"हमारे गांव, पहाड़. हमारी आस, पडोस."
दिपक जी की उज्वल लौ से, रोंशन होगे हमारे गांव,
सत्यदेब जी की होगी रक्षा, क्योकी देबो के वो देब है.
महिपाल जी की होगी निगरानी, पंकज जी करंगे विचार.
चारू तिवारी जी हुंकार भरंगे, दयाल जी करंगे, पलटवार.
मोहन जी का दांव होगा अजब , हेम जी, जमायंगे पांव.
जगमोहन जी मोहंगे सबको, लिखकर उत्तरांखण्ड पर कविता.
मीना जी के सुरिले शब्दो से, बहेगी पहाड़ मे, निर्मल सरिता.
परिचय न जानु बाकी सदस्यो का, अपरिचित है तनहां इंसान.
आपका दिखना अच्छा लगता है, मत समझना मुझको बेईमान.
जय भारत, जय उत्तराखण्ड कहता है, अब हर पहाड़ वासी इंसान.
हर पहाड़ वासी चाहता है, विकाश हो गांवो का, पहाड़ चढे़ परवान.
क्या होगा, कैसे होगा, गांवो,पहाडो़ का विकास, गुम-सुम है तनहा इंसान.
गांव हमको बहुत भाते है मगर, हमारे बच्चो को कैसे होगा इसका ज्ञान.
अपने बच्चो को बताओ पहाड़ के बारे मे, वरना कल वो कहंगे कोंन पहाड़.
देव भुमी मे मिलकर चलो, कदम-कदम बढाओ पांव.
शहर की चका चौध का, करना होगा हम सबको त्याग.
हम जीवन गुजारंगे युही शहरो मे, दम तोड़गे हमारे पहाड़ और गांव.
तनहा इंसान 16-08-2010