Author Topic: ON-LINE KAVI SAMMELAN - ऑनलाइन कवि सम्मेलन दिखाए, अपना हुनर (कवि के रूप में)  (Read 94629 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दो ला-इन

अग्रज एव अनुज की क्या खूब है यह जुगलबंदी
आशा करता हूँ चलते रहे ये हस्ते -२

मै कविता लिखने में हूँ अज्ञानी 
लेकिन अब थोडा सा मै कर रहा हूँ तैयारी

सत्यदेव सिंह नेगी

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आप खुद को क्या कहें ये रजा है आपकी
पर हम पर रही है मेहरबानी आपकी
हम तो इस मंदिर (मेरा पहाड़) में आपकी अमानत हैं
आपको अज्ञानी समझे फिर तो  हम पर लानत है
इस मंच पर ला खड़ा किया हमें हम आपके सुक्र्गुजार है
कभी घर आइये आपकी खिदमत को हाजिर ये दिलदार है

दो ला-इन

अग्रज एव अनुज की क्या खूब है यह जुगलबंदी
आशा करता हूँ चलते रहे ये हस्ते -२

मै कविता लिखने में हूँ अज्ञानी 
लेकिन अब थोडा सा मै कर रहा हूँ तैयारी

दीपक पनेरू

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मेहता जी आपके इन शब्दों में,
बेबसी या हया न हो,
नेगी जी कह चुके जो भी,
वह भी दिल से कहा गया हो,
हां रजा आपकी होगी,
आप राजा होकर खुद रंक बने,
आप जैसे लोग होते है कितने,
उँगलियों में गिने चुने,
आपका अहसान रहा कि,
ये पोर्टल है हमने पाया,
क्या कहू आपकी मेहनत का,
शब्द ना कोई ऐसा बन पाया....


दो ला-इन

अग्रज एव अनुज की क्या खूब है यह जुगलबंदी
आशा करता हूँ चलते रहे ये हस्ते -२

मै कविता लिखने में हूँ अज्ञानी 
लेकिन अब थोडा सा मै कर रहा हूँ तैयारी

दीपक पनेरू

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पूर्वजो से सुना था की,
डाली झुक जाती है फल अधिक देने से,
वही सुलझा समझा जाता है,
जो गिरा उठा ले, ना ले छिनने से,
खुद को ना खाली दोष दो,
किसी की बेबसी का,
गिला सिकवा दूर होगा,
एक दूजे को मिलने से.......
मैं अल्प ज्ञानी क्या लिखू अब,
आपका मैं मुरीद हुआ,......
आपके शब्दों को सलाम करू,
और आप खुश रहे ये दुआ........

इसे न समझिये आप हमारी हाजिर जबाबी
संकोच हया में हमें दिखाती है बहुत खराबी
झुक कर जो भि मिले उठा लिया करते हैं
उठाये में भूल हो तो सुधार लिया करते हैं
वजह न बने हम किसी की बेबसी की मालिक
तेरे दर पे हरदम वजह बेवजह सर टिकाया करते हैं
न हो इस सर पर हमें अभिमान
इसीलिए अक्सर हम स्कूल चले जाया करते हैं

सत्यदेव सिंह नेगी

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आपका अंदाजे बयां दिल में घर कर गया
छुट्टी तो मेरी हो चुकी पर मुझसे रहा न गया
दो आखर  आपकी लेखिकी तो करूँ भेंट
पर डर है की बंद न हो जाये ऑफिस का गेट
शब्द आपकी उँगलियों पर निवास करते हैं
आपके मन की गति का अच्छा आभास करते हैं
यूँही लिखते रहें आप निरंतर इस मंच पर
हम भी लुफ्त उठायें जाने कविता आपके प्रपंच पर


मेहता जी आपके इन शब्दों में,
बेबसी या हया न हो,
नेगी जी कह चुके जो भी,
वह भी दिल से कहा गया हो,
हां रजा आपकी होगी,
आप राजा होकर खुद रंक बने,
आप जैसे लोग होते है कितने,
उँगलियों में गिने चुने,
आपका अहसान रहा कि,
ये पोर्टल है हमने पाया,
क्या कहू आपकी मेहनत का,
शब्द ना कोई ऐसा बन पाया....


