Author Topic: ON-LINE KAVI SAMMELAN - ऑनलाइन कवि सम्मेलन दिखाए, अपना हुनर (कवि के रूप में)  (Read 94608 times)

सत्यदेव सिंह नेगी

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सुना  मैंने तुम दोनों  की दोस्ती का बखान   
महसूस दर्द हुआ दिल मेरा लहूलुहान   
सोचूं इस दोस्ती में क्यों हर कोई दर्दीला है   
शायद इसलिए दोस्ती  दिलदारों का कबीला है

Raje Singh Karakoti

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शुक्रिया उस खुदा का जो मिला आप सा कदरदान !

नहीं तो हर कोई रहता है दोस्ती के जज्बे से अनजान !!

 

सुना  मैंने तुम दोनों  की दोस्ती का बखान   
महसूस दर्द हुआ दिल मेरा लहूलुहान   
सोचूं इस दोस्ती में क्यों हर कोई दर्दीला है   
शायद इसलिए दोस्ती  दिलदारों का कबीला है


दीपक पनेरू

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चलो फिर वही शब्दों का गोलमोल करें,
दिल तरसा, आंखें बरसी ये लेखक आजाद हुआ,
चन्द लाइन लिखने के बाद,
मुझे कुछ नया नया आभास हुआ,
मिला दोस्ती का कदरदान जो,
खुद से ज्यादा अब हमें,
इस लेखनी पर विश्वाश हुआ,



शुक्रिया उस खुदा का जो मिला आप सा कदरदान !

नहीं तो हर कोई रहता है दोस्ती के जज्बे से अनजान !!

 

सुना  मैंने तुम दोनों  की दोस्ती का बखान   
महसूस दर्द हुआ दिल मेरा लहूलुहान   
सोचूं इस दोस्ती में क्यों हर कोई दर्दीला है   
शायद इसलिए दोस्ती  दिलदारों का कबीला है


सत्यदेव सिंह नेगी

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दीपक जी आपका स्तर  कुछा ऊंचा है
किस्मत मुश्किल से ये नाचीज तुम तक पंहुचा है
राजेसिंह जी भी पहुचे हुए धुरंधर हैं
क्यों न हों आखिर मस्त कलंदर  हैं
आपकी जुगल बंदी में मै ऐसे ही आ गया
आपके प्यार को देख यहाँ रहा न गया
करे कण्ट्रोल भी आखिर कब तक
दिल मसले थे मगर धुंआ छिपाया ना गया

चलो फिर वही शब्दों का गोलमोल करें,
दिल तरसा, आंखें बरसी ये लेखक आजाद हुआ,
चन्द लाइन लिखने के बाद,
मुझे कुछ नया नया आभास हुआ,
मिला दोस्ती का कदरदान जो,
खुद से ज्यादा अब हमें,
इस लेखनी पर विश्वाश हुआ,



शुक्रिया उस खुदा का जो मिला आप सा कदरदान !

नहीं तो हर कोई रहता है दोस्ती के जज्बे से अनजान !!

 

सुना  मैंने तुम दोनों  की दोस्ती का बखान   
महसूस दर्द हुआ दिल मेरा लहूलुहान   
सोचूं इस दोस्ती में क्यों हर कोई दर्दीला है   
शायद इसलिए दोस्ती  दिलदारों का कबीला है


दीपक पनेरू

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"नेगी जी" मैं नहीं माझी उस नौका का,
  जिसमें सवार भगवान राम हुए,
  मैं नहीं उस केवट सा चतुर,
  जिसने प्रभु के चरण धोये,
  मैं नहीं आपसा हूँ गुणी,
  जिसने शब्दों में सब समेट लिया,
  आपसे अब मैं लगा सीखने,
  अपना सब आपको भेट किया.........

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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   कल स्वतंत्रता दिवस है! इस अवसर पर मेरापहाड़ की और से आप सब को बधाई१         आज़ाद के इस अवसर पर   आओ नमन करे, उन वीर वीरांगनाओ को    जिनके शहादतो के बदौलत   आज हम आज़ाद कहलाते है !      आओ शपथ करे इस अवसर पर!  भूले न हम उनके बलिदानों को !   जड़ से उखाड़ फेके भ्रष्टाचार को !  दमन करे इन बेमानो का !   अंत कर इन आंतकियो !     झुकने ना दे इस तिरंगे को !  कसम है भारत माता की   फोड़ डालेंगे उस आँख को   जो बुरी नज़र से इस वतन को देखे !


दीपक पनेरू

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Raje Singh Karakoti

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Tiranga

  जब जीरो  दिया मेरे  भारत  ने दुनिया कों तब गिनती आयी  तारो की भाषा भारत ने,दुनिया  कों  पहले सिखलाई!!    देता ना दशमलव भारत तो,यु चाँद पे जाना मुश्किल था  धरती और चाँद दूरी का,अंदाजा लगाना मुश्किल था!!    सभ्यता जहा पहले आयी,पहले जन्मी हैं जहा पे कला  अपना भारत वो भारत है,जिसके पीछे संसार चला!!    संसार चला और आगे बड़ा,यु आगे बड़ाबढ़ता ही गया  भगवान् करे यह और बड़े,बढता ही रहे और फुले फले
जय हिंद  जय उत्तराखंड


 

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