Author Topic: ON-LINE KAVI SAMMELAN - ऑनलाइन कवि सम्मेलन दिखाए, अपना हुनर (कवि के रूप में)  (Read 94614 times)

सत्यदेव सिंह नेगी

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दीपक जी आज नहीं आये मेहता जी इस गली 
कही इस अनाड़ी ने कुछ बेतुकी तो नहीं चली 
न हुए वे सुबह से रूबरू न मिला सन्देश 
अब आप चाल चलो ताकि न बन जाय कोइ केस 
यु तो जानबूझ कर न किया हमने कोई फ़साना 
शब्दों के इस चक्रब्यूह से अब आप ही हमें बचाना 
बच्चा  है जान के छोड़ दो कहना उनसे आप 
माना कि है मांसाहारी पर नहीं किया कोई पाप 
पंकज दा दे दिया अभयदान इस नशे में थे हम धुत 
कब किस वक़्त चूक गया ये मुर्ख

दीपक पनेरू

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मैं लिखता क्या हूँ मैं दिखता क्या हूँ,
        समय को ना इसका ज्ञान रहे,
        जो भी करू सब जग ये जाने,
      जो भी पढ़े उसे ध्यान रहे,
     
      मैं लेखक नहीं हूँ मझा हुआ,
      बस जज्बातों का गुलाम हुआ,
      मेरी रचनाये पहुचें सब तक,
      आप भी प्रभु से करना दुआ,
     
      सोचकर यही मैं लिखता हूँ कि,
  जज्बात बहे ना आसू बनकर,
      "दीपक" का आधार तो घी तेल हुआ,
      आप सब चमको जैसे दिनकर,
     
    रचना दीपक पनेरू "सोचता हूँ कभी कभी" से       १३-०८-२०१०

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

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खुला है गगन ये, खुला ही रहेगा.
खिला है चमन ये, खिला ही रहेगा.

जब तक रहेगे, चमकते सितारे.
तब तक हमारा वतन भी रहेगा.

मेरे सभी प्यारे देश वासियों को आजादी की शुभ कामनायें.
हिन्द का जनतंत्र फलता फुलता रहे यही देश के लिए कामना करते है.

जवानी तेरे साथ-साथ, कहानी तेरे साथ-साथ.
मत रूक चट्टानो पर भी, है हिन्द तेरे साथ-साथ

तनहा इंसान 14-08-2010

Raje Singh Karakoti

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Tiranga

हे भारत तुझे प्रणाम, माँ भारत तुझे प्रणाम
तेरे चरणों का वंदन करते हम तेरे संतान ।
वो तुम ही हो भारत भूमि,जहाँ संस्कृति का निर्माण हुआ
गीता का उपदेश हुआ, भारत का संग्राम हुआ
रामायण युग धर्म हुआ ,सभ्यता का संचार हुआ
जब जब तुझ पे संकटआया , अवतार लिए भगवान।
तुम ही वो जननी हो माँ जो वीरो को जनती है
तेरी संताने तुझ पे माँ सर्वस्व निछावर करती है
रन, शिवा, आजाद, भगत जैसे कितने वीर हुए
गाँधी, नेहरू, शास्त्री, सुभास ने किया स्वयं बलिदान।
तेरी शांत प्रकृति के बेटे ,माँ हम शान्ति दूत कहलाते है
पर उठे कोई ऊँगली तुझ पर ,हम कालदूत बन जाते है
रंगभेद मितलाये हम ,औ विश्वबंधु कहलाये है
तेरी धरती पे जन्म लिए ,हमको है अभिमान।
कश्मीर से कन्याकुमारी, तुम एक अखंड मूर्ति हो माँ
भारत के हर जन जन के मन में बसी छवि हो माँ
तुझ पे गर कोई हाथ उठा, वो हाथ वहीं कट जाएगा
तेरी खातिर दे देंगे हम कोटि कोटि जन प्राण.

 जय हिंद  जय उत्तराखंड

सत्यदेव सिंह नेगी

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आजाद हैं हम मिला देश हो गुलामी से छुटकारा
१५ अगस्त १९४७ को हुआ देश आजाद हमारा
है इतिहास गवाह हुए थे किस तरह गुलाम हम
लालच घृणा मौकपपरास्ती और अहम्
तब राजा थे अब नेता हैं हमारे सरपरस्त
पर अब लोकतंत्र है जिसकी अभी हालत खस्त
कसम लें आज बुरी चीजें पास न फटकने दें हम
एक दुसरे की हिम्मत से आओ आगे बढ़ें हरकदम
आजादी की खुसी का चलो मनाएं जश्न
बांटो मिठाई मिलो गले कल पर छोडो प्रश्न
सभी मेरा पहाड़ प्रेमी आज एक सुर में गएँ
 सत्यदेव की और से आजादी बहुत शुभकामनायें
खुला है गगन ये, खुला ही रहेगा.
खिला है चमन ये, खिला ही रहेगा.

जब तक रहेगे, चमकते सितारे.
तब तक हमारा वतन भी रहेगा.

मेरे सभी प्यारे देश वासियों को आजादी की शुभ कामनायें.
हिन्द का जनतंत्र फलता फुलता रहे यही देश के लिए कामना करते है.

जवानी तेरे साथ-साथ, कहानी तेरे साथ-साथ.
मत रूक चट्टानो पर भी, है हिन्द तेरे साथ-साथ

तनहा इंसान 14-08-2010

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

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मै खुद को अभी तक पहचानता नही,
क्योकी मैने जीवन मे कभी आईना नही देखा.

लोग कहते है तुम बहुत सुन्दर हो,
मै कहता हु वो तो मेरा नाम मात्र है.

लोग कहते है अरे अपनी फोटो मे देखो वो आप ही हो,
मै कहता हु मै कैसे मान लु,
जब मैने कभी खुद को न देखा हो.

तनहा इंसान 14-08-2010

Raje Singh Karakoti

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Tiranga

 



 जय हिंद  जय उत्तराखंड

सत्यदेव सिंह नेगी

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Raje singh Ji Dikhaii nahi de rahi aapki bheji pics
Tiranga

 



 जय हिंद  जय उत्तराखंड

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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मेरा सभी कवी बंधुओ से अनुरोध है की आज साम को गडवाल भवन में एक उत्तराखंडी कवी सम्मलेन है कृपया आप सभी लोग इस कवी गोष्टी में पधारें,
कवी गोष्टी साम को ४ बजे से होगी,

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

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देश तो आजाद हुआ,
ये हमको भी एहसास हुआ.

मेरी देश की मिट्रटी है बहुत निराली.
ये कहने को मै, तब आतुर हुआ,

जब जवानो ने खेली, सीमाओ पर होली.
मै अन्धेरा देखने तब चला,
जब मेरे देश मे जल रही थी दिवाली.

तनहा इंसान 14-08-2010

 

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