Author Topic: Muruli Baji Ge Book By Sushma Joshi, Mother of Prasoon Joshi-मुरूली बाजे गे  (Read 10921 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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In addition to this, Sushma Ji has also released a book titled as “Ghar Aagan ke Geet”


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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In year 1992, Prasoon Joshi Ji had also released two books from Sahitya Prakash.

1. Dard so Raya hai

2. Samadhan




Manish Mehta

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बहुत-बहुत सुभकामनायें !! कुमाँऊनी बोली को संज़ोहने का एक सार्थक प्रयास !!

Devbhoomi,Uttarakhand

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श्रीमती शुष्मा जोशी जी को उत्तराखंड बोली-भाषा को संजोये रखने ढेरों बधाईयाँ और शुभकामनाएं

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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इस किताब में उत्तराखंड रीति रिवाजो पर बने लोक गीत एव ऋतुओ और आधारित बहुत से पुराने लोक गीत है!

और धार्मिक गीत भी जैसे -

यो बाटो कान जाणी होल
सूरा -२ देवी क मंदिर



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मुझे आज "मुरूली बाजी" की एक प्रति मिली

सुषमा जी ने बहुत ही अच्छी गीत कुमाउनी भाषा मे लिखे है! इस किताब के समीक्षा यसोधर मठपाल जी ने की है !

किताब में पहला गीत - गणपति वंदना के रूप में है

यह गीत (सुवा रे, सुवा भरखंडी सुवा)  के तर्ज पर है !

आओ गजानन जीयु, आओ, गजानन जीयु!
म्यार गौ में और म्यार घर घर में!
आपुन दगडी, रिद्धी सिधि कण कै लियाओ!
सब भण्डार भरी दियो !
ब्रह्मा ज्यू का संग सरस्वती लियावो
ज्ञान की जोत जगे दियो ..
नारायण संग लछिमी ज्यू के लियावो
धन और धान्य सबे दियो ...
शिवज्यु का संग गौर ज्यू के लियाओ
अचल सुवाग सबन दियो !
राम लखन संग सिया ज्यू के लियाओ
सब्नका का दुःख हरी लियो
कृष्ण ज्यू का संग राधा ज्यू कै लियाओ
गीता को ज्ञान सुणे दियो
मुरूली क तान सुणे दियो ..

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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नियोली गीत -

(तर्ज - बरखा लागी रे छ)

ओ म्यार गौ का सब देवी देवा
पत हमरि ली धरी लिह्या

हम छ तुमार नानतिन
आपुनो आशीर्वाद दिने रैया
शरण में आपुनी लिह लिह्या देवा
हमरि ले सुध लियाने रया
हाथ जोधी बेर ठाडी हूँ देवा
सब दुःख म्यार हरी लिया ..

Anil Arya / अनिल आर्य

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I have been informed from facebook that this great book is available at
Sahitya Prakashan
101, Pratap Nagar,
Mayur Vihar-1
Delhi-110091
Contact- Mr. Yogesh Pal, Mob-9810402997
I will receive "Muruli Baji Ge" latest by 28-02-2011 and will post my likes.
सुषमा जी को बहुत बहुत धन्यवाद  .:)

Vinod Jethuri

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सुषमा जोशी जी का अपनी सस्क्रति के विकास, प्रचार व प्रसार हेतु बहुत ही सुन्दर कदम.. धन्यबाद सुषमा जी.... बहुत ही सुन्दर सुन्दर गीत आपके द्वारा लिखे गये है जो कि पूनम जी के माध्यम से पढने को मिल रहे है..


विरह गीत

चानै - चानै बातो सुवा को टणीटणी लगी गे,
कथे कुंलो सुखा - दुख उदेखी लागी गे.
जेठ बैसाख का चमकीला घामा, सुवा तेरी फिरि फिरि उंछ फामा.

सुखिया बोटन जसो मन लै लै  सुखीगोछ कलकली लगिगे गे.
चौमॉस  लगो दयो को दोडियाट, ऊँची ऊँची घा लै हाय ठीक हालो बाट.
कासिके पुजलो मेरो सुवा घर खलबली लगी  गे.
पूस माघ की यो ठंडी बयार, फागुण में होली रंग की बौछार..
होली का रंग सुवा बिन फीका सलसली लगी गे..


 

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