Author Topic: ON-LINE KAVI SAMMELAN - ऑनलाइन कवि सम्मेलन दिखाए, अपना हुनर (कवि के रूप में)  (Read 94556 times)

dramanainital

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 171
  • Karma: +2/-0
gazab dhaa diyaa aapne,likhkar aise bol,
kavitaa kee keemat nahee kavitaa hai anmol.

सत्यदेव सिंह नेगी

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 771
  • Karma: +5/-0
टूटा है कहर कुदरत का शोकाकुल है पूरा पहाड़
पर अब जीना भी है मित्रो करो आगे का जुगाड़
न बैठो इस तरह कविगण तुम हाथ बांध चुप
बिखेगो तुम प्रकाश रचना का अँधेरा अभी है घुप्प
कुछा लिखो शासन पर कुछ मदद की करो गुहार
कुछ मीडिया में जाओ करो स्थिति का प्रचार
बनें भागीदार हम राहत में कुछ तुम करो उपाय
सुध आगे की लो भी समझो तुम मेरा अभिप्राय

dramanainital

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 171
  • Karma: +2/-0
taaja taaja jai ban rau.

बखतक दगिड़ हिटौ.
 
पछिनैं छूट जाला,बखतक दगिड़ हिटौ,
नान्तरी पछताला,बखतक दगिड़ हिटौ.
 
बखतैकि सारी माया,बखतैकि धूप छाया,
बखतक हँसी आँसू,बखतक दगिड़ हिटौ.
 
बखतैली घाव करौ,बखतैली घाव भरौ,
बखतैकीं कैल जितौ,बखतक दगिड़ हिटौ.
 
बखतैल राज बणाईं,बखतैल रंक करौ,
बखतैल राज करौ,बखतक दगिड़ हिटौ.
 
बखतैल भगत देखौ,भगतैल बखत देखौ,
अफ़ुँ लै बखत देखौ,बखतक दगिड़ हिटौ.
 
बखतैल न्योल गाई,बखतैल झ्वाड़ लगाईं,
बखत ’कमीना’ गानौ,बखतक दगिड़ हिटौ. 

सत्यदेव सिंह नेगी

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 771
  • Karma: +5/-0
बगत का दगड़ी कनिकै हिटण , कोच जू बथों बाटू
यख ता छि नेता बिरणा, कोच अपुरु कैमा जा यु लाटू
स्कोल छी पर नि छि गुरूजी, छीं जू हुयां वू टुन्ड पैकी
कु व्हालू कख भटी ल्यों गुरु, व्हेली आत्मा बचीं जैकी
सब्य छीं पर अफ अफ खणि, क्वी नि रूंदु पहाड़ कु
लाटा व्हे सबी मिजणी भोल, क्या कला सबी खाणा कु
ब्वाद नेगी नरेंदर "ना काटा   तों डाल्युं" न कटा कैका जाड़ा
लाग्यां छि सबी कटण पर सब्युंकि भोल कुडयों माँ राला क्याड़ा

दीपक पनेरू

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 281
  • Karma: +8/-0
क्या बात है धरम जी .....बहुत खूब

taaja taaja jai ban rau.

बखतक दगिड़ हिटौ.
 
पछिनैं छूट जाला,बखतक दगिड़ हिटौ,
नान्तरी पछताला,बखतक दगिड़ हिटौ.
 
बखतैकि सारी माया,बखतैकि धूप छाया,
बखतक हँसी आँसू,बखतक दगिड़ हिटौ.
 
बखतैली घाव करौ,बखतैली घाव भरौ,
बखतैकीं कैल जितौ,बखतक दगिड़ हिटौ.
 
बखतैल राज बणाईं,बखतैल रंक करौ,
बखतैल राज करौ,बखतक दगिड़ हिटौ.
 
बखतैल भगत देखौ,भगतैल बखत देखौ,
अफ़ुँ लै बखत देखौ,बखतक दगिड़ हिटौ.
 
बखतैल न्योल गाई,बखतैल झ्वाड़ लगाईं,
बखत ’कमीना’ गानौ,बखतक दगिड़ हिटौ. 


दीपक पनेरू

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 281
  • Karma: +8/-0
नेगी जी गढ़वाली समझ में नहीं आती है मेरी...पर जो भी आपने लिखा होगा अति सुंदर लिखा होगा.......

