Author Topic: Muruli Baji Ge Book By Sushma Joshi, Mother of Prasoon Joshi-मुरूली बाजे गे  (Read 10885 times)

Poonam Rawat

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गीत ऋतूरेणा


पारा डाना में बुरांस फूलो , मकें याद उंछ मैत की,
दग्डून का दगडी नौल जाणों, पाणी को फौल हँसी हँसी ल्युण,
बाटा हिसालू किलमोड़ी टिपि खाण, याद उंछ ऊँचा निचा खेत की...
जब पियूँली फुलनछ भिडन मै, फूल देली की याद आई जांछ,
इजू टी ने नराई लागी जांछ, याद उंछ  भिटोली चेत की..
काखी जेड जाक सिंगल याद उनी, आलू गुटुका का दगडा खिलूणी.
दाडीमै  की खटै याद उंछ, याद आई जांछ काकड़ा रैत की.
स्वेण हई गेछ धेली मैत की

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मै निश्चित रूप से कह सकता हूँ यह एक बहुत ही सराहनीय प्रयास है सुषमा जोशी जी अपने संस्कृति को बचाए रखने के और उसके विकास के लिए!  मुझे याद है वो समय जब लोग ऋतू रैणा, झोडा, चाचरी, खुदेड आदि गाया करते थे अब आधुनिकता के इस दौर पर ये सब विलुप्त के कगार पर है!

इस किताब में इतने पुराने लोग गीत है जो अपने आप में एक धरोहर है! नयी पीड़ी को इस किताब के बहुत कुछ सिखाने को मिलेगा और अपनी संस्कृति को जानने एव उसे वचाये रखने की चेष्टा बढेगी !

एक बार पुनः बहुत -२ शुभकमनाये एव बधाई

गीत ऋतूरेणा


पारा डाना में बुरांस फूलो , मकें याद उंछ मैत की,
दग्डून का दगडी नौल जाणों, पाणी को फौल हँसी हँसी ल्युण,
बाटा हिसालू किलमोड़ी टिपि खाण, याद उंछ ऊँचा निचा खेत की...
जब पियूँली फुलनछ भिडन मै, फूल देली की याद आई जांछ,
इजू टी ने नराई लागी जांछ, याद उंछ  भिटोली चेत की..
काखी जेड जाक सिंगल याद उनी, आलू गुटुका का दगडा खिलूणी.
दाडीमै  की खटै याद उंछ, याद आई जांछ काकड़ा रैत की.
स्वेण हई गेछ धेली मैत की


Poonam Rawat

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विरह गीत

चानै - चानै बातो सुवा को टणीटणी लगी गे,
कथे कुंलो सुखा - दुख उदेखी लागी गे.
जेठ बैसाख का चमकीला घामा, सुवा तेरी फिरि फिरि उंछ फामा.

सुखिया बोटन जसो मन लै लै  सुखीगोछ कलकली लगिगे गे.
चौमॉस  लगो दयो को दोडियाट, ऊँची ऊँची घा लै हाय ठीक हालो बाट.
कासिके पुजलो मेरो सुवा घर खलबली लगी  गे.
पूस माघ की यो ठंडी बयार, फागुण में होली रंग की बौछार..
होली का रंग सुवा बिन फीका सलसली लगी गे..

खीमसिंह रावत

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श्रीमती  सुषमा जोशी जी आपका यह प्रयास सराहनीय है |

 कुमांऊ सांस्कृतिक कला मंच- संत नगर बुराड़ी दिल्ली की और से हार्दिक बधाई |

Kiran Rawat

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Congratulations & its a acheivement

पूनम जी धन्यवाद, सुषमा जी संग्रहित कविताओ को लिपिबद्ध करने के लिए!

जितना प्रशंशा की जाय सुषमा जी की उतनी कम है !

मुझे लगता है प्रसून जोशी जी के इतने बड़े गीतकार होने के पीछे उनके माता पिता का भी बहुत बड़ा मार्ग दर्शन रहा होगा..

जय नंदा देवी....


विनोद सिंह गढ़िया

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श्रीमती सुषमा जोशी जी द्वारा रचित "मुरूली बाजी गे" पुस्तक में संकलित विरह गीत -

चानै-चानै बाटो सुवा को, टणी-टणी लागी गे।
कथे कुँला सुख-दुखा, उदेखी लागी गे।।
जेठ-बैसाख क चमकीलs घामा, सुवा तेरी फिरि-फिरि उंछs फामा।।
 
को पढा, जिसमें उन्होंने एक पहाड़ी महिला जिसका पति परदेश में है के विरह व्यथा का मार्मिक चित्रण किया है। जहाँ एक ओर आज की नयी पीढी अपनी भाषा बोली से दूर होती जा रही है वहीं दूसरी ओर "मुरूली बाज़ी गे" जैसे कुमाऊँनी भाषा में रचित पुस्तक प्रकाशित हो रही हैं,जिससे नईं आशाएं नजर आती हैं । सुषमा जोशी जी द्वारा  रचित यह पुस्तक हमारी बोली-हमारी भाषा के संवर्धन में भी एक प्रभावशाली कदम है।  उनकी इस पुस्तक के लिए ढेरों शुभकामनायें।

हलिया

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मुरुली बाजि गे ....
भौतै भल लागौ.
धन्यबाद.

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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It is indeed a great news..!!!!!!!

Many-2 congratulations to Sushma Ji.. Poonam has posted a few songs lyric. It is really a good collection. God bless Sushma ji .

I am going to buy this book.


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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      Saroj Negi Kalsi   February 11 at 11:53pm   Report   Congratulation to Sushmaji... Mahiji i want to write some comments on "MeraPahadforum" 

 

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