Author Topic: ON-LINE KAVI SAMMELAN - ऑनलाइन कवि सम्मेलन दिखाए, अपना हुनर (कवि के रूप में)  (Read 94611 times)

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 572
  • Karma: +5/-0
जय हिन्द मेरा पहाड़, मेरे प्यारे देश वासियो.
कल इतवार है आफिस की छुट्रटी रहती है
और मेरा छुट्रटी का का दिन है.
इसलिए कल मेरा पहाड़ पर मौजुद नही रहुगा.
इसलिए सभी को आज ही आजादी की,
शुभ कामनाये दे रहा हु जय हिन्द.

सत्यदेव सिंह नेगी

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 771
  • Karma: +5/-0
आजाद हूँ मै पर आजादी इसे कहोगे   
सेवक है कौन ये आज नहीं कहोगे   
ये भी एक मा है भारत में देखो इसकी दशा   
लालू के बिहार में नितीश के राज में
  लोकतंत्र की ऐसी दुर्दशा 
  
रांची स्टेशन पर एक गरीब महिला से मालिश करवाते पुलिस अधिकारी   
आभार प्रभात खबर

दीपक पनेरू

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 281
  • Karma: +8/-0

अरे! देश आजाद हुआ है?
ये आपके शब्दों से ज्ञान हुआ,
खिलाडियों को मिलो लाखों करोणों,
शहीद सिपाही का क्या सम्मान हुआ?
"सुंदर जी" और "नेगी जी ",
आपका आभार जताता हूँ,
आजाद नहीं है देश हमारा,
मैं आपको ये बताता हूँ,
गर होता आजाद ये भारत,
ना होती गरीबी ना मुद्दे राजधानी के,
पढ़े लिखे समझें न समझें,
यही समझ मुझ अज्ञानी के,.......

रचना दीपक पनेरू, "आभास होता है" से, दिनांक १४-०८-२०१०

देश तो आजाद हुआ,
ये हमको भी एहसास हुआ.

मेरी देश की मिट्रटी है बहुत निराली.
ये कहने को मै, तब आतुर हुआ,

जब जवानो ने खेली, सीमाओ पर होली.
मै अन्धेरा देखने तब चला,
जब मेरे देश मे जल रही थी दिवाली.

तनहा इंसान 14-08-2010

दीपक पनेरू

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 281
  • Karma: +8/-0
मेरा पहाड़ फोरम के सभी सदस्यों को मेरी ओर से 15अगस्तकी हार्दिक शुभकामनायें

दीपक पनेरू

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 281
  • Karma: +8/-0

श्रीमान आपके हुनर के हम कायल हो गए, कैमरे का इससे अच्छा इस्तेमाल को नहीं कर सकता कोई भी नहीं, वास्तव मैं ऐसे ही लोगो (पुलिस कर्मी) की वजह से ही मैं आपसे कहा रहा हूँ हम आजाद नहीं है. अंग्रेज तो गए पर अपना हुनर छोड़ गए.........

आजाद हूँ मै पर आजादी इसे कहोगे   
सेवक है कौन ये आज नहीं कहोगे   
ये भी एक मा है भारत में देखो इसकी दशा   
लालू के बिहार में नितीश के राज में
  लोकतंत्र की ऐसी दुर्दशा 
  
रांची स्टेशन पर एक गरीब महिला से मालिश करवाते पुलिस अधिकारी   
आभार प्रभात खबर

सत्यदेव सिंह नेगी

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 771
  • Karma: +5/-0
सही कहते हैं आप जो भी कहा आपने   
खोट दिखा हमें भी हमेशा सरकार में   
मै यहाँ ये भी कहूँगा खोट हममे भी कर गया घर   
डंडे की आदत गयीनहीं  काम किया सिर्फ मारे डर   
हमने ही बेचा वोट सिर्फ भाव था उनका   
हमने ही भड़काया सम्प्रदाय को सिर्फ ताव था उनका   
हमने ही डाले पैसे भ्रष्ट बाबू की दराज में   
हमें भी चाहिए थी गाड़ी अपने गैराज में   
आज ये बाते न करो मिल आजादी का जश्न मनाओ   
शर्मायेंगी शहीदों की आत्माएं न एक दुसरे का घर जलाओ