दो ला-इन

अग्रज एव अनुज की क्या खूब है यह जुगलबंदी
आशा करता हूँ चलते रहे ये हस्ते -२

मै कविता लिखने में हूँ अज्ञानी 
लेकिन अब थोडा सा मै कर रहा हूँ तैयारी

दीपक पनेरू

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मैं फिर आपको आभास दिलाता हूँ,
मैं लेखक नहीं हूँ मझा हुआ,
बस आपको प्रेणा मानकर,
ये मस्तिष्क भी है शब्दों से सजा हुआ,
हाँ कोशिश यही करूँगा कि मैं,
आपको अभाश ये दिलाता रहू,
ख़ुशी नहीं तो हसी ही सही,
रोज किसी नए से मिलाता रहू......

आपका अंदाजे बयां दिल में घर कर गया
छुट्टी तो मेरी हो चुकी पर मुझसे रहा न गया
दो आखर  आपकी लेखिकी तो करूँ भेंट
पर डर है की बंद न हो जाये ऑफिस का गेट
शब्द आपकी उँगलियों पर निवास करते हैं
आपके मन की गति का अच्छा आभास करते हैं
यूँही लिखते रहें आप निरंतर इस मंच पर
हम भी लुफ्त उठायें जाने कविता आपके प्रपंच पर


मेहता जी आपके इन शब्दों में,
बेबसी या हया न हो,
नेगी जी कह चुके जो भी,
वह भी दिल से कहा गया हो,
हां रजा आपकी होगी,
आप राजा होकर खुद रंक बने,
आप जैसे लोग होते है कितने,
उँगलियों में गिने चुने,
आपका अहसान रहा कि,
ये पोर्टल है हमने पाया,
क्या कहू आपकी मेहनत का,
शब्द ना कोई ऐसा बन पाया....


दो ला-इन

अग्रज एव अनुज की क्या खूब है यह जुगलबंदी
आशा करता हूँ चलते रहे ये हस्ते -२

मै कविता लिखने में हूँ अज्ञानी 
लेकिन अब थोडा सा मै कर रहा हूँ तैयारी

विनोद सिंह गढ़िया

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फिर भी मैं धैर्य दिलाता हूँ |

आप बनेंगे अच्छे लेखक, अच्छे कवि !
आप करेंगे जग उजियारा, आपकी होगी अपनी छवि !!

फिर भी मैं धैर्य दिलाता हूँ |

कुछ नहीं इस संसार में,
बस तेरा-मेरा का बोलबाला है,
मत पड़ इस जंजाल में,
बस आज तेरा और कल किसी का होने वाला है !!

फिर भी मैं धैर्य दिलाता हूँ !!
 
मैं फिर आपको आभास दिलाता हूँ,
मैं लेखक नहीं हूँ मझा हुआ,
बस आपको प्रेणा मानकर,
ये मस्तिष्क भी है शब्दों से सजा हुआ,
हाँ कोशिश यही करूँगा कि मैं,
आपको अभाश ये दिलाता रहू,
ख़ुशी नहीं तो हसी ही सही,
रोज किसी नए से मिलाता रहू......


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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धन्यवाद कहूँगा नेगी जी एव दीपक जी को !
आपके सुंदर शब्दों का, जिसका में लायक नहीं!

हाँ मेरापहाड़, एक परिवार है, एक मंच है
जहाँ घर जैसा माहौल है!
इस पोर्टल के नीव में जुड़े है नायक
कमल जी, अनुभव, हेम, पंकज,हिमांशु, दयाल आदि
आप लोगो का योगदान भी कम नहीं है!

