गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -45 गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 45 Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -45 भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
महाराज जैकीर्ति शाह (१९८०-१९८५) उन त ये रज्जा का नामै अगने जै अर पैथर कीर्ति छयो पण ये तैं दुयूं मादे कुछ बि नि मीलललित शाह को गुजरणो बगत फर पराक्रम शाह अर प्रदयुम्न शाह छ्वाता छया त जै कीर्ति शाह गढवाळऔ रज्जा बौण जै कीर्ति शाह क दरबारी तीन राणी : कठयाण जी , हतनावर जी , अस्वाळ जी बजीर : जयदेव मिंयाँ , मोहन सिंह रावत मुख्त्यार ; नित्या नन्द खंडूड़ी , कृपाराम डोभाल दफ्तरी : अजब्राम नेगी, वासबानंद , हरिदत्त खंडूड़ी , श्याम सिंह बक्शी : देवी दत्त डोभाल देवान : भवानंद , श्रीविलास नौटियाल, घमंड सिंह, धनीराम डोभाल लेखवार : दिवाकर, सर्पा नन्द पैन्युली फौंद दार नित्या नन्द खंडूड़ी का पतन का बाद कृपाराम डोभाल सल़ाण का फौंद दार बि अफु बौ णि गे रंवायीं का गजे सिंह बागड़ी दून का -हरि सिंह अर उम्मेद सिंह सलाण का - रामा खंडूड़ी , उछब सिंह खत्री , नित्या नन्द खंडूड़ी ज्युलू : मुन्ना द्युलू नेगी : उछव सिंह, सोहन सिंह, दीवान सिंह गोलदार : विजय राम, मिंयाँ धन्नू गद्दी , बलिया प्रेम पति खंडूड़ी: जब ललित शाह न प्रदयुम्न शाह अर पराक्रम तैं कुमाऊं भेजी छौ त प्रेम पति खंडूड़ी दुयुंका अभिभावक छौ धनी राम डोभाल: कृपा राम को नौनु बि राज दरबारी छौ नित्या नन्द खं डू ड़ी का पतन का बाद महल का रक्षा बहार कृपा राम डोभाल न अपण रिश्तेदार भवानंद नौटियाल तैं दिने नित्या नन्द खंडूड़ी को खड़यंत्र अर नित्या नन्द को आँख फुटण : जै कीर्ती शाह कृपाराम डोभाल पर जादा भर्वस करदो छौ अर डोभाल तैं मुख्त्यार बणे दे नित्यानंद खंडूड़ी प्रक्रम तैं श्रीनगर को अर पद्य्मन तैं कुमाऊं का राजा बणान चांदो छौ अर वैन ख्द्यन्त्र कौरिक कुमौं को मंत्री जया नन्द जोशी तैं अपण तरफ करी अर जया नन्द तैं श्रीनगर बुलाई रज्जा की मर्जी से कृपाराम डोभाल न खंडूड़ी का खास लोकुन तैं दरबार से अलग कार , खंडूड़ी तैं , जण बच्चा सैत परवार तैं बंदी बणेक बनड़ गढ़ को जेल मा बण्ड करी दे अर पैथर वैका आंका फोड़ी दिने . नित्यानंद की जायजाद जब्त करे गे कुमौं मंत्री जयानंद को श्रीनगर औण : येई टैम पर कुमाऊं को मंत्री जयानंद जोशी श्रीनगर ऐं . जयानंद जोशी न अपण बूड खुडून तरां भमकी दे पण कृपाराम डोभाल न कुछ नि सुणी अर जया नन्द तैं खाली हथ वापस बौडे भेजी . जांद दें दगड मा राजकुमार प्रदयुम्न शाह बि कुमाऊं गे कृपाराम की डोभालगिरी नित्यानंद को पतन परांत कृपाराम अधिनायक जन ह्व़े गे, ख़ास जगाओं पर अपण आदिम लगै देन यां से अर दुसर मंत्री, राज दरबारी, राजकाज का चाकर रूसे गेन नेगीयुं खड़यंत्र अर कृपाराम डोभाल की हत्या कृपाराम की अधिनायकबाजी से राजदरबार का उच्छव सिंह नेगी, सोबन सिंह नेगी , दीवान सिंह खत्री न दून का फौंद दार घमंड सिंह मियाँ अर वैको भै केदार सिंह तैं अपण तरफ मिलैक एक खड़ यंत्र रची, सक्कड़ (गुप्त मंत्रणा ) करी .