Raje Singh Karakoti

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 477
  • Karma: +5/-0
एक कविता मेरा पहाड़  फोरम के मित्रों की शान में     लोग कहते हैं ज़मीं पर किसी को खुदा नहीं मीलता
शायद उन लोगों को दोस्त कोई तुम-सा नहीं मिलता
     किस्मतवालों को ही मिलती है पनाह कीसी के दिल में
यूं हर शख़्स को तो जन्नत का पता नहीं मिलता 
अपने सायें से भी ज़यादा यकीं है मुझे तुम पर
अंधेरों में तुम तो मिल जाते हो, साया नहीं मिलता

इस बेवफ़ा ज़िन्दगी  से शायद मुझे इतनी मोहब्बत ना होती
अगर इस ज़िंदगी में दोस्त कोई तुम जैसा नहीं मिलता

Raje Singh Karakoti

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 477
  • Karma: +5/-0
किसी ने पूछा दोस्त क्या है ?
मैने काँटो पैर चल कर बता दिया
कितना प्यार करोगे दोस्त को?
मैने पूरा आसमान दिखा दिया
कैसे रखोगे दोस्त को?
मैने हल्के से फूलों को सेहला दिया
किसी की नज़र लग गयी तो ?
मैने पल्को में उस को चुपा लिया
जान से भी प्यारा दोस्त किसे केहते हो ?
तो मैने दीपक जी का नाम बता दिया !

सत्यदेव सिंह नेगी

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 771
  • Karma: +5/-0
भागना है आसान यही मुझे लगता है अभी भी   
पूर्वज भी भागते आये  थे इस शायद तब भी   
उन्होने देखा था मस्त मौसम और सौंदर्य उस धरा का   
न बहा पाया मै भी पसीना लगा मुझे जीवन मरा मरा सा   
सोचूं भाग के शहर जाऊं छोड़ उकाल उन्धार   
शहर आके जेब खाली ये कैसा मजधार   
करूँ चाकरी दफ्तर में किसी के बाबू   
न करू तो पेट की आग हो रही बेकाबू   
बुझी आग पेट की न पर बुझा पाया मै मन की   
देख प्रदुषण गर्मी गन्दगी और बास इस तन की   
सोचा छोड़ इस भारत चला जाऊं कहीं और   
भागते भागते कट गयी उम्र आया नया दौर   
तब था आसन भागना क्यों तब था मै और मेरा थैला   
आज मै हूँ मेरा है थोडा सामान और साथ में लैला

दीपक पनेरू

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 281
  • Karma: +8/-0

इस दोस्ती का अहसान मैं,
भूलू कैसे इन मतलबों में,
धन्य में समझाता हूँ खुद को,
शब्द नहीं है अब लबो में,

दोस्त कहकर काराकोटी जी,
आपने जो व्यथा सुनाई है,
आपके पैरो पर चुभे काँटों से,
मेरी आंखें भर आई है,

मोल नहीं इस प्रेम का,
जिसने पलकों पर हमें छुपा लिया,
पुछा आपसे किसी ने दोस्त के बारे में,
हसकर आपने मेरे नाम बता दिया,

करू मैं भी कुछ कोशिश ऐसी,
जोडू आपको लौ और दीपक की तरह,
कभी न आये आड़े कोई दुःख,
कभी न हो अपना विरह........

किसी ने पूछा दोस्त क्या है ?
मैने काँटो पैर चल कर बता दिया
कितना प्यार करोगे दोस्त को?
मैने पूरा आसमान दिखा दिया
कैसे रखोगे दोस्त को?
मैने हल्के से फूलों को सेहला दिया
किसी की नज़र लग गयी तो ?
मैने पल्को में उस को चुपा लिया
जान से भी प्यारा दोस्त किसे केहते हो ?
तो मैने दीपक जी का नाम बता दिया !


 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22