद सिंह सलाण का - रामा खंडूड़ी , उछब सिंह खत्री , नित्या नन्द खंडूड़ी ज्युलू : मुन्ना द्युलू नेगी : उछव सिंह, सोहन सिंह, दीवान सिंह गोलदार : विजय राम, मिंयाँ धन्नू गद्दी , बलिया प्रेम पति खंडूड़ी: जब ललित शाह न प्रदयुम्न शाह अर पराक्रम तैं कुमाऊं भेजी छौ त प्रेम पति खंडूड़ी दुयुंका  अभिभावक छौ  धनी राम डोभाल: कृपा राम को नौनु बि राज दरबारी छौ नित्या नन्द खं डू ड़ी का पतन का बाद महल का रक्षा बहार कृपा राम डोभाल न अपण रिश्तेदार भवानंद नौटियाल तैं दिने  नित्या नन्द खंडूड़ी को खड़यंत्र अर नित्या नन्द को आँख फुटण  : जै कीर्ती शाह  कृपाराम डोभाल पर जादा भर्वस करदो छौ अर डोभाल तैं मुख्त्यार बणे दे नित्यानंद खंडूड़ी प्रक्रम तैं श्रीनगर को अर पद्य्मन तैं कुमाऊं का राजा बणान चांदो छौ अर वैन ख्द्यन्त्र कौरिक कुमौं को मंत्री  जया नन्द जोशी तैं अपण तरफ करी अर जया नन्द तैं श्रीनगर बुलाई रज्जा की मर्जी से कृपाराम डोभाल न खंडूड़ी का खास लोकुन तैं दरबार से अलग कार , खंडूड़ी तैं  , जण बच्चा  सैत परवार  तैं बंदी बणेक बनड़  गढ़ को जेल मा बण्ड करी दे अर पैथर वैका आंका फोड़ी दिने . नित्यानंद की जायजाद जब्त करे गे कुमौं मंत्री जयानंद को श्रीनगर औण : येई टैम पर कुमाऊं को मंत्री जयानंद जोशी श्रीनगर ऐं . जयानंद जोशी न अपण बूड खुडून तरां  भमकी दे पण कृपाराम डोभाल न कुछ नि सुणी अर जया नन्द तैं खाली हथ वापस बौडे भेजी . जांद दें दगड मा राजकुमार  प्रदयुम्न शाह बि कुमाऊं गे कृपाराम की डोभालगिरी नित्यानंद को पतन परांत कृपाराम अधिनायक जन ह्व़े गे, ख़ास जगाओं पर अपण आदिम लगै देन यां से  अर दुसर मंत्री, राज दरबारी, राजकाज का चाकर रूसे  गेन नेगीयुं खड़यंत्र अर कृपाराम डोभाल की हत्या  कृपाराम की अधिनायकबाजी से राजदरबार का उच्छव सिंह नेगी, सोबन सिंह नेगी , दीवान सिंह खत्री न दून का फौंद दार घमंड सिंह मियाँ अर वैको भै  केदार सिंह तैं अपण तरफ मिलैक एक खड़ यंत्र रची, सक्कड़ (गुप्त मंत्रणा ) करी .सक्कड़ का तहत घमंड सिंह अर दून का हरि सिंह सेना समेट श्रीनगर ऐं अर बीच राजसभा मा जै कृत शाह का सामणि ही कृपा राम डोभाल की हत्या करी दे घमंड सिंह मियाँ न कृपा राम डोभाल का खास अर सम्बंधीयुं तैं जेल मा डाळी दे  अर अफिक मुख्त्यार बौणि गे राजा कमजोर ह्व़े गे घमंड सिंह की घमंड गिरी अर फिर पतन घमंड सिंह न कृपाराम से बि बिंडी मनमानी करी अर फिर राजदरबारी वै से बि तंग ऐ गेन   विजय राम,  अजबराम नेगी, धन्नू गद्दी , उपनायक लछमन, बलिया, केवल गद्दी  गोलदारून घमंड सिंह की हत्या क बान सक्कड़  करी. य़ी सब्बी कुछ दिनी श्रीनगर से भैर गेन अर फिर यूँ छ्युं न  श्रीनगर पर आक्रमण करी .घमंड सिंह मियाँ अपण जाण बचाणो मध्य देस भाजे गे अर इन्नी केदार सिंह बि भागी गे फिर सब ठीक ठाक ह्व़े अर जु जन छ्या वो अपण पड पर आई गेन उम्मेद सिंग तैं दून को फौंद दार बणये गे .सिखों आक्रमण अर सिखुं तैं रखड़ी सिख भाभर दून मा लूट करदा छया . फिर यूँ सिखुं ण रखडी कर ल़ीण  शुरू कौर अजबराम को खड़यंत्र गोलदार अजब सिंह बि घमंड सिंह का तरां घमंडी हों बिसे गे अर वैन राजा से कुछ अनावश्यक मांग धर ण शुरू करी देनफिर गोलदारून सक्कड़ करी  कि श्रीनगर राज्य तैं हड़पे जाओ. जांके भणक हौरी राज्दर्बार्युं तै पड़ी गे मौलाराम  (कवि , मंत्री, टकसाली, चित्रकार) की हिकमत अर चालाकी से कुछ गोलदार रज्जा दगड ह्व़े गेन अर फिर यां से अजब राम, विजय राम, धन्नू गद्दे अपण सेना लेकी कुमाऊं भाजी  गेन सोवन सिंह, उच्छव सिंह अर दीवान सिंग तैं रज्जा जै कीर्ति शाह न मरवाई दिनी ये दौरान घमंड सिंह का पतन का बाद भवा नन्द