Author Topic: ON-LINE KAVI SAMMELAN - ऑनलाइन कवि सम्मेलन दिखाए, अपना हुनर (कवि के रूप में)  (Read 94568 times)

Raje Singh Karakoti

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 477
  • Karma: +5/-0
एक नजराना मेरा पहाड़ फोरम के दोस्तों की शान में     खुशी भी दोस्तो से है,
गम भी दोस्तो से है,

तकरार भी दोस्तो से है,
प्यार भी दोस्तो से है,

रुठना भी दोस्तो से है,
मनाना भी दोस्तो से है,

बात भी दोस्तो से है,
मिसाल भी दोस्तो से है,

नशा भी दोस्तो से है,
शाम भी दोस्तो से है,

जिन्दगी की शुरुआत भी दोस्तो से है,
जिन्दगी मे मुलाकात भी दोस्तो से है,

मौहब्बत भी दोस्तो से है,
इनायत भी दोस्तो से है,

काम भी दोस्तो से है,
नाम भी दोस्तो से है,

ख्याल भी दोस्तो से है,
अरमान भी दोस्तो से है,

ख्वाब भी दोस्तो से है,
माहौल भी दोस्तो से है,

यादे भी दोस्तो से है,
मुलाकाते भी दोस्तो से है,

सपने भी दोस्तो से है,
अपने भी दोस्तो से है,

या यूं कहो यारो,
अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से है

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 572
  • Karma: +5/-0
प्यार न करना प्यारे राजे, प्यार बनकर जिया करो.
है बहुत यह मिठा जहर, छानकर इसे पिया करो.
अंजान ही बन जाते है राजे इस प्यार मे बेजान.
आंसु न बहाओ प्यार मे उसके, कहता है तनहा इंसान.

तनहा इंसान-17-08-2010.

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 572
  • Karma: +5/-0
दोस्त तुमने मिसाल दी दोस्ती की,
मै तो दोस्त हुआ, तनहा इंसान.
सोच समझ कर करना दोस्ती,
मै तनहा निकल सकता हु, बडा वेईमान.

तनहा इंसान-17-08-2010

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 572
  • Karma: +5/-0
अब किसका है इंतजार, दिपक जी.
और कितना कराओगे हमे इंतजार.

अपनी इंतजारी का क्या हाल बताउ.
आपके इंतजार मे, तनहा है वेकरार.

तनहा इंसान-17-08-2010

Raje Singh Karakoti

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 477
  • Karma: +5/-0
रहो जमीं पे मगर आसमां का ख्वाब रखो
तुम अपनी सोच को हर वक्त लाजवाब रखो
खड़े न हो सको इतना न सर झुकाओ कभी
तुम अपने हाथ में किरदार की किताब रखो
उभर रहा जो सूरज तो धूप निकलेगी
उजालों में रहो मत धुंध का हिसाब रखो
मिले तो ऐसे कि कोई न भूल पाये तुम्हें
महक वंफा की रखो और बेहिसाब रखो.....
   
 
 
 
दोस्त तुमने मिसाल दी दोस्ती की,
मै तो दोस्त हुआ, तनहा इंसान.
सोच समझ कर करना दोस्ती,
मै तनहा निकल सकता हु, बडा वेईमान.

तनहा इंसान-17-08-2010

Raje Singh Karakoti

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 477
  • Karma: +5/-0
दर्द कैसा भी हो आंख नम न करो
रात काली सही कोई गम न करो
एक सितारा बनो जगमगाते रहो
ज़िन्दगी में सदा मुस्कुराते रहो
बांटनी है अगर बाँट लो हर ख़ुशी
गम न ज़ाहिर करो तुम किसी पर कभी
दिल कि गहराई में गम छुपाते रहो
ज़िन्दगी में सदा मुस्कुराते रहो
अश्क अनमोल है खो न देना कहीं
इनकी हर बूँद है मोतियों से हसीं
इनको हर आंख से तुम चुराते रहो
ज़िन्दगी में सदा मुस्कुराते रहो
फासले कम करो दिल मिलाते रहो
ज़िन्दगी में सदा मुस्कुराते रहो..
   