बगत का दगड़ी कनिकै हिटण , कोच जू बथों बाटू
यख ता छि नेता बिरणा, कोच अपुरु कैमा जा यु लाटू
स्कोल छी पर नि छि गुरूजी, छीं जू हुयां वू टुन्ड पैकी
कु व्हालू कख भटी ल्यों गुरु, व्हेली आत्मा बचीं जैकी
सब्य छीं पर अफ अफ खणि, क्वी नि रूंदु पहाड़ कु
लाटा व्हे सबी मिजणी भोल, क्या कला सबी खाणा कु
ब्वाद नेगी नरेंदर "ना काटा   तों डाल्युं" न कटा कैका जाड़ा
लाग्यां छि सबी कटण पर सब्युंकि भोल कुडयों माँ राला क्याड़ा


सत्यदेव सिंह नेगी

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 771
  • Karma: +5/-0
 दीपक जी समझ आ जाएगी थोडा वक़्त लग सकता है जैसे की अब मै कुमाउनी  समझ लेता हूँ

नेगी जी गढ़वाली समझ में नहीं आती है मेरी...पर जो भी आपने लिखा होगा अति सुंदर लिखा होगा.......

बगत का दगड़ी कनिकै हिटण , कोच जू बथों बाटू
यख ता छि नेता बिरणा, कोच अपुरु कैमा जा यु लाटू
स्कोल छी पर नि छि गुरूजी, छीं जू हुयां वू टुन्ड पैकी
कु व्हालू कख भटी ल्यों गुरु, व्हेली आत्मा बचीं जैकी
सब्य छीं पर अफ अफ खणि, क्वी नि रूंदु पहाड़ कु
लाटा व्हे सबी मिजणी भोल, क्या कला सबी खाणा कु
ब्वाद नेगी नरेंदर "ना काटा   तों डाल्युं" न कटा कैका जाड़ा
लाग्यां छि सबी कटण पर सब्युंकि भोल कुडयों माँ राला क्याड़ा


दीपक पनेरू

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 281
  • Karma: +8/-0
हाँ जी सर कोशिश करूँगा सीखने की........

दीपक जी समझ आ जाएगी थोडा वक़्त लग सकता है जैसे की अब मै कुमाउनी  समझ लेता हूँ

नेगी जी गढ़वाली समझ में नहीं आती है मेरी...पर जो भी आपने लिखा होगा अति सुंदर लिखा होगा.......

सत्यदेव सिंह नेगी

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 771
  • Karma: +5/-0
वेसे मैंने लिखना ये चाहा था कि
मै वक़्त के साथ कैसे चलूँ कौन है जो मुझे राह बताएगा
यहाँ तो नेता भी पराये हैं मै कम अकल किसके पास जाऊं
स्कुल हैं पर गुरु नहीं हैं जो हैं वे पी कर चित हैं
कौन है कहाँ से लाऊं मै वो गुरु जिसकी आत्मा जिन्दा है
हैं तो सभी पर हैं खुद के लिए इस पहाड़ के लिए कोइ नहीं रोता
सभी कम अकल हो गए हैं कल जाके क्या खायेंगे
नरेंदर सिंह नेगी ने गया "ना काटा तों डाल्युं" नहीं काटो दुसरे कि जड़
सबी लगें हैं एक दुसरे कि खोदने कल जाके सबके घर बंजर हो जायेंगे

दीपक पनेरू

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 281
  • Karma: +8/-0
बहुत खूब श्रीमान अच्छी सोच है......नेगी जी के इस गाने की अहमियत शायद अब सभी के समझ में आ जाएगी........

वेसे मैंने लिखना ये चाहा था कि
मै वक़्त के साथ कैसे चलूँ कौन है जो मुझे राह बताएगा
यहाँ तो नेता भी पराये हैं मै कम अकल किसके पास जाऊं
स्कुल हैं पर गुरु नहीं हैं जो हैं वे पी कर चित हैं
कौन है कहाँ से लाऊं मै वो गुरु जिसकी आत्मा जिन्दा है
हैं तो सभी पर हैं खुद के लिए इस पहाड़ के लिए कोइ नहीं रोता
सभी कम अकल हो गए हैं कल जाके क्या खायेंगे
नरेंदर सिंह नेगी ने गया "ना काटा तों डाल्युं" नहीं काटो दुसरे कि जड़
सबी लगें हैं एक दुसरे कि खोदने कल जाके सबके घर बंजर हो जायेंगे

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22