मुझे आज "मुरूली बाजी" की एक प्रति मिली
सुषमा जी ने बहुत ही अच्छी गीत कुमाउनी भाषा मे लिखे है! इस किताब के समीक्षा यसोधर मठपाल जी ने की है !
किताब में पहला गीत - गणपति वंदना के रूप में है
यह गीत (सुवा रे, सुवा भरखंडी सुवा) के तर्ज पर है !
आओ गजानन जीयु, आओ, गजानन जीयु!
म्यार गौ में और म्यार घर घर में!
आपुन दगडी, रिद्धी सिधि कण कै लियाओ!
सब भण्डार भरी दियो !
ब्रह्मा ज्यू का संग सरस्वती लियावो
ज्ञान की जोत जगे दियो ..
नारायण संग लछिमी ज्यू के लियावो
धन और धान्य सबे दियो ...
शिवज्यु का संग गौर ज्यू के लियाओ
अचल सुवाग सबन दियो !
राम लखन संग सिया ज्यू के लियाओ
सब्नका का दुःख हरी लियो
कृष्ण ज्यू का संग राधा ज्यू कै लियाओ
गीता को ज्ञान सुणे दियो
मुरूली क तान सुणे दियो ..