हम सारे ही नौसिखिये है, ऐसे सीखा तो जाता है,
वीर अर्जुन पुत्र अभिमन्यु कि तरह यहाँ,
कौन पेट से सीखकर आता है,
कुछ हमने लिखा और कुछ आपने,
फिर शब्दों का गोलमोल हुआ,
पहाड़ी और अंग्रेजी शब्दों संग,
ये कविताओं का कैसा झोल हुआ,
शब्दहीन न होना तुम जग मे, देवो के देव हो तुम,
ये क्या कह दिया तुमने, सबके प्यारे सत्यदेव हो तुम.
तनहा की लेखनी पर, मंत्र मुग्ध हो जाते हो तुम.
तनहा भी नौसिखिया है, ये कैसे भूल जाते हो तुम.
तनहा इंसान 16-08-2010