सक्कड़ का तहत घमंड सिंह अर दून का हरि सिंह सेना समेट श्रीनगर ऐं अर बीच राजसभा मा जै कृत शाह का सामणि ही कृपा राम डोभाल की हत्या करी दे घमंड सिंह मियाँ न कृपा राम डोभाल का खास अर सम्बंधीयुं तैं जेल मा डाळी दे अर अफिक मुख्त्यार बौणि गे राजा कमजोर ह्व़े गे घमंड सिंह की घमंड गिरी अर फिर पतन घमंड सिंह न कृपाराम से बि बिंडी मनमानी करी अर फिर राजदरबारी वै से बि तंग ऐ गेन विजय राम, अजबराम नेगी, धन्नू गद्दी , उपनायक लछमन, बलिया, केवल गद्दी गोलदारून घमंड सिंह की हत्या क बान सक्कड़ करी. य़ी सब्बी कुछ दिनी श्रीनगर से भैर गेन अर फिर यूँ छ्युं न श्रीनगर पर आक्रमण करी .घमंड सिंह मियाँ अपण जाण बचाणो मध्य देस भाजे गे अर इन्नी केदार सिंह बि भागी गे फिर सब ठीक ठाक ह्व़े अर जु जन छ्या वो अपण पड पर आई गेन उम्मेद सिंग तैं दून को फौंद दार बणये गे .सिखों आक्रमण अर सिखुं तैं रखड़ी सिख भाभर दून मा लूट करदा छया . फिर यूँ सिखुं ण रखडी कर ल़ीण शुरू कौर अजबराम को खड़यंत्र गोलदार अजब सिंह बि घमंड सिंह का तरां घमंडी हों बिसे गे अर वैन राजा से कुछ अनावश्यक मांग धर ण शुरू करी देनफिर गोलदारून सक्कड़ करी कि श्रीनगर राज्य तैं हड़पे जाओ. जांके भणक हौरी राज्दर्बार्युं तै पड़ी गे मौलाराम (कवि , मंत्री, टकसाली, चित्रकार) की हिकमत अर चालाकी से कुछ गोलदार रज्जा दगड ह्व़े गेन अर फिर यां से अजब राम, विजय राम, धन्नू गद्दे अपण सेना लेकी कुमाऊं भाजी गेन सोवन सिंह, उच्छव सिंह अर दीवान सिंग तैं रज्जा जै कीर्ति शाह न मरवाई दिनी ये दौरान घमंड सिंह का पतन का बाद भवा नन्द नौटियाल अर श्रीविलास नौटियाल तैं जेल से भैर कौरिक रज्जा न फिर से राज दरबारी बणे पण यूँ पर बि घमंड को रोग शुरू ह्व़े गे अर पैथर रज्जा न यूँ तै श्रीनगर से भैर करी दे अजब राम अर घमंड सिंह को दुबर श्रीनगर आण अजब राम अर घमंड सिंह कुमाऊं से दुबर श्रीनगर ऐं अर अब की दें उन तैं क्वी रोकी नि सकीन अजब राम अर घमंड सिंह ण राजा जै कीर्ति शाह तैं घर बंदी बणे दे अब राजा की कुछ चलदी ही नि छे प्रदयुम्न अर पराक्रम तैं श्रीनार पर धावा बोलणो न्यूत अजब राम अर घमंड सिंह न कुमाऊं मा राज पाठ दिखण वाळ प्रदयुम्न अर पराक्रम शाह तैं न्यूत भ्याज बल श्रीनगर मा जाय कीर्ति शाह तैं राज्य से बेदखल करण अर याँ से प्रदयुम्न शाह अर पराक्रम शाह द्वी भै अप ण भैजी पर आक्रमण का वास्ता सेना लेकी श्री