 
दोस्त तुमने मिसाल दी दोस्ती की,
मै तो दोस्त हुआ, तनहा इंसान.
सोच समझ कर करना दोस्ती,
मै तनहा निकल सकता हु, बडा वेईमान.

तनहा इंसान-17-08-2010

Raje Singh Karakoti

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 477
  • Karma: +5/-0
सत्यदेव जी आज गुमसुम और चुप्चुपाये से है   लगता है है अपनी कविताओ की पुस्तक घर ही भूल आये है   दीपक जी भी आज चुपचाप और थकेहाल है   लगता है कविताओ की तंगी से वो भी बेहाल है

दीपक पनेरू

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 281
  • Karma: +8/-0

मैं थके हाल नहीं बस यूँही,
कुछ तस्सली दिल को दे रहा हूँ,
आप लोगो की लेखनी से,
कुछ नयी सीख ले रहा हूँ,

मन भर आये जिस कवि,
अपनी ही कविताओं से,
ओ कवि नहीं कहलाता है,
पूछो इन आबो हवाओ  से,

सत्यदेव जी आज गुमसुम और चुप्चुपाये से है   लगता है है अपनी कविताओ की पुस्तक घर ही भूल आये है   दीपक जी भी आज चुपचाप और थकेहाल है   लगता है कविताओ की तंगी से वो भी बेहाल है

दीपक पनेरू

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 281
  • Karma: +8/-0

"सुंदर जी" आपने याद किया,
इसमें मन की गहराई हो,
जो मुस्कान है चेहरे पर आज,
ओ न कभी पराई हो,

सच मैं सुंदर हो आप,
क्या मुख दृष्टी आपने पाई है,
आपकी यही मुस्कान परबस,
मेरे चेहरे पर भी मुस्कान लायी है....

अब किसका है इंतजार, दिपक जी.
और कितना कराओगे हमे इंतजार.

अपनी इंतजारी का क्या हाल बताउ.
आपके इंतजार मे, तनहा है वेकरार.

तनहा इंसान-17-08-2010

Raje Singh Karakoti

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 477
  • Karma: +5/-0
दीपक यार ज़िंदगी है छोटी, हर पल में ख़ुश रहो...
ऑफिस मे ख़ुश रहो, घर में ख़ुश रहो...
आज पनीर नही है दाल में ही ख़ुश रहो...
आज जिम जाने का समय नही, दो क़दम चल के ही ख़ुश रहो...
आज दोस्तो का साथ नही, टीवी  देख के ही ख़ुश रहो...
घर जा नही सकते तो फ़ोन कर के ही ख़ुश रहो...
आज कोई नाराज़ है उसके इस अंदाज़ में भी ख़ुश रहो...
जिसे देख नही सकते उसकी आवाज़ में ही ख़ुश रहो...
जिसे पा नही सकते उसकी याद में ही ख़ुश रहो
लैपटॉप  ना मिला तो क्या, डेस्कटॉप  में ही ख़ुश रहो...
बीता हुआ कल जा चुका है उसकी मीठी यादें है उनमे ही ख़ुश रहो...
आने वाले पल का पता नही... सपनो में ही ख़ुश रहो...
हसते हसते ये पल बिताएँगे, आज में ही ख़ुश र

 

मैं थके हाल नहीं बस यूँही,
कुछ तस्सली दिल को दे रहा हूँ,
आप लोगो की लेखनी से,
कुछ नयी सीख ले रहा हूँ,

मन भर आये जिस कवि,
अपनी ही कविताओं से,
ओ कवि नहीं कहलाता है,
पूछो इन आबो हवाओ  से,

सत्यदेव जी आज गुमसुम और चुप्चुपाये से है लगता है है अपनी कविताओ की पुस्तक घर ही भूल आये है दीपक जी भी आज चुपचाप और थकेहाल है लगता है कविताओ की तंगी से वो भी बेहाल है

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22