नेगी जी. धन्यवाद है आमंत्रण के लिए
आरजू है यह मेरी भी, जल्द ही होगी आपसे मुलाकात

आप खुद को क्या कहें ये रजा है आपकी
पर हम पर रही है मेहरबानी आपकी
हम तो इस मंदिर (मेरा पहाड़) में आपकी अमानत हैं
आपको अज्ञानी समझे फिर तो  हम पर लानत है
इस मंच पर ला खड़ा किया हमें हम आपके सुक्र्गुजार है
कभी घर आइये आपकी खिदमत को हाजिर ये दिलदार है

दो ला-इन

अग्रज एव अनुज की क्या खूब है यह जुगलबंदी
आशा करता हूँ चलते रहे ये हस्ते -२

मै कविता लिखने में हूँ अज्ञानी 
लेकिन अब थोडा सा मै कर रहा हूँ तैयारी

दीपक पनेरू

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छुपे हुए रुस्तम निकले आप,
"विनोद जी" के विनोद से मैं अनजान,
अब आ गए हो इस जुगलबंदी मैं तो,
दे जाना कुछ ज्ञान,

सीख की शुरुवात हो चुकी है अभी से,
हाँ आज मेरा कल किसी का होने वाला है,
आज की कामयाबी का हिस्सा हर कोई मागेगा,
कल मरे तो कोई नहीं रोने वाला है,,,,,

फिर भी मैं धैर्य दिलाता हूँ |

आप बनेंगे अच्छे लेखक, अच्छे कवि !
आप करेंगे जग उजियारा, आपकी होगी अपनी छवि !!

फिर भी मैं धैर्य दिलाता हूँ |

कुछ नहीं इस संसार में,
बस तेरा-मेरा का बोलबाला है,
मत पड़ इस जंजाल में,
बस आज तेरा और कल किसी का होने वाला है !!

फिर भी मैं धैर्य दिलाता हूँ !!
 
मैं फिर आपको आभास दिलाता हूँ,
मैं लेखक नहीं हूँ मझा हुआ,
बस आपको प्रेणा मानकर,
ये मस्तिष्क भी है शब्दों से सजा हुआ,
हाँ कोशिश यही करूँगा कि मैं,
आपको अभाश ये दिलाता रहू,
ख़ुशी नहीं तो हसी ही सही,
रोज किसी नए से मिलाता रहू......



दीपक पनेरू

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आपके हुनर के थे हम  कायल,
अब आपने मुरीद अपना बना लिया,
दोस्त तो आप हमें बना चुके थे,
अब भाई भी आपने बना लिया,

क्या कहू इस अहशान  को मै,
सोचकर भी भुला सकता नहीं,
आपके लिए कुछ लिखू ,
अभी मैं इसके लायक नहीं,,,,,,,,,,,


धन्यवाद कहूँगा नेगी जी एव दीपक जी को !
आपके सुंदर शब्दों का, जिसका में लायक नहीं!

हाँ मेरापहाड़, एक परिवार है, एक मंच है
जहाँ घर जैसा माहौल है!
इस पोर्टल के नीव में जुड़े है नायक
कमल जी, अनुभव, हेम, पंकज,हिमांशु, दयाल आदि
आप लोगो का योगदान भी कम नहीं है!

नेगी जी. धन्यवाद है आमंत्रण के लिए
आरजू है यह मेरी भी, जल्द ही होगी आपसे मुलाकात

आप खुद को क्या कहें ये रजा है आपकी
पर हम पर रही है मेहरबानी आपकी
हम तो इस मंदिर (मेरा पहाड़) में आपकी अमानत हैं
आपको अज्ञानी समझे फिर तो  हम पर लानत है
इस मंच पर ला खड़ा किया हमें हम आपके सुक्र्गुजार है
कभी घर आइये आपकी खिदमत को हाजिर ये दिलदार है

दो ला-इन

अग्रज एव अनुज की क्या खूब है यह जुगलबंदी
आशा करता हूँ चलते रहे ये हस्ते -२

मै कविता लिखने में हूँ अज्ञानी 
लेकिन अब थोडा सा मै कर रहा हूँ तैयारी

 

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