नगर का तर्फां आण बिसेन मौलाराम की होशियारी से सिरमौर बिटेन जगत प्रकाश के सेना को आण मौलाराम की होशियारी से सिरमौर क रज्जा जगत प्रकाश तैं मौ मदद का बान श्रीनगर बुलाई दे जगत प्रकाश की सेना से पैलि ही प्रदयुम्न शाह अर पराक्रम शाह की कुमाउनी सेना न श्रीनगर घेरी दे छौ पण जगत प्रकाश की सेना न विजय राम अर घमंड सिंह तैं मारी अर पराक्रम प्रदयुम्न की सेना तैं हरै दे अजब राम कुमाऊं भाजे गे जगत प्रकाश न जै कीर्ति शाह तैं कुमाऊं पर आक्रमण की राय दे पण राजा अर हौरी लोग तैयार नि ह्वेन जगत प्रकाश तैं दून की जागीर दिए गे अर सवा लाखेक रूप्या बि दिए गेन जोश्याणी (जोश्युं अत्याचार) देवलगढ़ की लूट : जै कीर्ति शाह जब अपण कुलदेवी राज राजेह्स्व्री कि पूजा बान देवलगढ़ आई त जोश्युं बुलण पर प्रदयुम्न शाह न जै कीर्ति शाह पर आक्रमण करी दे . जै कीर्ति का पास सेना भौत कम छे त जै कीर्ति शाह तैं भगण पोड़ अर कुमाउनी सेना ण देवल गढ़ मा लूट मचाई पुस्तकालय की लूट : कुमौं का पंडित बि सेना का दगड अयाँ छ्या उन पोखरी क पुस्तकालय की लूट करीअर सौब किताब ल्ही गेन इना प्रदयुम्न शाह श्रीनगर मा राज करने व्यवस्था मा लग्युं छौ उना पराक्रम कुमौं मा छौ जै कीर्ति शाह को दुबर श्रीनगर पर अधिकार : जब कुमाऊं को रज्जा श्रीनगर से प्रदयुम्न शाह कुमौं बौड़ त जै कीर्ति शाह न दुबर श्रीनगर पर अधिकार करी. धनीराम को उत्पात :मंत्री धनीराम डोभाल बल्द कृपाराम डोभाल बि घमंडी ह्व़े गे छौ अर उनां अजबराम को खड़यंत्र त चलणारौंद था. एक दें धनीराम ण रज्जा तैं रुप्यौं बान धौंस दे अर फिर रज्जा तैं अपण धन धनीराम तैं दीण पोड़ रज्जा खिन्न ह्वेका देव प्रयाग चली गे अर उख वैकी मृत्यु ह्व़े राणी स्टी ह्वेन राणयूँ सराप : चार राणी जु जै कीर्ति शाह क शब् का साथ स्टी ह्व़े छया ऊन प्रदयुम्न शाह, पराक्रम शाह , राज दरबार्युं तैं सराप दे बल जन कुगति हमारी ह्व़े तनने तुमारी बि ह्वेन रज्जा का मोरणो बाद श्रीनगर, देव प्रयाग सबि जगा राजा क धन , जेवरात स्ब्युं की लूट खसोट ह्व़े . जै कीर्ति शाह सहभागिता तैं जरोर माणदो छौ पण वैका भाई, राज दरबारी सद्यानी ख़ड़यंत्रों मा लग्यां रैन. जै कीर्ति शाह असल मा राज करणों मा भौत ही संत थौ जां से गढवाळ अर कुमाऊं को बिणास ह्व़े जै कीर्ति शाह एक असफल डिप्लोमेट शाबित ह्व़े References:1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4History of Garhwal, History of Kumaun) 2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas 3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir of Garhwal as translation by Tara Datt Gairola बकै अगने खंड 46 मा बाँचो ...To be continued part 46 Copyright @ Bhishm Kukreti, Mumbai