नौटियाल अर श्रीविलास नौटियाल तैं जेल से भैर कौरिक रज्जा न फिर से राज दरबारी बणे पण यूँ पर बि घमंड को रोग शुरू ह्व़े गे अर पैथर रज्जा न यूँ तै श्रीनगर से भैर करी दे अजब राम अर घमंड सिंह को दुबर श्रीनगर  आण  अजब राम अर घमंड सिंह कुमाऊं से दुबर श्रीनगर ऐं अर अब की दें उन तैं क्वी रोकी नि सकीन अजब राम अर घमंड सिंह ण राजा जै कीर्ति शाह तैं घर बंदी बणे दे  अब राजा की कुछ चलदी ही नि छे प्रदयुम्न अर पराक्रम तैं श्रीनार पर धावा बोलणो न्यूत अजब राम अर घमंड सिंह न कुमाऊं मा राज पाठ दिखण वाळ प्रदयुम्न अर पराक्रम शाह तैं न्यूत भ्याज बल श्रीनगर मा जाय कीर्ति शाह तैं राज्य से बेदखल करण अर याँ से प्रदयुम्न शाह अर पराक्रम शाह द्वी भै अप ण भैजी पर आक्रमण का वास्ता सेना लेकी श्री नगर का तर्फां  आण बिसेन मौलाराम की होशियारी से सिरमौर बिटेन जगत प्रकाश के सेना को आण मौलाराम की होशियारी से सिरमौर क रज्जा जगत प्रकाश तैं मौ मदद का बान श्रीनगर बुलाई दे जगत प्रकाश की सेना से पैलि ही प्रदयुम्न शाह अर पराक्रम शाह की कुमाउनी सेना न श्रीनगर घेरी दे छौ पण जगत प्रकाश की सेना न विजय राम अर घमंड सिंह तैं    मारी अर पराक्रम प्रदयुम्न की सेना तैं हरै दे अजब राम कुमाऊं भाजे गे जगत प्रकाश न जै कीर्ति शाह तैं कुमाऊं पर आक्रमण की राय दे पण राजा अर हौरी लोग तैयार नि ह्वेन जगत प्रकाश तैं दून की जागीर दिए गे अर सवा  लाखेक रूप्या बि दिए गेन जोश्याणी  (जोश्युं अत्याचार) देवलगढ़ की लूट : जै कीर्ति शाह जब अपण कुलदेवी राज राजेह्स्व्री कि पूजा बान देवलगढ़ आई त जोश्युं बुलण पर प्रदयुम्न शाह न जै कीर्ति शाह पर आक्रमण करी दे . जै कीर्ति का पास सेना भौत कम छे त जै कीर्ति शाह तैं भगण पोड़  अर कुमाउनी सेना ण देवल गढ़ मा लूट मचाई पुस्तकालय की लूट : कुमौं का पंडित बि सेना का दगड अयाँ छ्या उन पोखरी क पुस्तकालय की लूट करीअर सौब किताब ल्ही गेन इना  प्रदयुम्न शाह श्रीनगर मा राज करने व्यवस्था मा लग्युं छौ उना पराक्रम कुमौं मा छौ जै कीर्ति शाह को दुबर श्रीनगर पर अधिकार : जब कुमाऊं को रज्जा श्रीनगर से प्रदयुम्न शाह कुमौं बौड़ त जै कीर्ति शाह न दुबर श्रीनगर पर अधिकार करी. धनीराम को उत्पात :मंत्री  धनीराम डोभाल बल्द कृपाराम डोभाल बि घमंडी ह्व़े गे छौ अर उनां अजबराम को खड़यंत्र त चलणारौंद था. एक दें धनीराम ण रज्जा तैं रुप्यौं बान धौंस दे अर फिर रज्जा तैं अपण धन धनीराम तैं दीण पोड़ रज्जा खिन्न ह्वेका देव प्रयाग चली गे अर उख वैकी मृत्यु ह्व़े राणी स्टी ह्वेन राणयूँ  सराप : चार राणी जु जै कीर्ति शाह क शब् का साथ स्टी ह्व़े छया ऊन प्रदयुम्न शाह, पराक्रम शाह , राज दरबार्युं तैं सराप दे बल जन कुगति हमारी ह्व़े तनने तुमारी बि ह्वेन रज्जा का मोरणो बाद श्रीनगर, देव प्रयाग सबि जगा राजा क धन , जेवरात स्ब्युं की लूट खसोट ह्व़े . जै कीर्ति शाह सहभागिता तैं जरोर माणदो छौ पण वैका भाई, राज दरबारी सद्यानी ख़ड़यंत्रों मा लग्यां रैन. जै कीर्ति शाह असल मा राज करणों मा भौत ही संत थौ जां से गढवाळ अर कुमाऊं को बिणास ह्व़े जै कीर्ति शाह एक असफल डिप्लोमेट शाबित ह्व़े    References:1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4History of Garhwal, History of Kumaun) 2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas 3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir of Garhwal as translation by Tara Datt Gairola बकै  अगने खंड 46 मा बाँचो ...To be continued part 46    Copyright @ Bhishm Kukreti, Mumbai

 

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