सुना मैंने तुम दोनों की दोस्ती का बखान महसूस दर्द हुआ दिल मेरा लहूलुहान सोचूं इस दोस्ती में क्यों हर कोई दर्दीला है शायद इसलिए दोस्ती दिलदारों का कबीला है
शुक्रिया उस खुदा का जो मिला आप सा कदरदान !नहीं तो हर कोई रहता है दोस्ती के जज्बे से अनजान !! Quote from: सत्यदेव सिंह नेगी on August 14, 2010, 01:15:49 PM सुना मैंने तुम दोनों की दोस्ती का बखान महसूस दर्द हुआ दिल मेरा लहूलुहान सोचूं इस दोस्ती में क्यों हर कोई दर्दीला है शायद इसलिए दोस्ती दिलदारों का कबीला है
चलो फिर वही शब्दों का गोलमोल करें,दिल तरसा, आंखें बरसी ये लेखक आजाद हुआ,चन्द लाइन लिखने के बाद,मुझे कुछ नया नया आभास हुआ,मिला दोस्ती का कदरदान जो,खुद से ज्यादा अब हमें,इस लेखनी पर विश्वाश हुआ,Quote from: Raje Singh Karakoti on August 14, 2010, 02:31:36 PM शुक्रिया उस खुदा का जो मिला आप सा कदरदान !नहीं तो हर कोई रहता है दोस्ती के जज्बे से अनजान !! Quote from: सत्यदेव सिंह नेगी on August 14, 2010, 01:15:49 PM सुना मैंने तुम दोनों की दोस्ती का बखान महसूस दर्द हुआ दिल मेरा लहूलुहान सोचूं इस दोस्ती में क्यों हर कोई दर्दीला है शायद इसलिए दोस्ती दिलदारों का कबीला है