गीत ऋतूरेणा
पारा डाना में बुरांस फूलो , मकें याद उंछ मैत की,
दग्डून का दगडी नौल जाणों, पाणी को फौल हँसी हँसी ल्युण,
बाटा हिसालू किलमोड़ी टिपि खाण, याद उंछ ऊँचा निचा खेत की...
जब पियूँली फुलनछ भिडन मै, फूल देली की याद आई जांछ,
इजू टी ने नराई लागी जांछ, याद उंछ भिटोली चेत की..
काखी जेड जाक सिंगल याद उनी, आलू गुटुका का दगडा खिलूणी.
दाडीमै की खटै याद उंछ, याद आई जांछ काकड़ा रैत की.
स्वेण हई गेछ धेली मैत की